उत्तराखंड में भारी बारिश से डोईवाला के कई गांवों का संपर्क टूटा, हालात बिगड़े

उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने लोगों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। चमोली में बादल फटने से हाहाकार मच गया है, वहीं डोईवाला विधानसभा के रायपुर प्रखंड के दर्जनभर से ज्यादा गांवों का संपर्क पूरी तरह कट गया है।

मंगलवार को आई बाढ़ के बाद बुधवार दोपहर तक हालात थोड़े सामान्य होते दिखे थे, लेकिन देर रात फिर से तेज बारिश और बिजली की गड़गड़ाहट ने आपदा प्रभावितों के डर को और गहरा कर दिया। लोग लगातार अनहोनी की आशंका से सहमे हुए हैं।

उधर, मसूरी में भी हालात चिंताजनक हैं। ज्वाइंट मजिस्ट्रेट/एसडीएम और सीओ ने कुठाल गेट से मसूरी तक सड़क का निरीक्षण किया। अधिकारियों का कहना है कि जब तक हालात सुरक्षित नहीं हो जाते, यातायात बहाल नहीं किया जाएगा। पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता राजेश कुमार ने बताया कि रात की बारिश के बाद कई जगहों पर फिर से मलबा सड़क पर आ गया है, जिसे साफ करने और सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयास किए जा रहे हैं।


...

यूपी में मूसलाधार बारिश की चेतावनी, मौसम विभाग का नया अलर्ट

पिछले कई दिनों से निकल रही तेज धूप के बीच सोमवार को बादलों की आवाजाही व बूंदाबांदी से मौसम सुहावना हो गया। मौसम में अचानक बदलाव से अधिकतम तापमान में तीन से चार डिग्री सेल्सियस की गिरावट हुई, जिसकी वजह से भीषण उमस से काफी राहत मिली। मौसम विभाग के मुताबिक, पश्चिमी राजस्थान से शुरू हुई मानसून वापसी के बीच मंगलवार से गुरुवार तक लखनऊ समेत पूर्वी यूपी के अधिकतर जिलों में अच्छी बारिश के आसार हैं।

उत्तर प्रदेश में 20 सितंबर के बाद मानसून की वापसी के संकेत मिल रहे हैं। वरिष्ठ मौसम विज्ञानी अतुल कुमार सिंह के अनुसार, पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी में निम्न दाब का क्षेत्र बन रहा है। इसके मध्य भारत की ओर बढ़ने के साथ ही मानसून द्रोणी निष्प्रभावी हुई है। परिणामस्वरूप बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी से उत्तर प्रदेश के पूर्वी और मध्यवर्ती भाग तक पहुंचने से वर्षा की गतिविधियों में कुछ वृद्धि की संभावना बन रही है।

उन्होंने बताया कि मानसूनी बारिश की बात करें तो अब तक पूर्वी यूपी में सामान्य से 17 प्रतिशत कम तो पश्चिमी जिलों में 15 प्रतिशत अधिक बरसात हुई है। पूर्वी उत्तर प्रदेश में 734.3 मिमी बारिश का अनुमान था, लेकिन 610.5 मिमी वर्षा रिकॉर्ड की गई, जबकि पश्चिमी जिलों में 632.9 मिमी वर्षा होनी थी, लेकिन इससे अधिक 729 मिमी बरसात हुई। प्रदेशभर में औसत सामान्य से पांच प्रतिशत कम बादल बरसे।


...

मंडी में मूसलाधार बारिश का तांडव, जनहानि और HRTC बसों का नुकसान

मंडी जिले के धर्मपुर में सोमवार रात और मंगलवार सुबह हुई मूसलधार बारिश ने सैर पर्व की खुशियां मातम में बदल दीं। सोन खड्ड में आए सैलाब ने धर्मपुर बस स्टैंड को जलमग्न कर दिया, जिससे एचआरटीसी की 20 से अधिक बसें पानी में डूब गईं। कई निजी वाहन, दुकानें और घर भी इसकी चपेट में आ गए। लोगों ने रातभर भय के साये में गुजारी। इस

वहीं, भारी बारिश से धर्मपुर कस्बे में भारी तबाही मची है। पुलिस ने बताया कि मंडी में सोमवार रात से लगातार बारिश हो रही है और धर्मपुर बस स्टैंड पानी से भर गया है। कई बसें और गाड़ियां पानी के तेज़ बहाव में बह गईं। धर्मपुर मंडी के डीसीपी ने कहा कि धर्मपुर शहर सबसे ज़्यादा प्रभावित हुआ है क्योंकि सोन खड्ड नदी अचानक उफान पर आ गई और उसने रौद्र रूप धारण कर लिया। आधी रात के आसपास, बाढ़ का पानी बस स्टैंड में घुस गया, जिससे कई सरकारी बसें डूब गईं और कई अन्य के साथ-साथ कार, बाइक और स्कूटर सहित दर्जनों निजी वाहन बह गए।

धर्मपुर में 8 से 10 गाड़ियों के बहने की सूचना

धर्मपुर में 8 से 10 गाड़ियों के बहने की सूचना है। दुकानों और घरों में पानी घुसने से लोग छतों और ऊंचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हुए। कलसाई गांव में एक परिवार ने घर में पानी घुसने पर छत पर चढ़कर जान बचाई। लगेहड़ गांव में भूस्खलन से एक घर क्षतिग्रस्त हुआ, जहां परिवार ने रात में ही भागकर जान बचाई।

धर्मपुर में सोमवार रात एक दवा विक्रेता दुकान से पैसे निकालने के चक्कर में अपनी गाड़ी सहित बह गया। पुलिस व प्रशासनिक टीमें मौके पर राहत व बचाव कार्य में जुटी हैं। थाने के बाहर खड़ी कई गाड़ियां भी बाढ़ के पानी में बह गईं। पानी के तेज बहाव में बहे दवा विक्रेता की पहचान नरेंद्र कुमार के रूप में हुई है। इसके अलावा, एक अन्य की भी बहने की जानकारी है। 

मंडी शहर में भी तबाही

जोगेंद्रनगर के हराबाग में भारी भूस्खलन के कारण पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय राजमार्ग बंद हो गया। मंडी शहर के जेल रोड और अस्पताल के पास बहने वाले नालों का पानी सुहड़ा मोहल्ला में घुस गया। टारना और सन्यारढ़ क्षेत्र के लोग रातभर भय के साये में घर से बाहर रहे। सुंदरनगर के आंबेडकरनगर में भी नाले का पानी घरों में घुस गया।

सुंदरनगर में घर गिरा, तीन लोगों की मौत

सुंदरनगर के निहरी क्षेत्र में एक मकान ढह जाने से चार लोग मलबे में दब गए। अब तक तीन शव बरामद किए जा चुके हैं जबकि अन्यों को निकालने के प्रयास जारी हैं। राहत और बचाव कार्य तेज कर दिया गया है।

पिछले तीन-चार दिनों से धर्मपुर और सरकाघाट क्षेत्र में भारी नुकसान की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। अब तक 20 से अधिक घर और पशुशालाएं क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। 40 के करीब घर खाली करवाए गए हैं।

प्रशासन अलर्ट, राहत-बचाव कार्य जारी

भारी वर्षा सुबह 3:30 बजे तक जारी है। प्रशासन ने मौके पर राहत व बचाव कार्य शुरू कर दिया है। प्रभावितों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है। सैर पर्व के दिन आई इस आपदा ने मंडी जिले में फिर से बारिश की विभीषिका की याद दिला दी है।


...

देहरादून के प्रमुख स्थलों पर बाढ़ का संकट, सहस्त्रधारा से टपकेश्वर तक पानी ही पानी

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के मशहूर सहस्त्रधारा में भारी बारिश के बाद देर रात में बादल फटने की घटना हुई है। हादसे के बाद कई दुकानें बह गई हैं।

हालांकि जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों को सुरक्षित इलाके में पहुंचा दिया है। इसके अलावा अब भी रेस्क्यू का काम चल रहा है। इस हादसे में कम से कम दो लोग लापता हैं।

सभी स्कूल बंद, सीएम धामी की हालात पर नजर

जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, भारी बारिश और बादल फटने की घटना को देखते हुए देहरादून में कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूल फिलहाल बंद हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के लगातार संपर्क में हैं और स्थिति पर नजर रख रहे हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया, "देहरादून के सहस्त्रधारा में कल देर रात भारी बारिश के कारण कुछ दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और पुलिस मौके पर पहुँच गए हैं और राहत एवं बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। मैं इस संबंध में स्थानीय प्रशासन के लगातार संपर्क में हूं और व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नज़र रख रहा हूं।"

पीएम और गृह मंत्री ने हालात का लिया जायजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फ़ोन पर बात करके उत्तराखंड में भारी बारिश से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत जानकारी ली।

उन्होंने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया और इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार संकट की इस घड़ी में उत्तराखंड के साथ पूरी तरह खड़ी है। मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह सक्रिय है और युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है।

टपकेश्वर महादेव मंदिर भी जलमग्न

भारी बारिश के कारण तमसा नदी उफान पर है और टपकेश्वर महादेव मंदिर जलमग्न हो गया है। मंदिर के पुजारी आचार्य बिपिन जोशी कहते हैं, "सुबह 5 बजे से ही नदी में तेज़ बहाव शुरू हो गया था, पूरा मंदिर परिसर जलमग्न हो गया था। ऐसी स्थिति बहुत लंबे समय से नहीं आई थी। कई जगहों पर नुकसान हुआ है। लोगों को इस समय नदियों के पास जाने से बचना चाहिए। मंदिर का गर्भगृह सुरक्षित है। अभी तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है।"


...

नैनीताल में मूसलाधार बारिश, झील लबालब

नैनीताल में मौसम का मिजाज बिगड़ा

सरोवर नगरी में रविवार को सुबह और दोपहर के समय मौसम का तेवर बदला रहा। सुबह तेज़ बारिश हुई, जबकि दोपहर में हल्की बूंदाबांदी देखने को मिली। इससे पहले रातभर भी रुक-रुक कर हल्की से मध्यम बारिश होती रही। लगातार बारिश के कारण नैनी झील का जलस्तर बढ़कर 88 फीट तक पहुंच गया है।

तीन दिन और बरसेगा मानसून

मौसम विभाग के अनुसार फिलहाल अगले तीन दिनों तक सुधार की संभावना नहीं है। देहरादून मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक डॉ. सीएस तोमर ने बताया कि 18 सितंबर तक मानसून सक्रिय रहेगा और तब तक यलो अलर्ट जारी रहेगा। जीआईसी मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार रविवार को अधिकतम तापमान 26 डिग्री और न्यूनतम 22 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि वर्षा छह मिमी मापी गई।

पर्यटकों की आमद बढ़ने लगी

लगातार बारिश और आपदा के कारण पर्यटन कारोबार प्रभावित हो रहा था, लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है। शुक्रवार से ही सैलानियों की आमद बढ़ने लगी है। रविवार को नगर में खासी रौनक दिखी। होटल व्यवसायियों के अनुसार आने वाले दिनों में भी पर्यटकों की संख्या में इज़ाफा होगा।

घूमने-फिरने की जगहों पर चहल-पहल

रविवार को स्नो व्यू, हिमालय दर्शन, वॉटरफॉल, केव गार्डन और चिड़ियाघर में दिनभर पर्यटकों की भीड़ रही। मालरोड पर भी अच्छी खासी चहल-पहल नज़र आई। नौका विहार का मज़ा लेने वाले पर्यटकों की संख्या भी बढ़ गई है। होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष दिग्विजय सिंह बिष्ट ने बताया कि नवरात्रों से ऑटम सीज़न की शुरुआत होगी, जो अक्टूबर के दूसरे पखवाड़े तक चलेगा।


...

थम नहीं रहा कुदरत का कहर, बिलासपुर में बादल फटने से तबाही

हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर जिले में शनिवार तड़के बादल फटने की घटना सामने आई। नैना देवी विधानसभा क्षेत्र के नम्होल इलाके के गुटराहन गांव में हुई इस घटना में कई वाहन मलबे में दब गए और खेतों को भी नुकसान पहुंचा। हालांकि, राहत की बात यह रही कि इसमें किसी के हताहत होने की सूचना नहीं है। ग्रामीण कश्मीर सिंह ने बताया कि मलबा और पानी तेज़ी से बहते हुए कृषि भूमि पर फैल गया, जिससे फसलें और जमीन बर्बाद हो गईं।

उधर, राजधानी शिमला में शनिवार सुबह घना कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता बेहद कम हो गई और स्कूल समय में लोगों को आवाजाही में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। मौसम विभाग ने शनिवार और रविवार के लिए राज्य के कई हिस्सों में भारी बारिश का येलो अलर्ट जारी किया है। वहीं, लगातार बारिश के कारण शुक्रवार शाम तक 503 सड़कें बंद हो गईं, जिनमें अटारी-लेह राष्ट्रीय राजमार्ग-3, औट-सैंज (NH-305) और अमृतसर-भोटा (NH-503A) मार्ग शामिल हैं।

राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र (SEOC) के अनुसार, हाल की बाढ़ और भूस्खलन से 953 बिजली ट्रांसफार्मर और 336 पेयजल योजनाएं ठप हो गई हैं। मानसून की शुरुआत 20 जून से अब तक बारिश से जुड़ी घटनाओं और सड़क दुर्घटनाओं में कुल 386 लोगों की मौत हो चुकी है। इनमें 218 मौतें बारिश संबंधी हादसों में और 168 सड़क दुर्घटनाओं में हुई हैं।


...

14 साल की बारिश का रिकॉर्ड टूटा, उत्तर भारत में बाढ़ से मची तबाही

उत्तर भारत में इस बार मानसून ने जमकर तबाही मचाई है। पिछले 14 सालों में ऐसा पहला मौका आया है जब लगातार दो हफ्तों तक इतनी बारिश हुई। मौसम विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार, 22 अगस्त से 4 सितंबर के बीच उत्तर भारत में सामान्य से करीब तीन गुना ज्यादा बारिश हुई है।

इस दौरान जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मार्ग पर बादल फटने, पंजाब में दशकों बाद सबसे बड़ी बाढ़, दिल्ली में यमुना का जलस्तर तीसरे सबसे ऊंचे स्तर तक पहुंचना और हिमाचल-उत्तराखंड में भारी भूस्खलन जैसी घटनाएं हुईं।

क्या कहते हैं आंकड़े?

आंकड़ों के मुताबिक, इन 14 दिनों में उत्तर भारत में औसतन 205.3 मिमी बारिश दर्ज की गई जबकि सामान्य तौर पर यह सिर्फ 73.1 मिमी होती है। यानी सिर्फ दो हफ्तों की बारिश से ही पूरे मानसून का 35% कोटा पूरा हो गया।

1 जून से लेकर 4 सितंबर तक उत्तर भारत में 691.7 मिमी बारिश हो चुकी है, जो सामान्य से 37% ज्यादा है। अगर सितंबर के बाकी दिनों में सामान्य बारिश भी हुई तो यह आंकड़ा 750 मिमी से ऊपर जा सकता है। यह 1988 के बाद दूसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला मानसून होगा।

1988 में कितनी हुई थी बारिश?

1988 में सबसे ज्यादा 813.5 मिमी बारिश हुई थी और 1994 में 737 मिमी। इस साल का मानसून दोनों को पीछे छोड़ते हुए रिकॉर्ड बुक में जगह बनाने की तैयारी में है।

मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, यह लगातार बारिश दो मौसम प्रणालियों के टकराने से हुई है। एक तरफ वेस्टर्न डिस्टर्बेंस से भूमध्यसागर के पास से नमी वाली हवाएं आईं और दूसरी ओर पूर्वी मानसूनी हवाओं से उनका टकराव हुआ।

क्यों हो रही है इतनी बारिश?

पहला टकराव 23 से 27 अगस्त तक हुआ और दूसरा 29 अगस्त से शुरू होकर 4 सितंबर तक जारी रहा। आमतौर पर जुलाई-अगस्त के पीक मानसून में ऐसे दोहरे टकराव कम ही देखने को मिलते हैं, लेकिन इस बार बैक-टू-बैक हुए।

इसका सबसे ज्यादा असर पहाड़ी राज्यों में दिखा। पंजाब में बारिश सामान्य से 388% और फिर 454% ज्यादा हुई। इसी तरह हरियाणा-चंडिगढ़-दिल्ली में 325%, हिमाचल में 314%, पश्चिमी राजस्थान में 285%, जम्मू-कश्मीर में 240% और उत्तराखंड में 190% ज्यादा बारिश दर्ज की गई।


...

दिल्ली में यमुना नदी का जलस्तर बढ़ने से समस्याएं बढ़ रही

 दिल्ली में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर के कारण समस्या बढ़ती जा रही है। डीएमआरसी की ओर से कहा गया कि यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन तक जाने वाला संपर्क मार्ग वर्तमान में दुर्गम है। स्टेशन चालू है और इंटरचेंज सुविधा उपलब्ध है।

दिल्ली में लगातार हो रही बारिश की वजह से यमुना नदी का जलस्तर बढ़ा है।


...

तेज बारिश के बाद शहर की कई सड़कें हो गई जलमग्न

सोमवार दोपहर से मंगलवार सुबह तक गुरुग्राम में 160 एमएम वर्षा दर्ज की गई। 24 घंटे में इतनी वर्षा होने के कारण सड़के तालाब बन गई। लगभग पूरे जिले में जमकर वर्षा हुई, जिसके चलते नए और पुराने शहर में जगह-जगह जलभराव हो गया। हालत यह रही कि आधी रात के बाद भी लोग दिल्ली-जयपुर हाईवे सहित शहर की प्रमुख सड़कों पर घंटों जाम में फंसे रहे।

मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार गुरुग्राम तहसील में 138 मि.मी., वजीराबाद में 153 मि.मी., कादीपुर और हरसरु उप तहसीलों में 160-160 मि.मी., जबकि बादशाहपुर में 99 मि.मी., सोहना में 42 मि.मी., मानेसर और फर्रुखनगर में 44-44 मि.मी., तथा पटौदी में 28 मि.मी. वर्षा दर्ज की गई।

बारिश के बाद दिल्ली-जयपुर हाईवे पर लंबा जाम लगा।

तेज वर्षा से शहर के कई इलाकों में हालात बिगड़ गए। शीतला माता रोड, सेक्टर-10ए, 37डी, सुभाष चौक, हीरो होंडा चौक और सोहना रोड पर जलभराव की वजह से वाहन रेंगते रहे। हाईवे पर तो स्थिति और भी गंभीर रही, जहां ट्रक, बसें और कारें कई किलोमीटर लंबे जाम में फंसी रहीं।

सोमवार को हुई तेज वर्षा के बाद शहर की सड़कें इस तरह जलमग्न हो गई। जागरण

स्थानीय लोगों का कहना है कि वर्षा के बाद प्रशासन की लापरवाही साफ झलकती है। कहीं पंपिंग सेट नहीं लगाए गए, तो कहीं नाले-नालियां पहले से ही बंद पड़े मिले। परिणामस्वरूप देर रात तक लोग सड़क पर ही जूझते रहे।

नगर निगम के अधिकारियों का दावा है कि जलभराव वाली जगहों से पानी की निकासी के लिए टीमें तैनात की गई हैं, लेकिन लगातार हो रही वर्षा के कारण राहत मिलने में समय लग रहा है।


...

उत्तराखंड में भारी वर्षा से काफी नुकसान,75 लोगों की जान भी गई

वर्षाकाल में इस बार पहाड़ जिस तरह से दरक रहे हैं, उसने उत्तराखंड को गहरे जख्म दिए हैं। अतिवृष्टि, बादल फटने के कारण भूस्खलन, नदियों की बाढ़ रूपी आपदा ने अभी तक राज्य के विभिन्न जिलों में 75 जिंदगियां लील ली, जबकि 100 से अधिक लोग घायल हुए हैं और 95 लापता हैं।

परिसंपत्तियों को भी बड़े पैमाने पर क्षति पहुंची है। कहीं नदियों पर बने तटबंध, सुरक्षा दीवार व चेकडैम बह गए तो कहीं सड़कें व पुल। सिंचाई नहरों-गूलों, पेयजल योजनाओं और विद्युत लाइनों को भारी नुकसान पहुंचा है। इसे देखते हुए शासन ने सभी विभागों से क्षति का ब्योरा मांगा है।

2500 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान

अभी तक जो तस्वीर निकलकर सामने आ रही है, उसमें राज्य को 2500 करोड़ से अधिक की क्षति का अनुमान है। यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है। अब इन जख्मों पर मरहम लगाने के दृष्टिगत मदद के लिए केंद्र सरकार में दस्तक देने की तैयारी है।

वर्षाकाल में अब तक के परिदृश्य को देखें तो मई से राज्य लगातार ही आपदा से जूझ रहा है। शासन के निर्देशों के क्रम में विभागों ने आपदा में हुई क्षति का ब्योरा भेजना शुरू कर दिया है। अभी तक सात प्रमुख विभागों के आंकड़ों को ही देखें तो क्षति का आंकड़ा लगभग 2000 करोड़ के आसपास बैठ रहा है।

सभी विभागों से ब्योरा मिलने और वर्षा का क्रम जारी रहने के द़ृष्टिगत यह आंकड़ा 2500 करोड़ से अधिक होने का अनुमान लगाया जा रहा है। इसे देखते हुए प्रतिपूर्ति के लिए केंद्र को भेजे जाने वाले प्रस्ताव का मसौदा तैयार किया जा रहा है। साथ ही प्रभावितों के पुनर्वास की नीति को भी व्यावहारिक बनाने की तैयारी है।

विभागवार परिसंपत्तियों को क्षति

विभाग, राशि (करोड़ रुपये में)

लोनिवि, 554.38

ऊर्जा, 448

सिंचाई, 445

पीएमजीएसवाई, 415

पेयजल (जल संस्थान व पेयजल निगम), 90

लघु सिंचाई, 35

पंचायती राज, 10

आपदा में हानि

75 व्यक्तियों की अब तक गई जान।

107 लोग हुए हैं घायल।

95 व्यक्ति हैं लापता।

1431 छोटे-बड़े पशुओं की मौत।

33 गोशालाएं आपदा की भेंट चढ़ी।

226 आवासीय मकान ध्वस्त।

71 घर गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त।

1828 घरों को आंशिक नुकसान।

192.816 हेक्टेयर कृषि भूमि तबाह।

...