केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) की ओर से वर्ष 2026 से लागू किए जाने वाले नए बोर्ड परीक्षा पैटर्न को माध्यमिक शिक्षा में बड़े बदलाव की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। अब तक अंक केंद्रित और रटंत आधारित परीक्षा प्रणाली की जगह अब समझ, विश्लेषण और व्यवहारिक ज्ञान को प्राथमिकता दी जाएगी।
नए परीक्षा स्वरूप के तहत कक्षा 10वीं की बोर्ड परीक्षाओं में अवधारणा आधारित, स्थिति परक और विश्लेषणात्मक प्रश्नों का अनुपात काफी बढ़ाया जाएगा। प्रश्नपत्र में लगभग 50 प्रतिशत प्रश्न ऐसे होंगे, जिनमें विद्यार्थियों को किसी परिस्थिति को समझकर तार्किक समाधान प्रस्तुत करना होगा। विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में दैनिक जीवन से जुड़े उदाहरण, आंकड़ों की व्याख्या, ग्राफ आधारित प्रश्न और प्रसंग आधारित समस्याएं पूछी जाएंगी। साथ ही आंतरिक मूल्यांकन की भूमिका भी पहले से अधिक मजबूत होगी, जिससे पूरे शैक्षणिक सत्र की पढ़ाई का महत्व बढ़ेगा।
फिलहाल जनपद में बड़ी संख्या में विद्यार्थी पारंपरिक पढ़ाई पद्धति, गाइड पुस्तकों और संभावित प्रश्नों के सहारे परीक्षा की तैयारी करते हैं। ऐसे में यह नया परीक्षा पैटर्न उनकी अध्ययन शैली के लिए एक बड़ी चुनौती साबित हो सकता है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विद्यार्थी समय रहते विषय की मूल अवधारणाओं पर ध्यान नहीं देंगे, तो शुरुआती वर्षों में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
विद्यालय प्रबंधन के सामने भी नई जिम्मेदारियां होंगी। अब केवल पाठ्यक्रम पूरा कराना ही पर्याप्त नहीं होगा, बल्कि कक्षा शिक्षण को गतिविधि आधारित बनाना, समूह चर्चा, परियोजना कार्य और प्रेजेंटेशन को बढ़ावा देना जरूरी होगा।
एकेडमिक ग्लोबल स्कूल के चेयरमैन इं. संजीव कुमार का कहना है कि यह बदलाव शिक्षकों के लिए भी एक परीक्षा की तरह है। इसी को ध्यान में रखते हुए शिक्षकों को नए मूल्यांकन पैटर्न के अनुरूप प्रशिक्षण दिया जा रहा है, ताकि शिक्षण प्रक्रिया को अधिक व्यवहारिक और रोचक बनाया जा सके।
वहीं, प्रधानाचार्य और CBSE सिटी कोऑर्डिनेटर डॉ. सुनीत कोहली का कहना है कि अब विद्यार्थियों को प्रश्न रटाने के बजाय सोचने और तर्क करने की आदत विकसित करनी होगी। इसके लिए कक्षा में संवाद, उदाहरण आधारित शिक्षण और साप्ताहिक अभ्यास कार्यों को बढ़ाया जा रहा है।
कई विद्यालयों ने अपनी आंतरिक मूल्यांकन प्रणाली में भी बदलाव शुरू कर दिए हैं। करियर काउंसलर पूर्णेन्दु शुक्ला के अनुसार यह बदलाव राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य विद्यार्थियों को कौशल आधारित और भविष्य के लिए तैयार बनाना है।
इस बदलाव में अभिभावकों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण मानी जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभिभावकों को बच्चों पर अतिरिक्त दबाव डालने के बजाय घर में पढ़ाई को लेकर संवाद, चर्चा और समझ आधारित वातावरण तैयार करना चाहिए।









