चीन के बॉम्बर ने अमेरिका में दहशत मचा दी. इसमें रूस के सहयोग की भी बात सामने आई है. चीन के H-6 सीरीज के 2 विमानों ने रूसी TU-95 बॉम्बर के साथ बुधवार सुबह अमेरिका के अलास्का के पास उड़ान भरी थी. फॉक्स न्यूज के मुताबिक, नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने कहा कि उसने अलास्का के तट पर 2 रूसी टीयू-95 बॉम्बर और 2 चीनी एच-6 बमवर्षक को रोकने के लिए लड़ाकू जेट भेजे. एजेंसी ने पुष्टि की है कि उसने 24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में 2 रूसी TU-95 और दो चीनी H-6 सैन्य विमानों का पता लगाया और उन्हें रोका गया.
रिपोर्ट में कहा गया कि अमेरिका और कनाडा के NORAD ने विमानों ने इन विमानों को वापस भेजा. फॉक्स न्यूज की रिपोर्ट में कहा गया कि यह पहली बार हुआ, जब रूस और चीन ने अलास्का के तट पर संयुक्त बमवर्षक भेजे. एजेंसी ने ये भी कहा कि रूसी और चीन के विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही बने रह. उन्होंने अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया. अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में में रूसी और चीन की इस गतिविधि को खतरे के रूप में नहीं देखा गया है हालांकि, अमेरिका इस पर निगरानी जारी रखेगा.
ये है चीन के विमानों की खासियत
चीन के H-6 सीरीज के विमानों में अलग-अलग प्रकार विमान शामिल हैं, जिनमें मिसाइल वाहक विमान और हवाई ईंधन भरने वाले टैंकर भी हैं. इसके साथ ही बड़े आकार के हथियार ले जाने के लिए इन्हें डिजाइन किया गया. विज्ञप्ति में ये नहीं बताया गया कि अमेरिका के किन विमानों ने चीनी और रूसी बॉम्बर को रोकने के लिए उड़ान भरी थी, लेकिन संभावना है कि अमेरिकी वायुसेना के F-16 या F-22 विमान इसमें शामिल थे.
क्या कहा है NORAD ने
नॉर्थ अमेरिकन एयरोस्पेस डिफेंस कमांड (NORAD) ने बयान में कहा कि उसने 24 जुलाई को अलास्का एयर डिफेंस आइडेंटिफिकेशन जोन में काम कर रहे 2 रूसी TU-95 और दो PRC पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के H-6 सैन्य विमानों का पता लगाया, उन पर नजर रखी और उन्हें रोका. NORAD ने कहा कि अमेरिकी और कनाडाई लड़ाकू विमानों ने यह काम किया और इस बात पर भी ध्यान दिया कि रूसी और चीनी विमान अंतर्राष्ट्रीय हवाई क्षेत्र में ही रहे. उन्होंने अमेरिकी या कनाडाई हवाई क्षेत्र में प्रवेश नहीं किया.