देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मंगलवार से मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) शुरू हो गया है। इन राज्यों में तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जहां 2026 में विधानसभा चुनाव होने हैं। असम में भी अगले साल चुनाव हैं, लेकिन वहां SIR की तारीख फिलहाल तय नहीं की गई है।
सूत्रों के अनुसार, असम में मतदाता सूची की गहन समीक्षा तो होगी, लेकिन वोटर्स की नागरिकता की जांच नहीं की जाएगी। नागरिकता को लेकर जारी विवाद को देखते हुए चुनाव आयोग राज्य के लिए नया मॉडल तैयार कर रहा है। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कहा कि असम में NRC प्रक्रिया अधूरी है, इसलिए वहां नागरिकता से संबंधित प्रावधान अलग होंगे।
असम में नागरिकता की उलझन बरकरार
असम में 1971 से 1987 के बीच जन्मे लोगों की नागरिकता को लेकर भ्रम कायम है। 1985 के असम समझौते में यह तय हुआ था कि 1971 की जंग के दौरान आए बांग्लादेशी नागरिक भारत लौटेंगे, लेकिन इसके क्रियान्वयन में देरी से स्थिति और जटिल हो गई।
1997 में तत्कालीन मुख्य चुनाव आयुक्त एम.एस. गिल ने संदिग्ध नागरिकता वाले मतदाताओं को ‘D-वोटर’ (डाउटफुल) श्रेणी में रखने का निर्देश दिया था। इनके नाम मतदाता सूची में तो रहेंगे, लेकिन नागरिकता की पुष्टि होने तक ये मतदान नहीं कर सकेंगे।
बाद में सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर 2005 में NRC प्रक्रिया शुरू हुई, जो 2019 में समाप्त हुई। इसमें करीब 19 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाने की सिफारिश की गई थी, लेकिन राजनीतिक विवादों के चलते प्रक्रिया अधूरी रह गई। अब चुनाव आयोग की मंशा है कि नागरिकता विवाद के समाधान तक SIR के दौरान इस विषय को शामिल न किया जाए।
BLO घर-घर जाकर करेंगे मतदाताओं की पुष्टि
SIR प्रक्रिया के तहत बूथ लेवल अधिकारी (BLO) घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी अपडेट करेंगे। यह देखा जाएगा कि कौन मतदाता अपने क्षेत्र में रह रहा है, कौन बाहर चला गया है या अब जीवित नहीं है। 2004 में असम में 1.7 करोड़ मतदाता थे, जो अब बढ़कर 2.6 करोड़ हो चुके हैं।
DMK ने तमिलनाडु में SIR को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी
तमिलनाडु में सत्तारूढ़ DMK ने राज्य में चल रहे SIR को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन की अध्यक्षता में हुई बैठक में यह निर्णय लिया गया था।
12 राज्यों में 51 करोड़ मतदाता
SIR वाले 12 राज्यों में करीब 51 करोड़ मतदाता हैं। इस प्रक्रिया में 5.33 लाख BLO और 7 लाख से अधिक राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि (BLA) शामिल होंगे। मतदाता अपने नाम की पुष्टि, सुधार या नया नाम जुड़वाने के लिए फॉर्म भर सकेंगे।
मान्य दस्तावेज़
मतदाता पहचान के लिए पेंशनर कार्ड, पासपोर्ट, जन्म प्रमाणपत्र, 10वीं की मार्कशीट, स्थायी निवास प्रमाणपत्र, NRC में नाम, परिवार रजिस्टर, आधार कार्ड आदि दस्तावेज़ स्वीकार किए जाएंगे। हालांकि, चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार केवल पहचान प्रमाण है, नागरिकता का नहीं।
SIR का मकसद
SIR का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि कोई भी योग्य मतदाता सूची से न छूटे और कोई भी अयोग्य नाम शामिल न हो। इसमें मृतकों के नाम हटाना, दोहरी प्रविष्टियाँ सुधारना और नए पात्र मतदाताओं को जोड़ना शामिल है।
चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया है कि सभी राज्यों में अंतिम मतदाता सूची objections पर विचार के बाद ही प्रकाशित की जाएगी।