वर्षाकाल में इस बार पहाड़ जिस तरह से दरक रहे हैं, उसने उत्तराखंड को गहरे जख्म दिए हैं। अतिवृष्टि, बादल फटने के कारण भूस्खलन, नदियों की बाढ़ रूपी आपदा ने अभी तक राज्य के विभिन्न जिलों में 75 जिंदगियां लील ली, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं और 95 लापता हैं।
परिसंपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर क्षति पहुंची है। कहीं नदियों पर बने तटबंध, सुरक्षा दीवार व चेकडैम बह गए तो कहीं सड़कें व पुल। सिंचाई नहरों-गूलों, पेयजल योजनाओं और विद्युत लाइनों को भारी नुकसान पहुंचा है। इसे देखते हुए शासन ने सभी विभागों से क्षति का ब्योरा मांगा है।
2500 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान
अभी तक जो तस्वीर निकलकर सामने आ रही है, उसमें राज्य को 2500 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान है। यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। अब इन जख्मों पर मरहम लगाने के दृष्टिगत मदद के लिए केंद्र सरकार में दस्तक देने की तैयारी है।
वर्षाकाल में अब तक के परिदृश्य को देखें तो मई से राज्य लगातार ही आपदा से जूझ रहा है। शासन के निर्देशों के क्रम में विभागों ने आपदा में हुई क्षति का ब्योरा भेजना शुरू कर दिया है। अभी तक सात प्रमुख विभागों के आंकड़ों को ही देखें तो क्षति का आंकड़ा लगभग 2000 करोड़ के आसपास बैठ रहा है।
सभी विभागों से ब्योरा मिलने और वर्षा का क्रम जारी रहने के द़ृष्टिगत यह आंकड़ा 2500 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसे देखते हुए प्रतिपूर्ति के लिए केंद्र को भेजे जाने वाले प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जा रहा है। साथ ही प्रभावितों के पुनर्वास की नीति को भी व्यावहारिक बनाने की तैयारी है।
विभागवार परिसंपत्तियों को क्षति
विभाग, राशि (करोड़ रुपये में)
लोनिवि, 554.38
ऊर्जा, 448
सिंचाई, 445
पीएमजीएसवाई, 415
पेयजल (जल संस्थान व पेयजल निगम), 90
लघु सिंचाई, 35
पंचायती राज, 10
आपदा में हानि
75 व्यक्तियों की अब तक गई जान।
107 लोग हुए हैं घायल।
95 व्यक्ति हैं लापता।
1431 छोटे-बड़े पशुओं की मौत।
33 गोशालाएं आपदा की भेंट चढ़ी।
226 आवासीय मकान ध्वस्त।
71 घर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त।
1828 घरों को आंशिक नुकसान।
192.816 हेक्टेयर कृषि भूमि तबाह।
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