केजरीवाल की जमानत पर आज ही फैसला हो

शराब नीति केस में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को CBI ने अरेस्ट किया है। केजरीवाल ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी है। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा की कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है। केजरीवाल के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा- अरविंद केजरीवाल जनता के चुने हुए मुख्यमंत्री हैं, आतंकवादी नहीं।

सिंघवी ने कोर्ट में पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का जिक्र किया। उन्होंने कहा- हाल ही में इमरान खान को रिहा किया गया था, लेकिन उन्हें दूसरे मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।

न्यूज वेबसाइट बार एंड बेंच के मुताबिक- सिंघवी ने कहा- CBI ने आज अपना पक्ष रखने की बात कही है। यदि वे समय लेते हैं, तो केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी जाए। इसके जवाब में CBI के वकील- डीपी सिंह ने कहा- हम आज ही अपनी दलीलें देंगे। लेकिन दलीलें देते-देते 4 बज जाएं तो कोर्ट सुनवाई के लिए कोई और तारीख भी दे सकता है।

ट्रायल कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को 20 जून को PMLA के तहत नियमित जमानत दी। 4 दिनों के बाद CBI ने केजरीवाल से न्यायिक हिरासत में पूछताछ करने का आदेश लिया और 26 जून को उन्हें गिरफ्तार कर लिया। मुझे न आवेदन की कॉपी मिली, न नोटिस मिला और आदेश पारित कर दिया गया। मेरी बात ही नहीं सुनी गई।

कोर्ट रूम Live

सिंघवी: केजरीवाल सीएम हैं, आतंकवादी नहीं। CBI ने ट्रायल कोर्ट में पूछताछ के लिए आवेदन दिया, आवेदन स्वीकार कर लिया गया, नोटिस भी नहीं भेजा गया।

सिंघवी: मुझे गिरफ्तार करने का सिर्फ एक ही कारण बताया गया है कि मैं संतोषजनक जवाब नहीं दे रहा हूं। ट्रायल कोर्ट को इसकी इजाजत नहीं देनी चाहिए थी। इसका आधार क्या है?

सिंघवी: मान लीजिए मैं कहता हूं कि मैं जवाब नहीं दूंगा। मैं एक बहुत बड़ा सवाल पूछ रहा हूं, लेकिन क्या मेरे लॉर्ड कहेंगे कि मैं जवाब नहीं दे रहा हूं, इसलिए मुझे गिरफ्तार कर लिया जाए? अनुच्छेद 22 और 23 का क्या होगा?

सिंघवी: यह एक सामान्य कानून है। कोई स्पेशल कानून नहीं है। आप स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार और कानूनी प्रक्रिया का उल्लंघन करते हुए मेरे साथ व्यवहार नहीं कर सकते हैं।

सिंघवी: CBI के दस्तावेज की कोई कॉपी मुझे नहीं दी गई। कस्टडी के दौरान पूछताछ की जानकारी दी गई थी। कोई नोटिस नहीं दिया गया। मामले को लेकर हमारी बात नहीं सुनी गई।

सिंघवी: ट्रायल कोर्ट ने चार दिन पहले ही मुझे PMLA के तहत नियमित जमानत दी थी। तीन दिन पहले इमरान खान रिहा हुए, सबने अखबार में पढ़ा। उन्हें एक और मामले में फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। हमारे देश में ऐसा नहीं हो सकता।

सिंघवी: जिस दिन CBI ने एप्लिकेशन लगाई, उसी दिन ट्रायल कोर्ट ने पूछताछ की अनुमति दे दी। बिना हमें बताए अनुमति दे दी गई। यह कोई पोस्ट ऑफिस सिस्टम नहीं है। अगले दिन एक और एप्लिकेशन दी गई, जिसमें अरेस्ट करने की अनुमति मांगी गई। हैरानी की बात यह है कि एप्लिकेशन में ही धारा 160 का जिक्र कर दिया गया। केजरीवाल अचानक आरोपी बन गए। यह कैसे, कब हो गया। कुछ नहीं बताया गया।

सिंघवी: मामले में नया सबूत क्या है। मंगुटा रेड्डी का स्टेटमेंट पहले ही रिकॉर्ड कर लिया गया था। यह हुक और क्रूक अरेस्ट है।

सिंघवी: अरेस्ट करना ही क्यों है। क्या यह बहुत महत्वपूर्ण है। केजरीवाल पहले ही जेल में थे। आप पूछताछ कर सकते थे। आपको अरेस्ट करने की जरूरत नहीं थी। यह एक अतिरिक्त अरेस्ट है। एक इंश्योरेंस अरेस्ट की तरह। ये चाहते हैं कि केजरीवाल जेल के बाहर न आएं, इसलिए दूसरे केस में गिरफ्तार किया।

सिंघवी: इस मामले में देरी होने पर हमने अंतरिम जमानत के लिए भी अर्जी दाखिल की है। CBI ने कहा कि वे आज अपना पक्ष रखेंगे। यदि वे समय लेते हैं, तो केजरीवाल को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए।

डीपी सिंह: हम आज ही अपनी दलीलें देंगे। लेकिन अगर दलीलें देते-देते समय 4 बज जाए तो कोर्ट इस मामले पर सुनवाई के लिए कोई और तारीख भी दे सकता है।

सिंघवी: केजरीवाल को 3 बार जमानत मिली है। दो बार सुप्रीम कोर्ट से और एक बार ट्रायल कोर्ट से। अगर आपको मामले में कुछ ठोस नहीं मिल जाता तो फिर हमारा बेल मांगने में क्या गलत है।

सिंघवी: 5 बार ऐसा हो चुका है, जब केजरीवाल का ब्लड शुगर लेवल 50 से नीचे हो चुका है। इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए।

डीपी सिंह: यह कौन तय करेगा कि जांच कैसे की जाती है। केजरीवाल या उनके वकील तय नहीं करेंगे। सिंघवी कहते हैं कि केजरीवाल की पूछताछ 9 घंटे तक चली। हमारे पास रिकॉर्डिंग है। इस सब के दौरान CBI ऑफिस के सामने भारी भीड़ थी।

केजरीवाल के खिलाफ ED-CBI के अलग-अलग मामले

केजरीवाल पर दो मामले दर्ज हैं। पहला ED का, जिसमें उनके खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया गया है। ED ने केजरीवाल को 21 मार्च को गिरफ्तार किया था। दूसरा CBI का, जिसे शराब नीति में भ्रष्टाचार को लेकर दर्ज किया गया।

इस केस में 26 जून को केजरीवाल को दोबारा गिरफ्तार किया गया। यह केस दिल्ली LG वीके सक्सेना की शिकायत पर दर्ज हुआ था। दोनों मामले अलग-अलग दर्ज किए गए हैं, इसलिए इनमें गिरफ्तारी भी अलग-अलग हुई है।

ED केस में केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से जमानत

केजरीवाल को शराब नीति से जुड़े ED केस में 12 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिल चुकी है। जस्टिस संजीव खन्ना ने जमानत देते हुए कहा- केजरीवाल 90 दिन से जेल में हैं। इसलिए उन्हें रिहा किए जाने का निर्देश देते हैं। हम जानते हैं कि वह चुने हुए नेता हैं और ये उन्हें तय करना है कि वे मुख्यमंत्री बने रहना चाहते हैं या नहीं।

जस्टिस खन्ना ने कहा- हम ये मामला बड़ी बेंच को ट्रांसफर कर रहे हैं। गिरफ्तारी की पॉलिसी क्या है, इसका आधार क्या है। इसके लिए हमने ऐसे 3 सवाल भी तैयार किए हैं। बड़ी बेंच अगर चाहे तो केजरीवाल की अंतरिम जमानत पर बदलाव कर सकती है।

ED ने शराब नीति केस में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट दाखिल की

इधर, शराब नीति केस में ED ने मंगलवार (9 जुलाई) को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में सातवीं सप्लिमेंट्री चार्जशीट पेश की थी। 208 पेज की इस चार्जशीट में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को केस का सरगना और साजिशकर्ता बताया गया है। चार्जशीट में कहा गया कि स्कैम से मिला पैसा आम आदमी पार्टी पर खर्च हुआ है।

ED ने चार्जशीट में कहा कि केजरीवाल ने 2022 में हुए गोवा चुनाव में AAP के चुनाव अभियान में यह पैसा खर्च किया। दावा किया गया है कि केजरीवाल ने शराब बेचने के कॉन्ट्रेक्ट के लिए साउथ ग्रुप के सदस्यों से 100 करोड़ रुपए की रिश्वत मांगी थी, जिसमें से 45 करोड़ रुपए गोवा चुनाव पर खर्च किए गए थे।

ED ने जोर देकर कहा कि केजरीवाल ने दावा किया कि AAP के पूर्व मीडिया प्रभारी और इस केस के सह-आरोपी विजय नायर ने उनके नहीं, बल्कि मंत्री आतिशी और सौरभ भारद्वाज के अधीन काम किया था। इसमें यह भी दावा किया गया है कि CM ने कहा कि दुर्गेश पाठक गोवा के राज्य प्रभारी थे और फंड का प्रबंधन करते थे और फंड से संबंधित निर्णयों में उनकी खुद कोई भूमिका नहीं थी और उन्हें भारत राष्ट्र समिति की नेता के कविता से रिश्वत नहीं मिली थी।