मोदी सरकार महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून (MGNREGA) को समाप्त कर उसकी जगह एक नया ग्रामीण रोजगार कानून लाने की तैयारी कर रही है। इससे जुड़े बिल की प्रति लोकसभा सांसदों के बीच सर्कुलेट की गई है। न्यूज एजेंसी PTI ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि यह बिल संसद के मौजूदा शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सकता है। प्रस्तावित कानून का नाम ‘विकसित भारत–गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025’ रखा गया है।
बिल के मसौदे में कहा गया है कि इसका मकसद ‘विकसित भारत 2047’ के राष्ट्रीय विजन के अनुरूप ग्रामीण विकास का एक नया ढांचा तैयार करना है। इसके तहत ग्रामीण परिवारों को मिलने वाले गारंटी वाले काम के दिनों की संख्या 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का प्रस्ताव है।
इससे पहले 12 दिसंबर को यह खबर सामने आई थी कि केंद्रीय कैबिनेट ने मनरेगा का नाम बदलकर पूज्य बापू ग्रामीण रोजगार योजना करने को मंजूरी दी है। हालांकि, इस फैसले को लेकर सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक अधिसूचना जारी नहीं की गई है।
मनरेगा का नाम बदलने की खबर पर वायनाड से कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने सवाल उठाए थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें योजना का नाम बदलने के पीछे का तर्क समझ नहीं आता और इससे बेवजह सरकारी खर्च बढ़ता है। उनका कहना था कि नाम बदलने से कार्यालयों, दस्तावेजों और स्टेशनरी समेत कई जगहों पर बदलाव करना पड़ता है, जो एक महंगी प्रक्रिया है।
कांग्रेस ने भी इस फैसले की आलोचना करते हुए आरोप लगाया था कि मोदी सरकार कांग्रेस की योजनाओं के नाम बदलकर उन्हें अपना बताने की कोशिश कर रही है। पार्टी प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने एक वीडियो जारी कर कहा था कि जिस मनरेगा को कभी कांग्रेस की विफलता बताया जाता था, वही आज ग्रामीण भारत के लिए संजीवनी साबित हुई है। उन्होंने दावा किया कि पिछले 11 सालों में सरकार ने कांग्रेस की 32 से अधिक योजनाओं के नाम बदले हैं और इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश किया है।