अरावली केस में सुप्रीम कोर्ट ने अपने ही फैसले पर लगाई रोक, सरकार से मांगा जवाब

सोमवार को अरावली मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इस पर्वत श्रृंखला की नई परिभाषा को लेकर पिछले महीने दिए गए अपने ही आदेश पर रोक लगा दी। इससे पहले आए फैसले के बाद पर्यावरण कार्यकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने आशंका जताई थी कि यह निर्णय अरावली के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र के बड़े हिस्से को अवैध और अनियमित खनन के लिए खोल सकता है।

मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि समिति की सिफारिशों और इस न्यायालय के पूर्व निर्देशों को फिलहाल स्थगित रखना आवश्यक है। अदालत ने स्पष्ट किया कि नई समिति के गठन तक यह स्थगन प्रभावी रहेगा।

सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार और चार संबंधित राज्यों को नोटिस जारी करते हुए जवाब मांगा है। साथ ही विशेषज्ञों के एक नए पैनल के गठन का निर्देश दिया गया है। मामले की अगली सुनवाई 21 जनवरी को होगी।

गौरतलब है कि यह विवाद तब शुरू हुआ था, जब केंद्र सरकार ने अरावली की एक नई परिभाषा को अधिसूचित किया। कार्यकर्ताओं और विशेषज्ञों का आरोप है कि यह परिभाषा बिना पर्याप्त मूल्यांकन और सार्वजनिक परामर्श के तैयार की गई थी। उनका कहना था कि इससे हरियाणा, राजस्थान और गुजरात में अरावली के बड़े हिस्से खनन के खतरे में आ सकते हैं।

इससे पहले नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया था कि क्षेत्र में किसी भी नई खनन गतिविधि की अनुमति देने से पहले सतत खनन के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जाए। मौजूदा सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि अदालत ने पिछले महीने उस योजना को स्वीकार कर लिया था।

हालांकि, सीजेआई ने इस दावे से असहमति जताते हुए कहा कि समिति की रिपोर्ट और अदालत की टिप्पणियों की गलत व्याख्या की जा रही है। उन्होंने कहा कि कुछ पहलुओं पर स्पष्टता जरूरी है और किसी भी तरह के कार्यान्वयन से पहले एक निष्पक्ष, तटस्थ और स्वतंत्र विशेषज्ञ की राय पर विचार किया जाना चाहिए।

सीजेआई ने यह भी कहा कि स्पष्ट दिशा-निर्देश देने के लिए यह कदम आवश्यक है। यह तय किया जाना चाहिए कि नई परिभाषा ने कहीं गैर-अरावली क्षेत्रों के दायरे को अनावश्यक रूप से तो नहीं बढ़ा दिया है, जिससे अनियमित खनन को बढ़ावा मिल रहा हो।


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कैंसर के इलाज में नई उम्मीद: वैज्ञानिकों ने पौधों से एंटी-कैंसर दवा का फॉर्मूला खोजा

यूबीसी ओकनागन के वैज्ञानिकों ने यह अहम खोज की है कि पौधे एक दुर्लभ प्राकृतिक यौगिक माइट्रैफिलीन कैसे बनाते हैं, जिसे कैंसर-रोधी प्रभावों से जोड़ा जा रहा है। शोध में दो ऐसे प्रमुख एंजाइमों की पहचान की गई है, जो अणुओं को सही आकार देने और अंतिम रूप में मोड़ने का काम करते हैं। इस खोज ने उस वैज्ञानिक पहेली को सुलझा दिया है, जो वर्षों से शोधकर्ताओं को उलझाए हुए थी।

इस उपलब्धि से माइट्रैफिलीन और इससे जुड़े अन्य यौगिकों का उत्पादन भविष्य में कहीं अधिक आसान हो सकता है। साथ ही यह भी सामने आया है कि पौधे अप्रयुक्त चिकित्सीय क्षमता के साथ अत्यंत कुशल “प्राकृतिक रसायनज्ञ” की तरह काम करते हैं। माइट्रैफिलीन एक दुर्लभ प्राकृतिक पदार्थ है, जो अपनी संभावित एंटी-कैंसर भूमिका के कारण वैज्ञानिकों का ध्यान खींच रहा है।

माइट्रैफिलीन एक विशेष रासायनिक समूह स्पाइरोऑक्सिंडोल एल्कलॉइड्स का हिस्सा है। इन अणुओं की पहचान उनके अनोखे मुड़े हुए रिंग स्ट्रक्चर से होती है, जो इन्हें शक्तिशाली जैविक गुण प्रदान करता है। इन्हीं गुणों के कारण इनमें एंटी-ट्यूमर और एंटी-इंफ्लेमेटरी प्रभाव देखे जाते हैं। हालांकि वैज्ञानिकों को लंबे समय से इन यौगिकों के महत्व का अंदाजा था, लेकिन पौधों में इनके बनने की सटीक प्रक्रिया अब तक स्पष्ट नहीं थी।

जैविक रहस्य का समाधान

2023 में यूबीसी ओकनागन के इरविंग के. बार्बर फैकल्टी ऑफ साइंस में डॉ. थू थुई डांग के नेतृत्व में एक टीम ने उस पहले एंजाइम की पहचान की थी, जो इन अणुओं में मौजूद विशेष स्पाइरो संरचना बनाने में सक्षम है। इसी शोध को आगे बढ़ाते हुए डॉक्टोरल छात्र तुआन आन्ह गुयेन ने माइट्रैफिलीन के निर्माण में शामिल दो अहम एंजाइमों की पहचान की। इनमें से एक एंजाइम अणु को सही त्रि-आयामी संरचना देता है, जबकि दूसरा उसे उसके अंतिम स्वरूप में बदल देता है।

डॉ. डांग के अनुसार, यह खोज किसी असेंबली लाइन की गायब कड़ियों को ढूंढने जैसी है। इससे यह समझने में मदद मिलती है कि प्रकृति इतने जटिल अणुओं का निर्माण कैसे करती है और अब वैज्ञानिक उसी प्रक्रिया को प्रयोगशाला में दोहराने के नए रास्ते तलाश सकते हैं।

माइट्रैफिलीन प्राप्त करना क्यों है मुश्किल

कई प्राकृतिक यौगिक पौधों में बेहद कम मात्रा में पाए जाते हैं, जिससे उनका उत्पादन महंगा और कठिन हो जाता है। माइट्रैफिलीन भी ऐसा ही यौगिक है, जो उष्णकटिबंधीय पेड़ों जैसे माइट्रागाइना (क्रैटम) और अनकारिया (कैट्स क्लॉ) में बहुत ही कम मात्रा में मौजूद होता है। यही वजह है कि अब तक इसका बड़े पैमाने पर उपयोग संभव नहीं हो पाया था।

इको-फ्रेंडली दवा उत्पादन की ओर कदम

तुआन आन्ह गुयेन का कहना है कि इस खोज से माइट्रैफिलीन जैसे यौगिकों तक पहुंचने के लिए ग्रीन केमिस्ट्री आधारित तरीके अपनाए जा सकते हैं। इससे न केवल पर्यावरण को कम नुकसान पहुंचेगा, बल्कि दवा उत्पादन भी अधिक टिकाऊ और किफायती हो सकेगा। उन्होंने इस शोध को एक ऐसे सहयोगी वातावरण का परिणाम बताया, जहां छात्र और वैज्ञानिक मिलकर वैश्विक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान पर काम कर रहे हैं।


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इंडिया विमेंस ने 30 रन से चौथा टी-20 जीता, सीरीज में मजबूत बढ़त

इंडिया विमेंस टीम ने रविवार को अपने इतिहास का सबसे बड़ा टी-20 स्कोर बनाते हुए श्रीलंका को चौथे मुकाबले में 30 रन से मात दी। तिरुवनंतपुरम के ग्रीनफील्ड स्टेडियम में खेले गए मैच में श्रीलंका ने टॉस जीतकर गेंदबाजी चुनी, लेकिन भारतीय बल्लेबाजों ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 2 विकेट पर 221 रन ठोक दिए।

भारत की ओर से ओपनर स्मृति मंधाना और शेफाली वर्मा ने 162 रन की जबरदस्त साझेदारी की। शेफाली ने 79 रन की पारी खेलते हुए सीरीज में लगातार तीसरी फिफ्टी लगाई, जबकि मंधाना ने 35 गेंदों में अर्धशतक पूरा कर 80 रन बनाए। इस पारी के साथ स्मृति मंधाना ने अपने इंटरनेशनल करियर के 10 हजार रन भी पूरे किए और यह उपलब्धि हासिल करने वाली चौथी महिला क्रिकेटर बन गईं।

मिडिल ऑर्डर में ऋचा घोष ने 16 गेंदों पर नाबाद 40 रन की तेज पारी खेली, वहीं कप्तान हरमनप्रीत कौर 10 गेंदों पर 16 रन बनाकर नाबाद रहीं।

222 रन के विशाल लक्ष्य का पीछा करते हुए श्रीलंका विमेंस टीम ने भी आक्रामक शुरुआत की। टीम ने शुरुआती 5 ओवर में 58 रन बना लिए। कप्तान चमारी अटापट्टू ने अर्धशतक जमाया और इमेशा दुलानी के साथ टीम को 100 रन के पार पहुंचाया। अटापट्टू ने 52 और दुलानी ने 29 रन बनाए।

हालांकि अच्छी बल्लेबाजी के बावजूद श्रीलंका की टीम 6 विकेट पर 191 रन ही बना सकी, जो टी-20 में उसका अब तक का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है। भारत की ओर से वैष्णवी शर्मा और अरुंधति रेड्डी ने 2-2 विकेट लिए, जबकि श्री चरणी को 1 सफलता मिली।

इस जीत के साथ भारत ने सीरीज में 4-0 की अजेय बढ़त बना ली है। सीरीज का पांचवां और अंतिम मुकाबला 30 दिसंबर को तिरुवनंतपुरम में ही खेला जाएगा।


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सोने-चांदी के दाम लगातार पांचवें दिन ऑलटाइम हाई पर पहुंचे, निवेशकों में बढ़ी खरीदारी

सोने-चांदी की कीमतों में तेजी का सिलसिला जारी है। आज यानी 29 दिसंबर को लगातार पांचवें कारोबारी दिन दोनों धातुएं ऑलटाइम हाई पर पहुंच गईं। इंडिया बुलियन एंड ज्वेलर्स एसोसिएशन (IBJA) के मुताबिक 10 ग्राम सोने का भाव 205 रुपये बढ़कर 1,38,161 रुपये हो गया, जबकि इससे पहले यह 1,37,956 रुपये प्रति 10 ग्राम था।

वहीं चांदी की कीमत में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है। चांदी 15,376 रुपये महंगी होकर 2,43,483 रुपये प्रति किलो पर पहुंच गई, जो पहले 2,28,107 रुपये थी। साल 2025 में अब तक सोना 61,999 रुपये और चांदी 1,57,466 रुपये महंगी हो चुकी है।

अलग-अलग शहरों में कीमतें क्यों होती हैं अलग

IBJA द्वारा जारी किए गए रेट्स में 3% जीएसटी, मेकिंग चार्ज और ज्वेलर्स का मार्जिन शामिल नहीं होता। इसी वजह से अलग-अलग शहरों में सोने-चांदी के दाम अलग नजर आते हैं। IBJA के रेट्स का इस्तेमाल आरबीआई सोवरेन गोल्ड बॉन्ड और कई बैंक गोल्ड लोन की कीमत तय करने में करते हैं।

इस साल सोना-चांदी ने बनाया रिकॉर्ड

31 दिसंबर 2024 को 24 कैरेट सोना 76,162 रुपये प्रति 10 ग्राम था, जो अब बढ़कर 1,38,161 रुपये हो गया है। इसी तरह चांदी 86,017 रुपये प्रति किलो से बढ़कर 2,43,483 रुपये प्रति किलो पहुंच चुकी है।

सोने में तेजी के तीन बड़े कारण

डॉलर में कमजोरी आने से सोने की होल्डिंग कॉस्ट घटी है, जिससे निवेश बढ़ा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध और वैश्विक तनाव के कारण निवेशक सुरक्षित विकल्प के रूप में सोने की ओर रुख कर रहे हैं।

चीन सहित कई देश अपने रिजर्व बैंक में भारी मात्रा में सोना खरीद रहे हैं, जिससे कीमतों को सपोर्ट मिल रहा है।

चांदी की कीमत क्यों उछली

सोलर, इलेक्ट्रॉनिक्स और ईवी सेक्टर में बढ़ती मांग से चांदी की इंडस्ट्रियल डिमांड मजबूत हुई है।

अमेरिका में टैरिफ बढ़ने की आशंका से कंपनियां पहले से स्टॉक जमा कर रही हैं।

मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में कच्चे माल की कमी के डर से खरीदारी बढ़ी है।

आगे भी जारी रह सकती है तेजी

केडिया एडवाइजरी के डायरेक्टर अजय केडिया के अनुसार चांदी की मांग मजबूत बनी हुई है और अगले एक साल में इसका भाव 2.75 लाख रुपये प्रति किलो तक जा सकता है। वहीं सोने की कीमत भी अगले साल 1.50 लाख रुपये प्रति 10 ग्राम के पार जाने की संभावना जताई जा रही है।


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अब बिजली विभाग के कर्मचारियों को भी देना होगा बिजली बिल, घरों में लगेंगे स्मार्ट मीटर

पावर कॉरपोरेशन ने वर्ष 2027 तक सभी बिजली कनेक्शनों पर स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य तय किया है। इस योजना के तहत सरकारी भवनों के साथ-साथ उन विद्युत कर्मियों के घरों में भी स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे, जिन्हें अब तक विभागीय योजना के अंतर्गत रियायती टैरिफ का लाभ मिल रहा था।

अधिशासी अभियंता अपने-अपने डिविजन में चिन्हित उपभोक्ताओं से संपर्क कर उन्हें स्मार्ट मीटर लगवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। बिजली बिल राहत योजना और एलएमवी-10 श्रेणी के लक्ष्यों को पूरा करने का दबाव अधिकारियों पर है, जिसके चलते वे छुट्टी के दिनों में भी घर-घर जाकर अभियान चला रहे हैं।

विद्युत वितरण खंड सदर में एलएमवी-10 श्रेणी के लगभग 150 कनेक्शन हैं। नई व्यवस्था के तहत इन उपभोक्ताओं को मिलने वाली छूट समाप्त की जा रही है और स्मार्ट मीटर के माध्यम से नियमित रूप से बिजली बिल का भुगतान करना होगा।

हालांकि, इस बदलाव को लेकर सेवानिवृत्त विद्युत कर्मचारी अभी सहमत नहीं हैं और आंदोलन का रुख अपना सकते हैं। वे केंद्रीय संगठन के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार और रविवार को अधिशासी अभियंता शुभम पांडेय ने उपखंड अधिकारी आशुतोष कुमार के साथ चिन्हित कनेक्शनों पर जाकर स्मार्ट मीटर लगवाने के लिए उपभोक्ताओं से संवाद किया।

पावर कॉरपोरेशन के दिशा-निर्देशों के अनुसार अधिकारियों ने समय पर बिल भुगतान और नई व्यवस्था में सहयोग की अपील की। अधिशासी अभियंता ने बताया कि सरकारी भवनों के साथ-साथ एलएमवी-10 श्रेणी के सभी उपभोक्ताओं के कनेक्शनों पर स्मार्ट मीटर लगाए जाएंगे। अब तक 25 विभागीय उपभोक्ताओं के परिसरों में स्मार्ट मीटर स्थापित किए जा चुके हैं।


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DTC बसों में फ्री यात्रा के लिए आधार जरूरी, 2026 में लॉन्च होंगे तीन नए स्मार्ट कार्ड

दिल्ली में महिलाओं के लिए चल रही मुफ्त बस यात्रा योजना में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा। दिल्ली सरकार पिंक टिकट सिस्टम को समाप्त कर उसकी जगह ‘पिंक सहेली स्मार्ट कार्ड’ लागू करने की तैयारी कर रही है। इस नई व्यवस्था के तहत वर्ष 2026 से महिलाओं को डीटीसी और क्लस्टर बसों में मुफ्त यात्रा के लिए स्मार्ट कार्ड का उपयोग करना अनिवार्य होगा।

सरकार का कहना है कि इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य योजना को पूरी तरह डिजिटल बनाना और इसके दुरुपयोग पर रोक लगाना है। स्मार्ट कार्ड प्रणाली लागू होने के बाद टिकटिंग प्रक्रिया अधिक पारदर्शी होगी और केवल वास्तविक लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिल सकेगा।

पिंक टिकट की जगह आएगा स्मार्ट कार्ड

वर्ष 2019 से लागू महिलाओं की मुफ्त बस यात्रा योजना में अब कागजी पिंक टिकट की जगह स्मार्ट कार्ड लाए जाएंगे। बस में चढ़ते समय महिलाओं को इलेक्ट्रॉनिक टिकटिंग मशीन पर स्मार्ट कार्ड टैप करना होगा, जिससे यात्रा का डिजिटल रिकॉर्ड स्वतः दर्ज हो जाएगा।

दिल्ली पते वाला आधार होगा अनिवार्य

‘पिंक सहेली स्मार्ट कार्ड’ बनवाने के लिए दिल्ली पते वाला आधार कार्ड अनिवार्य किया गया है। यह कार्ड 12 वर्ष या उससे अधिक उम्र की लड़कियों और महिलाओं के लिए जारी किया जाएगा। कार्ड में यात्री की पहचान से जुड़ी जानकारी दर्ज होगी, ताकि योजना का सही और प्रभावी तरीके से क्रियान्वयन सुनिश्चित किया जा सके।

हर महीने करीब 2 करोड़ महिलाओं को मिलेगा लाभ

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर महीने लगभग 2 करोड़ महिलाएं दिल्ली की बसों में यात्रा करती हैं। स्मार्ट कार्ड व्यवस्था लागू होने के बाद इन्हीं यात्रियों को सीधे लाभ मिलेगा और सरकार के पास यह स्पष्ट आंकड़ा भी उपलब्ध होगा कि योजना का फायदा कितनी महिलाओं तक पहुंच रहा है।

तीन तरह के स्मार्ट कार्ड लाने की तैयारी

दिल्ली सरकार केवल महिलाओं के लिए ही नहीं, बल्कि सभी यात्रियों के लिए स्मार्ट कार्ड व्यवस्था लागू करने की योजना पर काम कर रही है। इसके तहत तीन प्रकार के स्मार्ट कार्ड लाए जाएंगे—

पिंक सहेली स्मार्ट कार्ड: केवल महिलाओं के लिए, जिससे दिल्ली की बसों में पूरी तरह मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी।

विशेष स्मार्ट कार्ड: वरिष्ठ नागरिकों, दिव्यांगजनों और मौजूदा बस पास धारकों के लिए विशेष सुविधाओं के साथ।

जनरल स्मार्ट कार्ड: आम यात्रियों के लिए, जिसे मेट्रो कार्ड की तरह रिचार्ज कर बसों में इस्तेमाल किया जा सकेगा।

पंजीकरण के लिए खुलेंगे विशेष काउंटर

स्मार्ट कार्ड बनवाने के लिए दिल्ली भर में डीएम और एसडीएम कार्यालयों, बस डिपो और कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) पर पंजीकरण काउंटर खोले जाएंगे। कार्ड जारी करने और काउंटर संचालन की जिम्मेदारी दो निजी एजेंसियों या बैंकों को सौंपी जाएगी।

2026 से लागू होगी नई व्यवस्था

सरकार की योजना सभी तैयारियां पूरी करने के बाद वर्ष 2026 से स्मार्ट कार्ड आधारित मुफ्त बस यात्रा प्रणाली लागू करने की है। इसके बाद पिंक टिकट पूरी तरह बंद कर दिए जाएंगे। सूत्रों के मुताबिक, यदि सभी व्यवस्थाएं समय पर पूरी हो जाती हैं, तो 14 जनवरी के बाद किसी भी समय इस नई प्रणाली को लागू करने का रास्ता साफ हो सकता है।

पारदर्शिता और डिजिटल सिस्टम पर जोर

सरकार का कहना है कि स्मार्ट कार्ड व्यवस्था से न सिर्फ मुफ्त यात्रा योजना डिजिटल होगी, बल्कि लीकेज, फर्जीवाड़े और अनावश्यक खर्च पर भी प्रभावी रोक लगेगी। इसके साथ ही दिल्ली के बस यात्रियों को एक आधुनिक और एकीकृत टिकटिंग सिस्टम की सुविधा मिल सकेगी।


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घने कोहरे का कहर: IGI एयरपोर्ट पर उड़ानों का संचालन ठप, एयरलाइंस ने जारी की एडवाइजरी

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में सोमवार सुबह घना कोहरा छाया रहा, जिससे जनजीवन पूरी तरह प्रभावित हो गया। घने कोहरे के कारण इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (IGI) पर विमान संचालन लगभग ठप हो गया।

सूत्रों के अनुसार, सुबह के समय दृश्यता घटकर केवल 50 से 125 मीटर रह गई। कैट-III लैंडिंग सिस्टम लागू होने के बावजूद विभिन्न एयरलाइंस की 50 से अधिक उड़ानों को रद्द करना पड़ा, जबकि करीब 65 प्रतिशत प्रस्थान उड़ानें भारी देरी से संचालित हुईं।

कोहरे की वजह से कई विमानों को जयपुर, अहमदाबाद और अन्य नजदीकी शहरों के लिए डायवर्ट किया गया। यात्रियों की बढ़ती परेशानी को देखते हुए एयरलाइंस ने ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है। वहीं, प्रभावित यात्री घंटों इंतजार से नाराज होकर सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जाहिर करते नजर आए।

हवाई यातायात के साथ-साथ रेल सेवाएं भी कोहरे की चपेट में रहीं। घने कोहरे के कारण दिल्ली आने वाली 70 से अधिक ट्रेनें अपने निर्धारित समय से देरी से चल रही हैं, जिससे यात्रियों को भारी असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।


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शीतलहर का कहर: 8वीं तक के छात्रों को बड़ी राहत, स्कूल बंद करने के निर्देश

कड़ाके की ठंड और घने कोहरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए बड़ा फैसला लिया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. विनीता ने कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों के लिए दो दिनों का अवकाश घोषित किया है। यह अवकाश 29 दिसंबर से 30 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा।

जारी आदेश के अनुसार यह निर्णय जिले के सभी परिषदीय विद्यालयों के साथ-साथ सभी बोर्डों से मान्यता प्राप्त और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों पर भी लागू होगा। लगातार गिरते तापमान, शीतलहर और घने कोहरे के कारण सुबह के समय बच्चों को स्कूल आने-जाने में होने वाली परेशानियों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

8वीं तक के छात्रों की छुट्टी, शिक्षक आएंगे स्कूल

हालांकि विद्यार्थियों के लिए स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को प्रशासनिक और विभागीय कार्यों के लिए विद्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि शिक्षक सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक स्कूल में रहकर यू-डायस, अपार आईडी और अन्य आवश्यक शैक्षिक एवं प्रशासनिक कार्य पूरे करेंगे।

सभी विद्यालयों को आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों, प्रधानाध्यापकों और विद्यालय प्रबंधकों को आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन के इस फैसले का अभिभावकों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि भीषण ठंड में छोटे बच्चों का स्कूल जाना स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। वहीं शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि मौसम की स्थिति को देखते हुए आगे भी आवश्यक निर्णय लिए जा सकते हैं।




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भीषण ठंड में 8वीं तक के बच्चों को राहत, इस जिले में स्कूलों की छुट्टी; DM का आदेश

कड़ाके की ठंड और घने कोहरे को देखते हुए जिला प्रशासन ने छात्र-छात्राओं के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए बड़ा फैसला लिया है। जिलाधिकारी के निर्देश पर जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉ. विनीता ने कक्षा 8 तक के विद्यार्थियों के लिए दो दिनों का अवकाश घोषित किया है। यह अवकाश 29 दिसंबर से 30 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा।

जारी आदेश के अनुसार यह निर्णय जिले के सभी परिषदीय विद्यालयों के साथ-साथ सभी बोर्डों से मान्यता प्राप्त और अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालयों पर भी लागू होगा। लगातार गिरते तापमान, शीतलहर और घने कोहरे के कारण सुबह के समय बच्चों को स्कूल आने-जाने में होने वाली परेशानियों और स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।

8वीं तक के छात्रों की छुट्टी, शिक्षक आएंगे स्कूल

हालांकि विद्यार्थियों के लिए स्कूल बंद रहेंगे, लेकिन सभी शिक्षक एवं शिक्षिकाओं को प्रशासनिक और विभागीय कार्यों के लिए विद्यालय में उपस्थित रहना अनिवार्य होगा। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि शिक्षक सुबह 10 बजे से दोपहर 3 बजे तक स्कूल में रहकर यू-डायस, अपार आईडी और अन्य आवश्यक शैक्षिक एवं प्रशासनिक कार्य पूरे करेंगे।

सभी विद्यालयों को आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों, प्रधानाध्यापकों और विद्यालय प्रबंधकों को आदेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। प्रशासन के इस फैसले का अभिभावकों ने स्वागत किया है। उनका कहना है कि भीषण ठंड में छोटे बच्चों का स्कूल जाना स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है। वहीं शिक्षा विभाग ने संकेत दिए हैं कि मौसम की स्थिति को देखते हुए आगे भी आवश्यक निर्णय लिए जा सकते हैं।


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ठंड का कहर: कश्मीर में पारा 0°, राजस्थान के सीकर में 2.1°

उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड का प्रकोप लगातार जारी है। रविवार को राजस्थान के सीकर जिले के फतेहपुर में न्यूनतम तापमान 2.1 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। इसके अलावा करौली में 2.4 डिग्री, सीकर में 3.5 डिग्री, पाली में 3.6 डिग्री और दौसा में 3.9 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया।

पंजाब और हरियाणा में भी शीतलहर का असर तेज बना हुआ है। हरियाणा के हिसार में न्यूनतम तापमान 2.5 डिग्री दर्ज किया गया। वहीं पंजाब के फरीदकोट में 3.4 डिग्री, पटियाला में 4.6 डिग्री और अमृतसर तथा लुधियाना में 4.4 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया।

मौसम विशेषज्ञों के अनुसार, उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में इस समय जेट स्ट्रीम का प्रभाव बना हुआ है। जेट स्ट्रीम जमीन से लगभग 12.6 किलोमीटर की ऊंचाई पर बहने वाली तेज हवाएं होती हैं, जिनकी रफ्तार इस बार 262 किलोमीटर प्रति घंटा तक पहुंच गई है।

मौसम विभाग का कहना है कि जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अगले पांच दिनों तक तापमान में और गिरावट दर्ज की जा सकती है।

इस बीच देश के 23 राज्यों में घने कोहरे का अलर्ट जारी किया गया है। कोहरे का असर रेल और हवाई यातायात पर साफ नजर आ रहा है। रविवार को 13 उड़ानों को रद्द करना पड़ा, जबकि कई अन्य फ्लाइट्स देरी से संचालित हुईं।

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) ने 10 दिसंबर से 10 फरवरी तक की अवधि को ‘फॉग विंडो’ घोषित किया है। इस दौरान कम दृश्यता के कारण उड़ानों के संचालन पर असर पड़ सकता है।

मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जेट स्ट्रीम ठंडी और गर्म हवा की नदी की तरह आसमान में बहती हैं। ये आमतौर पर उत्तर के ध्रुवीय क्षेत्रों की ठंडी हवा और दक्षिण के गर्म इलाकों की हवा के बीच चलती हैं। जब जेट स्ट्रीम झुक जाती है या नीचे की ओर खिसकती है, तो यह उत्तर की बेहद ठंडी हवा को भारत तक खींच लाती है, जिससे अचानक ठंड बढ़ जाती है।

अगर जेट स्ट्रीम की रफ्तार कम हो जाती है या यह किसी एक स्थान पर ठहर जाती है, तो ठंडी हवा वहीं फंस जाती है। इससे कई दिनों तक कड़ाके की ठंड और शीतलहर का असर बना रहता है।

आगे कैसा रहेगा मौसम

29 दिसंबर:

पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में घना कोहरा छाने की संभावना है। वहीं जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में तेज सर्दी और कोल्ड वेव का असर रहेगा। ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बर्फबारी के आसार हैं।

30 दिसंबर:

मैदानी इलाकों में कोहरे की तीव्रता में हल्की कमी आ सकती है, लेकिन ठंड बरकरार रहेगी। सुबह के समय कई राज्यों में घना कोहरा देखने को मिल सकता है। पहाड़ी राज्यों में मौसम ज्यादातर शुष्क रहेगा, हालांकि ऊंचे इलाकों में कड़ाके की ठंड बनी रहेगी।

31 दिसंबर:

मौसम में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं। मैदानी राज्यों में हल्का कोहरा छा सकता है, जबकि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने की संभावना है। इससे कई इलाकों में हल्की बारिश और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में बर्फबारी हो सकती है, जिससे ठंड और बढ़ने के आसार हैं।


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