इधर हाईकोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने का दिया ऑर्डर, उधर किसान संगठनों ने फिर बनाया दिल्ली कूच का प्लान

हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर अपनी विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की आज बैठक होने वाली है. इस बैठक में किसान आने वाले दिनों के आंदोलन की रणनीति तय कर करेंगे. किसानों की यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है क्योंकि इस बैठक के बाद सुस्त पड़ रहे आंदोलन में फिर से एक बार नई जान आ सकती है. इस बैठक में सभी किसान संगठन दिल्ली कूच करने के फैसले पर मंथन करेंगे. इसके बाद किसान दिल्ली कूच करने का एलान कर सकते हैं. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट और पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की तरफ से शंभू बॉर्डर खोलने के आदेश दिए गए हैं. इसके बाद से ही किसान अपनी रणनीति बनाने में जुट गए हैं. 

यह बैठक आज दोपहर में लगभग ढाई बजे आयोजित की जाएगी. बैठक शाम तक चलेगी इसके बाद किसान दिल्ली कूच करने को लेकर एलान कर सकते हैं. शंभू बॉर्डर पर यह बैठक किसान नेता सरवन सिंह पंधेर और जगजीत सिंह डल्लेवाल की अगुवाई में की जाएगी. किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने पहले की खनौरी बॉर्डर पर किसानों को तैयार रहने के लिए कहा है. माना जा रहा है कि बैठक में रणनीति तय करने बाद और हरियाणा सरकार की तरफ से बॉर्डर खोलने के बाद किसान शंभू और बॉर्डर से दिल्ली मार्च की शुरुआत कर सकते हैं. वहीं आज होने वाली इस बैठक में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के किसान नेता भी शामिल हो सकते हैं. 

अपनी मांगों पर अडिग हैं किसान

गौरतलब है कि किसानों ने पांच महीने पहले ही दिल्ली मार्च करने का एलान किया था. जिसके बाद से शंभू बॉर्डर को बंद कर दिया गया था. पंजाब और हरियाणा को अलग-अलग करने वाले इस बॉर्डर पर हरियाणा पुलिस की तरफ से बैरिकेडिंग की गई थी. लंबे समय तक बॉर्डर बंद रहने के कारण आम लोगों और व्यापारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था. जबकि किसान अपनी मांगों को लेकर अडिग हैं.  बॉर्डर पर विरोध कर रहे किसानों का कहना है कि वो किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे और अपनी मांगों को पूरा कराकर ही दम लेंगे. 

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी

बॉर्डर पर किसानों के प्रदर्शन के कारण आम लोगों और व्यापारियों को हो रही परेशानी को देखते हुए बॉर्डर खोलने को लेकर एक जनहित याचिका दायर की गई थी. जिस पर फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने के पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश पर बड़ी टिप्पणी की थी. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार हाईवे पर कैसे ट्रैफिक को रोक सकती है. साथ ही कहा कि राज्य सरकार का काम है कि वो यातायात को नियंत्रित करें. कोर्ट ने कहा कि हम कह रहे हैं कि बॉर्डर को खुला रखें लेकिन उसको नियंत्रित भी करें. आखिर राज्य सरकार हाईवे को खोलने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती क्यों देना चाहती है.  सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसान भी देश के नागरिक हैं, उन्हें भी सुविधाएं चाहिए. उन्हें भी भोजन और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं दी जानी चाहिए. वे आएंगे, नारे लगाएंगे और चले जाएंगे.