दिल्ली-NCR में प्रदूषण का संकट बुधवार सुबह और गहरा गया। धुंध, धुएं और ठंडी हवा के स्थिर रहने से पूरे क्षेत्र की वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है। सुबह से ही लोगों में आंखों में जलन, गले में खराश और सीने में भारीपन की शिकायतें बढ़ी हैं। हवा में मौजूद PM2.5 सूक्ष्म कण सामान्य मानकों से कई गुना ऊपर दर्ज किए गए, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।
बुधवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, राजधानी के कई इलाकों में AQI ‘सीवियर’ श्रेणी में रहा। वजीरपुर, ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-5 और बवाना में प्रदूषण स्तर सबसे अधिक दर्ज किया गया, जहां AQI 530 से 578 के बीच रहा। इसके अलावा DTU दिल्ली, जहांगीरपुरी सहित कई इलाकों में एयर क्वालिटी 500 के आसपास बनी हुई है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्तर है।
मंगलवार शाम CPCB के बुलेटिन में भी वायु गुणवत्ता लगातार खराब होने के संकेत मिल चुके थे। दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता ‘वेरी पुअर’ श्रेणी में रही, जबकि गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा जैसे शहर ‘सीवियर’ स्तर तक पहुंच गए थे। नोएडा, बागपत, हापुड़ और मेरठ की हवा भी ‘बहुत खराब’ स्थिति में दर्ज की गई थी। मौसम के स्थिर होने के कारण बुधवार की सुबह प्रदूषण का स्तर और तेजी से बढ़ गया।
दिल्ली-NCR के कई इलाके अभी भी गंभीर रूप से प्रभावित हैं और कई जगहों पर हवा इतनी प्रदूषित है कि लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। इसी बिगड़ती स्थिति को लेकर राजधानी में प्रदूषण विरोधी प्रदर्शनों में भी तेजी आई है। सामाजिक संगठनों, छात्रों और स्थानीय निवासियों ने मार्च निकालकर सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लगातार ‘वेरी पुअर’ और ‘सीवियर’ स्तर होने के बावजूद प्रभावी कदम नजर नहीं आ रहे, जिससे लोगों की सेहत पर सीधा खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण, निर्माण गतिविधियों पर निगरानी और ठोस एंटी-पॉल्यूशन एक्शन की मांग की है।









