मनरेगा को बचाने के लिए देशव्यापी आंदोलन जरूरी, CWC बैठक में बोले खरगे

कांग्रेस कार्य समिति (CWC) की बैठक में पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) को लेकर मोदी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार मनरेगा को खत्म करने की दिशा में कदम उठा रही है और इसके खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की जरूरत है। खरगे ने तीन कृषि कानूनों का उदाहरण देते हुए कहा कि व्यापक विरोध के बाद सरकार को उन्हें वापस लेना पड़ा था।

बैठक को संबोधित करते हुए खरगे ने कहा कि देश इस समय गंभीर दौर से गुजर रहा है, जहां लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर किया जा रहा है, संविधान की भावना को ठेस पहुंच रही है और आम नागरिकों के अधिकार लगातार सीमित किए जा रहे हैं। उन्होंने लोकतंत्र, संविधान और मतदाता अधिकारों को लेकर केंद्र सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए।

SIR को बताया सुनियोजित साजिश

खरगे ने चुनावी सूचियों के विशेष गहन संशोधन (SIR) को लोकतांत्रिक अधिकारों को सीमित करने की एक सुनियोजित साजिश करार दिया। उन्होंने कहा कि यह बैठक ऐसे समय में हो रही है, जब लोकतंत्र, संविधान और नागरिक अधिकार गंभीर खतरे में हैं।

UPA सरकार का दूरदर्शी कानून

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि मनरेगा UPA सरकार द्वारा लाया गया एक दूरदर्शी और ऐतिहासिक कानून था, जिसकी सराहना पूरी दुनिया में हुई। उन्होंने कहा कि इस योजना का नाम महात्मा गांधी के नाम पर इसके व्यापक सामाजिक और आर्थिक प्रभाव को देखते हुए रखा गया था।

खरगे ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने बिना किसी अध्ययन, मूल्यांकन और राज्यों व राजनीतिक दलों से परामर्श किए इस कानून को कमजोर या समाप्त करने का प्रयास किया है, ठीक वैसे ही जैसे पहले कृषि कानूनों के मामले में किया गया था।

देशव्यापी जन आंदोलन की अपील

उन्होंने कहा कि मनरेगा को बचाने के लिए ठोस रणनीति बनाकर देशभर में जन आंदोलन चलाने की जरूरत है। उन्होंने 2015 में भूमि अधिग्रहण कानून में किए गए संशोधनों का हवाला देते हुए कहा कि जनविरोध के कारण सरकार को अपने फैसले वापस लेने पड़े थे। खरगे ने कहा कि मनरेगा को लेकर जन अभियान शुरू करना कांग्रेस की सामूहिक जिम्मेदारी है।

इसके अलावा खरगे ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों की निंदा की और कहा कि यह पूरे देश के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और RSS से जुड़े संगठनों द्वारा क्रिसमस समारोहों पर किए गए हमलों से सांप्रदायिक सद्भाव को नुकसान पहुंचा है और इससे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि भी प्रभावित हुई है।