एमसीडी की 12 सीटों पर 30 नवंबर को उपचुनाव, 3 दिसंबर को आएंगे नतीजे

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) की 12 वार्डों में होने वाले उपचुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। दिल्ली चुनाव आयोग ने मंगलवार को 12 नगर पार्षदों के रिक्त पदों को भरने के लिए उपचुनाव की अधिसूचना जारी की। आयोग के अनुसार, सभी 12 वार्डों पर 30 नवंबर को मतदान होगा, जबकि 3 दिसंबर को मतगणना की जाएगी और उसी दिन नतीजे घोषित किए जाएंगे।

चुनाव कार्यक्रम के तहत नामांकन प्रक्रिया 3 नवंबर से शुरू होगी। उम्मीदवार 10 नवंबर तक नामांकन दाखिल कर सकेंगे। नामांकन पत्रों की जांच 12 नवंबर को की जाएगी और नाम वापस लेने की अंतिम तिथि 15 नवंबर निर्धारित की गई है। मतदान 30 नवंबर को सुबह 7:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक होगा।

जहां होंगे उपचुनाव:

मुंडका, शालीमार बाग-बी, अशोक विहार, चांदनी चौक, चांदनी महल, द्वारका-बी, दिचाऊं कलां, नारायणा, संगम विहार-ए, दक्षिण पुरी, ग्रेटर कैलाश और विनोद नगर — इन 12 वार्डों में उपचुनाव होंगे।

उल्लेखनीय है कि शालीमार बाग-बी वार्ड पहले भाजपा नेता रेखा गुप्ता के पास था, जो पार्षद रह चुकी हैं। वहीं, द्वारका-बी वार्ड भाजपा की कमलजीत सहरावत के पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से निर्वाचित होने के बाद खाली हुआ था। बाकी वार्ड बीजेपी और आप (AAP) के उन पार्षदों के खाली हुए हैं, जिन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर विधायक पद ग्रहण किया था।


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SIR को लेकर आज चुनाव आयोग की अहम प्रेस कॉन्फ्रेंस

चुनाव आयोग सोमवार शाम 4:15 बजे विशेष इंटेंसिव रिवीजन (SIR) को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगा। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी देशभर में SIR की तारीखों की घोषणा करेंगे।

सूत्रों के मुताबिक, आयोग अगले हफ्ते से पूरे देश में SIR शुरू कर सकता है। इसकी शुरुआत 10 से 15 राज्यों में होगी। सबसे पहले उन राज्यों में यह प्रक्रिया शुरू होगी, जहां अगले एक साल में विधानसभा चुनाव होने हैं — जैसे असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल, जहां मई 2026 में चुनाव प्रस्तावित हैं।

कुछ राज्यों में फिलहाल नहीं होगी SIR प्रक्रिया

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया कि जिन राज्यों में स्थानीय निकाय चुनाव होने वाले हैं, वहां अभी SIR नहीं होगी। इसका कारण यह है कि निचले स्तर पर कर्मचारी इन चुनावों में व्यस्त रहेंगे और SIR के लिए समय नहीं निकाल पाएंगे। ऐसे राज्यों में यह प्रक्रिया स्थानीय चुनावों के बाद शुरू की जाएगी।

राज्य निर्वाचन अधिकारियों के साथ दो दौर की बैठक

SIR लागू करने की रूपरेखा को अंतिम रूप देने के लिए आयोग ने हाल ही में राज्यों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (CEOs) के साथ दो बैठकें की हैं। कई राज्यों ने अपनी पिछली SIR के बाद तैयार की गई वोटर लिस्ट अपनी वेबसाइट्स पर डाल दी है।

उदाहरण के लिए, दिल्ली की CEO वेबसाइट पर 2008 की वोटर लिस्ट उपलब्ध है, जब वहां अंतिम बार SIR हुई थी। उत्तराखंड में 2006 में SIR हुई थी, वहीं बिहार में हाल ही में वोटर वेरिफिकेशन प्रक्रिया पूरी कर फाइनल डेटा 1 अक्टूबर को जारी किया गया।

अंतिम SIR बनेगी कट-ऑफ डेट

राज्यों में होने वाली यह SIR कट-ऑफ डेट के रूप में काम करेगी, जैसे बिहार की 2003 की वोटर लिस्ट को पहले किया गया था। अधिकांश राज्यों में अंतिम बार SIR 2002 से 2004 के बीच हुई थी। दिल्ली और उत्तराखंड में यह क्रमशः 2008 और 2006 में हुई थी।

अधिकांश राज्यों ने अपने मौजूदा मतदाताओं का मिलान पिछली SIR के आंकड़ों से लगभग पूरा कर लिया है। आयोग के अनुसार, इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य मतदाता सूची को अपडेट करना और यह सुनिश्चित करना है कि सूची में केवल वैध भारतीय नागरिकों के नाम हों।

SIR का मुख्य लक्ष्य: विदेशी अवैध मतदाताओं की पहचान

SIR का प्राथमिक उद्देश्य विदेशी अवैध प्रवासियों की पहचान करना है, खासकर बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों की। यह प्रक्रिया मतदाता सूची से फर्जी या दोहरे नाम हटाने में भी मदद करेगी।

चुनाव आयोग का फोकस फिलहाल केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम और पुडुचेरी जैसे राज्यों पर है, जहां अगले डेढ़ साल में चुनाव होने हैं।

दो दशक बाद हो रही इतनी बड़ी समीक्षा

ऐसी व्यापक समीक्षा करीब 20 साल बाद की जा रही है। आयोग के अनुसार, शहरीकरण और जनसंख्या में प्रवासन (migration) बढ़ने से मतदाता सूची के पुनरीक्षण की जरूरत महसूस की गई।

आंकड़ों के अनुसार,

आंध्र प्रदेश में 2003-04 में 5.5 करोड़ मतदाता थे, अब यह संख्या 6.6 करोड़ हो चुकी है।

उत्तर प्रदेश में 2003 में 11.5 करोड़ मतदाता थे, जो अब 15.9 करोड़ हैं।

दिल्ली में 2008 में 1.1 करोड़ मतदाता थे, जो अब 1.5 करोड़ तक पहुंच चुके हैं।

बीएलओ घर-घर पहुंचाएंगे प्री-फिल्ड फॉर्म

बैठक में यह तय हुआ कि बीएलओ (Booth Level Officers) हर मतदाता के घर जाकर प्री-फिल्ड फॉर्म पहुंचाएंगे। इस प्रक्रिया में 31 दिसंबर 2025 तक 18 वर्ष पूरे करने वाले नागरिकों को भी शामिल माना जाएगा।

देशभर में फिलहाल 99 करोड़ 10 लाख मतदाता हैं। इनमें से बिहार के 8 करोड़ मतदाताओं की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। 2002–2004 के SIR में कुल 70 करोड़ मतदाता दर्ज हुए थे। इस बार अनुमान है कि लगभग 21 करोड़ मतदाताओं को अपने दस्तावेज अपडेट कराने होंगे।

बिहार में SIR को लेकर विवाद

बिहार में चुनाव से पहले हुई SIR प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक विवाद हुआ था। विपक्षी दलों ने सरकार पर वोट चोरी का आरोप लगाया था। यह मामला फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, हालांकि अदालत ने अब तक चुनाव आयोग की प्रक्रिया को सही बताया है।

आयोग ने बिहार की अंतिम वोटर लिस्ट सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की है। वहीं, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाए थे।

राहुल गांधी के आरोप और विवाद

18 सितंबर को राहुल गांधी ने एक 31 मिनट का प्रेजेंटेशन दिया था, जिसमें उन्होंने मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार पर “लोकतंत्र को कमजोर करने और वोट चोरी करने वालों को बचाने” का आरोप लगाया।

उन्होंने कर्नाटक की आलंद विधानसभा सीट का उदाहरण देते हुए दावा किया कि कांग्रेस समर्थकों के वोट योजनाबद्ध तरीके से हटाए गए। राहुल ने आरोप लगाया कि जिन मतदाताओं के नाम डिलीट किए गए, उनके लिए दूसरे राज्यों से ऑपरेट हो रहे मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल किया गया।

राहुल ने प्रेजेंटेशन में उन मोबाइल नंबरों और मतदाताओं के नाम भी दिखाए, जिनके नाम मतदाता सूची से हटाए गए थे — जिनमें गोदावाई के 12 पड़ोसियों के नाम भी शामिल थे।


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नवंबर से देश भर में शुरू होगा SIR, राज्य चुनावों से पहले पूरी होगी प्रक्रिया, SC ने दिया था निर्देश

भारत निर्वाचन आयोग ने देशभर में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) यानी मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण की तैयारी पूरी कर ली है। आयोग के अनुसार यह प्रक्रिया नवंबर 2025 से मार्च 2026 तक चलेगी। इसका उद्देश्य आगामी विधानसभा चुनावों से पहले मतदाता सूचियों को पूरी तरह सटीक और अद्यतन बनाना है। इस बार का पुनरीक्षण सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों और सभी विधिक मानकों का पालन करते हुए किया जाएगा। आयोग का कहना है कि प्रक्रिया का लक्ष्य केवल नए मतदाताओं को जोड़ना नहीं है, बल्कि डुप्लीकेट नामों को हटाना, मृत व्यक्तियों के नाम डिलीट करना और हर पंजीकृत मतदाता की नागरिकता की पुष्टि करना भी शामिल है।

20 साल बाद सबसे बड़ा मतदाता पुनरीक्षण अभियान

निर्वाचन आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि करीब दो दशकों बाद इस पैमाने पर मतदाता सूची का पुनरीक्षण किया जा रहा है। पिछले विशेष पुनरीक्षण (2002–2004) के दौरान देश में लगभग 70 करोड़ मतदाता दर्ज थे, जबकि अब यह संख्या बढ़कर लगभग 99.10 करोड़ हो गई है। इस बार लगभग 21 करोड़ मतदाताओं को अपने दस्तावेजों का सत्यापन कराना होगा।

किन राज्यों पर रहेगा विशेष ध्यान

2026 में केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, असम और पुडुचेरी में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसलिए आयोग ने इन राज्यों को प्राथमिकता दी है। राज्य निर्वाचन अधिकारियों को मार्च 2026 तक प्रक्रिया पूरी करने और अंतिम सूची प्रकाशित करने के निर्देश दिए गए हैं।

आधार कार्ड को मिला वैकल्पिक दर्जा

इस बार की प्रक्रिया में आधार कार्ड को 12वें दस्तावेज़ के रूप में शामिल किया गया है। इसका उद्देश्य मतदाता की पहचान और पते की पुष्टि को आसान बनाना है। हालांकि आयोग ने स्पष्ट किया है कि आधार अनिवार्य नहीं, बल्कि एक वैकल्पिक सत्यापन दस्तावेज़ रहेगा।

मतदाता सूची सुधार की नई व्यवस्था

निर्वाचन आयोग ने प्रत्येक ब्लॉक लेवल ऑफिसर (BLO) को मतदाताओं के घर-घर जाकर प्री-फिल्ड फॉर्म देने के निर्देश दिए हैं।

इस दौरान—

हर मतदाता के नाम, पते और आयु की पुष्टि की जाएगी।

31 दिसंबर 2025 तक 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के सभी नागरिकों को सूची में शामिल करने का लक्ष्य है।

शहरी क्षेत्रों में मोबाइल ऐप और ऑनलाइन पंजीकरण की सुविधा दी जाएगी।

राज्यों में मतदाता संख्या में वृद्धि

ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में मतदाताओं की संख्या 11.5 करोड़ से बढ़कर 15.9 करोड़, आंध्र प्रदेश में 5.5 करोड़ से 6.6 करोड़, और दिल्ली में 1.1 करोड़ से 1.5 करोड़ हो गई है। अब तक लगभग 8 करोड़ मतदाताओं का पुनरीक्षण पूरा हो चुका है।

सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में प्रक्रिया

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया था कि मतदाता सूची की शुद्धता और नागरिकता सत्यापन में कोई लापरवाही न हो। इसी के तहत इस बार डेटा क्रॉस-वेरिफिकेशन, बायोमेट्रिक मिलान और स्थानीय जांच के ज़रिए मतदाता सूचियों की दोबारा पुष्टि की जाएगी।


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DU की पहली सूची जारी, बिहार चुनाव के लिए 57 उम्मीदवारों के नामों का ऐलान

जेडीयू ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर दी है। बुधवार को पार्टी ने 57 नामों का ऐलान करते हुए चुनावी रणभेरी बजा दी। इस लिस्ट में कई पुराने चेहरों के साथ कुछ नए उम्मीदवारों को भी मौका दिया गया है। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, उम्मीदवारों का चयन जीत की संभावनाओं और क्षेत्रीय समीकरणों को ध्यान में रखकर किया गया है।

लिस्ट में मधेपुरा से कविता साहा, बहादुरपुर से मदन सहनी, समस्तीपुर से अश्वमेघ देवी, नालंदा से श्रवण कुमार और मोकामा से अनंत सिंह जैसे चर्चित नाम शामिल हैं। वहीं, जीरादेई से भीषम कुशवाहा और फलवारी से श्याम रजक को टिकट दिया गया है।

जेडीयू अध्यक्ष ने कहा कि यह सिर्फ पहली सूची है, बाकी सीटों के लिए उम्मीदवारों के नाम पर चर्चा चल रही है और दूसरी लिस्ट जल्द जारी की जाएगी। उन्होंने भरोसा जताया कि इस बार जनता फिर से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में जेडीयू को भारी बहुमत से जिताएगी।




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DUSU चुनाव: ABVP उम्मीदवार आर्यन मान राष्ट्रपति पद पर आगे

DUSU चुनाव: काउंटिंग जारी, ABVP के कैंडिडेट्स आगे

दिल्ली यूनिवर्सिटी स्टूडेंट्स यूनियन (DUSU) चुनाव की वोट काउंटिंग जारी है। 8 राउंड की काउंटिंग के बाद प्रेसिडेंट, सचिव और जॉइंट सेक्रेटरी पद पर ABVP के उम्मीदवार आगे चल रहे हैं। वहीं वाइस-प्रेसिडेंट पद पर NSUI के राहुल झांसला ने आखिरी राउंड की काउंटिंग में मामूली बढ़त बनाई है।

सुबह से ही प्रेसिडेंट पद के लिए ABVP के आर्यन मान आगे चल रहे हैं। शुरुआती 4 राउंड के बाद वाइस-प्रेसिडेंट, सचिव और जॉइंट सेक्रेटरी पद पर भी ABVP के प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए थे। कुल 20 राउंड की काउंटिंग के बाद अंतिम नतीजे घोषित होंगे।

कैंडिडेट्स की लिस्ट और पिछला रिकॉर्ड

इस बार प्रेसिडेंट पद के लिए ABVP से आर्यन मान, NSUI से जोशलिन नंदिता चौधरी और लेफ्ट यूनियन से अंजलि मैदान में हैं। कुल 21 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।

पिछले साल यानी 2024 में NSUI के रौनक खत्री ने प्रेसिडेंट पद जीता था। हालांकि पिछले पांच चुनावों में चार बार प्रेसिडेंट पद पर ABVP ने कब्जा किया है। वाइस-प्रेसिडेंट, सेक्रेटरी और जॉइंट सेक्रेटरी पदों पर भी पांच में से तीन बार ABVP ने जीत हासिल की है।

इस बार प्रचार में बदलाव

इस साल यूनिवर्सिटी ने प्रचार के नियमों में बदलाव किया। अब केवल हाथ से बने पोस्टर ही इस्तेमाल किए जा सकते हैं। प्रिंटेड पोस्टर और होर्डिंग पर रोक है। इसके अलावा, दीवारों और सार्वजनिक स्थानों पर पोस्टर लगाने या ग्रैफिटी बनाने की भी अनुमति नहीं है।

दरअसल, साल 2024 में छपे हुए पोस्टरों से कैंपस गंदा हो गया था, जिसके चलते दिल्ली हाईकोर्ट ने चुनाव नतीजों पर रोक लगा दी थी। सफाई अभियान के बाद ही नतीजे घोषित किए गए थे।

वोटिंग के दौरान बवाल

18 सितंबर को वोटिंग के दौरान किरोड़ीमल कॉलेज में ABVP और NSUI कार्यकर्ताओं के बीच झगड़ा हो गया। ABVP का आरोप है कि DUSU अध्यक्ष रौनक खत्री बाहरी लोगों के साथ कैंपस में घुसे और एक छात्रा से मारपीट की।

दूसरी ओर NSUI ने आरोप लगाया कि ABVP चुनाव में धांधली कर रही है। NSUI प्रत्याशी जोशलिन नंदिता चौधरी ने आरोप लगाया कि सभी EVM पर ABVP अध्यक्ष पद के प्रत्याशी आर्यन मान के नाम के आगे पहले से ही स्याही लगी हुई थी।

छात्रा का आरोप

एक छात्रा ने आरोप लगाया कि रौनक खत्री और उनके साथ आए लोग कॉलेज में घुसे। जब उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने धक्का मारकर गिरा दिया और पैरों से मारते हुए निकल गए। छात्रा का कहना है कि इस दौरान उनकी साथी छात्राओं से भी धक्कामुक्की की गई।


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दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव 2025 के लिए आज मतदान

दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ (डूसू) चुनाव के लिए गुरुवार (18 सितंबर 2025) को मतदान हो रहा है। 52 कॉलेजों के छात्र-छात्राएं सेंट्रल पैनल और कॉलेज काउंसलर के लिए वोट डाल रहे हैं। चार पदों पर कुल 21 उम्मीदवार मैदान में हैं।

वोटिंग के दौरान सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए गए हैं। हर जगह पुलिस तैनात है और छात्रों को आईडी कार्ड दिखाने के बाद ही प्रवेश दिया जा रहा है। हाईकोर्ट के आदेशों के चलते इस बार चुनाव में सख्ती भी ज्यादा है। हालांकि कई जगह छात्रों में उत्साह कम नज़र आया। श्याम लाल कॉलेज में बूथ खाली पड़े रहे, वहीं गेट पर मोबाइल ले जाने की मनाही से छात्र-छात्राएं परेशान भी दिखे।

दिल्ली यूनिवर्सिटी में हालात नेपाल के मौजूदा हालात से भी प्रभावित दिखाई दिए। कई छात्र भ्रष्टाचार खत्म करने की मांग को लेकर वोट डाल रहे हैं। नॉर्थ कैंपस की आर्ट फैकल्टी में केवल लॉ सेंटर के छात्रों को वोटिंग की अनुमति दी गई है। वहीं मिरांडा हाउस और रामलाल आनंद कॉलेज में छात्र-छात्राएं कतारों में खड़े होकर मतदान कर रहे हैं।

सुबह 8:30 बजे से शुरू हुई वोटिंग शाम 7:30 बजे तक चलेगी। सेंट्रल पैनल के लिए ईवीएम और कॉलेज काउंसलर पद के लिए बैलेट पेपर का इस्तेमाल हो रहा है। इस बार 2.75 लाख छात्रों के वोट डालने की संभावना है, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है। इसके लिए 52 कॉलेजों में ईवीएम के 195 और बैलेट पेपर के 780 बूथ बनाए गए हैं। हर 1000 छात्रों पर एक ईवीएम लगाई गई है। मतगणना 19 सितंबर को होगी।


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उपराष्ट्रपति चुनाव की तारीख जारी, 9 सितंबर को होगा मतदान

चुनाव आयोग ने उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए शेड्यूल जारी कर दिया है। नॉटिफिकेशन के मुताबिक, 21 अगस्त को उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन की आखिरी तारीख है। 9 सितंबर को इस पद के लिए वोट डाले जाएंगे और इसके बाद देश को नया उपराष्ट्रपति मिलेगा।

अगर विपक्ष इस चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा नहीं करेगा, तो उपराष्ट्रपति निर्विरोध चुन लिया जाएगा। उपराष्ट्रपति के चुनाव में वोटिंग गुप्त होती है। ऐसे में क्रॉस वोटिंग की संभावना भी रहती है। चुनाव आयोग की तरफ से शेड्यूल जारी होने के बाद सियासी सरगर्मी तेज हो गई है।

ये है चुनाव का शेड्यूल

चुनाव आयोग द्वारा जारी शेड्यूल के मुताबिक, 7 अगस्त को इलेक्शन कमीशन उपराष्ट्रपति चुनाव के संबंध में नॉटिफिकेशन जारी करेगा। पद के लिए नॉमिनेशन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अगस्त तय की गई है। इसके बाद 22 अगस्त को सभी दाखिल नॉमिनेशन की स्क्रूटनी की जाएगी।

25 अगस्त को कैंडिडेट द्वारा नामांकन वापस लेने की अंतिम तारीख है। 9 सितंबर को संसद सदस्य उम्मीदवार के लिए मतदान करेंगे। मतदान का समय सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक रखा गया है। इस चुनाव में राज्यसभा के 233 इलेक्टेड, 12 नॉमिनेटेड और लोकसभा के 543 सदस्य हिस्सा लेंगे।


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बिहार के बाद अब पूरे देश में SIR कराने जा रहा चुनाव आयोग

चुनाव आयोग ने बिहार के बाद अब पूरे देश की वोटर लिस्ट का विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कराने की बात सामने रखी है।

मतदाता सूचियों के SIR पर अपने 24 जून के आदेश में चुनाव आयोग ने कहा, "आयोग ने वोटर लिस्ट की अखंडता की रक्षा के लिए अपने संवैधानिक जनादेश के लिए अब पूरे देश में विशेष गहन पुनरीक्षण शुरू करने का निर्णय लिया है। देश के बाकी हिस्सों में SIR के लिए शेड्यूल यथासमय जारी किया जाएगा।"

क्या है Special Intensive Revision?

चुनाव आयोग का कहना है कि वोटर लिस्ट को पारदर्शी बनाने के लिए समय-समय पर उसका पुनरीक्षण करना जरूरी होता है। अयोग्य व्यक्तियों को हटाकर चुनाव की शुचिता को बढ़ाता है। 

आयोग ने बीते दिन SIR पर हो रहे विरोध पर जवाब देते हुए इसका महत्व समझाया था। आयोग ने कहा था, आयोग ने कहा, "भारत का संविधान भारतीय लोकतंत्र की जननी है....तो क्या इन बातों से डरकर, निर्वाचन आयोग को कुछ लोगों के बहकावे में आकर, संविधान के खिलाफ जाकर, पहले बिहार में, फिर पूरे देश में, मृतक मतदाताओं, स्थायी रूप से पलायन कर चुके मतदाताओं, दो स्थानों पर वोट दर्ज कराने वाले मतदाताओं, फर्जी मतदाताओं या विदेशी मतदाताओं के नाम पर फर्जी वोट डालने का रास्ता बनाना चाहिए?"


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नए उपराष्ट्रपति के लिए थावरचंद गहलोत, ओम माथुर का नाम

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के इस्तीफा देने के 3 दिनों के भीतर निर्वाचन आयोग ने इस पद के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुरुआत कर दी है। चुनाव की तारीखें जल्द घोषित की जाएंगी।

इस बीच, भाजपा इस पद के लिए अपनी विचारधारा के प्रति समर्पित कार्यकर्ता को उम्मीदवार बना सकती है। फिलहाल जिन नामों पर पार्टी में विचार चल रहा है, उनमें कर्नाटक के राज्यपाल थावरचंद गहलोत सबसे प्रबल दावेदार माने जा रहे हैं। अन्य नाम सिक्किम के राज्यपाल ओम माथुर का भी है।

आयोग ने इस पद के लिए निर्वाचक मंडल, रिटर्निंग ऑफिसर और अन्य जरूरी चीजों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है। आयोग की तैयारियों के बीच भाजपा की कोशिश होगी कि इस पद का उम्मीदवार किसी अन्य सहयोगी को बनाने की जगह अपने उम्मीदवार का नाम तय कर उसके नाम पर सहयोगी दलों को राजी करे।

दरअसल, जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई की रात अचानक देश के 14वें उपराष्ट्रपति के पद से इस्तीफा दे दिया था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को धनखड़ का इस्तीफा मंजूर कर लिया था। 74 साल के धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था।

गहलोत जातीय समीकरण में भी फिट

थावरचंद गहलोत अभी कर्नाटक के राज्यपाल हैं। 77 वर्षीय गहलोत राज्यसभा में सदन के नेता रह चुके हैं साथ ही केंद्रीय मंत्री का पद भी संभाल चुके हैं। भाजपा में वे सर्वोच्च नीति निर्धारक इकाई पार्लियामेंट्री बोर्ड के सदस्य भी रहे हैं। जातीय समीकरण (दलित) में भी वे फिट बैठते हैं। वह मध्य प्रदेश से हैं। उनके पास प्रशासनिक अनुभव भी है।

माथुर मोदी-शाह के करीबी

ओम माथुर अभी सिक्किम के राज्यपाल हैं। 73 वर्षीय माथुर पार्टी के कद्दावर नेता हैं और राजस्थान से आते हैं। वे गुजरात के चुनाव प्रभारी तब रहे हैं, जब पीएम मोदी वहां के मुख्यमंत्री थे। वे मोदी के साथ ही केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के भी करीबी माने जाते हैं। माथुर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में प्रचारक रह चुके हैं।

भाजपा के नाम पर सहमति नहीं तो उप सभापति हरिवंश का नाम

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है कि निर्वाचन आयोग की तरफ से उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की तारीख घोषित होते ही इस पद के लिए एनडीए प्रत्याशी के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। यदि भाजपा के किसी प्रत्याशी के नाम पर एनडीए में सहमति बनाने में समस्या आई तो मौजूदा उप सभापति हरिवंश भी इस पद के उम्मीदवार बनाए जा सकते हैं।

विपक्ष उतारेगा मजबूत प्रत्याशी

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता का कहना है, प्रत्याशी का चयन ठोक बजाकर ही किया जाएगा, क्योंकि विपक्ष से भी कोई मजबूत प्रत्याशी उतारे जाने की पूरी संभावना है। ऐसे में NDA इस पद के लिए प्रत्याशियों के कद, अनुभव व जातीय समीकरण को प्राथमिकता देगी।

6 स्टेप में चुन जाते हैं उपराष्ट्रपति...

स्टेप-1 : निर्वाचक मंडल का गठन करना

उपराष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल करता है, जिसमें लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित और नामित सदस्य शामिल होते हैं।

स्टेप-2: चुनाव की अधिसूचना जारी होना

निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना में नामांकन, मतदान और परिणाम की तारीखें होती हैं।

स्टेप-3: नामांकन प्रक्रिया

उम्मीदवार को कम से कम 20 सांसदों द्वारा प्रस्तावक और 20 सांसदों द्वारा समर्थक के रूप में हस्ताक्षर के साथ नामांकन पत्र दाखिल करना होता है।

स्टेप-4 : सांसदों के बीच प्रचार होता है

केवल सांसद मतदाता होते हैं। इसलिए यह प्रचार सीमित दायरे में होता है। उम्मीदवार और उनके समर्थक दल प्रचार में शामिल होते हैं।

स्टेप-5: मतदान की प्रक्रिया शुरू होगी

हर सांसद मतपत्र पर प्रत्याशियों को प्राथमिकता के क्रम में (1, 2, 3...) अंकित करता है।

स्टेप-6: मतों की गिनती और परिणाम

जीत के लिए कुल वैध मतों का साधारण बहुमत (50% से अधिक) प्राप्त करना होता है। रिटर्निंग ऑफिसर नतीजे की घोषणा करते हैं।


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बिहार से बाहर रहने वाले मतदाता भी भरेंगे गणना फॉर्म, नहीं तो वोटर लिस्ट से कट जाएगा नाम

मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण अभियान जोरों पर है। हर मतदाता अपने-अपने गणना प्रपत्र भरने के लिए आवश्यक कागजात जुटाने में लगे हैं। निर्वाचन कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, घर पर रहने वाले मतदाताओं के साथ बिहार से बाहर रहने वाले मतदाताओं को पुनरीक्षण फॉर्म भरना पड़ेगा।

सभी को समय सीमा के अंदर 26 जुलाई तक मतदाता विशेष पुनरीक्षण अभियान के तहत गणना प्रपत्र भरना अनिवार्य है। समय सीमा के भीतर विशेष पुनरीक्षण नहीं कराने वाले मतदाताओं का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा। उन्हें फिर नए सिरे से मतदाता सूची में नाम दर्ज कराने के लिए प्रपत्र छह भरना होगा।

बीडीओ सह सहायक निर्वाचन पदाधिकारी परवेज आलम ने बताया कि प्रत्येक मतदाता को अपना विशेष गहन पुनरीक्षण कराना आवश्यक है। समय सीमा के अंदर प्रक्रिया के तहत पुनरीक्षण कराना आवश्यक है।

इधर, बूथ लेवल ऑफिसर ने बताया कि जो मतदाता राज्य में मौजूद हैं, उनके घर-घर जाकर बीएलओ फॉर्म भरवा रहें हैं। वहीं, जो लोग राज्य से बाहर कहीं भी रहते हो, वे ऑनलाइन ईसीआई एप या वेबसाइट से गणना प्रपत्र डाउनलोड कर 26 जुलाई 2025 तक फॉर्म भर सकते हैं।

हस्ताक्षर और दस्तावेज अपलोड करने के बाद ही उनका नाम मतदाता सूची में बना रहेगा। यदि यह फॉर्म नहीं भरा गया, तो संबंधित व्यक्ति का नाम मतदाता सूची से हटा दिया जाएगा और दोबारा जुड़वाने के लिए फॉर्म छह भरना होगा।

कहा कि 2003 की मतदाता सूची में जिनका नाम है, उन्हें कोई दस्तावेज नहीं देना है। सिर्फ गणना फॉर्म भरना पर्याप्त होगा। अगर माता-पिता का नाम 2003 की सूची में है, तो भी दस्तावेज नहीं लगेगा, बशर्ते परिवार से संबंध स्पष्ट हो।

अधिकारियों की माने तो इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी पात्र नागरिक मतदाता सूची में शामिल हों और कोई भी पात्र मतदाता मतदाता सूची से बाहर न हो। साथ ही कोई भी अपात्र मतदाता इसमें शामिल न हो। मृत, स्थानांतरित, अनुपस्थित मतदाताओं का नाम हटाना भी इसका उद्देश्य है ।

भारत निर्वाचन आयोग के दिशा-निर्देशानुसार अर्हता तिथि एक जुलाई 2025 के आधार पर मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण अभियान, 2025 में 26 जुलाई तक घर-घर सर्वेक्षण किया जाएगा तथा एक अगस्त को मतदाता सूची का प्रारूप प्रकाशन किया जाएगा।

दावा-आपत्ति दाखिल करने की अवधि एक अगस्त से एक सितंबर तक निर्धारित की गई है। मतदाता सूची का अंतिम प्रकाशन 30 सितंबर को किया जाएगा। अंतिम मतदाता सूची की एक प्रति सभी मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय एवं राज्य स्तरीय राजनीतिक दलों के साथ साझा की जाएगी। यह ईसीआई और सीईओ की वेबसाइट पर भी उपलब्ध रहेगी।


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