पेरिस ओलिंपिक (Paris Olympics 2024) में कांस्य पदक जीत झज्जर के गांव गोरिया की बेटी मनु भाकर (Manu Bhaker) ने निशानेबाजी ने भारत के 12 साल से चले आ रहे पदक के सूखे को खत्म कर दिया है। पिछले ओलिंपिक से पेरिस तक पहुंचने का मनु भाकर का सफर भी आसान नहीं रहा। मनु के पिता रामकिशन भाकर बताते हैं टोक्यो ओलिंपिक में मनु ने नहीं उसकी पिस्टल ने धोखा दिया था।
तकनीकी गड़बड़ी का करना पड़ा सामना: मनु
दूसरी सीरीज में बीच में इलेक्ट्रॉनिक ट्रिगर में सर्किट की खराबी आ गई थी। यह एक कठिन समय था, क्योंकि तकनीकी गड़बड़ी का सामना करना पड़ा और करीब 22 मिनट तक शूटिंग नहीं कर पाईं। टोक्यो ओलिंपिक में पदक से चूकने की वजह से लंबे समय तक डिप्रेशन के दौर से गुजरीं। घर में शूटिंग छोड़ने तक का जिक्र होने लगा था। फिर मनु ने गीता पढ़ते हुए अपने मन को साधा और योग से तनाव दूर किया। दरअसल, यह एक लंबी प्रक्रिया है।
मनु घर की छोटी-छोटी एक्टिविटी में करती हैं एन्जॉय
परिवार के सदस्य भी उसे गेम को लेकर ज्यादा कुछ नहीं कहते। क्योंकि, वह अपने खेल में परिपक्व है। परिवार से सभी उसे शांत मन से अपना नेचुरल गेम खेलने के लिए प्रेरित करते हैं। मनु को पढ़ने के अलावा योग एवं घुड़सवारी काफी पसंद है। घर की छोटी-छोटी एक्टिविटी में जब भी उसे समय मिलता है, वह उसे एन्जॉय करती है।
पिता बताते हैं कि मनु ने कभी हौसला नहीं गंवाया। पेरिस ओलिंपिक में शामिल होने से पहले जमकर मेहनत की। 10 से 12 घंटे तक हर रोज अभ्यास करते हुए फिटनेस का भी पूरा ध्यान रखा। अब ओलिंपिक में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला निशानेबाज बन गईं। उम्मीद है कि अभी शेष बचे इवेंट में भी वह मेडल लेकर आएगी।
मनु का टीवी पर लाइव मैच नहीं देखते माता-पिता
जब भी मनु का कोई बड़ा मैच होता है तो उसके माता-पिता टीवी पर मुकाबला नहीं देखते। रविवार को भी फाइनल मुकाबला देखने की बजाय मनु के पिता रामकिशन व माता सुमेधा भाकर सूरजकुंड रोड पर स्थित इबीजा टाउन सोसायटी में टहल रहे थे। मोबाइल उनके हाथ में था और सोसायटी के वाट्सएप ग्रुप पर सूचना फ्लैश हुई कि मनु ने कांस्य पदक जीत लिया है और इसके बाद चारों ओर खुशियां ही खुशियां।
मनु की माता सुमेधा के अनुसार परिवार देवों के देव महादेव भगवान भोलेनाथ के भक्त हैं। तीन दिन से सोसायटी में प्रार्थना का दौर चल रहा था। उन्होंने भी विशेष प्रार्थना की थी भोलेनाथ से। सावन माह में प्रार्थना स्वीकार हो गई। मनु ने मेहनत की और भोलेनाथ की कृपा हो गई।
मनु का .22 बोर का लाइसेंस बना था दो माह के संघर्ष के बाद
मनु के शूटिंग से जुड़ने के बाद की यह बात करीब सात साल पहले की है। जब उन्हें एशियाई युवा खेलों में हिस्सा लेने के लिए विदेश जाना था। .22 बोर की पिस्तौल का लाइसेंस लेने के लिए करीब दो माह से अधिक समय तक प्रशासनिक स्तर पर संघर्ष करना पड़ा। कारण तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर छुट्टी पर थे और उनकी अनुपस्थिति में जिस एडीसी को लाइसेंस देने की जिम्मेदारी सौंपी गई थी।
तकनीकी अड़चनों की वजह से हालात ऐसे आन बनें कि पूरे परिवार को काफी परेशान होना पड़ा। दो माह से अधिक समय के बाद आखिरकार उनके प्रयास सफल हुए और युवा निशानेबाज लाइसेंस पाने में सफल हुईं। उस दौरान मनु ने कहा था, वह जब किसी दिन अंतरराष्ट्रीय पदक जीतेगी और उन सभी के लिए बयान जारी करेगी, जिन्होंने उसकी ओर से आंखें मूंद ली हैं। ओलिंपिक में पदक जीतने के बाद मनु भाकर को आज किसी तरह की पहचान और बयान जारी करने की शायद कोई जरूरत नहीं है।
मनु भाकर की उपलब्धियां
श्रेणी : मेडल
ओलिंपिक : 1
एशियन गेम्स : 1
वर्ल्ड कप : 11
यूथ ओलिंपिक गेम्स: 2
ईएसएसएफ जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप : 5
कॉमनवेल्थ गेम्स : 1
साल 2017 में मनु ने केरल में नेशनल चैंपियनशिप में नौ स्वर्ण पदक जीतकर नया राष्ट्रीय रिकार्ड बनाया
2017 में एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में भाकर ने रजत पदक अपने नाम किया
मैक्सिको के गुआदालाजरा में 2018 अंतरराष्ट्रीय स्पोर्ट्स शूटिंग वर्ल्ड कप के 10 मीटर एयर पिस्टल फाइनल में दो बार के चैंपियन अलेजांद्रा ज़वाला को हराया। इस जीत से वे वर्ल्ड कप में स्वर्ण पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय बन गईं।
2018 में आइएसएसएफ जूनियर विश्व कप में भी दो स्वर्ण पदक जीते।
2018 राष्ट्रमंडल खेलों में महिलाओं की 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता, अपने स्कोर के साथ साथ उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में एक नया रिकार्ड भी स्थापित किया
मई 2019 में, मनु ने म्यूनिख आइएसएसएफ विश्व कप में चौथे स्थान पर रहने के साथ 10 मीटर एयर पिस्टल स्पर्धा में 2021 टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया
अगस्त 2020 में मनु भाकर को राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने एक वर्चुअल पुरस्कार समारोह में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया।