उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) ने चयन प्रक्रिया से जुड़े गोपनीय कार्यों की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने पिछले चार वर्षों में करीब 450 विशेषज्ञों को उनके कमजोर प्रदर्शन और अनुशासनहीनता के कारण हमेशा के लिए अपने कार्यों से बाहर कर दिया है।
आयोग के परीक्षा नियंत्रक हर्षदेव पांडेय ने बताया कि आयोग नियमित रूप से विशेषज्ञों के कार्यों की समीक्षा करता है। जिन विशेषज्ञों ने सत्यनिष्ठा, गुणधर्मिता, सार्वजनिक आचरण और आयोग द्वारा तय मानकों के अनुरूप कार्य नहीं किया, उन्हें विशेषज्ञों की सूची से हटा दिया गया है।
आयोग ने बताया कि विशेषज्ञों के कार्यों की निरंतर समीक्षा के लिए संस्थागत व्यवस्था विकसित की गई है और चयन प्रक्रिया से जुड़े गोपनीय कार्यों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जा रही है।
इसके अलावा, सत्यनिष्ठा और आचरण में खरे न उतरने वाले विशेषज्ञों की जानकारी संघ लोक सेवा आयोग (UPSC), अन्य राज्य लोक सेवा आयोगों और संबंधित संस्थानों को भी भेजी जा रही है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि चयन प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी व उच्च गुणवत्ता वाला बनाने के लिए अब देशभर के प्रख्यात विशेषज्ञों को नए पैनल में शामिल किया जा रहा है।