भारत के 52वें CJI बने जस्टिस बीआर गवई

देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई 2025 को पूरा हो गया है, भारत के सीजेआई संजीव खन्ना रिटायर हो गए हैं और उनका सुप्रीम कोर्ट में फेरवल भी कर दिया गया है. इसी के बाद अब सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज जस्टिस बीआर गवई ने देश के नए CJI का कार्यभार संभाल लिया है. वहीं 14 मई 2025 को भारत के नए सीजेआई के रूप में सीनियर मोस्ट जज जस्टिस बीआर गवई शपथ ले ली है. नए CJI जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के 52वें CJI हैं. ऐसे में चलिए जानते हैं कि BR गवई के प्रमोशन होने पर अब उनकी सैलरी कितनी बढ़ जाएगी.

भारत के नए CJI जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज थे और सुप्रीम कोर्ट के सीनियर मोस्ट जज को 2.5 लाख रुपये सैलरी मिलती है. इसके अलावा 8 लाख रुपये फर्निशिंग भत्ता, मूल वेतन का 24 प्रतिशत, 34,000 रुपये प्रति माह सत्कार भत्ता, 20 लाख रुपये ग्रेच्युटी और 15 लाख रुपये प्रति वर्ष पेंशन और साथ में महंगाई राहत भी मिलती है.

वहीं भारत के CJI को हर महीने 2.80 लाख रुपए वेतन मिलता है, साथ ही 45000 रुपए सत्कार भत्ता मिलता है, 10 लाख रुपए फर्निशिंग अलाउंस के तौर पर मिलते हैं और CJI को बंगला, गाड़ी, नौकर और 24 घंटे सिक्योरिटी के अलावा कई सुविधाएं मिलती हैं. ऐसे में अब भारत के नए CJI जस्टिस बीआर गवई सुप्रीम को प्रमोशन के बाद 30 हजार रुपये ज्यादा सैलरी, अन्य भत्ते और कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी.

भारत के नए CJI बीआर गवई सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज हैं. साथ ही वे देश के दूसरे दलित मुख्य न्यायाधीश हैं. जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ था. वे 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के बॉम्बे हाई कोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त किए गए थे . रिपोर्ट्स के अनुसार, अब बीआर गवई जस्टिस गवई का भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में छह महीने से ज्यादा का कार्यकाल होगा.

भारत के नए CJI बीआर गवई जस्टिस गवई को रिटायरमेंट के बाद भी पेंशन, भत्ते और कई सुविधाएं मिलेंगी. जिसमें CJI को रिटायरमेंट के बाद 16.80 लाख रुपये प्रति वर्ष पेंशन और साथ में महंगाई राहत और 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी मिलती है. CJI को रिटायरमेंट के बाद सरकारी आवास, सुरक्षा गार्ड्स, नौकर और ड्राइवर के साथ रिटायरमेंट के बाद भी सुप्रीम कोर्ट में अन्य कानूनी मामलों में मदद, सलाह देने का अधिकार और अन्य सुविधाएं मिलती रहती हैं.

सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की सैलरी, ग्रेच्युटी, पेंशन, भत्ते जैसे सभी चीजों के लिए देश में सुप्रीम कोर्ट सैलरी एंड कंडीशन्स ऑफ सर्विस अधिनियम-1958 के तहत है. वहीं हाई कोर्ट की न्यायाधीशों सैलरी, ग्रेच्युटी, पेंशन, भत्ते आदि अधिनियम-1954 के तहत तय किए जाते है. इसके साथ ही समय समय पर सैलरी, पेंशन और भत्ते आदि पर संशोधन भी किया जाता है.


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National Herald मामले में सोनिया-राहुल आज कोर्ट में रखेंगे अपना पक्ष

नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की ओर से आज पक्ष रखा जाएगा। उनके अधिवक्ता दोनों की ओर से अदालत में पेश होंगे और अपने मुवक्किल की ओर से दलील पेश करेंगे।

राउज एवेन्यू स्थित विशेष न्यायाधीश विशाल गोगने ने मामले में ईडी की ओर से दायर आरोपपत्र पर संज्ञान लेने से पहले दोनों आरोपितों को नोटिस जारी कर कहा था कि निष्पक्ष सुनवाई के लिए ये जरूरी है कि हर आरोपित को सुना जाए, सभी आरोपितों को अपनी बात रखने का मौका मिले। इससे ये सुनिश्चित होगा कि मामले की सुनवाई सही तरीके से हो।

अदालत ने कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा और सुमन दुबे, सुनील भंडारी और एक निजी कंपनी यंग इंडियन डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस जारी किया था।


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नेशनल हेराल्ड केस में सोनिया-राहुल को कोर्ट का नोटिस

नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट ने सोनिया और राहुल गांधी को नोटिस दिया। कोर्ट में मामले की दूसरी सुनवाई हुई थी।

कोर्ट ने मामले में सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, सुनील भंडारी, मेसर्स यंग इंडिया और मेसर्स डोटेक्स मर्केंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को भी नोटिस दिया है।

स्पेशल जज विशाल गोगने ने कहा,

किसी भी स्तर पर बात सुने जाने का अधिकार निष्पक्ष सुनवाई में जान फूंकता है। मामले की अगली सुनवाई अब 8 मई को होगी।

25 अप्रैल को कोर्ट ने कहा था- चार्जशीट में कुछ डॉक्यूमेंट्स गायब हैं, दाखिल करें

25 अप्रैल को कोर्ट ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी को नोटिस जारी करने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने कहा था कि आरोपियों का पक्ष सुने बिना हम नोटिस जारी नहीं कर सकते।

स्पेशल जज विशाल गोगने ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर 25 अप्रैल को पहली सुनवाई की थी। उन्होंने कहा, 'ED की चार्जशीट में कुछ डॉक्यूमेंट्स भी गायब हैं। उन डॉक्यूमेंट्स को दाखिल करिए। उसके बाद नोटिस जारी करने पर फैसला करेंगे।'

ED ने कांग्रेस के नेशनल हेराल्ड अखबार और एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग केस में 9 अप्रैल को पहली चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा और सुमन दुबे को आरोपी बनाया था।

ED ने कहा- हम कुछ भी नहीं छिपा रहे

ED ने कोर्ट से कहा था कि हमारी तरफ से कुछ भी नहीं छिपाया जा रहा है। संज्ञान लिए जाने से पहले उन्हें अपनी बात रखने का मौका दिया जा रहा है। हम नहीं चाहते कि आदेश जारी करने में ज्यादा वक्त लगे। इसलिए कोर्ट को नोटिस जारी करना चाहिए।

इस पर जज ने कहा कि जब तक कोर्ट इस बात से संतुष्ट नहीं हो जाता कि नोटिस की जरूरत है, हम कोई आदेश पारित नहीं कर सकते। आदेश जारी करने से पहले यह देखना होता है कि उसमें कोई कमी तो नहीं है।

चार्जशीट से पहले प्रॉपर्टी जब्त करने की कार्रवाई हुई

इससे पहले 12 अप्रैल 2025 को जांच के दौरान कुर्क संपत्तियों को जब्त करने की कार्रवाई की गई थी। ED ने दिल्ली के हेराल्ड हाउस (5A, बहादुर शाह जफर मार्ग), मुंबई के बांद्रा (ईस्ट) और लखनऊ के विशेश्वर नाथ रोड स्थित AJL की बिल्डिंग पर नोटिस चिपकाए गए थे।

661 करोड़ की इन अचल संपत्तियों के अलावा AJL के 90.2 करोड़ रुपए के शेयरों को ED ने नवंबर 2023 में अपराध की आय को सुरक्षित करने और आरोपी को इसे नष्ट करने से रोकने के लिए कुर्क किया था।

चार्जशीट में सोनिया आरोपी नंबर एक, राहुल नंबर दो

कांग्रेस बोली थी- यह बदले की राजनीति, BJP ने कहा- खामियाजा भुगतेंगे

कांग्रेस ने इसे बदले की राजनीति बताया। जयराम रमेश ने लिखा, 'नेशनल हेराल्ड की संपत्ति जब्त करना कानून के शासन का मुखौटा पहने हुए राज्य प्रायोजित अपराध है। सोनिया गांधी, राहुल गांधी और कुछ अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की ओर से बदले की राजनीति और धमकी के अलावा कुछ नहीं है। हालांकि, कांग्रेस और उसका नेतृत्व चुप नहीं रहेगा। सत्यमेव जयते।'

हालांकि, BJP ने कहा है कि जो लोग भ्रष्टाचार और सार्वजनिक संपत्ति की लूट में लिप्त थे, उन्हें अब इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा। राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनवाला बोले-अब ED का मतलब डकैती तथा वंशवाद का अधिकार नहीं है। वे जनता का पैसा, संपत्ति हड़प लेते हैं और कार्रवाई होने पर विक्टिम कार्ड खेलते हैं। उन्होंने नेशनल हेराल्ड मामले में भी जनता की संपत्ति को अपना बना लिया।


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पहले आर्मी चीफ, फिर पीएम मोदी से मिले राजनाथ सिंह, पहलगाम हमले पर दोपहर 3 बजे संसदीय समिति की होगी बैठक

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके आधिकारिक आवास 7, लोक कल्याण मार्ग पर मुलाकात करने पहुंचे। रक्षा मंत्री ने पीएम मोदी से लंबी बातचीत की। पीएम मोदी के आवास पर 40 मिनट तक चली बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल भी शामिल थे।

राजनाथ सिंह ने पीएम को ताजा हालात के बारे में अपडेट दिया है। इस बीच खबर आ रही है कि रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति की भी आज दोपहर 3 बजे बैठक होगी।

पहलगाम में चल रहे ऑपरेशन के बारे में दी जानकारी

यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब एक दिन पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ अनिल चौहान ने रक्षा मंत्री को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए घातक आतंकवादी हमले के बाद पाकिस्तान का मुकाबला करने के लिए लिए गए प्रमुख निर्णयों के बारे में जानकारी दी थी। बताया जा रहा है 3 बजे की बैठक में पहलगाम हमले को लेकर चर्चा होगी। इस दौरान बैठक में कई नेता भी मौजूद होंगे।

दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक बातचीत

इस मुलाकातों से अटकलें तेज हो गई है कि भारत जल्द ही पाकिस्तान के खिलाफ निर्णायक कदम उठा सकता है। आज की बैठक पहलगाम आतंकी हमले पर संसद परिसर में आयोजित सर्वदलीय बैठक के तीन दिन बाद हुई है, जिसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री ने की थी।

पहलगाम अटैक के बाद हुई  बैठक

22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की बेरहमी से गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, जिनमें से अधिकतर पर्यटक थे, जिनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था। यह घटना दोपहर करीब 2 बजे बैसरन मैदान में हुई। यह 2019 के पुलवामा हमले के बाद से इस क्षेत्र में सबसे घातक हमलों में से एक था, जिसमें 40 केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के जवान शहीद हो गए थे।

घटना के बाद, 23 अप्रैल से एनआईए की टीमें घटनास्थल पर तैनात हैं और सबूतों की तलाश तेज कर दी है।


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'कानून को चुनौती देने वाली याचिकाएं हों खारिज', वक्फ मामले पर सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार का हलफनामा

वक्फ संशोधन एक्ट मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया. सरकार ने कहा कि कोर्ट को कानून पर विचार कर अंतिम फैसला लेना चाहिए. कुछ धाराओं पर रोक लगाना सही नहीं है. सरकार ने कहा, "कानून को किसी धर्म के खिलाफ बताना गलत है. वक्फ बोर्ड और वक्फ काउंसिल में अधिकतम 2 सदस्य ही गैर-मुस्लिम होंगे."

केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट बताया कि गैर मुस्लिम सदस्यों की मौजूदगी वक्फ बोर्ड के काम को ज्यादा समावेशी बनाएगी. सरकार ने कोर्ट को बताया, "वक्फ कानून के 100 साल के इतिहास में वक्फ बाय यूजर को रजिस्ट्रेशन के आधार पर ही मान्यता मिलती आई है. इसी के आधार पर संशोधित कानून है. सरकारी जमीन को किसी धार्मिक समुदाय का बताने की इजाजत नहीं दी जा सकती. कानून में भूमि से जुड़े रिकॉर्ड को सही करने की व्यवस्था बनाई गई है."

केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, "वक्फ कानून की वैधता को चुनौती देने वाले याचिकाकर्ताओं के प्रयास न्यायिक समीक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं. संसदीय समिति की ओर से व्यापक, गहन, विश्लेषणात्मक अध्ययन के बाद संशोधन किये गये." केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि निजी और सरकारी संपत्ति पर अतिक्रमण करने के लिए प्रावधानों का दुरुपयोग किया गया है.

केंद्र ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विधायी क्षमता और अनुच्छेद 32 के तहत मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के आधार पर कानून की समीक्षा कर सकता है. न्यूज एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक केंद्र सरकार ने बताया, "मुगल काल से पहले, आजादी से पहले और आजादी के बाद वक्फ की कुल संपत्ति 18,29,163.896 एकड़ थी. 2013 के बाद वक्फ भूमि में 20,92,072.536 एकड़ की बढ़ोतरी हुई है."



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'संसद सर्वोच्च, इससे ऊपर कोई नहीं', उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने फिर दोहराई बात

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बार फिर भारत के संविधान में निर्धारित शासन व्यवस्था के ढांचे के भीतर न्यायपालिका की भूमिका और उसकी सीमाओं पर सवाल उठाए हैं. उन्होंने कहा कि संसद सर्वोच्च है और प्रतिनिधि (सांसद) यह तय करने का अंतिम अधिकार रखते हैं कि संविधान कैसा होगा, उनके ऊपर कोई भी नहीं हो सकता."

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने आज दिल्ली यूनिवर्सिटी में एक कार्यक्रम में कहा कि संसद देश की सबसे बड़ी संस्था है और चुने हुए सांसद ही तय करेंगे कि संविधान कैसा होगा. उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था संसद से ऊपर नहीं हो सकती. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के दो फैसलों पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “एक बार कोर्ट ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना इसका हिस्सा नहीं है (गोलकनाथ केस के संदर्भ में), फिर दूसरी बार कहा कि प्रस्तावना संविधान का हिस्सा है (केशवानंद भारती केस के संदर्भ में)”

"लोकतंत्र में चुप रहना खतरनाक है", बोले धनखड़

उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में बातचीत और खुली चर्चा बहुत जरूरी है. अगर सोचने-विचारने वाले लोग चुप रहेंगे तो इससे नुकसान हो सकता है. उन्होंने कहा, “संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को हमेशा संविधान के मुताबिक बोलना चाहिए. हम अपनी संस्कृति और भारतीयता पर गर्व करें. देश में अशांति, हिंसा और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना सही नहीं है. जरूरत पड़ी तो सख्त कदम भी उठाने चाहिए.”

पहले भी दे चुके हैं ऐसा बयान

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ पहले भी कह चुके हैं कि लोकतंत्र में संसद सबसे ऊपर है और संविधान कैसा होगा, यह चुने हुए नेता तय करेंगे. उनके मुताबिक, सांसदों से ऊपर कोई और संस्था नहीं हो सकती. उनके इस बयान पर राज्यसभा सांसद और सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने आपत्ति जताई थी. सिब्बल ने कहा था कि उपराष्ट्रपति का यह बयान सुप्रीम कोर्ट जैसी संवैधानिक संस्था को कमजोर करता है, जो लोकतंत्र के लिए ठीक नहीं है.


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बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग,सुप्रीम कोर्ट आज करेगा सुनवाई, अनुच्छेद 355 से क्या बदल जाएगा

सुप्रीम कोर्ट मंगलवार (22 अप्रैल, 2025) को बंगाल हिंसा को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा. बंगाल विधानसभा चुनाव के दौरान हुई हिंसा को लेकर याचिका दाखिल की गई थी. सोमवार को इसमें नया आवेदन दाखिल कर केंद्र सरकार को राज्यपाल से रिपोर्ट मांगने के लिए कहने और पैरामिलिट्री फोर्स तैनात करने की अपील की गई.

पश्चिम बंगाल की खराब कानून-व्यवस्था, राजनीतिक हिंसा और हत्याओं को लेकर 2021 से रंजना अग्निहोत्री और जितेंद्र सिंह बिसेन की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने कोर्ट से कहा कि आवेदन में केंद्र को राज्यपाल से संविधान के अनुच्छेद 355 के तहत रिपोर्ट मांगने का निर्देश देने की मांग की गई है.

'हम पर लग रहे सरकार के कामकाज में दखल के आरोप', बोला सुप्रीम कोर्ट

जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की बेंच के सामने ये मांग रखी गई. इस पर जस्टिस गवई ने कहा कि मामले की सुनवाई के दौरान वह अपनी बात रखें. न्यायपालिका पर सरकार के कामकाज में दखल का आरोप लगाते हुए चल रही बयानबाजी की तरफ इशारा करते हुए जस्टिस गवई ने कहा, 'हम पर पहले ही कार्यपालिका के क्षेत्र में अतिक्रमण का आरोप लग रह रहा है. आप चाहते हैं हम कि राष्ट्रपति को निर्देश दें?'

क्या है अनुच्छेद 355, जिसकी विष्णु शंकर जैन ने की है मांग?

नए आवेदन में मांग की गई है कि पश्चिम बंगाल में हुई हिंसा की जांच सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज की अध्यक्षता वाली तीन जजों की कमेटी को दी जाए. राज्य में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए. अनुच्छेद 355 के तहत राज्यपाल से राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर रिपोर्ट मांगी जाए. अगर इस तरह की रिपोर्ट में राज्यपाल किसी राज्य में संवैधानिक व्यवस्था के चरमरा जाने की रिपोर्ट देते हैं, तो राज्य में अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है.

बंगाल में राष्ट्रपति शासन की मांग

विष्णु शंकर जैन ने कहा, 'कल की सूची में मद संख्या 42 पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन लागू किए जाने से संबंधित है. यह याचिका मैंने दायर की है. उस याचिका में मैंने पश्चिम बंगाल राज्य में हुई हिंसा की कुछ और घटनाओं को सामने लाने संबंधी अभियोग और निर्देश के लिए एक इंटरलोक्यूटरी आवेदन दायर किया है.' इंटरलोक्यूटरी आवेदन एक औपचारिक कानूनी अनुरोध होता है जो अंतरिम आदेश या निर्देश प्राप्त करने के लिए कोर्ट की कार्यवाही के दौरान दायर किया जाता है.

मुर्शिदाबाद हिंसा की रिटायर्ड जज से जांच की मांग

विष्णु शंकर जैन ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने 2021 की याचिका पर पहले नोटिस जारी किया था. उन्होंने कहा, 'जब मामले पर सुनवाई होगी तो मैं बताऊंगा कि हिंसा कैसे हुई.' एक नई याचिका में अदालत से अनुरोध किया गया है कि 2022 से अप्रैल 2025 तक हिंसा, मानवाधिकार उल्लंघनों और महिलाओं के खिलाफ अपराध की घटनाओं, खासतौर पर मुर्शिदाबाद में हालिया हिंसा की घटनाओं के मामले में जांच के लिए एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति की नियुक्ति की जाए. आवेदन में केंद्र को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि पश्चिम बंगाल को अनुच्छेद 355 के तहत आवश्यक निर्देश जारी करने पर विचार किया जाए.


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सिब्बल बोले- भारत में राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 17 अप्रैल को एक बयान दिया- जज राष्ट्रपति को सलाह न दें। शुक्रवार को राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने उनके इस बयान पर आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि जब कार्यपालिका काम नहीं करेगी तो न्यायपालिका को हस्तक्षेप करना ही पड़ेगा।

सिब्बल ने कहा, 'भारत में राष्ट्रपति नाममात्र का मुखिया है। राष्ट्रपति-राज्यपाल को सरकारों की सलाह पर काम करना होता है। मैं उपराष्ट्रपति की बात सुनकर हैरान हूं, दुखी भी हूं। उन्हें किसी पार्टी की तरफदारी करने वाली बात नहीं करनी चाहिए।'

सिब्बल ने 24 जून 1975 को सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का जिक्र करते हुए कहा- 'लोगों को याद होगा जब इंदिरा गांधी के चुनाव को लेकर फैसला आया था, तब केवल एक जज, जस्टिस कृष्ण अय्यर ने फैसला सुनाया था। उस वक्त इंदिरा को सांसदी गवानी पड़ी थी। तब धनखड़ जी को यह मंजूर था। लेकिन अब सरकार के खिलाफ दो जजों की बेंच के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं।'

सिब्बल बोले- देश को न्यायपालिका पर भरोसा

सिब्बल ने कहा- आज के समय में अगर किसी संस्था पर पूरे देश में भरोसा किया जाता है, तो वह न्यायपालिका है। सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 की ताकत संविधान से मिली है। ऐसे में अगर किसी को कोई परेशानी है तो वो अपने अधिकार का प्रयोग कर रिव्यू डाल सकते हैं। वे अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से सलाह भी मांग सकते हैं। अनुच्छेद 142 सुप्रीम कोर्ट को अधिकार देता है कि वह पूर्ण न्याय करने के लिए कोई भी आदेश, निर्देश या फैसला दे सकता है।

क्या था इंदिरा गांधी के खिलाफ 1975 में सुनाया गया फैसला

इंदिरा गांधी की संसद सदस्यता रद्द करने वाला फैसला 1975 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनाया था। 12 जून 1975 को जस्टिस जगमोहन लाल सिन्हा ने इंदिरा के प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवार राज नारायण की याचिका पर सुनवाई की। जिसमें आरोप था कि इंदिरा ने चुनाव में सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग, अपने पद का गलत इस्तेमाल और चुनाव नियमों का उल्लंघन किया है।

सुनवाई के बाद का 1971 का चुनाव (रायबरेली सीट) अवैध घोषित कर दिया गया। उन्हें 6 साल तक चुनाव लड़ने से अयोग्य करार दिया गया। उनकी सांसदी रद्द कर दी गई। इस फैसले को इंदिरा ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। 24 जून 1975 को जस्टिस वी. आर. कृष्ण अय्यर ने अंतरिम राहत दी। साथ ही कहा कि इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री तो बनी रह सकती हैं, लेकिन संसद में वोटिंग अधिकार नहीं होगा।

इसके बाद 26 जून 1975 को देश में आपातकाल लगा दिया गया। संविधान में 42वां संशोधन किया गया। जिससे प्रधानमंत्री के चुनाव को न्यायिक समीक्षा से बाहर कर दिया गया। बाद में, सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित संविधान के तहत इंदिरा गांधी के पक्ष में निर्णय दिया।

धनखड़ ने कहा था- अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं

दरअसल, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 17 अप्रैल राज्यसभा इंटर्न के एक ग्रुप को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने सुप्रीम कोर्ट की उस सलाह पर आपत्ति जताई, जिसमें राष्ट्रपति और राज्यपालों को बिलों को मंजूरी देने की समय सीमा तय की थी।

धनखड़ ने कहा था- "अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकतीं। संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत कोर्ट को मिला विशेष अधिकार लोकतांत्रिक शक्तियों के खिलाफ 24x7 उपलब्ध न्यूक्लियर मिसाइल बन गया है। जज सुपर पार्लियामेंट की तरह काम कर रहे हैं।"

विवाद सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से शुरू हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के केस में गवर्नर के अधिकार की सीमा तय कर दी थी। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था, ‘राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है।’ सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को अवैध भी बताया था।

इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल की तरफ से भेजे गए बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के भीतर फैसला लेना होगा। यह ऑर्डर 11 अप्रैल को सार्वजनिक किया गया।

धनखड़ ने पूछा- जज के घर नोटों का बंडल मिला, FIR क्यों नहीं हुई

राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने 17 अप्रैल को कहा था कि हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य करेंगे, जो 'सुपर संसद' के रूप में भी कार्य करेंगे। उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी, क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता है।'

'लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार सबसे अहम होती है और सभी संस्थाओं को अपनी-अपनी सीमाओं में रहकर काम करना चाहिए। कोई भी संस्था संविधान से ऊपर नहीं है।'

'जस्टिस वर्मा के घर अधजली नकदी मिलने के मामले में अब तक FIR क्यों नहीं हुई? क्या कुछ लोग कानून से ऊपर हैं। इस केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन जजों की इन-हाउस कमेटी बनाई है। इसका कोई संवैधानिक आधार नहीं है। कमेटी सिर्फ सिफारिश दे सकती है, लेकिन कार्रवाई का अधिकार संसद के पास है।'

'अगर ये मामला किसी आम आदमी के घर होता, तो अब तक पुलिस और जांच एजेंसियां सक्रिय हो चुकी होतीं। न्यायपालिका हमेशा सम्मान की प्रतीक रही है, लेकिन इस मामले में देरी से लोग असमंजस में हैं।'


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पीएम मोदी ने US के साथ मिलकर काम करने की जताई उम्मीद

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 18 अप्रैल को टेस्ला के सीईओ एलन मस्क से फिर बात की। यह इस साल की दूसरी बातचीत है। दोनों ने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की है। उन्होंने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में इसकी जानकारी दी। 

पीएम ने कहा,

मैंने एलन मस्क से बात की और विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। इस बातचीत में इस साल की शुरुआत में वाशिंगटन डीसी में हमारी बैठक के दौरान शामिल किए गए विषय भी शामिल थे।

भारत अमेरिका के साथ...

पीएम ने आगे कहा-हमने टेक्नोलॉजी और इनोवेशन के क्षेत्रों में सहयोग की अपार संभावनाओं पर चर्चा की। भारत इन क्षेत्रों में अमेरिका के साथ अपनी साझेदारी को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

बता दें कि इससे पहले पीएम मोदी और मस्क के बीच फरवरी में मुलाकात हुई थी। दो महीने के भीतर ये पीएम मोदी और एलन मस्क की ये दूसरी बातचीत है। यह बातचीत ऐसे समय में हुई है, जब अमेरिका और भारत के बीच टैरिफ युद्द छिड़ा हुआ है। पिछले दिनों ट्रंप ने भारत पर 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया था।

भारत आ रहे अमेरिकी उपराष्ट्रपति

इस बीच अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और उनकी पत्नी उषा अगले हफ्ते के शुरू में भारत की यात्रा पर आएंगे और इस दौरान वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के साथ वार्ता करेंगे। यह यात्रा ट्रंप प्रशासन के शुल्क विवाद के कारण बढ़ते वैश्विक व्यापार व्यवधानों के बीच होगी। वें

स के कार्यालय ने बुधवार को बताया कि अमेरिकी उपराष्ट्रपति 18 से 24 अप्रैल तक इटली और भारत की यात्रा पर रहेंगे।

टैरिफ वॉर पर विदेश मंत्रालय का बयान 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसावल ने व्यापार और टैरिफ से जुड़े मुद्दों को लेकर बताया कि वेंस के साथ चर्चा के दौरान इनका समाधान निकाला जाएगा। जायसवाल ने इस दौरान अन्य देशों को लेकर भी कई महत्वपूर्ण मुद्दों की जानकारी दी।


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चुनाव आयोग AI के इस्तेमाल पर गाइडलाइन बना रहा

चुनाव प्रचार के लिए कंटेंट तैयार करने में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की भूमिका तेजी से बढ़ रही है। इसे देखते हुए चुनाव आयोग इसके दुरुपयोग पर रोक लगाने और बेहतर इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए गाइडलाइंस बना रहा है। इसकी झलक बिहार विधानसभा चुनाव में दिख सकती है।

सूत्रों ने बताया कि राजनीतिक दलों, मीडिया और सोशल मीडिया के लिए जनरेटिव AI संबंधी कंटेंट के बारे में बताना होगा। प्रचार में AI के इस्तेमाल के नियम और तरीके साफ किए जाएंगे। फेक और डीपफेक प्रचार वीडियो और ऑडियो के बारे में भी दिशा-निर्देश बनाए जा रहे हैं।

इसका मकसद है कि AI कंटेंट का इस्तेमाल करके मतदाताओं को भ्रमित या उनकी पसंद को गलत तरीके से प्रभावित न किया जा सके। साथ ही यह यह करने की कोशिश की जाएगी कि मतदाताओं की निजता या चुनाव की निष्पक्षता पर आंच न आए।

लोकसभा चुनाव में 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल हुईं

आयोग का यह कदम ग्लोबल इलेक्शन ट्रैकिंग की AI पर रिपोर्ट को देखते हुए अहम है। इससे पता चला है कि 2024 लोकसभा चुनाव में AI का इस्तेमाल अमेरिकी चुनाव से 10% और ब्रिटिश चुनाव से 30% ज्यादा है।

फ्यूचर शिफ्ट लैब्स की इस रिपोर्ट में 74 देशों के चुनाव में AI की ट्रैकिंग की गई। भारत के चुनाव में इसका सबसे ज्यादा 80% इस्तेमाल हुआ। AI से 5 करोड़ से ज्यादा रोबोट कॉल की गईं। उम्मीदवारों की आवाज में इन डीपफेक कॉल्स का कंटेंट जेनरेट किया गया। 22 भाषाओं में डीपफेक से प्रचार सामग्री तैयार की गई।

चुनाव में फेक वीडियो के 3 मामले

1. गृह मंत्री का फेक वीडियो कई अकाउंट्स ने शेयर किया: 27 अप्रैल, 2024 को सोशल मीडिया पर गृह मंत्री अमित शाह का एक फेक वीडियो वायरल हुआ। इसे तेलंगाना कांग्रेस और CM रेवंत रेड्डी ने शेयर किया था। इसमें वे SC-ST और OBC के आरक्षण को खत्म करने की बात करते सुनाई दे रहे थे।

PTI की फैक्ट चैक यूनिट ने कहा कि मूल वीडियो में अमित शाह ने तेलंगाना में मुसलमानों के लिए असंवैधानिक आरक्षण हटाने की बात कही थी। इस मामले को लेकर 28 अप्रैल को दिल्ली पुलिस ने FIR दर्ज की और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को समन जारी किया।

2. कांग्रेस नेता का वीडियो वायरल, कहा- TMC को वोट देने से अच्छा BJP को वोट दें: TMC ने कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी का एक वीडियो शेयर किया। इसमें वे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद की एक रैली में कहते सुनाई दिए कि TMC को वोट देने की बजाय भाजपा को वोट देना अच्छा होगा।

इस पर TMC ने कहा कि अधीर रंजन भाजपा की B टीम हैं। जवाब में कांग्रेस ने कहा कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस कमेटी ने इस वीडियो को लेकर चुनाव आयोग के पास शिकायत दर्ज कराई और आरोपियों पर कानूनी कार्रवाई करने की अपील की।

3. लोकसभा चुनाव से पहले डीपफेक का शिकार हुए आमिर खान: आमिर खान का एक वीडियो वायरल हुआ। इसमें वे एक पार्टी का समर्थन करते हुए दिखाई दे रहे थे। 27 सेकेंड के इस वीडियो में आमिर को कहते दिखाया गया- भारत एक गरीब देश नहीं है। हर नागरिक लखपति है। हर व्यक्ति के पास कम से कम 15 लाख रुपए होने चाहिए।

एक्टर वीडियो में आगे कहते हैं- क्या कहा, आपके 15 लाख रुपए नहीं हैं। तो कहां गए आपके 15 लाख रुपए। जुमले वादों से रहो सावधान, नहीं तो होगा तुम्हारा नुकसान।

इस वीडियो पर आमिर ने कहा था कि वे किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं करते हैं और यह वीडियो डीपफेक है। इस मामले में उन्होंने साइबर सेल में FIR भी दर्ज कराई थी। मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि वीडियो उस वक्त का है, जब आमिर ने अपने शो सत्यमेव जयते के लिए प्रोमो शूट किया था। AI की मदद से आमिर की आवाज में फेरबदल कर दिया गया।


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