नीतीश कुमार की नई सरकार के सामने बड़ी चुनौतियाँ, अगले 5 साल आसान नही

बिहार में बुनियादी ढांचा, शिक्षा, रोजगार और महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दों पर पिछली सरकार ने कई महत्वपूर्ण कदम उठाए थे। अब नई सरकार के सामने चुनाव के दौरान किए गए संकल्पों को पूरा करने की चुनौती होगी। इन वादों पर प्रभावी तरीके से अमल करने के लिए प्रशासनिक स्तर पर रोडमैप तैयार किया जा रहा है। नीतीश कुमार की एक बार फिर मुख्यमंत्री पद पर वापसी को बिहार की राजनीति में नई शुरुआत का संकेत भी माना जा रहा है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि नई सरकार को आर्थिक और सामाजिक विकास की रफ्तार तेज करने के लिए कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर तुरंत काम करना होगा। पलायन, शिक्षा, रोजगार, कानून-व्यवस्था और महिला सशक्तीकरण जैसे मुद्दे चुनाव में भी प्रमुख रहे थे।

एनडीए ने अपने संकल्प पत्र को ‘बिहार की नई कहानी’ बताया था, जिसमें रोजगार, शिक्षा, उद्योग, सुरक्षा और विकास का साफ़ रोडमैप शामिल है। प्रशासनिक अधिकारियों के अनुसार, सरकार स्थिर और विकास आधारित मॉडल पर काम करेगी। बुनियादी ढांचा, नौकरी-रोजगार और कल्याणकारी योजनाओं को नए रास्तों के साथ आगे बढ़ाया जाएगा।

रोज़गार और पलायन

बिहार में रोज़गार की कमी और बड़े पैमाने पर पलायन लंबे समय से चुनावी मुद्दा रहे हैं। नई सरकार के लिए एक करोड़ नौकरी/रोजगार देने का वादा सबसे बड़ी प्राथमिकता है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हर तीन में से दो घरों का कम से कम एक सदस्य दूसरे राज्यों में काम करता है, जो बड़े पैमाने पर पलायन की स्थिति को दर्शाता है।

श्रम संसाधन विभाग के अनुसार, बिहार के 54% श्रमिक अब भी कृषि पर निर्भर हैं, जबकि राष्ट्रीय औसत 46% है। वहीं सिर्फ 5% श्रमिकों को मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में रोजगार मिला है, जबकि देश में यह औसत 11% है।

शिक्षा में सुधार

बेहतर शिक्षा और अवसरों की कमी के कारण प्रतिभाशाली युवाओं को बिहार से बाहर जाना पड़ता है। इससे राज्य की आर्थिक क्षमता पर असर पड़ता है। पूर्व कुलपति डॉ. रासबिहारी सिंह के अनुसार, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं में सुधार के बावजूद बिहार प्रति व्यक्ति आय के मामले में देश का सबसे गरीब राज्य बना हुआ है। देश में जहां प्रति व्यक्ति आय 1.89 लाख रुपए से ऊपर है, वहीं बिहार में यह केवल 60 हजार रुपए के आसपास है। ऐसे में नई सरकार को शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने और रोजगार योग्य युवाओं को बेहतर अवसर देने पर जोर देना होगा।

स्कूलों में ड्रॉप आउट

सुविधाओं और शिक्षकों की नियुक्ति के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता और ड्रॉप आउट रेट चिंता का विषय बना हुआ है। बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मिडिल स्कूल के बाद पढ़ाई जारी नहीं रख पाते। नई सरकार के लिए इस चुनौती से निपटना बेहद जरूरी होगा।

कानून-व्यवस्था

नीतीश कुमार को बिहार में जंगलराज खत्म करने का श्रेय दिया जाता है, लेकिन इस बार कानून-व्यवस्था चुनाव में अहम मुद्दा बनी रही। NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2015 से 2024 के बीच राज्य में अपराध दर में तेज़ बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2023 में अपराध दर 2022 की तुलना में 1.63% बढ़ी। माना जा रहा है कि नई सरकार इस क्षेत्र में सख्ती बरतेगी।

पंचामृत गारंटी और लखपति दीदी

एनडीए की पंचामृत गारंटी में गरीबों के लिए कई बड़ी योजनाएं शामिल हैं—मुफ्त राशन, प्रति परिवार 125 यूनिट मुफ्त बिजली, 5 लाख तक की मुफ्त स्वास्थ्य सेवा, 50 लाख पक्के मकानों का निर्माण और पात्र परिवारों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन।

महिलाएं, जिन्होंने इस चुनाव में बड़ी भूमिका निभाई, सरकार की प्राथमिकता में रहेंगी। नई सरकार का लक्ष्य एक करोड़ महिलाओं को ‘लखपति दीदी’ बनाना है, यानी ऐसी महिलाएं जो सालाना एक लाख रुपये से अधिक कमाई करें।