यूपी में झांसी के दो गावों में सौ फीसदी टीकाकरण

झांसी : उत्तर प्रदेश के झांसी जिले के दो गांवों में शत प्रतिशत टीकाकरण किया जा चुका है। यहां के मोठ तहसील के खैरेला गांव में 18 साल से ऊपर के सभी 310 लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज लगाई जा चुकी है। इसके पहले यहीं के नोटा गांव में सौ प्रतिशत टीकाकरण हो चुका है। झांसी जिला प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार विकासखंड मोठ के ग्राम पंचायत खरैला में इस समय 86 परिवार रहते हैं। गांव की जनसंख्या 568 हैं, जिसमें 18 से ऊपर के युवाओं की जनसंख्या 310 है। खरैला में कोविड टीकाकरण के जरिए 310 ग्रामवासियों को कोरोना के बचाव के लिए प्रथम वैक्सीन लगाई जा चुकी है। बताया गया कि 18 से 44 वर्ष के 205 और 45 से अधिक आयु के 105 लोगों का कोरोना वैक्सीनेशन का कार्य किया जा चुका है। इसमें 147 महिलाएं और 163 पुरुष थे। ऐसे में ये गांव भी 100 प्रतिशत कोरोना टीकाकरण कराने के मामले में झांसी में अग्रणी पंचायत बन गया है। बता दें कि सबसे पहले बंगरा ब्लॉक के नोटा गांव को जिले में ये उपलब्धि हासिल हुई। झांसी के डीएम आंद्रा वामसी ने बताया, यह एक बड़ी उपलब्धि है कि ग्राम पंचायत को प्राप्त टीके की एक भी खुराक बर्बाद नहीं हुई। शुरू में ग्रामीणों के मन में वैक्सीनेशन को लेकर भ्रम था। लेकिन बाद में लोगों को समझाने और प्रचार प्रसार के बाद जागरूकता आयी है। इस गांव में 18 साल से ऊपर हर आयु वर्ग का कोविड वैक्सीनेशन 100 फीसदी कर लिया गया। गांव के सभी 2,447 ग्रामीणों को कोविड वैक्सीनेशन की पहली डोज लग गई है। उन्होंने बताया कि झांसी के बांगरा ब्लॉक का नोटा गांव में टीकाकरण के जरिए 2447 ग्रामवासियों को पहली डोज दी जा जा चुकी है। वैक्सीन लगवाने वालों में 18 से 44 आयु वर्ग के 1,457 एवं 44 वर्ष से अधिक आयु के 990 लोगों को वैक्सीन की डोज दी गई। इसमें 966 महिलाएं और 1,481 पुरुष शामिल हैं। नोटा में 773 परिवार रहते हैं। गांव की कुल जनसंख्या 4523 हैं जसिमें 18 से ऊपर के युवाओं की कुल जनसंख्या 2713 है। डीएम ने बताया कि सौ फीसद टीकाकरण में निगरानी समिति, आशा, एएनएम और आंगनवाड़ी कार्यकतार्ओं, अन्य स्वयंसेवी संगठनों और ग्रामीणों की अहम भूमिका रही। जिन्होंने टीकाकरण के लिए अपना साहस और इच्छा दिखाई और 100 फीसदी गांववालों का वैक्सीनेशन किया। उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन ने ग्राम निगरानी समिति का गठन किया। जन जागरूकता फैलाकर ग्रामीणों के भय को दूर करने के लिए कार्यक्रम चलाए। प्रशासन ने इन जागरूकता कार्यक्रमों को चलाने के लिए एफपीओ, स्वयं सहायता समूहों और अन्य स्वयंसेवी संगठनों को भी शामिल किया।