पंजाब में धड़ल्ले से जल रही पराली, कई शहरों की हवा बेहद खराब स्तर पर पहुंची

सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणियों और सरकार के लगातार निर्देशों के बावजूद पंजाब में पराली जलाने की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रहीं। खेतों में जलती पराली का धुआं अब राज्य की हवा को जहरीला बना रहा है। सोमवार को पंजाब के कई शहरों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) बेहद खराब स्तर पर दर्ज किया गया।

जालंधर, खन्ना और पटियाला में AQI 300 से ऊपर पहुंच गया, जबकि मंडी गोबिंदगढ़ में यह 409 दर्ज किया गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस स्तर का प्रदूषण आम लोगों के लिए खतरनाक है और बच्चों, बुजुर्गों व सांस की बीमारियों से जूझ रहे लोगों पर इसका प्रभाव और भी ज्यादा पड़ता है। पराली का धुआं हवा में सूक्ष्म कण (PM 2.5 और PM 10) की मात्रा बढ़ा देता है, जिससे आंखों में जलन, खांसी, सांस लेने में कठिनाई और अस्थमा जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। डॉक्टरों ने लोगों को प्रदूषण से बचाव के लिए मास्क पहनने की सलाह दी है।

सोमवार को पराली जलाने के 256 नए मामले दर्ज किए गए, जिससे इस सीजन में अब तक कुल 2,518 मामले हो चुके हैं। यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में करीब 40% कम है। 2023 में 15 सितंबर से 3 नवंबर तक ऐसे 4,132 मामले सामने आए थे। पिछले कुछ दिनों से संगरूर में पराली जलाने की घटनाएं सबसे अधिक मिल रही हैं—सोमवार को ही यहां 61 नए केस दर्ज हुए। अब तक 467 मामलों के साथ संगरूर राज्य में दूसरे स्थान पर है, जबकि तरनतारन 471 मामलों के साथ पहले नंबर पर है। कृषि विभाग का कहना है कि अभी भी करीब 15% खेतों में धान की कटाई बाकी है।

सरकार ने पराली जलाने वालों पर निगरानी बढ़ा दी है। पूरे राज्य में करीब आठ हजार अधिकारी और कर्मचारी इस पर नजर रख रहे हैं। अब तक 590 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं, किसानों पर 47.60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिनमें से 22.05 लाख रुपये वसूल भी किए जा चुके हैं। इसके अलावा 841 किसानों की जमीनों की रेड एंट्री की गई है। इसके बावजूद कई जगहों पर पराली जलाने की घटनाएं जारी हैं, जिससे राज्य की वायु गुणवत्ता लगातार बिगड़ती जा रही है।