शांति की दिशा में कदम: हमास से 7 बंधक रिहा, सीजफायर के बीच ट्रंप पहुंचे इजरायल

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की गाजा में शांति पहल का असर दिखाई दे रहा है। इजरायल और हमास ने ट्रंप की शांति योजना पर सहमति जताई है, और यह युद्धविराम समझौता गाजा में दो साल से चल रहे विनाशकारी संघर्ष को समाप्त करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

इस समझौते के तहत हमास ने अब तक सात इजरायली बंधकों को रिहा कर दिया है, जबकि शेष 13 बंधकों को भी जल्द ही रिहा किए जाने की संभावना है। आज सुबह हमास ने उन 20 बंधकों की सूची जारी की थी जिन्हें रिहा किया जाना था। इसी दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप इजरायल के तेल अवीव पहुंचे, जहां उनका एयर फोर्स वन विमान बेनगुरियन एयरपोर्ट पर लैंड हुआ। ट्रंप ने रवाना होने से पहले पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अब हमास और इजरायल के बीच युद्ध समाप्त हो गया है और उन्होंने उम्मीद जताई कि यह सीजफायर स्थायी रहेगा।

तेल अवीव में होस्टेज स्क्वायर में सैकड़ों लोग बंधकों की रिहाई पर खुशियां मनाते दिखे। इजरायली सेना ने पुष्टि की कि रेड क्रॉस द्वारा गाजा से लाए गए 20 जीवित बंधकों में पहले सात को उन्होंने सुरक्षित प्राप्त कर लिया है। बंधक निम्रोद कोहेन की मां ने कहा, “मैं बहुत उत्साहित और खुशी से भरी हूं। यह पल कल्पना से परे है। मैं पूरी रात सो नहीं पाई।”

हमास द्वारा सोमवार को 20 बंधकों की पूरी रिहाई के अलावा 26 मृत बंधकों के शवों को भी सौंपा जाएगा। यह प्रक्रिया पिछले हफ्ते मिस्र के शर्म अल-शेख रिसॉर्ट में संपन्न युद्धविराम समझौते के पहले चरण का अहम हिस्सा है। इस शिखर सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के नेतृत्व में 20 से अधिक विश्व नेता स्थायी शांति और गाजा में पुनर्वास पर चर्चा करेंगे।

दो साल के इस संघर्ष ने गाजा को भारी नुकसान पहुंचाया है। गाजा सिटी के लगभग सभी निवासी विस्थापित हो गए हैं। अब स्थायी शांति की दिशा में उठाए जाने वाले कदम वैश्विक प्रतिबद्धताओं और आगामी शिखर सम्मेलन के नतीजों पर निर्भर करेंगे।

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रेड कारपेट स्वागत और सर्वोच्च सम्मान: नेतन्याहू के लिए ट्रंप ने बिछाया ‘स्पेशल ट्रीटमेंट

इजरायल और हमास के बीच बंधकों की अदला-बदली की प्रक्रिया जारी है। इसी बीच अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप मिडिल ईस्ट दौरे के तहत इजरायल पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। तेल अवीव के बेन गुरियन एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग, प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और उनकी पत्नियों ने रेड कारपेट पर ट्रंप का स्वागत किया। इजरायल की वायु सेना ने एयर फोर्स वन को विशेष संदेश भेजते हुए ट्रंप की यात्रा को “दोनों देशों के बीच अटूट मित्रता और सहयोग का प्रतीक” बताया।

इजरायल की राष्ट्रपति कार्यालय के अनुसार, ट्रंप को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित किया जाएगा। येरुशलम में वे हमास के चंगुल से छूटे बंधकों के परिवारों से मुलाकात करेंगे और नेसेट के विशेष सत्र में संबोधन देंगे।

इसी दौरान, इजरायली सेना ने पुष्टि की है कि गाजा में हमास द्वारा बंधक बनाए गए सात इजरायली नागरिकों को रिहा कर रेड क्रॉस को सौंप दिया गया है। उन्हें सुरक्षित रूप से इजरायल वापस लाया जा चुका है। यह रिहाई मिस्र, कतर और अमेरिका की मध्यस्थता से हुए युद्धविराम और समझौते के तहत संभव हो पाई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, मुक्त किए गए बंधकों में गली और ज़िव बर्मन, मतन एंग्रस्ट, अलोन ओहेल, ओमरी मीरान, एतान मोर और गाय गिल्बोआ-दलाल शामिल हैं।


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1 नवंबर से लागू: ट्रम्प का चीन पर 100% टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चीन पर 100% टैरिफ लगाने की घोषणा की है। ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा कि नया टैरिफ 1 नवंबर से लागू होगा। चीन से अमेरिका आने वाले सामानों पर पहले से 30% टैरिफ लग रहा है। ऐसे में चीन पर कुल 130% टैरिफ लगेगा।

ट्रम्प ने 1 नवंबर से सभी अहम सॉफ्टवेयर के निर्यात पर भी कंट्रोल करने की बात कही है। दरअसल, चीन ने 9 अक्टूबर को दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मटेरियल) पर निर्यात को और कड़ा कर दिया था, जिसके जवाब में ट्रम्प ने नए टैरिफ लगाने की बात कही है।

इन नियमों के तहत, चीनी खनिजों या तकनीक का इस्तेमाल करने वाली विदेशी कंपनियों को लाइसेंस लेना होगा। चीन ने विदेशी सेना से जुड़ी कंपनियों को ऐसे लाइसेंस नहीं देने की भी बात कही। ट्रम्प ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर लिखा, 'यह दुनिया के लगभग हर देश के लिए मुश्किल खड़ी करेगा।'

चीन ने 5 रेयर अर्थ मटेरियल्स के निर्यात पर प्रतिबंध लगाए

चीन के पास दुनिया के 17 दुर्लभ खनिज (रेयर अर्थ मटेरियल्स) हैं, जिन्हें वह दुनिया को निर्यात करता है। इनका इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक सामान, EVs और डिफेंस सेक्टर में होता है। चीन ने पहले से 7 दुर्लभ खनिजों पर कंट्रोल कर रखा था, लेकिन 9 अक्टूबर को इसमें 5 और (होल्मियम, एर्बियम, थुलियम, यूरोपियम और यटरबियम) जोड़ दिए गए।

यानी कि चीन का 17 में से 12 दुर्लभ खनिजों पर कंट्रोल हो गया है। इनके इस्तेमाल से पहले चीन से एक्सपोर्ट लाइसेंस लेना जरूरी होगा।

इस कदम से अमेरिका और उसके सहयोगी देशों की सुरक्षा और उद्योग पर असर पड़ सकता है, क्योंकि चीन दुनिया की 70% दुर्लभ खनिज आपूर्ति और 90% प्रोसेसिंग कंट्रोल करता है।

ट्रम्प बोले- चीन के कदम से सप्लाई चेन पर असर

ट्रम्प ने कहा, 'चीन ने दुनिया को एक बेहद आक्रामक पत्र भेजा है। इसमें कहा गया है कि 1 नवंबर 2025 से वे लगभग हर उत्पाद पर बड़े पैमाने पर नियंत्रण लगाएगा। इसमें चीन में बने उत्पाद ही नहीं, बल्कि कुछ ऐसे सामान भी शामिल हैं जो चीन में बने ही नहीं हैं। यह फैसला सभी देशों पर लागू होगा।'

अमेरिकी राष्ट्रपति ने इसे नैतिक रूप से शर्मनाक बताया है। उनका कहना है कि यह योजना चीन ने सालों पहले तैयार की थी। राष्ट्रपति ने कहा, 'यह विश्वास करना मुश्किल है कि चीन ने ऐसा कदम उठाया, लेकिन उन्होंने उठा लिया। बाकी इतिहास खुद बता देगा।'

ट्रम्प ने आगे कहा, 'यह घटना वैश्विक व्यापार को हिला सकती है, क्योंकि चीन दुनिया का सबसे बड़ा निर्यातक है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे सप्लाई चेन डिस्टर्ब हो सकती है और कीमतें बढ़ सकती हैं।'

ट्रम्प बोले- शी जिनपिंग से मुलाकात करने की अब कोई वजह नहीं

राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा- चीन की घोषणा के बाद कई देशों ने हमसे संपर्क किया है जो चीन के इस बड़े व्यापारिक विरोध से बेहद नाराज हैं। इसलिए अब APEC में शी जिनपिंग से मुलाकात का कोई कारण नजर नहीं आ रहा है।

हालांकि यह अभी भी साफ नहीं कहा जा सकता है कि ट्रम्प अपनी धमकियों पर कैसे अमल करेंगे और चीन इसका जवाब कैसे देगा। लेकिन मीडिया से चर्चा के के दौरान ट्रम्प ने बताया कि फिलहाल उन्होंने अपनी मीटिंग रद्द नहीं की है।

ट्रम्प ने लिखा-

चीन बहुत आक्रामक होता जा रहा है। वह इलेक्ट्रॉनिक्स, कम्प्यूटर चिप्स, लेजर, जेट इंजन और बाकी तकनीकों में इस्तेमाल होने वाली धातुओं और चुंबकों तक पहुंच को सीमित कर रहा है। कई देशों ने हमसे संपर्क किया है जो इस बड़े व्यापारिक विरोध से बेहद नाराज हैं, जो अचानक शुरू हुआ है।

राष्ट्रपति ट्रम्प के ऐलान का असर

चीन से रिश्तों पर...

शुक्रवार को बाजार बंद होने के बाद की गई इस घोषणा से ग्लोबल इकोनॉमी में उथल-पुथल मच सकती है। इससे न केवल ट्रम्प का ग्लोबल ट्रेड वॉर फिर से भड़क उठेगा, बल्कि चीनी वस्तुओं पर पहले से ही लगाए जा रहे 30% टैक्स के ऊपर इम्पोर्ट टैक्स लगाने से दोनों देशों के व्यापार में दरार पड़ सकती है।

अमेरिका और चीन के बीच टैरिफ ट्रेड वॉर तब शुरू हुआ, जब ट्रम्प ने चीनी वस्तुओं पर 145% टैरिफ लगाया, जिसके जवाब में चीन ने अमेरिकी उत्पादों पर 125% इम्पोर्ट टैक्स लगा दिया। ये कर इतने ज्यादा थे कि दोनों देशों के बीच व्यापार पर एक तरह से नाकेबंदी हो गई। बातचीत के बाद अमेरिका ने टैरिफ को 30% और चीन ने 10% तक कम कर दिया ताकि आगे बातचीत हो सके।

ट्रम्प की तरफ से लगाए गए नए इम्पोर्ट टैक्स की धमकी के साथ, इन कम दरों से मिलने वाली राहत अब खत्म हो सकती है। साथ ही यह भी तय करना मुश्किल होगा कि दोनों देशों में किसी विवाद का समाधान कैसे होता है।

अमेरिकी शेयर मार्केट पर...

दुनिया की 2 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण अमेरिकी शेयर बाजार वॉल स्ट्रीट में भी उथल-पुथल मच गई। S&P 500 इंडेक्स के लगभग हर सात में से छह शेयर गिर गए। एनवीडिया और एपल जैसी बड़ी टेक कंपनियों से लेकर टैरिफ और व्यापार को लेकर अनिश्चितता से उबरने की कोशिश कर रही छोटी कंपनियों के शेयरों तक, लगभग हर चीज कमजोर हुई।

बाजार बंद होने तक S&P 500 इंडेक्स में 2.7% गिरावट रही। डाउ जोन्स इंडस्ट्रियल एवरेज 878 अंक, यानी 1.9% गिरा। नैस्डैक कंपोजिट इंडेक्स 3.6% गिरकर बंद हुआ।  


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पीएम मोदी ने कीर स्टार्मर से की मुलाकात, बोले—भारत-ब्रिटेन संबंधों की जड़ में है लोकतंत्र

पीएम मोदी बोले—भारत-ब्रिटेन संबंधों की नींव में निहित है लोकतंत्र, कीर स्टार्मर से मुलाकात के बाद साझा बयान जारी

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर इस समय भारत की दो दिवसीय आधिकारिक यात्रा पर हैं। आज पीएम नरेंद्र मोदी और यूके पीएम की मुलाकात हुई, जो स्टार्मर की ब्रिटेन के पीएम बनने के बाद भारत की पहली यात्रा है। मुलाकात के बाद दोनों नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी किया।

पीएम मोदी ने कहा कि भारत और ब्रिटेन स्वाभाविक साझेदार हैं और यह साझेदारी वैश्विक स्थिरता और आर्थिक प्रगति के लिए महत्वपूर्ण आधार बन रही है। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि प्रधानमंत्री स्टार्मर के नेतृत्व में दोनों देशों के संबंधों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। इसी जुलाई में पीएम मोदी की ब्रिटेन यात्रा के दौरान दोनों देशों ने व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) पर हस्ताक्षर किए थे।

पीएम मोदी ने बताया कि इस समझौते से दोनों देशों के बीच आयात लागत कम होगी, युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और व्यापार को बढ़ावा मिलेगा, जिससे उद्योगों और उपभोक्ताओं को लाभ होगा। उन्होंने कहा कि स्टार्मर के नेतृत्व में अब तक का सबसे बड़ा व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल भारत आया है, जो भारत-ब्रिटेन साझेदारी में नए जोश का प्रतीक है।

मुलाकात के दौरान दोनों नेताओं ने हिंद-प्रशांत और पश्चिम एशिया में शांति और स्थिरता, साथ ही यूक्रेन संघर्ष पर चर्चा की। पीएम मोदी ने कहा कि भारत बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांति प्रयासों का समर्थन करता है। उन्होंने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने की प्रतिबद्धता भी दोहराई। पीएम मोदी ने अंत में जोर देकर कहा कि लोकतंत्र, स्वतंत्रता और कानून के शासन जैसे साझा मूल्य भारत-ब्रिटेन संबंधों की नींव में निहित हैं।


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पीएम मोदी ने गाजा शांति पहल का किया स्वागत, ट्रंप और नेतन्याहू की सराहना की

गाजा शांति समझौते पर पीएम मोदी ने जताया स्वागत, ट्रंप और नेतन्याहू की सराहना की

गाजा में शांति स्थापना की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने गुरुवार को घोषणा की कि इजरायल और हमास ने अमेरिका की मध्यस्थता से प्रस्तावित गाजा शांति समझौते के पहले चरण पर हस्ताक्षर कर दिए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि इससे बंधकों की रिहाई और गाजा के नागरिकों को मानवीय सहायता में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट कर अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की शांति पहल और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के सशक्त नेतृत्व की प्रशंसा की।

पीएम मोदी ने कहा कि यह समझौता स्थायी शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण शुरुआत है। वहीं, राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि अमेरिका सभी पक्षों के साथ निष्पक्ष व्यवहार करेगा और इस सहमति में कतर, मिस्र और तुर्किए के सहयोग की भी सराहना की। उन्होंने बताया कि शांति समझौते के पहले चरण के तहत गाजा में मानवीय सहायता के लिए पांच क्रॉसिंग तुरंत खोली जाएंगी, 20 इजरायली बंदियों को रिहा किया जाएगा और इजरायल भी अपने कुछ सैनिकों को सीमित क्षेत्र से वापस बुलाएगा।


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फ्रांस के नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने इस्तीफा दिया, एक महीने पहले ही बने थे

फ्रांस से बड़ी राजनीतिक खबर सामने आई है। नए प्रधानमंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने महज एक महीने से भी कम समय पहले ही प्रधानमंत्री का कार्यभार संभाला था। राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने सोमवार को उनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया।

राजनीतिक संकट के बीच लेकोर्नू ने अपने नए मंत्रिमंडल की नियुक्ति के कुछ ही घंटों बाद यह कदम उठाया। कहा जा रहा है कि उनके सहयोगियों और विरोधियों ने उनकी सरकार को गिराने की धमकी दी थी, जिससे इस्तीफा देने का निर्णय लिया गया।

इस अप्रत्याशित इस्तीफे से फ्रांस में राजनीतिक अस्थिरता और गहरी हो गई है। इस्तीफे की खबर के बाद फ्रांस के शेयर बाजार में भी भारी गिरावट देखने को मिली।

लेकॉर्नू ने रविवार को मंत्रियों की नियुक्ति की थी और सोमवार दोपहर को मंत्रिमंडल की पहली बैठक होनी थी। लेकिन इससे पहले उन्होंने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। उन्होंने इस्तीफा राष्ट्रपति मैक्रों को सौंपा, जिसे राष्ट्रपति ने स्वीकार कर लिया।

फ्रांस में 2022 के राष्ट्रपति चुनाव के बाद किसी भी पार्टी के पास संसदीय बहुमत नहीं है। यही वजह है कि देश की राजनीतिक स्थिति लगातार अस्थिर बनी हुई है, और लेकोर्नू का इस्तीफा इस अस्थिरता को और बढ़ा रहा है।


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लद्दाख में कर्फ्यू के बाद हालात गंभीर, लोगों को खाने तक के लाले

लद्दाख का पर्यटन उद्योग इस समय गहरी मुश्किलों से जूझ रहा है। लेह में हाल ही में हुए प्रदर्शनों और कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के बाद हालात और बिगड़ गए हैं। पहले से ही अप्रैल में हुए पहलगाम हमले के बाद पर्यटकों की संख्या घट गई थी, लेकिन पिछले हफ्ते हुए प्रदर्शनों ने स्थिति को और खराब कर दिया। बड़ी संख्या में बुकिंग रद्द हो गई है।

24 सितंबर को लेह शहर में अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगाया गया, जिसके कारण कई सैलानी वहीं फंस गए और उन्हें भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। लेह एपेक्स बॉडी से जुड़े एक संगठन ने बंद का आह्वान किया था। इस दौरान हुई झड़पों में चार लोगों की मौत हो गई और 150 से ज्यादा लोग घायल हुए।

हालात को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने कर्फ्यू के साथ मोबाइल और इंटरनेट सेवाएं भी बंद कर दीं। इससे व्यापार और पर्यटन दोनों पर गहरा असर पड़ा है। स्थानीय होटल संचालक नसीब सिंह का कहना है कि पिछले एक हफ्ते से हर दिन अग्रिम बुकिंग कैंसिल हो रही हैं और जरूरी सामान की भी कमी हो गई है। उन्होंने कहा कि 10 साल के अनुभव में उन्होंने ऐसा माहौल पहली बार देखा है। वहीं, स्थानीय ट्रांसपोर्टर रिगजिन डोरजे ने बताया कि 22 अप्रैल को पहलगाम हमले के बाद से ही पर्यटन प्रभावित था। ऑपरेशन सिंदूर के बाद धीरे-धीरे सैलानी लौट रहे थे, लेकिन ताजा घटनाओं ने हालात फिर बिगाड़ दिए।

पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए रोजमर्रा का सामान जुटाना भी मुश्किल हो गया है। एक होटल मालिक ने बताया कि हर दिन की अनिश्चितता हजारों परिवारों की रोज़ी-रोटी छीन रही है। ताइवान से आई पर्यटक शीना ने कहा कि वह लद्दाख घूमने आई थीं, लेकिन यहां पहुंचते ही उन्हें बंद बाज़ार और खाने तक की किल्लत का सामना करना पड़ा।


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Gen Z का जलवा: नेपाल के बाद पेरू में भी दिखा युवाओं का ताबड़तोड़ प्रदर्शन

नेपाल में हाल ही में युवाओं (Gen Z) ने सरकार के खिलाफ जोरदार आंदोलन किया। प्रदर्शन इतना उग्र हुआ कि प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। दरअसल, सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बैन लगाया था। इसके खिलाफ युवाओं ने देशभर में प्रदर्शन किए और सरकारी दफ्तरों में भी तोड़फोड़ की। भारी दबाव के चलते सरकार को फैसला वापस लेना पड़ा और सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया।

पेरू में क्यों भड़के युवा?

इस साल कई देशों में Gen Z का गुस्सा देखने को मिला। शुरुआत इंडोनेशिया से हुई और अब पेरू में हजारों युवा सड़कों पर उतर आए हैं। 27 सितंबर को राजधानी लीमा में युवाओं ने राष्ट्रपति दीना बोलुआर्ते के खिलाफ जोरदार नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान पुलिस और युवाओं में झड़पें हुईं। आंसू गैस और लाठीचार्ज के जवाब में प्रदर्शनकारियों ने पथराव किया।

आंदोलन की वजह पेंशन प्रणाली में हाल ही में हुए बदलाव हैं। नए नियम के तहत पेरू में 18 साल से ऊपर हर व्यक्ति को किसी पेंशन कंपनी से जुड़ना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा राष्ट्रपति और संसद के खिलाफ पहले से ही जनता में असंतोष बढ़ रहा था।

किन-किन देशों में उठा Gen Z का तूफान?

इंडोनेशिया (31 अगस्त – 1 सितंबर): सांसदों के भत्ते बढ़ाए जाने के खिलाफ आंदोलन हुआ, जिसमें 8 लोगों की मौत हुई। दबाव में राष्ट्रपति प्रबोवो को फैसला रोकना पड़ा।

नीदरलैंड (1 सितंबर): सरकार की इजरायल समर्थक नीति के खिलाफ युवाओं ने जोरदार प्रदर्शन किया। आंदोलन के बाद सरकार को नीति पर पुनर्विचार का आश्वासन देना पड़ा।

नेपाल से लेकर पेरू तक हो रहे ये प्रदर्शन इस बात का संकेत हैं कि नई पीढ़ी अब सरकारों की नीतियों को आंख मूंदकर स्वीकार करने के मूड में नहीं है।


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तेज भूकंप से चीन में तबाही, कई घर क्षतिग्रस्त, सात घायल

उत्तर पश्चिमी चीन के गांसू प्रांत में शनिवार सुबह 5.6 तीव्रता का भूकंप आया। तेज झटकों से लोगों में दहशत फैल गई और कई घर क्षतिग्रस्त हो गए।

सरकारी एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार, भूकंप में सात लोग घायल हुए हैं, हालांकि सभी खतरे से बाहर हैं और किसी की जान नहीं गई। भूकंप का केंद्र लांझोऊ से करीब 140 किलोमीटर दूर और जमीन से 10 किलोमीटर नीचे दर्ज किया गया।

अधिकारियों ने बताया कि झटकों से 100 से ज्यादा घरों में दरार आ गई, जबकि आठ मकान पूरी तरह ढह गए। फिलहाल प्रशासन राहत और बचाव कार्य में जुटा है।


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अमेरिका में ट्रम्प का कड़ा फैसला, ब्रांडेड मेडिसिन दोगुनी महंगी

ट्रम्प का ऐलान: ब्रांडेड दवाओं पर 100% टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ब्रांडेड या पेटेंटेड दवाओं पर 100% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। यह नियम 1 अक्टूबर 2025 से लागू होगा। हालांकि, जिन कंपनियों ने अमेरिका में दवा उत्पादन के लिए अपने प्लांट का निर्माण शुरू कर दिया है, उन पर यह टैक्स लागू नहीं होगा।

ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि “अगर कंस्ट्रक्शन शुरू हो चुका है, तो उन दवाओं पर कोई टैक्स नहीं लगेगा।”

भारत पर पहले ही टैरिफ

भारत पर अमेरिका पहले ही 50% टैरिफ लगा चुका है, जो 27 अगस्त से लागू है। इससे भारतीय कपड़े, जेम्स-ज्वेलरी, फर्नीचर और सी-फूड का निर्यात महंगा हो गया है। हालांकि, उस वक्त दवाओं को इस टैरिफ से बाहर रखा गया था।

जेनेरिक दवाओं पर अगला कदम संभव

जियोजित इनवेस्टमेंट्स लिमिटेड के चीफ इनवेस्टमेंट स्ट्रैटजिस्ट वी.के. विजयकुमार ने कहा कि भारत पर मौजूदा फैसले का बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि वह जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा एक्सपोर्टर है। लेकिन संभावना है कि ट्रम्प अगला निशाना जेनेरिक दवाओं पर साधें।

भारत दुनिया का सबसे बड़ा जेनेरिक दवा निर्यातक है। 2024 में भारत ने अमेरिका को करीब 8.73 अरब डॉलर (लगभग 77 हजार करोड़ रुपये) की दवाएं भेजीं, जो भारत के कुल दवा निर्यात का 31% था। अमेरिका में हर 10 में से 4 प्रिस्क्रिप्शन दवाएं भारतीय कंपनियों की होती हैं।

ब्रांडेड बनाम जेनेरिक दवाएं

ब्रांडेड दवाई: ओरिजिनल रिसर्च पर आधारित होती है और पेटेंट के कारण महंगी बिकती है।

जेनेरिक दवाई: पेटेंट खत्म होने के बाद उसी फॉर्मूले से बनाई जाती है। रिसर्च लागत न होने से इनकी कीमत 80-90% तक कम रहती है।

ट्रम्प का मकसद

ट्रम्प प्रशासन का कहना है कि ब्रांडेड दवाओं पर टैरिफ लगाने का मकसद अमेरिका में दवा उत्पादन को बढ़ावा देना है। यह फैसला उनकी “अमेरिका फर्स्ट” और “मेक इन अमेरिका” नीति का हिस्सा है। उनका तर्क है कि महामारी के दौरान दवा सप्लाई चेन पर बाहरी निर्भरता राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा साबित हुई थी।

जेनेरिक दवाओं पर टैरिफ न लगाने का कारण यह है कि वे अमेरिकी स्वास्थ्य व्यवस्था के लिए सस्ती और ज़रूरी हैं। अगर उन पर भी टैक्स लगाया जाता तो स्वास्थ्य सेवाओं की लागत बहुत बढ़ जाती।

बाकी उत्पादों पर भी असर

ट्रम्प ने किचन कैबिनेट, बाथरूम वैनिटी और उनसे जुड़े सामानों पर 50% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है। इसके अलावा अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर पर 30% और बड़े ट्रकों पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा।

उन्होंने कहा कि यह कदम अमेरिकी मैन्युफैक्चरिंग को बचाने और विदेशी प्रतिस्पर्धा से घरेलू उद्योग को सुरक्षा देने के लिए उठाया गया है।


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