दिल्ली-एनसीआर एक ओर गंभीर वायु प्रदूषण की समस्या से जूझ रहा है, वहीं दूसरी ओर राजधानी के सभी प्रवेश द्वारों पर बने टोल नाके जाम की बड़ी वजह बने हुए हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआं पहले ही प्रदूषण बढ़ा रहा है, ऐसे में टोल वसूली के कारण लगने वाले लंबे जाम स्थिति को और गंभीर बना रहे हैं। एनसीआर से दिल्ली में प्रवेश करने वाले वाहन चालकों को सुबह और शाम व्यस्त समय में आधे से एक घंटे तक जाम में फंसना पड़ता है।
बीते सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने इसी समस्या को गंभीर मानते हुए नगर निगम को कुछ टोल नाकों को अस्थायी रूप से स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। पर्यावरणविद लंबे समय से टोल नाकों को स्थायी रूप से हटाने की मांग कर रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि आरएफआईडी और फास्टैग जैसी स्वचालित प्रणालियां लागू होने के बावजूद दिल्ली के 13 प्रमुख प्रवेश द्वारों पर जाम की स्थिति जस की तस बनी हुई है।
टोल नाकों पर लगने वाले जाम से न केवल लोगों का कीमती समय बर्बाद होता है, बल्कि ईंधन की खपत बढ़ने से प्रदूषण भी अधिक फैलता है। सवाल यह है कि जब टोल वसूली पूरी तरह स्वचालित की जा सकती है या वैकल्पिक राजस्व मॉडल अपनाए जा सकते हैं, तो फिर मानव आधारित टोल संग्रह क्यों जारी है। विशेषज्ञों का मानना है कि टोल हटाने से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई केंद्रीय या राज्य वित्त आयोग के माध्यम से की जा सकती है।
दिल्ली नगर निगम पहले भी सरकार के समक्ष प्रस्ताव रख चुका है कि टोल के बदले उसे वार्षिक अनुदान या हस्तांतरण शुल्क दिया जाए। इसके अलावा गैंट्री सिस्टम जैसी आधुनिक तकनीक से बिना वाहन रोके टैक्स वसूली संभव है, जिससे जाम और प्रदूषण दोनों से राहत मिल सकती है। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय भी इस तरह की तकनीकी व्यवस्था की वकालत कर चुका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर एक इकाई की तरह काम करता है। लाखों लोग रोज़ाना एक राज्य से दूसरे राज्य में काम के लिए आवाजाही करते हैं। ऐसे में अलग-अलग टोल वसूली न केवल अव्यवहारिक है, बल्कि जीएसटी जैसे एकल कर प्रणाली की भावना के भी विपरीत है। दिल्ली के पांचवें वित्त आयोग ने भी एमसीडी के टोल टैक्स को समाप्त करने की सिफारिश की है।
कुल मिलाकर, टोल नाकों पर लगने वाला जाम केवल यातायात की समस्या नहीं, बल्कि प्रदूषण, समय और आर्थिक नुकसान का भी बड़ा कारण है। अब जरूरत इस बात की है कि संबंधित एजेंसियां इच्छाशक्ति दिखाएं और स्थायी, तकनीकी व पारदर्शी समाधान लागू करें, ताकि राजधानी और एनसीआर के लोगों को जाम व प्रदूषण से राहत मिल सके।