आने वाले दिनों में लोन और सस्ते हो जाएंगे और मौजूदा EMI में भी कमी आएगी। RBI ने रेपो रेट को 0.25% घटाकर 5.25% कर दिया है। यह फैसला मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की 3 से 5 दिसंबर तक चली बैठक में लिया गया, जिसकी जानकारी RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 5 दिसंबर को दी।
रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देता है। इसके घटने से बैंकों को सस्ता लोन मिलता है और वे यह फायदा ग्राहकों तक पहुंचाते हैं। इसलिए आने वाले दिनों में होम और ऑटो लोन 0.25% तक सस्ते होने वाले हैं। ताजा कटौती के बाद 20 साल के ₹20 लाख के लोन पर EMI लगभग ₹310 और ₹30 लाख के लोन पर लगभग ₹465 तक कम हो जाएगी। नए व पुराने दोनों तरह के ग्राहकों को इसका फायदा मिलेगा।
रेपो रेट घटने से हाउसिंग डिमांड भी बढ़ेगी। ब्याज दर कम होने पर अधिक लोग घर खरीदने की योजना बनाएंगे, जिससे रियल एस्टेट सेक्टर को मजबूती मिलेगी।
इस साल RBI ने चार बार रेपो रेट कम किया है—फरवरी, अप्रैल, जून और अब दिसंबर में। इन चारों कटौतियों को मिलाकर कुल 1.25% की कमी हुई है। फरवरी में इसे 6.50% से घटाकर 6.25% किया गया था।
रियल एस्टेट सेक्टर इस फैसले का स्वागत कर रहा है। अल्फा कॉर्प के CFO संतोष अग्रवाल के अनुसार, यह कदम आर्थिक स्थिरता और महंगाई नियंत्रण दोनों के लिए अच्छा है। वहीं ACE के CFO राजन लूथरा का कहना है कि कम ब्याज दरों से लोन सस्ता होता है, जिससे बड़े इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की प्लानिंग और एग्जीक्यूशन आसान बनता है।
रेपो रेट घटने-बढ़ने का सीधा संबंध महंगाई और इकोनॉमी की जरूरतों से है। महंगाई बढ़ने पर RBI ब्याज दरें बढ़ाता है ताकि बाजार में पैसे का प्रवाह कम हो। वहीं अर्थव्यवस्था को गति देने की जरूरत पड़ने पर रेपो रेट घटा दिया जाता है ताकि लोन सस्ते हों और मनी फ्लो बढ़े।
RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में छह सदस्य होते हैं—तीन RBI से और तीन सरकार द्वारा नियुक्त। इसकी बैठक हर दो महीने में होती है। इसी क्रम में इस वित्त वर्ष में छह बैठकों का शेड्यूल जारी किया गया है, जिनमें पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हुई थी।