तिरंगे की रौशनी में रंगा श्रीनगर का लाल चौक, कंगना रनोट बोलीं- 'केवल राष्ट्रीयवाद बन सकता है देश की पहचान...'

नई दिल्ली :  बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनोट उन कलाकारों में से एक हैं जो खुलकर देश के सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर बात करती रहती हैं। हालांकि बहुत बार कंगना रनोट को अपने बयानों की वजह से आलोचना की भी सामना करना पड़ता है, लेकिन वह बेबाक बयानबाजी करने से बिल्कुल भी पीछे नहीं हटती हैं। अब उन्होंने श्रीनगर के घंटा घर के लाल चौक को तिरंगे की रौशनी में रंगे जाने पर अपनी प्रतिक्रिया दी है।

हाल ही में श्रीनगर के घंटा घर के लाल चौक को तिरंगे की रौशनी से रंगा गया है। जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर मजकर वायरल हो रही हैं। वहीं तिरंगे में रंगे लाल चौक को देख देश की कई बड़ी हस्तियों ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। कंगना रनोट ने भी सोशल मीडिया पर लाल चौक की तिरंगे में रंगी तस्वीर को साझा किया है। इस तस्वीर के साथ उन्होंने खास कैप्शन भी लिखा है।

कंगना रनोट सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहती हैं। वह अपने फैंस के लिए खास तस्वीरें और वीडियो भी साझा करती रहती हैं। उन्होंने अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट की स्टोरी पर तिरंगे की रौशनी में रंगे लाल चौक की तस्वीरों को साझा किया है। पहली तस्वीर के साथ कंगना रनोट ने अपने कैप्शन में लिखा, 'साफ संदेश, सिर्फ कश्मीर ही नहीं कश्मीर के बहन-भाई, सब जनता हमारी है, जय हिंद' । 

वहीं लाल चौक की दूसरी तस्वीर में कंगना रनोट ने लिखा, 'धर्म किसी भी देश की पहचान नहीं बन सकता, केवल राष्ट्रीयवाद बन सकता है।' सोशल मीडिया पर कंगना रनोट के यह दोनों पोस्ट्स तेजी से वायरल हो रहे हैं। अभिनेत्री के कई फैंस और तमाम सोशल मीडिया यूजर्स उनकी पोस्ट को पसंद कर रहे हैं। साथ ही कमेंट कर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। इससे पहले कंगना रनोट पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और शबाना आजमी की मुलाकात की आलोचना करनी की वजह से चर्चा में थीं। 

कंगना रनोट ने यह आलोचना इंस्टाग्राम स्टोरी के माध्यम से की थी। मीटिंग की सूचना देते एक ट्वीट को मेंशन करते हुए अभिनेत्री ने लिखा, 'आपकी पॉलिटिक्स पॉलिटिक्स है और हमारी पॉलिटिक्स एजेंडा है। ऐसे कैसे जी? शुक्रवार को कंगना ने एक बार फिर मीटिंग की तस्वीर शेयर करके शबाना आजमी को टैग करते हुए लिखा- शबाना जी, आपकी एक बात चर्चा में रही थी कि मुझे सिर्फ एक्टिंग करनी चाहिए। राजनीति में शामिल नहीं होना चाहिए। समस्य राजनीति या राजनीति शास्त्र नहीं है। समस्या यह है कि जब एक पक्ष यह सोचने लगता है कि दूसरा पक्ष होना ही नहीं चाहिए। अगर हम अपना-अपना पक्ष रख पाएंगे, तभी देश जीतेगा। तो आप अपनी पॉलिटिक्स करो, हमें हमारी करने दो।