दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- श्रदालुओं के धार्मिक स्थल पर आने का निर्णय राज्य सरकार करे

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने मंगलवार को आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार को कहा कि वह श्रद्धालुओं को कोविड-19 संबंधी नियमों का सख्ती से पालन करते हुए धार्मिक स्थानों पर जाने की अनुमति देने संबंधी याचिका पर फैसला करे। यह याचिका हाईकोर्ट में दायर की गई थी, लेकिन हाईकोर्ट ने कहा कि इस पर निर्णय राज्य सरकार करेगी।


चीफ जस्टिस डी.एन. पटेल एवं जस्टिस ज्योति सिंह की बेंच ने गैर सरकारी संगठन ''डिस्ट्रेस मैनेजमेंट कलेक्टिव'' की याचिका पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया है कि बेंच संबंधित प्रतिवादी प्राधिकारियों को मामले में लागू कानून, नियमों, नियमनों और सरकारी नीति के अनुसार 25 जुलाई 2021 याचिका पर राज्य सरकार को फैसला करने का निर्देश देती है।


याचिकाकर्ता की तरफ से पेश वकील ने कहा कि कोविड-19 के मामलों में अच्छी-खासी कमी को देखते हुए प्राधिकारियों ने मॉल, जिम और स्पा समेत कई स्थानों को खोलने की अनुमति दे दी, लेकिन दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) के 30 अगस्त के ताजा आदेश में भी धार्मिक स्थानों को नहीं खोला गया। उन्होंने कहा कि धार्मिक स्थान खुल सकते हैं, लेकिन आम जनता को आने की अनुमति नहीं है। याचिकाकर्ता ने कहा कि श्रद्धालुओं को आने की अनुमति देने का आग्रह पत्र 40 दिन पहले भेजा गया था। दलीलों पर सुनवाई के बाद बेंच ने कहा कि वह सरकार इस मुद्दे पर फैसला करने का निर्देश दे रही है।


वकील रॉबिन राजू के जरिए दायर की याचिका में याचिकाकर्ता ने कहा कि ऑनलाइन पूजा करने की सेवा देने से वैसा अनुभव नहीं मिल सकता जो शारीरिक रूप से जाकर दर्शन करने में मिलता है। श्रद्धालुओं पर जारी पाबंदी से ऐसा लगता है कि प्राधिकारी धार्मिक स्थलों को केवल पूजा स्थलों के तौर पर देखते हैं न कि जरूरत के तौर पर। साथ ही याचिका में कहा गया है कि धार्मिक स्थलों पर श्रद्धालुओं के आने पर पाबंदी लगाना गैर कानूनी और मनमाना है तथा यह भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन है।