भारत में 3 कफ सिरप पर WHO की चेतावनी, बच्चों की मौत के मामलों के बाद जांच के आदेश

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने सोमवार को भारत में बनी तीन कफ सिरप को लेकर गंभीर चेतावनी जारी की है। इनमें श्रीसन फार्मास्यूटिकल की कोल्ड्रिफ, रेडनेक्स फार्मास्यूटिकल्स की रेस्पिफ्रेश टीआर और शेप फार्मा की रीलाइफ सिरप की खेप शामिल हैं।

WHO ने कहा कि ये तीनों सिरप स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा कर सकते हैं और इनका सेवन जानलेवा बीमारियों का कारण बन सकता है। संगठन ने दुनियाभर के देशों से अपील की है कि अगर उनके यहां ये सिरप मिल रहे हैं, तो तुरंत WHO को इसकी जानकारी दें।

कोल्ड्रिफ वही सिरप है, जिससे मध्य प्रदेश में सितंबर से अब तक 5 साल से कम उम्र के 25 बच्चों की मौत हो चुकी है। जांच में पाया गया कि इसमें डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) की मात्रा तय सीमा से करीब 500 गुना ज्यादा थी। यह केमिकल किडनी फेलियर का प्रमुख कारण बनता है।

WHO ने 9 अक्टूबर को भारत सरकार से पूछा था कि क्या कोल्ड्रिफ सिरप विदेशों में भी निर्यात किया गया था। इस पर भारत की सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) ने कहा कि फिलहाल अवैध निर्यात या विदेशी आपूर्ति का कोई सबूत नहीं मिला है।

श्रीसन फार्मा का लाइसेंस रद्द, कंपनी हुई बंद

तमिलनाडु के कांचीपुरम स्थित श्रीसन फार्मास्यूटिकल कंपनी को सोमवार को तमिलनाडु ड्रग्स कंट्रोल विभाग ने स्थायी रूप से बंद कर दिया और उसका लाइसेंस रद्द कर दिया। कंपनी के मालिक रंगनाथन गोविंदन (75) को 9 अक्टूबर को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया था। उन्हें 20 अक्टूबर तक पुलिस रिमांड पर भेजा गया है।

जांच में 48% जहरीला केमिकल मिला

मध्य प्रदेश में बच्चों की मौत के बाद जांच में सामने आया कि कोल्ड्रिफ सिरप (बैच नंबर SR-13) में 48.6% w/v डाइएथिलीन ग्लाइकॉल (DEG) मिला हुआ था। यह सिरप “Not of Standard Quality” पाया गया। इसमें एथिलीन ग्लाइकॉल और नॉन-फार्माकॉपिया ग्रेड प्रोपीलीन ग्लाइकॉल का इस्तेमाल किया गया था — जो दोनों ही केमिकल किडनी को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाते हैं।

छोटे शेड में बन रही थी जहरीली दवा

जांच में खुलासा हुआ कि श्रीसन फार्मा महज 2000 वर्ग फीट के लोहे के शेड में सिरप बना रही थी। कंपनी को 2011 में तमिलनाडु फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (TNFDA) से लाइसेंस मिला था।

सरकारी जांच में पाया गया कि यूनिट ने कई राष्ट्रीय दवा सुरक्षा मानकों का उल्लंघन किया था, बावजूद इसके कंपनी एक दशक से अधिक समय तक बिना किसी रोक-टोक के उत्पादन करती रही।

स्वास्थ्य मंत्रालय की चेतावनी – छोटे बच्चों को कफ सिरप न दें

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 3 अक्टूबर को एक देशव्यापी हेल्थ एडवाइजरी जारी करते हुए अपील की कि 2 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह का कफ सिरप न दिया जाए।

मंत्रालय ने कहा कि 5 साल तक के बच्चों में कफ सिरप से साइड इफेक्ट्स का खतरा अधिक होता है, इसलिए बड़े बच्चों को भी ये दवाएं सिर्फ चिकित्सक की सलाह से ही दी जानी चाहिए।

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MP-राजस्थान के बाद अब पंजाब में भी बैन हुआ Coldrief कफ सिरप

मध्य प्रदेश में जहरीले कफ सिरप से 16 बच्चों की दर्दनाक मौत के बाद अब पंजाब सरकार ने भी **Coldrief कफ सिरप** की बिक्री, वितरण और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से **पूर्ण प्रतिबंध** लगा दिया है। यह कदम सिरप की **लैब रिपोर्ट में ‘नॉट ऑफ स्टैंडर्ड क्वालिटी’** घोषित किए जाने के बाद उठाया गया। जांच में पाया गया कि सिरप में **डाइएथिलीन ग्लाइकॉल** नामक जहरीला केमिकल **46.28% w/v** मात्रा में मौजूद है, जो **ब्रेक फ्लूइड और गोंद** में उपयोग होता है और लीवर, किडनी तथा नर्वस सिस्टम** को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है। यह वही रसायन है, जिसने पहले भी कई देशों में सामूहिक विषाक्तता की घटनाओं को जन्म दिया था।

पंजाब फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA)** ने सभी दवा विक्रेताओं, थोक व्यापारियों और मेडिकल स्टोर्स को आदेश जारी करते हुए मौजूदा स्टॉक को तुरंत **सील** करने और रिपोर्ट एफडीए को सौंपने के निर्देश दिए हैं। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर **Drugs and Cosmetics Act** के तहत सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी गई है।

यह सिरप **बैच नंबर SR-13 (Mfg. मई 2025, Exp. अप्रैल 2027)** का है, जिसे **स्रेसन फार्मास्यूटिकल मैन्युफैक्चरर प्राइवेट लिमिटेड**, सुंगुवरचत्रम (जिला कांचीपुरम, तमिलनाडु) द्वारा बनाया गया है। इसमें सामान्य रूप से **पैरासिटामॉल, फेनिलेफ्रिन हाइड्रोक्लोराइड** और **क्लोरफेनिरामाइन मेलिएट** जैसे तत्व होने चाहिए थे, लेकिन **मध्य प्रदेश ड्रग टेस्टिंग लैब** की **4 अक्टूबर** की रिपोर्ट ने इसे **मिलावटी और असुरक्षित** बताया।

छिंदवाड़ा (मध्य प्रदेश)** में अगस्त से शुरू हुई इस त्रासदी में अब तक **16 बच्चों की किडनी फेलियर से मौत** हो चुकी है, जबकि कई अन्य गंभीर रूप से बीमार हैं। इसके बाद **राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, केरल और तमिलनाडु** सहित कई राज्यों ने भी इस सिरप पर प्रतिबंध लगा दिया है।

इसी बीच, **केंद्र सरकार** ने सभी राज्यों को सतर्क करते हुए दो साल से कम उम्र के बच्चों को किसी भी तरह का **कफ सिरप न देने** की सलाह दी है। वहीं, **सीडीएससीओ** ने स्रेसन फार्मा के खिलाफ


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रामपुर में बर्ड फ्लू के बाद प्रशासन अलर्ट, मुर्गी फॉर्म के आसपास का एक KM का एरिया सील

बिलासपुर तहसील क्षेत्र के एक फार्म की मुर्गियों के मरने की जांच में बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद प्रशासन हरकत में आ गया है। प्रशासन ने डीएम के निर्देश पर पोल्ट्री फॉर्मों को सील कर दिया है। वहीं इससे निबटने की कवायद तेज कर दी है। इसके अलावा ग्रामीणों से पोल्ट्री फार्मों के आसपास न जाने की सख्त हिदायत देते हुए गाइडलाइन जारी कर दी है।

मुर्गियों को मारकर उन्हें दबाने की हो रही कार्रवाई

क्षेत्र में बड़ी संख्या में पोल्ट्री फार्म मौजूद हैं। जिनमें बड़ी तादाद में मुर्गी पालन किया जाता है। इसी बीच सप्ताह भर पूर्व तहसील के गांव सिहोर और सिहोरा के निकट एक फॉर्म में मुर्गियों के मरने का क्रम शुरू हो गया। रोजाना बड़ी संख्या में मुर्गियां मरतीं और फॉर्म संचालक उन्हें जंगल में खुले में फेंक दिया करते थे।

मरी हुईं मुर्गियों की दुर्गंध से परेशान ग्रामीण एकत्रित होकर तहसील पहुंचे थे। अधिकारियों को अवगत करवाया। पहले अधिकारी इसे मामूली समझकर टालमटोल करने लगे। मगर जब ग्रामीणों ने इस समस्या को तथ्यों के साथ रखा तो अधिकारी गांव पहुंच गए।

बरेली में स्पष्ट न होने के बाद भोपाल भेजी गई थी नमूनों की जांच

एसडीएम अरुण कुमार और पशु चिकित्सा अधिकारी डा. वेदपाल सिंह ने जेसीबी से गड्ढा खुदवाया था और मरी हुई मुर्गियां को उसमें दबवा दिया था। साथ ही नमूने लेकर जांच को बरेली भेजे गए थे। बरेली में जांच में स्पष्ट न होने के कारण भोपाल भेजा गया था।

देर रात भोपाल से आई रिपोर्ट में मुर्गियों के मरने का कारण बर्ड फ्लू पाया गया। बर्ड फ्लू की पुष्टि होने के बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया। अधिकारी देर रात गांव पहुंच गए और पोल्ट्री को सील कर दिया। साथ ही पोल्ट्री फार्म में मौजूद मुर्गियों को मारकर उन्हें दबाने का क्रम जारी कर दिया।

एक किलोमीटर का एरिया सील

पोल्ट्री फॉर्मों में हजारों की संख्या में मौजूद मुर्गियों को मारकर दबाने का सिलसिला रविवार की देर रात से शुरू होकर सोमवार को भी जारी रहा। इसके अलावा पोल्ट्री फार्म के आसपास एक किलोमीटर के दायरे को सुरक्षा की दृष्टि से बंद कर दिया गया। इसको लेकर पोल्ट्री फार्म संचालक, कर्मचारियों और ग्रामीणों को निर्देशित किया गया। जबकि एडवाइजरी जारी कर इसका सख्ती से पालन कराय जा रहा है।

सोमवार को एसडीएम ने स्वास्थ्य और पशु विभाग के साथ एक बैठक करते हुए इससे निपटने की योजना तैयार की। उधर, प्रशासन ने एडवाइजरी जारी कर ग्रामीणों से सतर्कता बरतने को कहा है।


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फिजिकल हेल्थ- कैसे जानें शरीर स्वस्थ है या नहीं

कम उम्र में अचानक मौत के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अक्सर वीडियो वायरल होते हैं कि कोई क्रिकेट खेल रहा है, डांस कर रहा है और गिरकर अचानक मौत हो गई। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इनमें से ज्यादातर लोग बेहद फिट थे। वे एकदम चुस्त-दुरुस्त दिखते थे। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर ये कैसे पता लगेगा कि कोई कितना स्वस्थ है। फिटनेस का पैमाना क्या होना चाहिए।

सेहतमंद रहने के लिए हमें अपने शरीर के कुछ जरूरी संकेतों पर ध्यान देना बहुत जरूरी है। हम अक्सर सोचते हैं कि अगर वजन ठीक है, तो सबकुछ ठीक है। हालांकि, पूरी सेहत का अंदाजा ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर कोलेस्ट्रॉल और दिल की धड़कन जैसे कई मार्कर्स से लगाया जाता है।

समय-समय पर इन मार्कर्स की जांच करवाते रहें, तो न सिर्फ बीमारी से बच सकते हैं, बल्कि लंबे समय तक फिट और खुश भी रह सकते हैं। इसे ऐसे समझिए कि अगर आप चाहते हैं कि आपकी गाड़ी स्मूदली चलती रहे तो इसकी सर्विस करवाना जरूरी होता है। इसी तरह अपने शरीर की देखभाल भी जरूरी है।

इसलिए ‘फिजिकल हेल्थ’ में आज 11 जरूरी हेल्थ मार्कर्स की बात करेंगे। साथ ही जानेंगे कि-

स्वस्थ्य व्यक्ति का बीपी और शुगर लेवल कितना होता है?

एक मिनट में कितने बार दिल धड़कना चाहिए?

अगर हमारे शरीर के नंबर इनसे मैच नहीं कर रहे तो क्या करें?

1. ब्लड प्रेशर

आइडियल ब्लड प्रेशर 120/80 mm Hg से कम होना चाहिए।

हाई ब्लड प्रेशर हार्ट डिजीज और स्ट्रोक का खतरा बढ़ा सकता है।

80 साल से अधिक उम्र के लोगों के लिए, 140/90 mm Hg तक सामान्य माना जा सकता है, क्योंकि उम्र के साथ धमनियां कठोर हो जाती हैं।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

अगर ब्लड प्रेशर हाई है तो भोजन में नमक कम करें, नियमित एक्सरसाइज करें, स्ट्रेस मैनेज करें और डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लें।

लो ब्लड प्रेशर यानी 90/60 mm Hg से कम है तो पर्याप्त पानी पिएं, डॉक्टर की सलाह से नमक का सेवन बढ़ाएं और अगर चक्कर या कमजोरी हो तो डॉक्टर से कंसल्ट करें।

संतुलित डाइट लें, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों।

रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज करें।

धूम्रपान और शराब से बचें।

नियमित रूप से ब्लड प्रेशर मॉनिटर करें।

2. ब्लड शुगर

स्वस्थ व्यक्ति का A1C लेवल यानी HbA1c 5.7% से कम होना चाहिए।

हाई लेवल प्री-डायबिटीज या डायबिटीज का संकेत हो सकता है।

अगर लेवल 5.7% से 6.4% है तो प्री-डायबिटीज और 6.5% या इससे अधिक होने पर डायबिटीज का संकेत है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

हाई लेवल है तो चीनी और रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट वाली डाइट बिल्कुल न लें, नियमित एक्सरसाइज करें और डॉक्टर की सलाह से दवाइयां लें।

लो लेवल है तो नियमित भोजन करें और अगर डायबिटीज की दवाइयां ले रहे हैं तो डॉक्टर से कंसल्ट करते रहें।

फाइबर से भरपूर चीजें खाएं- साबुत अनाज, फल और सब्जियां खाएं।

वजन नियंत्रित रखें।

3. हीमोग्लोबिन

पुरुषों के लिए इसका आइडियल लेवल 14.0-17.5 g/dL, महिलाओं के लिए 12.3-15.3 g/dL होता है।

इसका लो लेवल एनीमिया का संकेत हो सकता है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

लो लेवल है तो आयरन, विटामिन B12 या फोलिक एसिड से भरपूर डाइट लें। डॉक्टर सप्लिमेंट्स या अन्य ट्रीटमेंट सुझा सकते हैं।

हाई लेवल है तो यह रेयर है, लेकिन धूम्रपान या बहुत ऊंचाई पर रहने से हो सकता है। डॉक्टर से कंसल्ट करें।

4. विटामिन D

स्वस्थ व्यक्ति में विटामिन D का आइडियल लेवल 20 ng/mL से अधिक होना चाहिए और आइडियली 30-50 ng/mL होना चाहिए।

इसकी कमी से हड्डियों में कमजोरी और इम्युनिटी संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

लो लेवल है तो सन लाइट में समय बिताएं, मछली और अंडे जैसी चीजें खाएं और डॉक्टर की सलाह से सप्लीमेंट्स लें।

हाई लेवल है तो अत्यधिक सप्लीमेंट्स से बचें और डॉक्टर से सलाह लें।

5. थायरॉइड-स्टिम्युलेटिंग हॉर्मोन (TSH)

इसका आइडियल लेवल 0.4-4.0 mIU/L होना चाहिए।

असामान्य लेवल थायरॉइड से जुड़ी समस्याओं का संकेत हो सकता है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

हाई लेवल यानी हाइपोथायरॉइडिज्म है तो थायरॉइड हॉर्मोन दवाइयां लेने की जरूरत हो सकती है।

लो लेवल यानी हाइपरथायरॉइडिज्म है तो दवाइयां या अन्य ट्रीटमेंट की जरूरत हो सकती है।

6. कोलेस्ट्रॉल

स्वस्थ व्यक्ति का कुल कोलेस्ट्रॉल 200 mg/dL से कम होना चाहिए, LDL 100 mg/dL से कम होना चाहिए, HDL ≥60 mg/dL या इससे ज्यादा होना चाहिए, ट्राइग्लिसराइड्स <150 mg/dL से कम होना चाहिए।

हाई LDL हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ा सकता है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

हाई LDL है तो सैचुरेटड फैट और ट्रांस फैट कम करें, फाइबर युक्त डाइट लें और एक्सरसाइज करें।

लो HDL है तो हेल्दी फैट, जैसे नट्स, मछली खाएं और नियमित एक्सरसाइज करें।

7. कमर की चौड़ाई

स्वस्थ व्यक्ति के कमर का आकार उसकी लंबाई के आधे से कम होना चाहिए।

कमर की ज्यादा चौड़ाई हार्ट डिजीज और डायबिटीज का खतरा बढ़ा सकती है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

वजन कम करने के लिए संतुलित डाइट लें।

डॉक्टर या डाइटीशियन से सलाह लें।

रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज करें।

8. यूरिक एसिड

यह स्वस्थ पुरुषों के लिए 3.4-7.0 mg/dL, महिलाओं के लिए 2.4-6.0 mg/dL होना चाहिए।

इसका हाई लेवल गाउट और किडनी स्टोन का कारण बन सकता है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

हाई लेवल है तो रेड मीट, शराब और हाई फ्रक्टोज वाली चीजें खाना कम करें।

लो लेवल रेयर है, लेकिन ऐसा हो तो डॉक्टर से सलाह लें।

पर्याप्त पानी पिएं।

नियमित ब्लड चेकअप करवाएं।

9. हार्ट रेट

आइडियल रेस्टिंग हार्ट रेट 60-100 बीट्स प्रति मिनट होनी चाहिए।

बहुत अधिक या कम हार्ट रेट स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत हो सकती है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

हाई हार्ट रेट है तो तनाव या अन्य समस्याओं का संकेत हो सकता है।

लो हार्ट रेट है तो यह एथलीट्स में सामान्य हो सकता है, लेकिन अगर चक्कर आए तो डॉक्टर से सलाह लें।

नियमित एक्सरसाइज करें।

अपनी पल्स की जांच करते रहें।

10. कैल्शियम

इसका आइडियल लेवल 8.5-10.2 mg/dL होना चाहिए।

असामान्य लेवल हड्डियों और मांसपेशियों की समस्याओं का संकेत हो सकता है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

हाई लेवल है तो अत्यधिक सप्लीमेंट्स से बचें और डॉक्टर से सलाह लें।

लो लेवल है तो डेयरी उत्पाद, हरी सब्जियां और सप्लीमेंट्स लें।

11. मेंस्ट्रुअल हेल्थ

आइडियल साइकल 28 दिन का होता है। यह 21-35 दिन का हो सकता है और ब्लीडिंग 3-7 दिन तक हो सकती है।

अनियमित साइकल हॉर्मोनल असंतुलन का संकेत हो सकता है।

अगर लेवल सामान्य न हो तो?

अनियमित साइकल या अत्यधिक दर्द होने पर डॉक्टर से सलाह लें।

हॉर्मोनल ट्रीटमेंट या लाइफस्टाइल में बदलाव की जरूरत हो सकती है।

हेल्दी डाइट लें और नियमित रूप से एक्सरसाइज करें।


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युवाओं में Heart Attack के बढ़ रहे मामले, AIIMS के नए शोध से खुलेंगे राज़

कोविड-19 वैक्सीन को लेकर देशभर में उठ रहे सवालों के बीच एम्स ने स्पष्ट किया है कि अब तक के अध्ययनों में कोविड वैक्सीनेशन और अचानक मौतों के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है। हालांकि, एम्स ने युवाओं में अचानक हार्ट अटैक से हो रही मौतों के कारण जानने के लिए दो नए अध्ययन शुरू किए हैं।

युवाओं में अचानक हार्ट अटैक पर दो अध्ययन शुरू

गुरुवार को एम्स की ओर से इस मामले को लेकर एक प्रेस वार्ता की गई। इसमें बताया गया कि 18 से 45 वर्ष के युवाओं में हार्ट अटैक से हो रही अचानक मौतों को गंभीरता से लिया गया है। पैथोलॉजी और फॉरेंसिक विभाग की ओर से ‘युवाओं में अचानक और अज्ञात कारणों से मौत के कारण जानना’ नाम से एक अध्ययन किया जा रहा है।

पांच साल का डेटा और जेनेटिक जांच

एम्स के डॉ. सुधीर कुमार अराबा ने बताया कि भारत में यह चिंता बढ़ रही है कि 18 से 45 साल के युवा अचानक हार्ट अटैक (कोरोनरी आर्टरी डिजीज) से क्यों मर रहे हैं। पहले यह बीमारी 45 साल से ऊपर के लोगों में अधिक देखी जाती थी। उन्होंने कहा कि कोविड के बाद युवाओं में हार्ट अटैक के मामले बढ़े हैं या नहीं, इसे समझने के लिए पिछले पांच साल के आंकड़ों से तुलना की जा रही है।

अध्ययन के लिए ICMR द्वारा फंड

डॉ. कुमार ने बताया कि इस अध्ययन में उन युवाओं की पूरी जेनेटिक जांच की जा रही है जो पहले स्वस्थ थे और अचानक हार्ट अटैक से मर गए। अब तक 100 लोगों की जांच हो चुकी है, लेकिन दिल में कोई ऐसी अधिक सूजन नहीं पाई गई जिससे मौत को सीधे जोड़ा जा सके।

यह अध्ययन ICMR द्वारा फंड किया गया है। पहली रिपोर्ट समीक्षा के लिए भेज दी गई है और अगले चरण में 300 और मरीजों की जांच होगी, जिसकी रिपोर्ट अगले साल आएगी।

कोविड और वैक्सीन पर अलग अध्ययन

एम्स के हेमेटोलॉजी विभाग की ओर से दूसरा अध्ययन किया जा रहा है जिसमें कोविड और वैक्सीन के दीर्घकालिक प्रभावों को देखा जाएगा। डॉ. तुलिका सेठ ने बताया कि यह अध्ययन लंबा चलेगा और अभी मरीजों का डेटा एकत्र किया जा रहा है। रिपोर्ट अगले साल तक आने की उम्मीद है।

वैक्सीन से हार्ट अटैक का सीधा लिंक नहीं : डॉ. राय

डॉ. संजय राय ने भी बताया कि पिछले अध्ययनों में वैक्सीन और हार्ट अटैक के बीच कोई सीधा संबंध नहीं पाया गया है।

पिछले अध्ययन में क्या निष्कर्ष निकला था

पिछले साल अक्टूबर में ICMR और एम्स के डॉक्टरों द्वारा किए गए एक बड़े अध्ययन में कहा गया था कि कोविड वैक्सीन से युवाओं में अचानक मौत का खतरा नहीं बढ़ता। बल्कि पहले कोविड से अस्पताल में भर्ती होना, परिवार में अचानक मौत का इतिहास और कुछ गलत जीवनशैली की आदतें इसके मुख्य कारण हो सकते हैं।

सरकार ने भी साफ किया स्थिति को

दो जुलाई को स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी कहा था कि कोविड वैक्सीन से युवाओं की अचानक मौत का कोई प्रमाण नहीं मिला है। यह अध्ययन मई से अगस्त 2023 के बीच देश के 19 राज्यों के 47 बड़े अस्पतालों में किया गया था।

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दिल्ली समेत NCR में भी International Yoga Day का दिखा जोश, सीएम, मंत्री से लेकर सांसदों तक ने किया योग

दिल्ली और दिल्ली-NCR समेत देशभर में आज 11वां अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जा रहा है। इसी कड़ी में दिल्ली की सीएम रेखा गुप्ता सोनिया विहार में योग करने पहुंची। उनके साथ दिल्ली सरकार के मंत्री कपिल मिश्रा और सांसद मनोज तिवारी भी थे। वहीं पर फरीदाबाद में केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने योग किया तो गाजियाबाद में उत्तर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मोर्य ने योग किया। देखें तस्वीरें। 

गाजियाबाद: आईएमएस कॉलेज में योग करते उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य।

पूर्वी दिल्ली के सोनिया विहार में योग करती हुईं सीएम रेखा गुप्ता, उनके साथ सांसद मनोत तिवारी और मंत्री कपिल मिश्रा।

दक्षिणी दिल्ली। अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के उपलक्ष में दैनिक जागरण एवं ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ आयुर्वेद के संयुक्त तत्वाधान में एनटीपीसी बदरपुर स्थित केंद्रीय विद्यालय में आयोजित कार्यक्रम में योग करने के लिए जुटे प्रतिभागी।

गुरुग्राम :उद्योग विहार फेज-एक में संचालित गारमेंट सेक्टर की मल्टीनेशनल एक्सपोर्ट कंपनी मोडलामा एक्सपोर्ट इंडिया लिमिटेड के परिसर में आयोजित योग उत्सव में योगाभ्यास कराते योग एवं आयुर्वेद विशेषज्ञ डा. सुनील आर्य


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दिल्ली में फिर डराने लगा कोरोना, Covid से दो और मरीजों की मौत

दिल्ली में कोविड से दो मरीजों की मौत हो गई। पहली घटना में महज पांच महीने का एक मासूम बच्चा, जो कोविड के साथ सेरेब्रल पाल्सी (सीपी), विकास में देरी (जीडीडी), दौरे (सीज़र्स), निमोनिया और सेप्सिस से पीड़ित था, ने दम तोड़ दिया।

बच्चा पहले से ही श्वसन विफलता से ग्रस्त था और तमाम चिकित्सकीय प्रयासों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका। दूसरी घटना में 87 वर्षीय बुजुर्ग मरीज की मौत हुई। वह मधुमेह (डायबिटीज), उच्च रक्तचाप (हाइपरटेंशन), हृदय रोग, किडनी की बीमारी जैसी अनेक जटिल बीमारियों से पीड़ित थे।

उन्हें गंभीर एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) और कोविड निमोनिया हो गया था, जिसके चलते उन्हें सेप्सिस और सेप्टिक शाक की स्थिति का सामना करना पड़ा। वह पहले से ही डायलिसिस पर थे। उनकी हालत बिगड़ती गई और अंततः उन्होंने दम तोड़ दिया।


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हेल्दी लिवर के लिए सही डाइट है जरूरी, यहां जानें क्या खाएं और क्या नहीं

हेल्दी लिवर के लिए सही डाइट है जरूरी, यहां जानें क्या खाएं और क्या नहींक्या आप जानते हैं कि अगर आपका लिवर बीमार हो जाए, तो आपके पूरे शरीर का हाल बिगड़ सकता है। इसलिए अपने लिवर की सेहत के लिए जागरूक होना बहुत जरूरी है। इस बारे में लोगों को और जानकार बनाने के लिए हर साल 19 अप्रैल को वर्ल्ड लिवर डे (World Liver Day 2025) मनाया जाता है। इस दिन लिवर की हेल्थ (Liver Health) और इससे जुड़ी बीमारियों के बारे में लोगों को जागरूक बनाया जाता है। 

आपको बता दें कि हेल्दी लिवर के लिए हेल्दी डाइट (Healthy Diet for Liver) बहुत जरूरी है। खान-पान में हेल्दी फूड्स शामिल न होने की वजह से लिवर को नुकसान पहुंचता है और बीमारियों का खतरा बढ़ता है। आइए जानते हैं कुछ ऐसे फूड्स (Foods for Healthy Liver) के बारे में, जो लिवर को हेल्दी बनाए रखने में मदद कर सकते हैं। 

लिवर के लिए फायदेमंद डाइट (What to Eat for Healthy Liver?)

क्रुसिफेरस सब्जियां (Cruciferous Vegetables)

ब्रोकली, पत्ता गोभी, गोभी और केल जैसी हरी सब्जियों में एंटीऑक्सीडेंट्स, विटामिन्स और मिनरल्स भरपूर मात्रा में होते हैं। ये लिवर को डिटॉक्सीफाई करने और उसकी काम करने की क्षमता बढ़ाने में मदद करती हैं।

लहसुन (Garlic)

लहसुन में सेलेनियम और एलिसिन जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो लिवर को डिटॉक्स करने और उसे इन्फेक्शन से बचाने में मददगार होते हैं। रोजाना एक या दो कली कच्चा लहसुन खाने से लिवर हेल्दी रहता है।

हल्दी में करक्यूमिन नाम का एक्टिव कंपाउंड होता है, जो लिवर की सूजन को कम करता है और उसकी मरम्मत में मदद करता है। दूध या खाने में हल्दी को नियमित डाइट में शामिल करना लिवर के लिए फायदेमंद है।

ओमेगा-3 फैटी एसिड वाले फूड्स (Omega-3 Fatty Acid)

अखरोट, फ्लैक्ससीड्स, चिया सीड्स और फैटी फिश (जैसे सालमन और मैकेरल) में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है, जो लिवर में जमा फैट को कम करता है और उसे स्वस्थ रखता है।

ग्रीन टी (Green Tea)

ग्रीन टी में कैटेचिन एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो लिवर की फंक्शनिंग को बेहतर बनाता है। रोजाना एक या दो कप ग्रीन टी पीने से लिवर डिटॉक्स होता है।

सेब और एवोकाडो (Apple and Avocado)

सेब में पेक्टिन फाइबर होता है, जो शरीर से टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है। एवोकाडो में ग्लूटाथियोन एंटीऑक्सीडेंट होता है, जो लिवर को डैमेज होने से बचाता है।

नींबू और संतरा (Lemon and Oranges)

विटामिन-सी से भरपूर नींबू और संतरा लिवर को डिटॉक्सीफाई करने में मदद करते हैं। सुबह गुनगुने पानी में नींबू निचोड़कर पीने से लिवर स्वस्थ रहता है।

ऑलिव ऑयल (Olive Oil)

ऑलिव ऑयल में हेल्दी फैट्स होते हैं, जो लिवर पर जमा टॉक्सिन्स को कम करते हैं। इसे सलाद या खाना बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।

लिवर के लिए हानिकारक फूड्स (What to Avoid For Healthy Liver?)

अल्कोहल- शराब पीने से लिवर सिरोसिस और फैटी लिवर की समस्या हो सकती है।

प्रोसेस्ड फूड- पैक्ड फूड, फास्ट फूड और तले-भुने स्नैक्स में ट्रांस फैट होता है, जो लिवर को नुकसान पहुंचाता है।

ज्यादा नमक- ज्यादा नमक खाने से लिवर में पानी जमा हो सकता है, जिससे सूजन की समस्या होती है।

शुगर वाली ड्रिंक्स- कोल्ड ड्रिंक्स और पैक्ड जूस में हाई फ्रुक्टोज कॉर्न सिरप होता है, जो लिवर के लिए हानिकारक है।


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रक्तदान: स्वास्थ्य लाभ और भ्रांतियां

कल्पना कीजिए कि आपके द्वारा दिया गया सिर्फ एक घंटा भी किसी की जान बचा सकता है। यही रक्तदान (Blood Donation) की शक्ति है। हर साल, लाखों लोग जीवित रहने के लिए ब्लड ट्रांसफ्यूजन (एक मेडिकल प्रक्रिया जिसमें रक्त को रोगी के शरीर में डाला जाता है) पर निर्भर होते हैं- चाहे वे दुर्घटना के शिकार हों, कैंसर के मरीज हों या सर्जरी करवाने वाले हों। रक्तदान की भूमिका महत्वपूर्ण है, फिर भी कई लोग इसे करने से हिचकिचाते हैं। यह हिचकिचाहट अक्सर डर, भ्रम या आम गलतफहमियों से पैदा होती है। आइए रक्तदान के फायदों को समझें और उन मिथकों पर चर्चा करें जो आपको यह नेक काम करने से रोक रहे हैं।

रक्तदान आपके स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद क्यों है?

स्वास्थ्य को पहुंचाए लाभ: रक्तदान से सिर्फ रक्त लेने वाला मरीज ही नहीं, बल्कि रक्तदाता भी लाभान्वित होता है। नियमित रूप से रक्तदान करने से शरीर में आयरन की अधिकता कम हो सकती है, हृदय रोग का खतरा घट सकता है और वजन प्रबंधन में भी सहायक हो सकता है। अध्ययनों से पता चला है कि रक्तदान से रक्त में आयरन का स्तर संतुलित रहता है, जिससे दिल के दौरे और स्ट्रोक का खतरा कम हो सकता है।

रक्तदान करके, आप न केवल दूसरों की मदद करते हैं बल्कि अपने हृदय को भी मजबूत बनाते हैं। इसके अलावा, रक्तदान से पहले एक त्वरित स्वास्थ्य जांच होती है, जिसमें रक्तचाप, हीमोग्लोबिन स्तर और पूरे स्वास्थ्य की जांच शामिल होती है। यह एक निःशुल्क मिनी हेल्थ चेकअप की तरह है, जो आपके स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में अहम जानकारी देता है।

संतोष और सामुदायिक जुड़ाव की भावना

यह जानना अविश्वसनीय रूप से संतोषजनक होता है कि आपके एक छोटे से प्रयास ने किसी के जीवन को बचाने में मदद की। रक्तदान से आपको अपने समुदाय से गहरा जुड़ाव महसूस होता है और यह समाज के प्रति योगदान देने का एक सरल लेकिन प्रभावी तरीका है। इसके अलावा, जब आप किसी की मदद करते हैं, तो आपके शरीर में "फील-गुड" हार्मोन एंडोर्फिन रिलीज होता है, जिससे आपका मूड बेहतर होता है और तनाव कम होता है।

जब आप जानेंगे कि आपके रक्तदान से किसी की जान बची है, तो आपको आत्मसंतुष्टि और उपलब्धि की भावना का एहसास होता है। क्या आप जानते हैं कि एक बार रक्तदान करके आप तीन लोगों की जान बचा सकते हैं? सोचिए, सिर्फ एक घंटे में आप किसी व्यक्ति का जीवन बदल सकते हैं, चाहे वह व्यक्ति दुर्घटना का शिकार हो या सर्जरी या कैंसर के उपचार से गुजर रहा हो। रक्त एक अनमोल रिसोर्स है, और इसे दान करने से अस्पतालों को आपात स्थितियों में तैयार रहने में मदद मिलती है।

रक्तदान के बारे में आम मिथकों का खंडन

'रक्तदान दर्दनाक है और इसके लिए मेरी उम्र सही नहीं है'

यह सच है कि इंजेक्शन का नाम सुनते ही डर लगता है, लेकिन रक्तदान की प्रक्रिया आमतौर पर बहुत कम दर्दनाक होती है। कई लोग जो ब्लड डोनेट कर सकते हैं, वे मानते हैं कि वे योग्य नहीं हैं, जबकि अधिकांश स्वस्थ वयस्क रक्तदान कर सकते हैं। रक्तदान के लिए सामान्य एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया हैं:

अच्छा स्वास्थ्य

18 से 65 वर्ष की आयु (पहली बार रक्तदान करने वालों के लिए 60 वर्ष)

कम से कम 45 किलोग्राम वजन

अगर इसके बाहजूद भी आपको कोई संदेह है, तो अपने नजदीकी रक्तदान केंद्र से जानकारी लें।

'रक्तदान में बहुत समय लगता है और इससे कमजोरी आएगी'

रक्तदान की पूरी प्रक्रिया, जिसमें रजिस्ट्रेशन, चिकित्सा जांच और रक्तदान शामिल है—आमतौर पर सिर्फ एक घंटे का समय लेती है। असल में रक्तदान तो केवल 8-10 मिनट में हो जाता है, जिसके बाद थोड़ी देर आराम और स्नैक्स के लिए जाते हैं। इसे किसी के जीवन को बचाने के लिए छोटा-सा योगदान समझें।

कई लोग मानते हैं कि रक्तदान के बाद कमजोरी आएगी, लेकिन यह एक सुरक्षित प्रक्रिया है। आपका शरीर दान किए गए रक्त को कुछ घंटों के भीतर फिर से बना लेता है। थोड़ी देर के लिए हल्की थकान महसूस हो सकती है, लेकिन यह जल्द ही खत्म हो जाती है।

'रक्तदान केवल कुछ खास ब्लड टाइप वाले लोगों के लिए है'

एक गलत धारणा है कि केवल कुछ खास ब्लड टाइप वाले लोगों को ही रक्त की जरूरत होती है, जबकि वास्तव में सभी ब्लड ग्रुप मूल्यवान होते हैं। उदाहरण के लिए, O-नेगेटिव ब्लड सभी को दिया जा सकता है, लेकिन रोगियों की अलग-अलग जरूरतों को पूरा करने के लिए सभी ब्लड ग्रुप आवश्यक हैं।

'अगर मेरे पास टैटू, पियर्सिंग है या मैं दवाइयां ले रहा हूं, तो मैं रक्तदान नहीं कर सकता'

अगर आपका टैटू या पियर्सिंग किसी लाइसेंस प्राप्त, रेगुलेटेड केंद्र में हुआ है और आपने जरूरी 12 महीने की प्रतीक्षा अवधि पूरी कर ली है, तो आप रक्तदान कर सकते हैं। वहीं, अगर आप दवाइयां ले रहे हैं, तो इसका मतलब यह नहीं कि आप रक्तदान नहीं कर सकते। आमतौर पर, यह दवा की बजाय उसके प्रेस्क्रिप्शन पर निर्भर करता है। कुछ दवाओं के मामले में, अंतिम खुराक लेने के बाद थोड़ा इंतजार करना पड़ सकता है।

'रक्तदान जीवन में सिर्फ एक बार किया जा सकता है'

यह सबसे बड़ा मिथक है! स्वस्थ व्यक्ति हर 3 महीने में एक बार रक्तदान कर सकता है। रक्तदान के बाद शरीर जल्दी ही रक्त की भरपाई कर लेता है, जिससे नियमित रक्तदान संभव हो पाता है। रक्तदान को आसान और सुरक्षित बनाने के लिए कुछ सुझाव

पर्याप्त मात्रा में पानी और अन्य तरल पदार्थ पिएं।

रक्तदान से पहले पौष्टिक भोजन करें और अच्छी नींद लें।

ढीले-ढाले कपड़े पहनें ताकि कोहनी तक आस्तीन आसानी से ऊपर हो सके।

अगर कोई स्वास्थ्य समस्या हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।

जैसा कि हम देख सकते हैं, रक्तदान के लाभ दूरगामी हैं- न केवल रोगी के लिए, बल्कि रक्तदाता के लिए भी। रक्तदान करके आप न केवल अपने स्वास्थ्य को बेहतर बना रहे हैं, बल्कि एक स्वस्थ और अधिक परोपकारी समाज बनाने में भी योगदान दे रहे हैं। और सबसे महत्वपूर्ण बात—आप उन लोगों को जीवनरक्षक उपहार के रूप में रक्त प्रदान कर रहे हैं, जिन्हें इसकी सबसे अधिक आवश्यकता है। तो, मिथकों को छोड़िए और आज ही रक्तदान कीजिए। हर दान मायने रखता है। हर बूंद महत्वपूर्ण है।

हीरो बनें। रक्तदान करें। जीवन बचाएं।

डॉ. अंजलि हजारिका

मुख्य चिकित्सा अधिकारी (वरिष्ठ प्रशासनिक ग्रेड)

प्रभारी - ब्लड ट्रांसफ्यूजन सर्विस

कार्डियो-न्यूरो सेंटर

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली-110029

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महाराष्ट्र में GB सिंड्रोम के 130 मरीज, 20 वेंटिलेटर पर

महाराष्ट्र के पुणे और पिंपरी-चिंचवड़ में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम के मामले बढ़कर 130 हो गए हैं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) ने अब तक के परीक्षण में पानी में कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि बैक्टीरिया नहीं मिला है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी अब जीन अनुवांशिकी के माध्यम से इस बैक्टीरिया के स्वरूप का विश्लेषण करेगा। इससे प्रकोप के कारणों का पता चलेगा।

यह बैक्टीरिया कम से कम पांच मरीजों के मल के नमूनों में पाया गया था। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) अब इस रहस्य को सुलझाने के अन्य तरीकों पर विचार कर रहा है। इस बीच, तीन और मामलों की पुष्टि के साथ जीबीएस के मरीजों की संख्या बढ़कर 130 हो गई है। विभिन्न अस्पतालों में 20 मरीज अभी भी वेंटिलेटर पर हैं।

कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि का अध्ययन करेगा एनआईवी

एनआईवी अब मरीजों में पाए गए कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि का अध्ययन करेगा। वे यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि क्या मरीज कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि के किसी खतरनाक प्रकार से संक्रमित हुए थे। अधिकारियों ने कहा कि कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि के पूरे बैक्टीरियल जीनोम की आनुवंशिक विशेषताओं का अध्ययन करने से इसके विषाणु के बारे में जानकारी मिल सकती है।

डॉक्टरों ने कही ये बात

डॉ. डी वाई पाटिल मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजिस्ट डॉ. शहजाद बेग मिर्जा ने बताया कि एनआईवी के विश्लेषण से यह पता चल सकता है कि क्या जीबीएस के कई मामलों के लिए कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि का कोई विशिष्ट प्रकार जिम्मेदार है। उन्होंने कहा कि कुछ कैंपाईलोबेक्टर जेजुनि प्रकार, जिनमें विशेष आनुवंशिक लक्षण होते हैं, जीबीएस से दृढ़ता से जुड़े होते हैं। जीबीएस के पीछे प्रमुख तंत्र 'आणविक मिमिक्री' है। बैक्टीरिया के घटकों और मानव तंत्रिका संरचनाओं के बीच समानता के कारण प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया गलती से तंत्रिका तंत्र पर हमला कर सकती है।

शरीर पर ऐसे हमला करती है ये बीमारी

बैक्टीरिया के एक घटक एलओएस (लाइपोओलिगोसेकेराइड) में बदलाव इस प्रकोप की गंभीरता का एक कारण हो सकता है। आनुवंशिक अध्ययन से यह निर्धारित करने में मदद मिलेगी कि क्या इस प्रकोप में शामिल प्रकार में ये उच्च जोखिम वाले आनुवंशिक लक्षण हैं, जो जीबीएस मामलों की बढ़ी हुई संख्या की व्याख्या कर सकते हैं। जीबीएस एक दुर्लभ लेकिन इलाज योग्य बीमारी है जो मरीज के तंत्रिका तंत्र पर हमला करती है।







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