केंद्र सरकार ने एविएशन सेक्टर में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने और बड़ी एयरलाइनों पर निर्भरता कम करने के उद्देश्य से तीन नई एयरलाइंस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया है। इन एयरलाइंस में शंख एयर, अलहिंद एयर और फ्लाई एक्सप्रेस शामिल हैं। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है, जब हाल के दिनों में कुछ प्रमुख एयरलाइनों के संचालन से जुड़ी समस्याएं सामने आई थीं, जिससे विकल्पों की कमी साफ दिखाई दी।
नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने कहा कि सरकार का लक्ष्य भारतीय एविएशन बाजार में अधिक से अधिक एयरलाइंस को बढ़ावा देना है। नई कंपनियों के आने से यात्रियों को बेहतर सेवाएं, ज्यादा विकल्प और प्रतिस्पर्धी किराए मिलने की उम्मीद है।
एनओसी के बाद भी लंबी प्रक्रिया
एनओसी मिलने के साथ ही इन कंपनियों को एयरलाइन शुरू करने की प्रारंभिक अनुमति मिल गई है, लेकिन अभी उन्हें डीजीसीए से एयर ऑपरेटर सर्टिफिकेट (AOC) लेना होगा। इसके अलावा विमान बेड़ा तैयार करना, पायलट और स्टाफ की नियुक्ति, मेंटेनेंस व्यवस्था और रूट नेटवर्क तय करना जैसी कई प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। यह प्रक्रिया आमतौर पर कई महीनों तक चलती है, जिसमें एयरलाइन की आर्थिक मजबूती और संचालन क्षमता का आकलन किया जाता है।
तीनों नई एयरलाइंस का प्रोफाइल
शंख एयर उत्तर प्रदेश आधारित फुल-सर्विस एयरलाइन होगी, जिसका फोकस बड़े शहरों और प्रमुख राज्यों को जोड़ने पर रहेगा। कंपनी चरणबद्ध तरीके से नेटवर्क विस्तार की योजना बना रही है और 2026 की पहली तिमाही में उड़ानें शुरू करने का लक्ष्य रखा गया है। अगले दो से तीन वर्षों में इसके बेड़े में 20 से 25 विमान शामिल किए जाने की योजना है।
अलहिंद एयर केरल स्थित अलहिंद ग्रुप से जुड़ी है, जो अब तक ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में सक्रिय रहा है। यह एयरलाइन रीजनल और लो-कॉस्ट मॉडल पर काम करेगी और छोटे विमानों के जरिए टियर-2 और टियर-3 शहरों को जोड़ने पर जोर देगी।
फ्लाई एक्सप्रेस का फोकस पैसेंजर के साथ-साथ कार्गो सेवाओं पर रहेगा। घरेलू एयर-कार्गो की बढ़ती मांग को देखते हुए कंपनी लॉजिस्टिक्स के जरिए स्थिर आय का अतिरिक्त स्रोत विकसित करना चाहती है।
बाजार में बढ़ेगी प्रतिस्पर्धा
सरकार का मानना है कि भारत का घरेलू एविएशन बाजार दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। अधिक एयरलाइंस के आने से उड़ानों और सीटों की संख्या बढ़ेगी, जिससे कनेक्टिविटी बेहतर होगी और टिकट के दाम प्रतिस्पर्धा के चलते नियंत्रित रहेंगे।
एविएशन विशेषज्ञों का कहना है कि नई एयरलाइंस के लिए असली चुनौती अब शुरू होगी—पूंजी जुटाना, मजबूत नेटवर्क बनाना और भरोसेमंद संचालन सुनिश्चित करना। यदि ये कंपनियां इसमें सफल रहती हैं, तो इसका सीधा लाभ यात्रियों को मिलेगा और देश की एयर कनेक्टिविटी को नई मजबूती मिलेगी।
