अमेरिका ने बदले नियम: H-1B वीज़ा से पहले होगी सोशल मीडिया स्क्रूटनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने H-1B वीजा नियमों को और सख्त करने का आदेश दिया है। अब H-1B वीजा के आवेदकों को अपना सोशल मीडिया अकाउंट सार्वजनिक करना होगा, ताकि अमेरिकी अधिकारी उनकी प्रोफाइल, पोस्ट और लाइक्स की जांच कर सकें। यदि किसी भी आवेदक की सोशल मीडिया गतिविधि अमेरिकी हितों के खिलाफ पाई जाती है, तो वीजा जारी नहीं किया जाएगा। यही नियम H-1B आश्रितों—जैसे पत्नी, बच्चे और पेरेंट्स—के H-4 वीजा पर भी लागू होगा।

पहली बार सोशल मीडिया प्रोफाइल की जांच को H-1B वीजा प्रोसेस में अनिवार्य बनाया गया है। नए निर्देश 15 दिसंबर से लागू होंगे और इसके लिए सभी अमेरिकी दूतावासों को गाइडलाइन भेजी जा चुकी है। इससे पहले अगस्त से स्टडी वीजा (F-1, M-1, J-1) और विज़िटर वीजा (B-1, B-2) के लिए भी सोशल मीडिया प्रोफाइल को पब्लिक करना अनिवार्य किया गया था।

H-1B वीजा उच्च कौशल वाले प्रोफेशनल्स—जैसे डॉक्टर, इंजीनियर और सॉफ्टवेयर विशेषज्ञ—को जारी किया जाता है। हर साल जारी होने वाले H-1B वीजा में से करीब 70% भारतीयों को मिलता है, इसलिए नए नियमों का सबसे ज्यादा असर भी भारतीय आवेदकों पर पड़ेगा। पहले इस वीजा की फीस लगभग 9,000 डॉलर थी, लेकिन सितंबर 2025 में इसे बढ़ाकर करीब 90 लाख रुपए कर दिया गया। वीजा 3-3 साल की दो अवधि के लिए जारी होता है और 6 साल बाद आवेदक ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन कर सकता है।

ट्रम्प का H-1B पर रुख पिछले 9 सालों में कई बार बदला है। 2016 में उन्होंने इसे अमेरिकी हितों के खिलाफ बताया और 2019 में इसके एक्सटेंशन को निलंबित कर दिया। हालांकि हाल ही में उन्होंने फिर यू-टर्न लिया और कहा कि अमेरिका को बड़े पैमाने पर टैलेंट की जरूरत है।

H-1B में बदलावों के साथ ही ट्रम्प प्रशासन ने तीन नए वीजा कार्ड—‘ट्रम्प गोल्ड कार्ड’, ‘ट्रम्प प्लेटिनम कार्ड’ और ‘कॉर्पोरेट गोल्ड कार्ड’—भी लॉन्च किए हैं। इनमें से ट्रम्प गोल्ड कार्ड (कीमत 8.8 करोड़) धारक को अमेरिका में अनलिमिटेड रेसीडेंसी का अधिकार देगा।

अमेरिकी टेक कंपनियों—जैसे इंफोसिस, TCS, विप्रो, कॉग्निजेंट और HCL—द्वारा भारतीय कर्मचारियों को सबसे ज्यादा H-1B वीजा स्पॉन्सर किया जाता है। कहा जाता है कि भारत अमेरिका को सामान से ज्यादा इंजीनियर, डेवलपर्स और छात्र ‘एक्सपोर्ट’ करता है। लेकिन बढ़ी हुई फीस के बाद संभावना है कि भारतीय टैलेंट अब यूरोप, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और मिडिल ईस्ट की ओर शिफ्ट हो सकता है।