जल्द ही ओला, उबर और रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर ऐप्स पर राइड बुक करते समय यात्रियों को सेम-जेंडर ड्राइवर चुनने का विकल्प मिलेगा। खासतौर पर महिला यात्रियों के लिए फीमेल ड्राइवर का विकल्प उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही ट्रिप पूरी होने के बाद यात्रियों को ड्राइवर को टिप देने की सुविधा भी मिलेगी, जिसमें दी गई पूरी राशि सीधे ड्राइवर को ही मिलेगी। इन बदलावों का उद्देश्य यात्रियों की सुरक्षा और पारदर्शिता को बढ़ाना है।
केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर्स गाइडलाइंस, 2025 में संशोधन करते हुए राज्यों को इन्हें लागू करने के निर्देश दिए हैं। नोटिफिकेशन में किसी स्पष्ट प्रभावी तारीख का उल्लेख नहीं है, इसलिए इसे जारी होने की तारीख से लागू माना जा रहा है। इससे पहले जुलाई 2025 में जारी मूल गाइडलाइंस के लिए राज्यों को तीन महीने का समय दिया गया था। संशोधित नियमों के लिए भी इसी तरह की समयसीमा तय की जा सकती है, हालांकि अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
कैसे लागू होगा सेम-जेंडर ड्राइवर नियम
ये गाइडलाइंस केंद्र सरकार की ओर से जारी की गई हैं, जिन्हें राज्य सरकारें अपनी लाइसेंसिंग प्रक्रिया में शामिल करेंगी। कैब एग्रीगेटर कंपनियों को अपने ऐप में तकनीकी बदलाव करने होंगे, ताकि क्लॉज 15.6 के तहत सेम-जेंडर ड्राइवर चुनने का फीचर जोड़ा जा सके। नियमों का पालन न करने पर कंपनियों का लाइसेंस निलंबित या रद्द भी किया जा सकता है। हालांकि, ऐप अपडेट और ग्राउंड लेवल पर इसे लागू करने में कंपनियों को कुछ समय लग सकता है।
महिला ड्राइवरों की कमी बनी चुनौती
इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस नियम को व्यावहारिक रूप से लागू करना आसान नहीं होगा। फिलहाल देश में कुल कैब ड्राइवरों में महिला ड्राइवरों की हिस्सेदारी 5 प्रतिशत से भी कम है। ऐसे में सेम-जेंडर ड्राइवर का विकल्प देने से बुकिंग के दौरान वेटिंग टाइम बढ़ सकता है, खासकर देर रात के समय जब ड्राइवरों की उपलब्धता पहले से ही कम रहती है। उबर, ओला और रैपिडो ने फिलहाल इस मुद्दे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है।
टिपिंग नियमों में भी बदलाव
सरकार ने टिपिंग से जुड़े नियमों को भी अधिक पारदर्शी बनाया है। यात्री अब अपनी इच्छा से ड्राइवर को टिप दे सकेंगे, लेकिन यह विकल्प केवल ट्रिप पूरी होने के बाद ही उपलब्ध होगा। बुकिंग या सफर के दौरान टिप का विकल्प नहीं दिखाया जाएगा। सबसे अहम बात यह है कि दी गई टिप का 100 प्रतिशत हिस्सा ड्राइवर को ही मिलेगा और कैब कंपनियां इसमें कोई कटौती नहीं कर सकेंगी। साथ ही कंपनियों को टिप के लिए किसी भी तरह के भ्रामक या दबाव बनाने वाले तरीके अपनाने की अनुमति नहीं होगी, जो उपभोक्ता संरक्षण कानून के खिलाफ हों।