मिनी वृंदावन के हर गलियों में गूंज उठा है ''हाथी घोड़ा पालकी जय कन्हैया लाल की''

बेगूसराय : भगवान श्रीकृष्ण के जन्म उत्सव जन्माष्टमी को लेकर बेगूसराय सोमवार रात मिनी वृंदावन में तब्दील हो गया है। यहां की हर गलियां भगवान श्रीकृष्ण के भक्तिरस से सराबोर हो गई है। मध्य रात ठीक 12 बजे रोहिणी नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होते ही विशेष पूजा-अर्चना करने के बाद श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए पट खोल दिए गए और वातावरण नंद के घर आनंद भयो जय कन्हैया लाल की से गूंज उठा है। 


बिहार का सबसे बड़ा जन्माष्टमी मेला लगने के कारण तेघड़ा के चप्पे-चप्पे में श्रीकृष्ण भजन की धूम मची हुई है तथा लोग कृष्ण की भक्ति में रम गए हैं। रात 12 बजे भगवान श्रीकृष्ण का प्राकट्य होते ही पंडालों, ठाकुरबारी, घरों और मंदिरों में घंटे-घड़ियाल गूंजने लगे, पटाखों की आवाजों के साथ भगवान श्रीकृष्ण के जयकारों से वातावरण गूंज उठा और भक्त भावविभोर होकर झूम उठे हैं। रात में श्रद्धालुओं की भीड़ श्रीकृष्ण की झांकियों का एक झलक पाने के लिए आतुर रही। जन्म काल पूरा होने के बाद वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान का स्नान, अभिषेक, पंचोपचार पूजन, षोडषोपचार पूजन किया गया। ऐसा लग रहा था भगवान श्रीकृष्ण बांसुरी बजा रहे हैं और गोपियां और ग्वाल भाव नृत्य कर रहा हो। जगह जगह भजन और भाव नृत्य का आयोजन किया गया। 


हालांकि इस वर्ष मेले का आयोजन सादे तौर पर ही किया गया लेकिन भक्तों की आस्था कोरोना पर भारी पड़ रही है, भक्तों का उत्साह सर चढ़ कर बोल रहा है। जगह-जगह भजन, कीर्तन और धार्मिक कार्यक्रमों का सिलसिला लगातार जारी है। श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के लिए देशभर में चर्चित तेघड़ा के सभी 15 पंडाल समेत बरौनी गढ़हरा से चकिया तक और जिले के सभी 18 प्रखंड क्षेत्रों में एक सौ से अधिक जगह पर पंडालों में बाल रूप राधा कृष्ण की प्रतिमाएं सुशोभित हो गई है।


मध्य रात में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होने के बाद से विशेष पूजा अर्चना कर लोग परिवार, समाज और देश के कल्याण की कामना कर रहे हैं। मेला में लगाए गए झूले जहां बच्चों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं, वही बुजुर्गों के लिए प्रसाद का दुकान ठहराव है। तमाम जगहों पर विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम के आयोजन किए जा रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा सुरक्षा के व्यापक बंदोबस्त करते हुए करीब एक सौ जगहों पर मजिस्ट्रेट के नेतृत्व में पुलिस बल तैनात किए गए हैं। बेगूसराय जिले में वैसे तो मेला तीन-चार दिनों का लगता था लेकिन देर से कोरोना का अनलॉक देर से किए जाने के कारण मेला समिति और व्यवसायियों को विस्तारित मेला लगाने का मौका नहीं मिला तथा सामान्य स्तर पर मेला लगाया गया है। पंडाल भी भव्य नहीं बनाया जा सका और अधिकतर प्रतिमा का विसर्जन एक सितंबर को किया जाएगा।