एनसीआर में दमघोंटू हवा से बिगड़ रही सेहत; फेफड़ों पर बढ़ा खतरा, मास्क पहनकर ही निकलें बाहर

जिले में लगभग 10 प्रतिशत लोग सीओपीडी से पीड़ित हैं, जिनमें बुजुर्गों के बाद सबसे अधिक प्रभावित बच्चे हैं। वायु प्रदूषण लगातार बढ़ने से सीओपीडी मरीजों की संख्या में 25 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। खराब हवा के कारण सांस लेने में आ रही दिक्कतें फेफड़ों को तेजी से कमजोर कर रही हैं। नवंबर 2024 में हुए एक सर्वे के अनुसार गाजियाबाद में सीओपीडी मरीजों की संख्या पाँच लाख से बढ़कर अब छह लाख तक पहुँच गई है। बुजुर्गों के बाद बच्चों पर सबसे ज्यादा असर दिखाई दे रहा है, जबकि तीसरे स्थान पर युवा हैं। विश्व स्तर पर 21.33 करोड़, भारत में 4.37 करोड़ और उत्तर प्रदेश में 98 लाख लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं।

आईएमए की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली-एनसीआर में 30 वर्ष से ऊपर की आबादी में सीओपीडी की दर करीब 10.1 प्रतिशत है। धूमपान इसका सबसे बड़ा कारण माना गया है, जबकि धुएं का लंबे समय तक संपर्क और बढ़ता वायु प्रदूषण भी प्रमुख वजहें हैं। चिंताजनक बात यह है कि केवल 48 प्रतिशत मरीज ही उपचार ले रहे हैं, बाकी इलाज शुरू नहीं कर पाए हैं या उसे जारी नहीं रख पा रहे। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्ययन में दिल्ली के 3.9 प्रतिशत लोगों में लंग ऑब्स्ट्रक्शन या सीओपीडी के लक्षण पाए गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार पीएम 2.5 जैसे कण प्रदूषण फेफड़ों की क्षमता को सीधे प्रभावित करते हैं और बीमारी का खतरा बढ़ाते हैं।

प्रदूषण से बचाव के लिए डॉक्टर और विशेषज्ञ गर्म व घर का बना भोजन लेने, गुड़ के सेवन, नियमित भाप लेने और प्राणायाम–अनुलोम-विलोम करने की सलाह देते हैं। वहीं बाहर निकलते समय मास्क पहनना, पर्याप्त पानी पीना और धुएं के संपर्क से बचना बेहद जरूरी है।