₹40 से 800 पहुंचा इस शेयर का भाव, अब स्टॉक स्प्लिट और बोनस इश्यू मिलेंगे एक साथ, एक शेयर के हो जाएंगे 10 शेयर

शेयर मार्केट में एक छोटी कंपनी ने अपने शेयरधारकों को बड़ी सौगात दी है। दरअसल, कूल कैप्स इंडस्ट्रीज ने दो बड़े कॉरपोरेट एक्शन, बोनस शेयर और स्टॉक स्पिल्ट करने की घोषणा कर दी है। इसका फायदा यह होगा कि शेयरधारकों को एक शेयर के बदले 10 स्टॉक मिल जाएंगे।

दरअसल, कूल कैप्स इंडस्ट्रीज ने अपने शेयर की फेस वैल्यू को 10 रुपये से घटाकर 2 रुपये किया, यानी 1:5 के रेशियो में स्टॉक स्प्लिट हुआ, और 1:1 के अनुपात में बोनस शेयर दिया है। ऐसे में निवेशकों को एक बदले 10 शेयर मिल जाएंगे। कंपनी ने इसके लिए रिकॉर्ड डेट का ऐलान भी कर दिया है।

क्या है रिकॉर्ड डेट

कूल कैप्स इंडस्ट्रीज ने बोनस शेयर और स्टॉक स्प्लिट के लिए रिकॉर्ड डेट 4 जुलाई 2025 तय की है, यानी नए निवेशकों के पास इन दोनों लाभ का फायदा उठाने के लिए सिर्फ 4 दिन बाकी है। रिकॉर्ड के दिन (4 जुलाई) को कूल कैप्स इंडस्ट्रीज के शेयर खरीदने पर बोनस शेयर व स्टॉक स्प्लिट का बेनेफिट नहीं मिलेगा।

शेयरों का प्रदर्शन और कंपनी का कारोबार

कूल कैप्स इंडस्ट्रीज के शेयरों ने साल दर साल मल्टीबैगर रिटर्न दिया है। खास बात है कि जनवरी 2022 में इस कंपनी के शेयर 44 रुपये के लेवल पर कारोबार करते थे और आज इसके एक शेयर की कीमत 813 रुपये हो गई है। यह कंपनी बेवरेज पैकेजिंग इंडस्ट्री में काम करती है और बोतलिंग व कैप सॉल्यूशंस प्रदान करती है। इस कंपनी का मार्केट कैप 947 करोड़ रुपये है।


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टाटा, बिरला और महिंद्रा ग्रुप के 3 बड़े शेयर कराएंगे कमाई, 7 दिन के अंदर आ सकती है बड़ी तेजी

टाटा, बिरला और महिंद्रा ग्रुप ये तीनों समूह देश के बड़े औद्योगिक समूह है। इन तीनों ग्रुप की 3 कंपनियों के शेयरों पर देश के दिग्गज ब्रोकरेज हाउस मोतीलाल ओसवाल ने टेक्निकल ट्रेडिंग आइडिया दिया है। इनमें से एक शेयर में खरीदी की राय दी है जबकि दो अन्य शेयरों पर अहम टेक्निकल लेवल सुझाए हैं। खास बात है कि यह टारगेट एक सप्ताह के अंदर देखने को मिल सकते हैं।

दरअसल, मोतीलाल ओसवाल ने एम एंड एम के शेयरों पर एक सप्ताह के नजरिये से खरीदी की राय दी है, जबकि टाइटन और और बिरला सॉफ्ट पर टेक्निकल व्यू दिया है।

Titan Share

मोतीलाल ओसवाल ने अपनी रिपोर्ट में टाइटन के शेयरों पर टेक्निकल व्यू देते हुए बताया कि टाटा ग्रुप के इस शेयर ने ट्रेंडलाइन पर ब्रेकआउट दिया है, और लगातार इसमें वॉल्युम बढ़ रहा है। फिलहाल, शेयर का मौजूदा भाव 3673 है और 3550 रुपये के सपोर्ट के साथ इसमें ट्रेड प्लान किया जा सकता है।

Birlasoft Share

बिरला सॉफ्ट के शेयरों में स्ट्रान्ग बुलिश कैंडल के साथ ट्राइंगल ब्रेकआउट आया है और वॉल्युम में भी बढ़ोतरी दिख रही है। इस शेयर का भाव 437 रुपये है और 420 पर स्ट्रॉन्ग सपोर्ट है। इन लेवल को ध्यान में रखते ट्रे़ड प्लान किया जा सकता है।M&M Share टारगेट प्राइस

मोतीलाल ओसवाल ने टेक्निकल ट्रेडिंग आइडिया के तौर पर देश की दिग्गज ऑटो कंपनी एम एंड एम के शेयरों में 3484 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदी की राय दी है। फिलहाल, शेयर का मौजूदा भाव 3213 रुपये है और 3070 के स्टॉपलॉस के साथ इसमें 3484 रुपये के टारगेट के साथ खरीदी की जा सकती है।

M&M Share टारगेट प्राइस

मोतीलाल ओसवाल ने टेक्निकल ट्रेडिंग आइडिया के तौर पर देश की दिग्गज ऑटो कंपनी एम एंड एम के शेयरों में 3484 रुपये के टारगेट प्राइस के साथ खरीदी की राय दी है। फिलहाल, शेयर का मौजूदा भाव 3213 रुपये है और 3070 के स्टॉपलॉस के साथ इसमें 3484 रुपये के टारगेट के साथ खरीदी की जा सकती है।


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TCS की नई पॉलिसी, एम्प्लॉई ज्यादा प्रोडक्टिव बनेंगे

भारत की सबसे बड़ी IT कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज ने अपने कर्मचारियों के लिए एक नया नियम लाया है। अब साल में सिर्फ 35 दिन बेंच पर रह सकते है और बाकी 225 दिन क्लाइंट प्रोजेक्ट्स पर काम करना होगा। ये नियम 12 जून 2025 से लागू हो चुका है।

आखिर ये पॉलिसी है क्या? कर्मचारियों पर इसका क्या असर होगा? और ये सख्ती क्यों की गई है? सवाल-जवाब में समझते हैं...

सवाल 1: ये TCS की नई बेंच पॉलिसी क्या है?

जवाब: अब हर कर्मचारी को साल में कम से कम 225 दिन बिलेबल प्रोजेक्ट्स पर काम करना होगा। बिलेबल दिन यानी वो दिन जब कर्मचारी किसी क्लाइंट प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हो और कंपनी के लिए रेवेन्यू जनरेट कर रहा हो। वहीं बेंच पर सिर्फ 35 दिन तक रह सकते हैं।

पहले TCS में कर्मचारी 6 महीने तक बेंच पर रह सकते थे। IT इंडस्ट्री में जब कोई कर्मचारी किसी क्लाइंट प्रोजेक्ट पर काम नहीं कर रहा होता, तो उसे "बेंच" पर माना जाता है। बेंच पर रहते हुए, कर्मचारियों को हर दिन 4 से 6 घंटे सीखने में लगाने होंगे। इसके लिए TCS के अपने प्लेटफॉर्म्स जैसे iEvolve, Fresco Play, और VLS यूज करने होंगे।

सारे जरूरी ट्रेनिंग प्रोग्राम पूरे करने होंगे, जो इन-पर्सन सेशन्स होंगे उनमें जाना होगा, और स्किल्स को रेगुलर अपडेट करना होगा। साथ ही, TCS के Gen AI इंटरव्यू कोच को यूज करना होगा, इंटरव्यू फीडबैक पर काम करना होगा, और ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में फुल अटेंडेंस देनी होगी।

सवाल 2: अगर कोई 35 दिन से ज्यादा बेंच पर रहा तो क्या होगा?

जवाब: अगर कोई कर्मचारी 225 दिन से कम बिलेबल रहा या 35 दिन से ज्यादा बेंच पर रहा, तो उसकी सैलरी, प्रमोशन, विदेश में प्रोजेक्ट मिलने की संभावना, और यहां तक कि नौकरी भी खतरे में पड़ सकती है। TCS ने साफ कहा है कि लंबे समय तक बेंच पर रहने से "उचित मैनेजमेंट एक्शन" लिया जाएगा। 225 दिन बिलेबल रहना जरूरी है।

सवाल 3: क्या ऑफिस आना जरूरी है?

जवाब: हां। TCS ने वर्क-फ्रॉम-होम को और सख्त कर दिया है। बेंच पर रहने वाले कर्मचारियों को ऑफिस आना अनिवार्य है। वर्क-फ्रॉम-होम सिर्फ इमरजेंसी में और रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप (RMG) की मंजूरी के बाद मिलेगा। पहले की तरह फ्लेक्सिबल टाइमिंग या छूट अब नहीं चलेगी।

RMG यानी रिसोर्स मैनेजमेंट ग्रुप, जो TCS में कर्मचारियों को प्रोजेक्ट्स असाइन करता है। ये ग्रुप अब 35 दिन के अंदर कर्मचारियों को प्रोजेक्ट ढूंढने में मदद करेगा। पहले RMG को इतनी सख्ती नहीं थी, लेकिन अब वो तेजी से काम करेंगे ताकि कर्मचारी ज्यादा टाइम बेंच पर न रहें।

सवाल 4: शॉर्ट-टर्म प्रोजेक्ट्स में भी कोई बदलाव है?

जवाब: TCS ने शॉर्ट-टर्म प्रोजेक्ट्स (कुछ महीनों के) को भी डिस्करेज किया है। बार-बार छोटे प्रोजेक्ट्स लेने से कर्मचारी की परफॉर्मेंस और अप्रेजल पर असर पड़ सकता है। कंपनी चाहती है कि कर्मचारी लंबे और स्टेबल प्रोजेक्ट्स पर काम करें। अगर कोई बार-बार बेंच पर जाता है, तो HR इसकी जांच कर सकता है और डिसिप्लिनरी एक्शन भी ले सकता है।

सवाल 5: ये पॉलिसी क्यों लाई गई है?

जवाब: TCS ने अपनी वर्कफोर्स को और प्रोडक्टिव बनाने के लिए इस पॉलिसी को लॉन्च किया है। IT इंडस्ट्री में तगड़ा कॉम्पिटिशन है। AI और ऑटोमेशन की वजह से प्रोजेक्ट्स की डिमांड बदल रही है। TCS चाहता है कि उसकी वर्कफोर्स हमेशा प्रोजेक्ट-रेडी रहे।

साथ ही, बेंच पर ज्यादा टाइम बर्बाद होने से कंपनी की कॉस्ट बढ़ती है। ये पॉलिसी कर्मचारियों को प्रोडक्टिव रखने और कंपनी को एफिशिएंट बनाने के लिए है।

सवाल 6: कर्मचारियों पर इसका क्या असर होगा?

जवाब: इसका पॉजिटव और निगेटिव दोनों तरह का असर होगा…

पॉजिटिव: जो कर्मचारी मेहनत करते हैं, उनके लिए अपस्किलिंग और प्रोजेक्ट्स के मौके बढ़ेंगे। स्किल्स अपडेट होने से करियर ग्रोथ में फायदा हो सकता है।

निगेटिव: जो लोग बार-बार बेंच पर रहते हैं, उनकी सैलरी, प्रमोशन, और नौकरी पर रिस्क बढ़ेगा। खासकर नए या कम डिमांड वाले स्किल्स के कर्मचारियों के लिए मुश्किल है।

सवाल 7: क्या दूसरी IT कंपनियां भी ऐसा कर रही हैं?

जवाब: दूसरी कंपनियों ने अभी ऐसा नहीं किया है, लेकिन बदलते ट्रेंड के साथ जल्द ही दूसरी कंपनियां भी इस पॉलिसी को ला सकती है। इन्फोसिस, विप्रो, HCL जैसी कंपनियों में भी बेंच टाइम आमतौर पर 35-45 दिन होता है। TCS की पॉलिसी दूसरों के लिए भी एक बेंचमार्क बन सकती है। इंडस्ट्री में AI और कॉस्ट प्रेशर की वजह से कंपनियां अब लीनर और प्रोजेक्ट-स्पेसिफिक हायरिंग पर फोकस कर रही हैं।

सवाल 8: इस पॉलिसी का IT इंडस्ट्री पर क्या असर होगा?

जवाब: ये पॉलिसी IT इंडस्ट्री को और कॉम्पिटिटिव बना सकती है। कर्मचारियों पर प्रेशर बढ़ेगा कि वो लगातार स्किल्स अपडेट करें और प्रोजेक्ट्स पर रहें। जिनके पास डिमांडिंग स्किल्स नहीं हैं उनके लिए जॉब सिक्योरिटी कम हो सकती है। साथ ही, दूसरी कंपनियां भी ऐसी सख्त पॉलिसी ला सकती हैं। लॉन्ग टर्म में, ये इंडस्ट्री को और प्रोडक्टिव और AI-रेडी बना सकता है।

1968 में हुई थी TCS की स्थापना

टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) भारत की मल्टीनेशनल इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) कंपनी है। यह टाटा ग्रुप की एक सहायक कंपनी है। TCS की स्थापना 1968 में 'टाटा कंप्यूटर सिस्टम्स' के रूप में हुई थी। 25 अगस्त 2004 को TCS पब्लिक लिस्टेड कंपनी बनी।

2005 में इन्फॉरमेटिक्स मार्केट में जाने वाली यह भारत की पहली कंपनी बनी। अप्रैल 2018 में 100 अरब डॉलर मार्केट कैपिटलाइजेशन वाली देश की पहली IT कंपनी बनी। कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप 14.17 लाख करोड़ रुपए है। यह 46 देशों में 149 लोकेशन पर काम करती है।


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शुभांशु शुक्ला के ISS में जाने की तारीख तय, ISRO ने बताया कब लॉन्च होगा Ax-04 मिशन

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने Ax-04 मिशन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था। हालांकि अब इस मिशन को लेकर अच्छी खबर सामने आई है। इसरो ने Ax-04 मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला को अंतरिक्ष में भेजने की तैयारी कर ली है। शुभांशु शुक्ला 19 जून 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए रवाना होंगे।

Ax-04 मिशन को नासा के केनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया जाएगा। यह मिशन SpaceX, ISRO और Axiom Space का संयुक्त मिशन है। मिशन लॉन्च होने के साथ ही शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष में जाने वाले चुनिंदा भारतीयों की फेहरिस्त में शामिल हो जाएंगे।

Falcon 9 रॉकेट में हुई थी लिक्विड ऑक्सीजन लीकेज

बता दें कि यह मिशन पहले ही लॉन्च होने वाला था। हालांकि Falcon 9 रॉकेट में लिक्विड ऑक्सीजन लीकेज की समस्या देखने को मिली थी, जिसके बाद मिशन को पोस्टपोन कर दिया गया था। हालांकि मिशन की अगली तारीख की घोषणा नहीं हुई थी। वहीं, अब इसरो ने साफ कर दिया है कि शुभांशु शुक्ला 19 जून को अंतरिक्ष में जाएंगे।

19 जून को लॉन्च होगा मिशन

स्पेसएक्स के इंजीनियरों ने Falcon 9 रॉकेट में ऑक्सीजन लीकेज को ठीक कर दिया है। इसरो, स्पेस एक्स और Axiom स्पेस की बैठक में तकनीकि पहलुओं की समीक्षा के बाद इस मिशन को लॉन्च करने के लिए 19 जून की तारीख निर्धारित की गई है।

नासा के साथ शोध में हिस्सा लेंगे शुभांशु

यह मिशन भारत के लिए भी बेहद खास होगा। इस मिशन के दौरान शुभांशु शुक्ला नासा के साथ संयुक्त शोध में हिस्सा लेंगे। साथ ही वो भारत के द्वारा डिजाइन किए गए 7 वैज्ञानिक प्रयोग करेंगे। शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान भारत के गगनयान मिशन में बेहद मददगार साबित हो सकती है।


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सरकार के एक बयान से बुरी तरह गिरा Paytm का शेयर, 10% तक टूटा

पेटीएम के शेयर आज फिर भारी गिरावट के चलते चर्चा में हैं। शुरुआती कारोबार में वन 7 कम्युनिकेशन, पेटीएम की पैरेंट कंपनी का स्टॉक 10 फीसदी तक टूट गया। कंपनी के शेयरों में यह गिरावट सरकार के उस बयान के बाद आई है, जिसमें वित्त मंत्रालय की ओर से यूपीआई ट्रांजेक्शन पर एमडीआर लगाने के बारे में सफाई दी गई।

दरअसल, फाइनेंस मिनिस्ट्री ने उन मीडिया रिपोर्ट्स का खंडन किया, जिनमे यह दावा किया जा रहा था कि 3000 रुपये से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजेक्शन पर MDR (मर्चेंट डिस्काउंट रेट) लगाया जाएगा।

इन रिपोर्ट्स मे कहा गया था सरकार बैंकों और पेमेंट सॉल्युशन प्रोवडर्स को सहायता प्रदान करने के लिए 3,000 रुपए और उससे अधिक मूल्य के लेनदेन पर एमडीआर लागू करने की योजना बना रही है। लेकिन, सरकार ने इस दावे को गलत और भ्रामक बताया।

पिछले साल के बाद सबसे बड़ी गिरावट

पेमेंट एग्रीगेटर पेटीएम की मूल कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस के शेयरों में 10% तक की गिरावट देखी गई। शेयरों में यह गिरावट पिछले साल फरवरी के बाद से स्टॉक में एक दिन में आई सबसे बड़ी गिरावट है।

ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म मॉर्गन स्टेनली के अनुसार, यूपीआई ट्रांजेक्शन पर एमडीआर से जुड़ा डेवलपमेंट, विशेष रूप से पेटीएम के लिए मायने रखता है। पेटीएम के लिए हमारा एडजस्ट EBITDA अनुमान आम सहमति से ऊपर हैं, और यह FY24 के लेवल (2 बेसिस प्वाइंट) पर वापस आ जाएगा।"

ब्रोकरेज ने दिया टारगेट प्राइस

ब्रोकरेज़ फर्म UBS ने वन97 कम्युनिकेशंस, पेटीएम के शेयरों को 'न्यूट्रल' रेटिंग दी है और प्रति शेयर ₹1,000 का टारगेट प्राइस दिया है, साथ ही कहा कि एमडीआर में देरी या इसका न शुरू होना पेटीएम के लिए भावनात्मक रूप से नकारात्मक है। फिलहाल, पेटीएम के शेयर 7.45 फीसदी की गिरावट के साथ 888.90 रुपये पर कारोबार कर रहे हैं।


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13 दिन में 60% रिटर्न, लगातार बढ़े जा रहा रिलायंस पावर के शेयरों का भाव

अनिल धीरू भाई अंबानी ग्रुप की कंपनी रिलायंस पावर के शेयरों में तूफानी तेजी का सिलसिला जारी है। यह शेयर आज फिर 9 फीसदी तक चढ़ गया है। खास बात है कि इस स्टॉक में मई के आखिरी दिनों से बड़ी तेजी देखने को मिल रही है। 23 मई को कंपनी के शेयर 16 फीसदी तक चढ़ गए थे।

इसके बाद 30 मई को फिर से शेयरों में 11 फीसदी की तेजी आई, और अब 9 प्रतिशत और चढ़कर 71.33 रुपये के स्तर पर पहुंच गए हैं। सवाल है कि आखिर अनिल धीरू भाई अंबानी ग्रुप की इस कंपनी में इतनी बड़ी तेजी क्यों आ रही है।

1 महीने में पैसा डबल

रिलायंस पावर के शेयरों ने 9 फीसदी की इस तेजी के साथ ही 52 वीक का नया हाई बना दिया है। खास बात है कि इस शेयर ने एक महीने के अंदर 65 फीसदी का रिटर्न दे दिया है, और पिछले एक साल में 170 फीसदी से ज्यादा रिटर्न डिलीवर किया है।

शेयरों में तेजी की क्या वजह?

रिलायंस पावर के शेयरों में लगातार तेजी की बड़ी वजह कंपनी के मजबूत चौथी तिमाही के नतीजे, सुधरते आर्थिक हालात और पॉजिटिव डेवलपमेंट सेनेरियो है। कंपनी ने Q4FY25 में ₹125.57 करोड़ का कंसोलिटेडेट प्रॉफिट दर्ज किया था, जबकि Q4FY24 में कंपनी को ₹397.56 करोड़ का घाटा हुआ था।

कंपनी की बेहतर बैलेंस शीट और प्रॉफेटिबिलिटी के कारण मार्केट एक्सपर्ट और निवेशक लंबी अवधि के लिए इस स्टॉक के प्रति सकारात्मक नजरिया रख रहे हैं। कंपनी ने पिछले 12 महीनों में 5,338 करोड़ रुपये का कर्ज चुकाया है,जिससे लोन-टू-इक्विटी रेशियो वित्त वर्ष 24 में 1.61:1 से घटकर वित्त वर्ष 25 में 0.88:1 हो गया है, जो कंपनी की आर्थिक स्थिति में अच्छा सुधार दिखाता है।


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लोन सस्ते होंगे, RBI ने ब्याज दर 0.50% घटाई

रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) बैंकों को दिए जाने वाले कर्ज की दर यानी रेपो रेट में 0.50% की कटौती की है। अब रेपो रेट 5.50% रह गया है। इससे बैंकों को RBI से कम ब्याज पर कर्ज मिलेगा।

ब्याज में इस कटौती को बैंक अपने ग्राहकों को ट्रांसफर करते हैं, तो आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं। लोन सस्ते होने पर लोगों की मौजूदा EMI भी घट जाएगी।

ब्याज दरों में कटौती का फैसला मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी की 4 से 6 जून तक चली मीटिंग में लिया गया। RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने आज 6 जून की सुबह इसकी जानकारी दी।

ब्याज में कटौती का असर उदाहरण से समझें

RBI जिस रेट पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। महंगाई कंट्रोल करने के लिए इसे बढ़ाया-घटाया जाता है।

ताजा कटौती के बाद 20 साल के लिए लिए गए ₹20 लाख के लोन पर करीब ₹1.48 लाख का फायदा मिलेगा। इसी तरह ₹30 लाख के लोन पर ₹2.22 लाख का फायदा होगा। नए और मौजूदा ग्राहकों दोनों को इसका फायदा मिलेगा।

इस साल 3 बार घटा रेपो रेट, 1% की कटौती हुई

RBI ने फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5% से घटाकर 6.25% कर दिया था। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की ओर से ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।

दूसरी बार अप्रैल में हुई मीटिंग में भी ब्याज दर 0.25% घटाई गई। अब तीसरी बार दरों में कटौती हुई है। यानी, मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने तीन बार में ब्याज दरें 1% घटाई हैं।

रेपो रेट के घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी

रेपो रेट घटने के बाद बैंक भी हाउसिंग और ऑटो जैसे लोन्स पर ब्याज दरें कम करते हैं। ब्याज दरें कम होने पर हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी। ज्यादा लोग रियल एस्टेट में निवेश कर सकेंगे। इससे रियल एस्टेट सेक्टर को बूस्ट मिलेगा।

CRR घटने से ₹2.5 लाख करोड़ फाइनेंशियल सिस्टम में आएंगे

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में 1% की कटौती करके इसे 4.00% से घटाकर 3.00% करने का फ़ैसला किया है। उन्होंने कहा कि RBI के इस कदम से ₹2.5 लाख करोड़ फाइनेंशियल सिस्टम में आएंगे।

CRR वो पैसा है जो बैंकों को अपने कुल जमा का एक हिस्सा रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) के पास रखना होता है। इससे RBI ये कंट्रोल करता है कि बाजार में कितना पैसा रहेगा। अगर CRR कम होता है, तो बैंकों के पास लोन देने के लिए ज्यादा पैसा बचता है, जैसे इस बार 1% की कटौती से ₹2.5 लाख करोड़ रुपए सिस्टम में आएंगे।

रेपो रेट क्या है, इससे लोन कैसे सस्ता होता है?

RBI जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट कम होने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलता है, तो वो अकसर इसका फायदा ग्राहकों को पास कर देते हैं। यानी, बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।

रिजर्व बैंक रेपो रेट बढ़ाता और घटाता क्यों है?

किसी भी सेंट्रल बैंक के पास पॉलिसी रेट के रूप में महंगाई से लड़ने का एक शक्तिशाली टूल है। जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है, तो सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है।

पॉलिसी रेट ज्यादा होगी तो बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज महंगा होगा। बदले में बैंक अपने ग्राहकों के लिए लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है। मनी फ्लो कम होता है तो डिमांड में कमी आती है और महंगाई घट जाती है।

इसी तरह जब इकोनॉमी बुरे दौर से गुजरती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सेंट्रल बैंक पॉलिसी रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को सेंट्रल बैंक से मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और ग्राहकों को भी सस्ती दर पर लोन मिलता है।

हर दो महीने में होती है RBI की मीटिंग

मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी में 6 सदस्य होते हैं। इनमें से 3 RBI के होते हैं, जबकि बाकी केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किए जाते हैं। RBI की मीटिंग हर दो महीने में होती है।

बीते दिनों रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2025-26 की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठकों का शेड्यूल जारी किया था। इस वित्तीय वर्ष में कुल 6 बैठकें होंगी। पहली बैठक 7-9 अप्रैल को हो रही है।


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अब भारत में बनेगी राफेल फाइटर जेट की मेन बॉडी

राफेल फाइटर जेट की मेन बॉडी (फ्यूजलाज) अब भारत में बनेगी। फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन और भारत की टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) ने हैदराबाद में इसे बनाने का ऐलान किया है। ये पहली बार होगा जब राफेल की मेन बॉडी फ्रांस के बाहर बनेगी।

राफेल की पहली फ्यूजलाज यूनिट 2028 में असेंबली लाइन से बाहर आएगी। इस प्लांट से हर महीने दो पूरी फ्यूजलाज तैयार करने की उम्मीद है। टाटा और डसॉल्ट की ये साझेदारी भारत के रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ाएगी।

डसॉल्ट ने बताया कि ये प्रोजेक्ट भारत और फ्रांस के बीच रक्षा सहयोग का एक बड़ा कदम है। इससे भारत में रक्षा उपकरण बनाने की क्षमता बढ़ेगी और स्थानीय इंजीनियर्स को विश्व स्तरीय तकनीक सीखने का मौका मिलेगा।

राफेल के पुर्जे पहले से ही बनाता है टाटा

टाटा ग्रुप पहले से ही डसॉल्ट के साथ मिलकर राफेल और मिराज 2000 जैसे विमानों के पुर्जे बनाता है। टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के CEO सुकरन सिंह ने कहा, “ये साझेदारी भारत के हवाई जहाज बनाने के सफर में एक बड़ा कदम है।

भारत में राफेल की पूरी मेन बॉडी बनाना दिखाता है कि टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स की काबिलियत पर कितना भरोसा बढ़ रहा है और डसॉल्ट एविएशन के साथ हमारा रिश्ता कितना मजबूत है।

ये इस बात का भी सबूत है कि भारत ने एक आधुनिक और मजबूत एयरोस्पेस मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम तैयार करने में जबरदस्त तरक्की की है, जो दुनिया के बड़े प्लेटफॉर्म्स को सपोर्ट कर सकता है।”

एयरक्राफ्ट फ्यूजलाज क्या होता है?

एयरक्राफ्ट फ्यूजलाज हवाई जहाज का मुख्य ढांचा या शरीर होता है, जो विमान का सबसे बड़ा और अहम हिस्सा है। आसान भाषा में कहें तो ये हवाई जहाज का वो हिस्सा है, जिसमें बाकी सारे हिस्से (जैसे पंख, पूंछ, इंजन) जोड़े जाते हैं। ये विमान को उसका आकार देता है और बाकी हिस्सों को एक साथ जोड़कर रखता है।

सुपरसोनिक फाइटर जेट का फ्यूजलाज पतला और चिकना होता है, ताकि तेज रफ्तार से उड़ते वक्त हवा का रेजिस्टेंस कम हो। वहीं, एक एयरलाइनर यानी, यात्री विमान का फ्यूजलाज ज्यादा चौड़ा होता है, क्योंकि इसमें ज्यादा से ज्यादा यात्रियों को ले जाना होता है।

फाइटर जेट में कॉकपिट फ्यूजलाज के ऊपरी हिस्से पर होता है। हथियार पंखों पर लगे होते हैं, और इंजन व ईंधन फ्यूजलाज के पीछे के हिस्से में रखे जाते हैं। वहीं एयरलाइनर में पायलट फ्यूजलाज के सबसे आगे कॉकपिट में बैठते हैं। यात्री और सामान फ्यूजलाज के पीछे के हिस्से में होते हैं, और ईंधन पंखों में स्टोर किया जाता है।

1929 में स्थापित हुई थी डसॉल्ट एविएशन

डसॉल्ट एविएशन एक फ्रांसीसी कंपनी है, जो रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में काम करती है। इसकी स्थापना 1929 में हुई थी और इसका मुख्यालय सेंट-क्लाउड, फ्रांस में है।

ये कंपनी राफेल और मिराज 2000 जैसे फाइटर जेट्स, फाल्कन बिजनेस जेट्स और ड्रोन बनाती है। डसॉल्ट भारत के साथ 2016 से 36 राफेल जेट्स की डील और 2025 में 26 राफेल मरीन जेट्स की डील के जरिए जुड़ी है।

2007 में बनी थी टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स

टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स लिमिटेड (TASL) टाटा ग्रुप की एक कंपनी है, जो रक्षा, एयरोस्पेस और होमलैंड सिक्योरिटी के क्षेत्र में काम करती है। इसकी स्थापना 2007 में हुई थी।

इसका मुख्यालय मुंबई में है। TASL विमान, हेलिकॉप्टर, ड्रोन, मिसाइल सिस्टम और रक्षा उपकरणों के पुर्जे बनाती है। इसकी सिकोरस्की, बोइंग, लॉकहीड मार्टिन और डसॉल्ट एविएशन जैसी ग्लोबल कंपनियों के साथ साझेदारी है।


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सोने के दाम में आई गिरावट, इतना लुढ़का सोने का भाव

सोमवार के दिन सोने के दाम (Gold Price Today) में हल्की गिरावट देेखी गई है। निवेशकों को आज थोड़ी बहुत राहत मिली है। बीते दिनों सोने की कीमत लगातार बढ़त दर्ज की जा रही थी। एमसीएक्स (Multi Commodity Exchange) में 10 ग्राम सोने के भाव में सुबह 10.09 बजे गिरावट दर्ज की गई है।

Gold Price Today: कितनी है आज सोने की कीमत?

आज 26 मई को सुबह 10.11 बजे 10 ग्राम सोने की कीमत 96,001 रुपये चल रही है। अब तक सोने के भाव ने 95,865 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचकर लो रिकॉर्ड बनाया है। इसके साथ ही 96,101 प्रति 10 ग्राम पहुंचकर अब तक का हाई रिकॉर्ड बनाया है।

Silver Price Today: चांदी के भाव में भी आई गिरावट

26 मई, सोमवार को सोने के दाम के साथ-साथ चांदी की कीमत में भी गिरावट आई है। एमसीएक्स सुबह 10.18 बजे चांदी का भाव 97,878 रुपये प्रति किलो चल रहा है। चांदी ने अब तक 97,877 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंचकर लो रिकॉर्ड बनाया है। इसके साथ ही 98,300 प्रति किलो अब तक का हाई रिकॉर्ड है।

सोने का दाम कितना पहुंच सकता है?

सोने के दाम में आगे गिरावट आएगी या नहीं। इसे लेकर हमने एक्सपर्ट्स से बातचीत की है। चलिए जानते हैं कि उन्होंने इस बारे में क्या कहा?

कमोडिटी एडवायजरी फर्म केडिया कमोडिटीज के निदेशक अजय केडिया कहते हैं, जितने फैक्टर्स अभी तक सोने की कीमतों को सपोर्ट कर रहे थे, वह एक-एक कर समाप्त हो रहे हैं। जैसे अमेरिका और चीन में ट्रेड डील हो गया है। रूस और यूक्रेन अगले हफ्ते डील के लिए मीटिंग करने वाले हैं। ईरान का संकट भी कम हो रहा है।

केडिया ने कहा कि मेरा मानना है कि सोने के उच्चतम स्तर से देखें तो 10-12% का करेक्शन आना चाहिए। जिसका मतलब है 88 हजार से 90 हजार के लेवल पर आ सकता है।


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डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के बाद भी एपल भारत में ही आईफोन बनाएगा

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की धमकी के बाद भी एपल भारत में ही आईफोन बनाएगा। CNN की रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत में आईफोन के प्रोडक्ट्स से कंपनी को काफी फायदा होगा। इसीलिए कंपनी किसी राजनीतिक दबाव में कोई फैसला नहीं लेगी।

मामले से जुड़े एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने बताया कि, उन्हें पूरा विश्वास है कि एपल ट्रम्प प्रशासन के किसी भी दबाव के बावजूद कंपनी मुनाफे को तब्ज्जो देगी। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी भारत में उपलब्ध टेलेंट और यहां बिजनेस के लिए उपलब्ध सुविधाओं पर ज्यादा फोकस कर रही है।

ट्रम्प ने एपल पर 25% टैरिफ लगाने की धमकी दी थी

डोनाल्ड ट्रम्प ने शुक्रवार को कहा था कि अमेरिका में बेचे जाने वाले आईफोन की मैन्युफैक्चरिंग भारत या किसी अन्य देश में नहीं, बल्कि अमेरिका में ही होना चाहिए। उन्होंने एपल के CEO टिम कुक को बता दिया है कि यदि एपल अमेरिका में आईफोन नहीं बनाएगा तो कंपनी पर कम से कम 25% का टैरिफ लगाया जाएगा।

अभी भारत में बन रहे 15% आईफोन

फिलहाल एपल अमेरिका में स्मार्टफोन नहीं बनाती है। इसके ज्यादा तक आईफोन चीन में बनाए जाते हैं, जबकि भारत में अब एपल के कुल उत्पादन का लगभग 15% हिस्सा बनता है, जो सालाना लगभग 40 मिलियन यूनिट है।

वहीं एपल के CEO टिम कुक ने हाल ही दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि अमेरिकी बाजार में बिकने वाले 50% आईफोन भारत में बन रहे हैं। कुक ने कहा कि भारत अप्रैल-जून तिमाही में अमेरिका में बिकने वाले आईफोन्स का कंट्री ऑफ ओरिजिन बन जाएगा। उन्होंने बताया कि एयरपॉड्स, एपल वॉच जैसे अन्य प्रोडक्ट्स भी ज्यादातर वियतनाम में बनाए जा रहे हैं।

एपल का भारत पर इतना ज्यादा फोकस क्यों, 5 पॉइंट्स

सप्लाई चेन डायवर्सिफिकेशन: एपल चीन पर अपनी निर्भरता कम करना चाहता है। जियोपॉलिटिकल टेंशन, ट्रेड डिस्प्यूट और कोविड-19 लॉकडाउन जैसे दिक्कतों से कंपनी को लगा कि किसी एक क्षेत्र में ज्यादा निर्भर रहना ठीक नहीं है। इस लिहाज से एपल के लिए भारत एक कम जोखिम वाला ऑप्शन साबित हो रहा है।

गवर्नमेंट इंसेंटिव: भारत की मेक इन इंडिया इनिशिएटिव और प्रोडक्शन लिंक्ड इनिशिएटिव (PLI) स्कीम्स कंपनियों को लोकल मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने के लिए वित्तीय सहायता देती हैं। इन पॉलिसीज ने फॉक्सकॉन और टाटा जैसे एपल के पार्टनर्स को भारत में ज्यादा निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया है।

बढ़ती बाजार संभावना: भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते स्मार्टफोन मार्केट में से एक है। लोकल प्रोडक्शन से एपल को इस मांग को पूरा करने में ज्यादा मदद मिलती है, साथ ही इसकी बाजार हिस्सेदारी भी बढ़ जाती है, जो फिलहाल लगभग 6-7% है।

एक्सपोर्ट के लिए अवसर: एपल इंडिया में बने अपने 70% आईफोन को एक्सपोर्ट करता है, जिससे चीन की तुलना में भारत के कम इम्पोर्ट टैरिफ का फायदा मिलता है। 2024 में भारत से आइफोन एक्सपोर्ट 12.8 बिलियन डॉलर (करीब ₹1,09,655 करोड़) तक पहुंच गया। आने वाले समय में इसके और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है।

स्किल्ड वर्कफोर्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर: भारत का लेबर फोर्स एक्सपीरियंस के मामले में चीन से पीछे है, लेकिन अभी इसमें काफी सुधार हो रहा है। एपल के फॉक्सकॉन जैसे पार्टनर, प्रोडक्शन की जरूरतों को पूरा करने के लिए कर्मचारियों को ट्रेनिंग दे रहे हैं और कर्नाटक में 2.7 बिलियन डॉलर (₹23,139 करोड़) के प्लांट जैसी फैसिलिटीज का विस्तार कर रहे हैं।

ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बनें

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प नहीं चाहते कि एपल के प्रोडक्ट भारत में बने। पिछले हफ्ते ट्रम्प ने कंपनी के CEO टिम कुक से कहा था कि भारत में फैक्ट्रियां लगाने की जरूरत नहीं है। इंडिया अपना ख्याल खुद रख सकता है।

एपल CEO के साथ हुई इस बातचीत की जानकारी ट्रम्प ने गुरुवार (15 मई) को कतर की राजधानी दोहा में बिजनेस लीडर्स के साथ कार्यक्रम में दी। उन्होंने कहा था कि एपल को अब अमेरिका में प्रोडक्शन बढ़ाना होगा।

इसके बावजूद एपल की सबसे बड़ी कॉन्ट्रैक्ट मैन्युफैक्चरर फॉक्सकॉन ने भारत में 1.49 बिलियन डॉलर (करीब ₹12,700 करोड़) का निवेश किया है। फॉक्सकॉन ने अपने सिंगापुर यूनिट के जरिए बीते 5 दिन में तमिलनाडु के युजहान टेक्नोलॉजी (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड में यह निवेश किया है।



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