दिल्ली की हवा फिर जहरीली, मध्यप्रदेश में बढ़ी ठिठुरन

विभिन्न क्षेत्रों में सक्रिय मौसम प्रणालियों के बावजूद हवा की रफ्तार बेहद कम रहने से मौसम में खास बदलाव देखने को नहीं मिला है। मौसम विज्ञानियों का कहना है कि आने वाले दो दिनों में रात के तापमान में 2 से 3 डिग्री तक बढ़ोतरी हो सकती है। गुरुवार सुबह मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल घने कोहरे की चादर में लिपटा रहा। वहीं, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के अनुसार, सुबह 7 बजे दिल्ली के अधिकांश इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक ‘बेहद खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया, जिससे लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है और मास्क पहनना मजबूरी बन गया है। इंडिया गेट क्षेत्र में प्रदूषण की धुंध साफ दिखाई दी और AQI 400 के पार पहुंच गया।

मैदानी इलाकों में बढ़ी गलन

पहाड़ी राज्यों में जारी बर्फबारी का असर मैदानी क्षेत्रों में भी साफ दिख रहा है। मध्य प्रदेश में पिछले एक सप्ताह से कड़ाके की ठंड बनी हुई है। बीते 24 घंटों में भोपाल, इंदौर, जबलपुर, उज्जैन सहित 15 शहरों का न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे दर्ज हुआ। शाजापुर 6.4 डिग्री के साथ प्रदेश का सबसे ठंडा स्थान रहा।

अगले दो दिनों के लिए अलर्ट

भोपाल, इंदौर समेत छह जिलों में शीतलहर चलने की संभावना है और अगले दो दिनों के लिए अलर्ट जारी किया गया है। राजस्थान के माउंट आबू में पारा शून्य के करीब पहुंच गया, जबकि अन्य जिलों में तापमान सामान्य से 3-4 डिग्री नीचे दर्ज हुआ है। हिमाचल प्रदेश में हालिया दिनों में बर्फबारी कम हुई है, लेकिन 29 शहरों में न्यूनतम तापमान 10 डिग्री से नीचे बना हुआ है। लाहौल-स्पीति में तापमान लगातार माइनस में बना है।

राजस्थान में जमने लगी ओस की बर्फ

माउंट आबू में ठंडी बयार के चलते ओस की बूंदें जमकर बर्फ में बदल गईं। हालांकि धूप निकलने के बाद हल्की राहत मिली। फतेहपुर, नागौर, सीकर और दौसा में भी तेज सर्दी महसूस की गई।

उत्तराखंड में कोहरा और बढ़ती ठंड

उत्तराखंड के निचले इलाकों में सुबह-शाम कोहरा छाया रहता है। मौसम विभाग ने अगले दिनों के लिए कड़ाके की ठंड का अलर्ट जारी किया है, जिसके दौरान तापमान में 4-5 डिग्री तक गिरावट आने की संभावना है।


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SIR प्रभाव से खौफ! 500 से ज़्यादा बांग्लादेशी देश छोड़ने को मजबूर, बोले– “डर लग रहा है”

पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश की सीमा पर उत्तर 24 परगना स्थित हाकिमपुर बॉर्डर आउटपोस्ट के पास इन दिनों अचानक हलचल बढ़ गई है। सड़क किनारे बैठे पुरुष, महिलाएँ और बच्चे अपने चेहरों पर डर लिए दिखाई दे रहे हैं। उनके पास रखे बैग, कंबल और बक्से बता रहे हैं कि वे जल्दबाज़ी में अपने घर छोड़कर बांग्लादेश लौटने की कोशिश कर रहे हैं। अधिकारियों का कहना है कि हाल के दिनों में यह उल्टा पलायन तेज़ी से बढ़ा है—यानी जो लोग अवैध रूप से भारत आए थे, अब वे खुद ही वापस लौटना चाहते हैं।

अब्दुल मोमिन, जो पांच साल पहले सतखीरा से दलाल के ज़रिए हावड़ा के डोमजूड़ पहुँचा था, ने बताया कि SIR (विशेष गहन संशोधन) अभियान की खबरों से डरकर वह अपनी पत्नी और दो बच्चों के साथ सुबह-सुबह हाकिमपुर पहुँचा।

500 से ज़्यादा अवैध नागरिक लौटने की कोशिश में

उत्तर 24 परगना में यह मामला राजनीतिक विवाद का विषय बन गया है। लगभग 500 अवैध बांग्लादेशी नागरिक, जो कोलकाता के उपनगरीय इलाकों में वर्षों से छिपकर रह रहे थे, SIR अभियान के डर से लौटना चाह रहे हैं। लेकिन BSF ने उन्हें आगे बढ़ने से रोका, जबकि बांग्लादेश की BGB ने उन्हें अपने देश में प्रवेश नहीं दिया। बीजेपी इसे अवैध घुसपैठ के खिलाफ कार्रवाई बता रही है, जबकि TMC इसे राजनीतिक साज़िश कह रही है।

“NRC की बातें सुनकर डर लग रहा है”

एक महिला ने बताया कि वह दस साल पहले न्यू टाउन आई थी, लेकिन अब NRC और दस्तावेज़ों की जांच की चर्चाओं से बेहद डर रही है। उसके पास भारतीय दस्तावेज़ नहीं हैं। वह घरेलू सहायक के रूप में और उसका पति मैनुअल स्कैवेंजिंग का काम करते हैं। BSF के मुताबिक, पिछले एक हफ्ते में 400 से ज़्यादा लोग हाकिमपुर पहुँच चुके हैं। मंगलवार दोपहर तक यह संख्या 500 के पार हो गई।

ये लोग मुख्य रूप से सतखीरा और जशोर जिलों के हैं, जो कोलकाता में घरेलू काम या छोटे व्यवसायों से गुज़ारा करते थे। SIR अभियान के तहत घर-घर दस्तावेज़ जांच ने अवैध प्रवासियों में भय और अनिश्चितता बढ़ा दी है, जिसके चलते इस साल का सबसे बड़ा उल्टा पलायन देखने को मिल रहा है।

दस्तावेज़ कम, डर ज़्यादा

कुछ परिवारों के पास भारतीय दस्तावेज़ हैं, लेकिन वे फिर भी डर के कारण लौटना चाह रहे हैं। BSF वाहनों की सख़्त जांच कर रही है, जबकि स्थानीय लोग भोजन और अस्थायी रहने की व्यवस्था कर रहे हैं। पहले जहां रोज़ 10–20 लोग लौटते थे, अब यह संख्या 150–200 प्रतिदिन तक पहुँच गई है। अधिकांश लोगों के पास वैध दस्तावेज़ नहीं हैं, और SIR से जुड़ी आशंकाओं ने उन्हें सीमा तक ला खड़ा किया है।


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मीनाक्षी हूडा ने भारत के लिए खोला गोल्ड का खाता, फाइनल में उज्बेक बॉक्सर को करारी शिकस्त

मीनाक्षी हूडा ने गुरुवार को वर्ल्ड बॉक्सिंग कप फाइनल्स में शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत के लिए पहला स्वर्ण पदक जीता। महिलाओं के 48 किग्रा वर्ग के फाइनल में उन्होंने उज्बेकिस्तान की फरजोना फोज़ीलोवा को सर्वसम्मति से 5-0 के अंतर से पराजित किया। नई दिल्ली में आयोजित इस टूर्नामेंट में मीनाक्षी ने बेहतरीन संयम और आक्रामक रणनीति का प्रदर्शन किया। जीत के बाद उन्होंने कहा कि शुरुआत में वह थोड़ी नर्वस थीं, लेकिन दर्शकों का उत्साह देखकर उनका आत्मविश्वास बढ़ गया। उन्होंने कहा, “देश के लिए गोल्ड जीतकर बेहद खुशी है।”


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ट्रंप का चौंकाने वाला दावा: ‘मैंने कहा—वरना 350% टैरिफ लगा दूंगा’, भारत-पाक संघर्ष विराम पर नया बयान

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने एक बार फिर दावा किया है कि उन्होंने पिछले मई महीने में भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को शांत कराया था। ट्रंप के अनुसार, उन्होंने दोनों देशों पर 350% टैरिफ लगाने की धमकी दी, जिसके बाद हालात काबू में आए। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें फोन कर जानकारी दी कि “हम जंग नहीं करने जा रहे हैं।”

हालांकि भारत कई बार साफ कर चुका है कि भारत-पाक मसले में किसी तीसरे देश की मध्यस्थता नहीं हुई।

ट्रंप का बार-बार दोहराया गया दावा

हैरानी की बात यह है कि डोनल्ड ट्रंप यह दावा 60 से अधिक बार दोहरा चुके हैं, जबकि भारत लगातार यह कहता रहा कि किसी भी विदेशी हस्तक्षेप या मध्यस्थता की जरूरत नहीं पड़ी।

बुधवार को ट्रंप ने फिर कहा कि वे “झगड़े सुलझाने में हमेशा अच्छे रहे हैं।” उन्होंने दावा किया कि भारत और पाकिस्तान—दोनों परमाणु संपन्न देश—लड़ने वाले थे, लेकिन उन्होंने दोनों के बीच सुलह कराई।

‘350% टैरिफ की धमकी देकर रोका विवाद’

यूएस-सऊदी इन्वेस्टमेंट फोरम में बोलते हुए ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दोनों पड़ोसी देशों से कहा, “आप लड़ सकते हैं, लेकिन मैं आप पर 350% टैरिफ लगा दूंगा।” उनके इस बयान के दौरान सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान भी मौजूद थे।

ट्रंप ने दावा किया कि पिछले वर्षों में उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय संघर्षों को “टैरिफ” के जरिये खत्म कराया है और दुनिया के आठ युद्धों में से पांच उनकी इस रणनीति से रुक सके।

पहले भी इसी तरह के दावे कर चुके हैं ट्रंप

गौरतलब है कि ट्रंप 10 मई से लगातार अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में लिखते आए हैं कि भारत और पाकिस्तान ने वॉशिंगटन की मध्यस्थता में हुई बातचीत के बाद तुरंत संघर्ष विराम पर सहमति बनाई। उन्होंने यह दावा भी 60 से ज्यादा बार दोहराया है कि दोनों देशों के बीच तनाव कम कराने में उनकी भूमिका अहम रही।


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अहान पांडे की एक्शन थ्रिलर में नई एंट्री: खलनायक का किरदार निभाएगा नया स्टार, पर्दे पर मचाएगा धमाल

सुल्तान और टाइगर जिंदा है जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्मों का निर्देशन कर चुके अली अब्बास जफर जल्द ही एक बार फिर यशराज फिल्म्स के साथ वापसी कर रहे हैं। उनकी इस अनटाइटल फिल्म में सैयारा के जरिए बॉलीवुड में चर्चा में आए अभिनेता अहान पांडे लीड रोल में नजर आएंगे।

अब इस अपकमिंग एक्शन-रोमांटिक थ्रिलर को लेकर एक और बड़ी अपडेट सामने आई है। खबर है कि इस फिल्म में एक नए एक्टर की एंट्री हुई है, जो पर्दे पर खलनायक का दमदार किरदार निभाने वाला है।

अहान पांडे की फिल्म में नई एंट्री

सैयारा के बाद अली अब्बास जफर की इस फिल्म को लेकर अहान पांडे लगातार सुर्खियों में हैं। हाल ही में यह भी सामने आया था कि अहान इस रोल के लिए तेज़ी से फिटनेस पर काम कर रहे हैं और बॉक्सिंग व मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग ले रहे हैं।

अब यशराज फिल्म्स ने कन्फर्म कर दिया है कि इस फिल्म में अहान पांडे के अपोज़िट एक्टर ऐश्वर्य ठाकरे नजर आएंगे, जो फिल्म में नेगेटिव रोल प्ले करेंगे। उनकी एंट्री ने फिल्म को लेकर उत्सुकता और बढ़ा दी है। कास्ट पर नजर डालें तो अब तक फिल्म में अहान पांडे, शरवरी वाघ और ऐश्वर्य ठाकरे का नाम शामिल हो चुका है।

डेब्यू से ही ऐश्वर्य ठाकरे ने खींचा ध्यान

बीते कुछ वर्षों में ऐश्वर्य ठाकरे का नाम लगातार चर्चा में रहा है। उभरते कलाकार के रूप में उन्होंने इंडस्ट्री का ध्यान अपनी ओर खींचा है। अनुराग कश्यप की निशांची से हिंदी फिल्मों में कदम रखने वाले ऐश्वर्य ने अपने पहले ही प्रोजेक्ट में यह साबित कर दिया था कि उनके भीतर अभिनय की मजबूत क्षमता है।

हालांकि निशांची बॉक्स ऑफिस पर खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन ऐश्वर्य की स्क्रीन प्रेज़ेंस और आत्मविश्वासी परफॉर्मेंस की खूब सराहना हुई। उसी प्रतिभा के चलते अब उन्हें यशराज फिल्म्स जैसे बड़े प्रोडक्शन हाउस की फिल्म मिलना उनके करियर के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है।


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सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला: राज्यपाल की समय सीमा भले न हो, लेकिन किसी भी बिल को अनिश्चितकाल तक रोक नहीं सकते

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा विधानसभा से पारित बिलों की मंजूरी से जुड़ी समय सीमा के मुद्दे पर अहम फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि राज्यपाल के पास किसी भी विधेयक को अनिश्चितकाल तक रोककर रखने का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि किसी राज्य के गवर्नर के पास किसी बिल को लेकर केवल तीन विकल्प होते हैं—या तो वह बिल को मंजूरी दें, या उसे दोबारा विचार के लिए विधानसभा को लौटाएं, या फिर उसे राष्ट्रपति के पास भेजें। अदालत ने यह भी बताया कि इन तीन विकल्पों के अलावा राज्यपाल के पास कोई अतिरिक्त विवेकाधिकार नहीं है।

बिलों की मंजूरी के लिए समय सीमा तय करने के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत किसी राज्यपाल के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं कर सकती। हालांकि, अगर अत्यधिक देरी होती है और स्थिति असामान्य होती है, तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है।

यह विवाद मूल रूप से तमिलनाडु में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच चले टकराव के दौरान उठा था, जहां कई विधेयकों को राज्यपाल ने लंबित रखा था। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को टिप्पणी की थी कि राज्यपाल के पास किसी भी बिल को वीटो करने की शक्ति नहीं है। इसके बाद 11 अप्रैल को कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि कोई बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, तो उस पर तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने इस आदेश पर अपनी चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और कुल 14 सवाल पूछे थे।

ताज़ा फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल किसी भी बिल को मंजूरी देने से पहले उसे अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते। साथ ही, राज्यपाल पर समयसीमा थोपना संविधान के शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि राज्यपाल अगर अनुच्छेद 200 के तहत तय संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किए बिना बिलों को रोकते हैं, तो यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। एकतरफा तरीके से बिलों को रोकना न केवल संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है, बल्कि संघवाद की भावना का भी उल्लंघन है।

गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपाल द्वारा विधानसभा से पारित बिलों की मंजूरी से जुड़ी समय सीमा के मुद्दे पर अहम फैसला सुनाया। अदालत ने स्पष्ट कर दिया कि राज्यपाल के पास किसी भी विधेयक को अनिश्चितकाल तक रोककर रखने का अधिकार नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि किसी राज्य के गवर्नर के पास किसी बिल को लेकर केवल तीन विकल्प होते हैं—या तो वह बिल को मंजूरी दें, या उसे दोबारा विचार के लिए विधानसभा को लौटाएं, या फिर उसे राष्ट्रपति के पास भेजें। अदालत ने यह भी बताया कि इन तीन विकल्पों के अलावा राज्यपाल के पास कोई अतिरिक्त विवेकाधिकार नहीं है।

बिलों की मंजूरी के लिए समय सीमा तय करने के सवाल पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत किसी राज्यपाल के लिए कोई निश्चित समय सीमा तय नहीं कर सकती। हालांकि, अगर अत्यधिक देरी होती है और स्थिति असामान्य होती है, तो कोर्ट हस्तक्षेप कर सकता है।

यह विवाद मूल रूप से तमिलनाडु में राज्यपाल और राज्य सरकार के बीच चले टकराव के दौरान उठा था, जहां कई विधेयकों को राज्यपाल ने लंबित रखा था। इसी संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को टिप्पणी की थी कि राज्यपाल के पास किसी भी बिल को वीटो करने की शक्ति नहीं है। इसके बाद 11 अप्रैल को कोर्ट ने यह भी कहा था कि यदि कोई बिल राष्ट्रपति के पास भेजा जाता है, तो उस पर तीन महीने के भीतर निर्णय लिया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति ने इस आदेश पर अपनी चिंता जताते हुए सुप्रीम कोर्ट से सलाह मांगी थी और कुल 14 सवाल पूछे थे।

ताज़ा फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल किसी भी बिल को मंजूरी देने से पहले उसे अनिश्चितकाल तक लंबित नहीं रख सकते। साथ ही, राज्यपाल पर समयसीमा थोपना संविधान के शक्तियों के पृथक्करण (Separation of Powers) के सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

पांच जजों की संविधान पीठ ने सर्वसम्मति से कहा कि राज्यपाल अगर अनुच्छेद 200 के तहत तय संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किए बिना बिलों को रोकते हैं, तो यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। एकतरफा तरीके से बिलों को रोकना न केवल संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है, बल्कि संघवाद की भावना का भी उल्लंघन है।


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भारत में बढ़ा खतरा: 83% मरीजों में मिले मल्टीड्रग रेजिस्टेंट सुपरबग

हाल ही में Lancet eClinical Medicine में प्रकाशित एक स्टडी ने भारत में बढ़ते एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस को लेकर गंभीर चेतावनी दी है। अध्ययन के अनुसार, भारतीय मरीजों में 83% तक मल्टीड्रग रेजिस्टेंट ऑर्गैनिज्म (MDROs) पाए गए हैं, जो दुनिया के सबसे ऊंचे आंकड़ों में से एक है। यह स्थिति बताती है कि सुपरबग (Superbug) का खतरा अब सिर्फ अस्पतालों तक सीमित नहीं है, बल्कि व्यापक स्तर पर फैल चुका है।

चार देशों—भारत, इटली, अमेरिका और नीदरलैंड—में 1,200 से अधिक मरीजों पर किए गए अध्ययन में पाया गया कि भारत की स्थिति सबसे गंभीर है। आंकड़े इस प्रकार रहे—भारत 83%, इटली 31.5%, अमेरिका 20.1% और नीदरलैंड 10.8%। भारतीय मरीजों में विशेष रूप से 70.2% ESBL-प्रोड्यूसिंग बैक्टीरिया और 23.5% कार्बापेनेम-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया मिले। यह बैक्टीरिया उन ‘लास्ट-रिज़ॉर्ट’ एंटीबायोटिक्स पर भी असर नहीं होने देते, जिन्हें बेहद गंभीर संक्रमण में अंतिम विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।

स्टडी में यह भी पाया गया कि यह समस्या मरीजों की मेडिकल हिस्ट्री से नहीं जुड़ी, बल्कि समाज में एंटीबायोटिक्स के गलत और अत्यधिक इस्तेमाल से बढ़ रही है। यह चिंताजनक है कि 80% से अधिक मरीजों में रेजिस्टेंट बैक्टीरिया पाए गए, जो एंटीबायोटिक्स के उपयोग पर सख्त नियंत्रण की जरूरत को दर्शाते हैं।

भारत में रेजिस्टेंस बढ़ने की कई वजहें सामने आई हैं—बिना प्रिस्क्रिप्शन एंटीबायोटिक लेना, वायरल बीमारियों में भी दवाओं का सेवन, दवाओं का पूरा कोर्स न करना और पशुओं व खेतों में एंटीबायोटिक्स का बढ़ता उपयोग। इससे बैक्टीरिया समय के साथ मजबूत होते जाते हैं और दवाओं पर असर नहीं रहता।

एंटीबायोटिक रेजिस्टेंस का असर बेहद गंभीर है। इससे उपचार न केवल कठिन होता है, बल्कि खर्च भी कई गुना बढ़ जाता है। जहां सामान्य मरीज कुछ दिनों में कम खर्च में ठीक हो जाता है, वहीं MDR मरीज को ICU, महंगी दवाओं और लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती रहने की जरूरत पड़ सकती है।

सुपरबग से बचाव के लिए कुछ सरल लेकिन जरूरी कदम अपनाने चाहिए—बिना डॉक्टर की सलाह के एंटीबायोटिक न लें, बची हुई दवाओं का प्रयोग न करें, वायरल बीमारियों में एंटीबायोटिक की मांग न करें और डॉक्टर द्वारा बताए गए कोर्स को पूरा करें। साथ ही, साफ-सफाई, सुरक्षित भोजन, स्वच्छ पानी और समय पर वैक्सीन लगवाना भी बेहद जरूरी है। पालतू जानवरों में भी एंटीबायोटिक का उपयोग केवल वेटरनरी डॉक्टर की सलाह पर ही होना चाहिए।


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नीतीश कुमार ने रचा इतिहास: 10वीं बार पदभार ग्रहण, 25 मंत्रियों के साथ NDA की मजबूती का प्रदर्शन

राज्यपाल ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई। उनके बाद सम्राट चौधरी और विजय सिन्हा ने उप मुख्यमंत्री के रूप में पद एवं गोपनीयता की शपथ ली। इसके साथ ही एनडीए गठबंधन की नई सरकार ने औपचारिक रूप से कामकाज की शुरुआत कर दी। समारोह में 25 से अधिक मंत्रियों ने शपथ ग्रहण किया, जिनमें जमुई की विधायक और पहली बार मंत्री बनने वाली श्रेयसी सिंह भी शामिल रहीं।

मंत्रिमंडल में शामिल प्रमुख नाम हैं—सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा, विजय चौधरी, विजेंद्र यादव, श्रवण कुमार, मंगल पांडेय, दिलीप जायसवाल, अशोक चौधरी, लेशी सिंह, मदन सहनी, नितिन नवीन, रामकृपाल यादव, संतोष सुमन, सुनील कुमार, मो. जमां खान, संजय सिंह टाइगर, अरुण शंकर प्रसाद, सुरेंद्र मेहता, नारायण प्रसाद, रमा निषाद, लखेन्द्र कुमार रोशन, श्रेयसी सिंह, डॉ. प्रमोद कुमार, संजय कुमार और संजय कुमार सिंह।

गांधी मैदान में सुबह से ही भारी भीड़ उमड़ने लगी थी। राज्य के विभिन्न जिलों से आए लोगों ने उत्सवी माहौल बना दिया। चारों ओर ‘जय बिहार’ और ‘नीतीश कुमार जिंदाबाद’ के नारे गूंज रहे थे। समर्थक गमछे लहराकर नेताओं का अभिवादन कर रहे थे।

इस शपथ ग्रहण समारोह की खास बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी रही। बिहार के इतिहास में पहली बार किसी मुख्यमंत्री के शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री स्वयं उपस्थित हुए। पीएम मोदी की उपस्थिति ने कार्यक्रम की गरिमा और राजनीतिक महत्व को और बढ़ा दिया। उनके अलावा असम, हरियाणा, नागालैंड, मेघालय, उत्तर प्रदेश के उप मुख्यमंत्री सहित 16 राज्यों के मुख्यमंत्री तथा कई केंद्रीय मंत्री भी समारोह में मौजूद रहे।

कार्यक्रम के दौरान सांस्कृतिक माहौल भी चरम पर था। मंच से छठ गीत और भोजपुरी संगीत लगातार बजते रहे। मनोज तिवारी और पवन सिंह जैसे कलाकारों की मौजूदगी ने भीड़ में अलग उत्साह भर दिया। कार्यक्रम का संचालन बांकीपुर के विधायक नितिन नवीन ने किया, जिन्होंने पूरे संयम और उत्साह के साथ सभी गतिविधियों को संभाला।

शपथ ग्रहण समारोह केवल एक औपचारिक आयोजन भर नहीं था, बल्कि बिहार की बदलती राजनीतिक दिशा, नेतृत्व की स्थिरता और नई उम्मीदों का प्रतीक बनकर उभरा। जनता की भारी मौजूदगी ने यह स्पष्ट कर दिया कि नीतीश कुमार की यह नई पारी जनता की अपेक्षाओं और विश्वास के साथ शुरू हो रही है।


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दिल्ली-NCR में पॉल्यूशन का रेड अलर्ट; कई इलाकों में AQI खतरनाक स्तर पर

दिल्ली-NCR में प्रदूषण का संकट बुधवार सुबह और गहरा गया। धुंध, धुएं और ठंडी हवा के स्थिर रहने से पूरे क्षेत्र की वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्थिति में पहुंच गई है। सुबह से ही लोगों में आंखों में जलन, गले में खराश और सीने में भारीपन की शिकायतें बढ़ी हैं। हवा में मौजूद PM2.5 सूक्ष्म कण सामान्य मानकों से कई गुना ऊपर दर्ज किए गए, जिससे हालात और बिगड़ते जा रहे हैं।

बुधवार सुबह जारी आंकड़ों के अनुसार, राजधानी के कई इलाकों में AQI ‘सीवियर’ श्रेणी में रहा। वजीरपुर, ग्रेटर नोएडा के नॉलेज पार्क-5 और बवाना में प्रदूषण स्तर सबसे अधिक दर्ज किया गया, जहां AQI 530 से 578 के बीच रहा। इसके अलावा DTU दिल्ली, जहांगीरपुरी सहित कई इलाकों में एयर क्वालिटी 500 के आसपास बनी हुई है, जो स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक स्तर है।

मंगलवार शाम CPCB के बुलेटिन में भी वायु गुणवत्ता लगातार खराब होने के संकेत मिल चुके थे। दिल्ली की औसत वायु गुणवत्ता ‘वेरी पुअर’ श्रेणी में रही, जबकि गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा जैसे शहर ‘सीवियर’ स्तर तक पहुंच गए थे। नोएडा, बागपत, हापुड़ और मेरठ की हवा भी ‘बहुत खराब’ स्थिति में दर्ज की गई थी। मौसम के स्थिर होने के कारण बुधवार की सुबह प्रदूषण का स्तर और तेजी से बढ़ गया।

दिल्ली-NCR के कई इलाके अभी भी गंभीर रूप से प्रभावित हैं और कई जगहों पर हवा इतनी प्रदूषित है कि लोगों के लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया है। इसी बिगड़ती स्थिति को लेकर राजधानी में प्रदूषण विरोधी प्रदर्शनों में भी तेजी आई है। सामाजिक संगठनों, छात्रों और स्थानीय निवासियों ने मार्च निकालकर सरकार से तुरंत हस्तक्षेप की मांग की है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि लगातार ‘वेरी पुअर’ और ‘सीवियर’ स्तर होने के बावजूद प्रभावी कदम नजर नहीं आ रहे, जिससे लोगों की सेहत पर सीधा खतरा बढ़ रहा है। उन्होंने औद्योगिक उत्सर्जन पर सख्त नियंत्रण, निर्माण गतिविधियों पर निगरानी और ठोस एंटी-पॉल्यूशन एक्शन की मांग की है।


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IMD ने 5 राज्यों में भीषण शीतलहर का अलर्ट जारी किया

उत्तर भारत में ठंड का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और कई राज्यों में तापमान तेजी से गिर रहा है। मौसम विभाग ने आज फिर से 5 राज्यों में भीषण शीतलहर का अलर्ट जारी किया है। मध्य महाराष्ट्र और पश्चिमी मध्य प्रदेश में आज और कल शीतलहर की स्थिति बनी रहने की संभावना है। वहीं मराठवाड़ा, विदर्भ, तेलंगाना और छत्तीसगढ़ के कुछ हिस्सों में भी ठंड और बढ़ सकती है। मौसम विभाग के अनुसार पश्चिम और मध्य भारत में अगले 24 घंटों तक न्यूनतम तापमान में कोई खास बदलाव नहीं होगा, लेकिन उसके बाद 2–4 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ोतरी देखी जा सकती है।

IMD ने 18 से 24 नवंबर के बीच दक्षिण भारत के कई राज्यों में भारी बारिश की चेतावनी भी दी है। अंडमान-निकोबार द्वीप समूह, लक्षद्वीप, तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्र प्रदेश के कुछ इलाकों में भारी से बहुत भारी बारिश के आसार हैं। तमिलनाडु में तेज बारिश की वजह से कई जगह जलभराव की स्थिति बन गई है।

हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति और मनाली क्षेत्र में बर्फबारी जारी है, जिससे ठंड और बढ़ गई है। मनाली में न्यूनतम तापमान 9–10 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। उत्तराखंड में भी तापमान 2–3 डिग्री सेल्सियस तक गिरने का अनुमान है। वहीं, दिल्ली और आसपास के इलाकों में आज बादल छाए रहने के साथ सुबह के समय कोहरा और धुंध की स्थिति रहेगी। राजधानी में न्यूनतम तापमान करीब 10 डिग्री सेल्सियस रहने का अनुमान है।

राजस्थान में शीतलहर का कहर बढ़ने लगा है और माउंट आबू में तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया। आज से राजस्थान और मध्य प्रदेश में ठंडी हवाएं तेज होंगी, जिनकी रफ्तार 15–20 किलोमीटर प्रति घंटा रह सकती है।

उत्तर प्रदेश में सर्द हवाओं के कारण तापमान में और गिरावट आएगी। कानपुर, बाराबंकी, इटावा, लखनऊ और प्रयागराज सहित कई जिलों में शीतलहर की वजह से ठंड अचानक बढ़ सकती है। बिहार में पटना और आसपास के इलाकों में मौसम शुष्क रह सकता है, लेकिन पछुआ हवाओं के चलते सुबह-शाम हल्की ठंडक महसूस होगी।


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