गुर्जर और राजपूत एक ही वंश के लोग हैं: इतिहासकार आचार्य वीरेन्द्र विक्रम

 नोएडा : सम्राट मिहिर भोज के नाम को लेकर हुआ विवाद खत्म होने के लिए मंगलवार को अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा ने ग्रेटर नोएडा प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता की। इस दौरान इतिहासकार आचार्य वीरेन्द्र विक्रम ने कहा कि गुर्जर और राजपूत एक ही परिवार की शाखाएं है। दोनों के वंशज भी एक ही है। राजपूतों का उद्भव तेरहवीं शताब्दी के बाद हुआ है, जबकि गुर्जर छठवीं शताब्दी से तेरहवीं शताब्दी तक भारत की सत्ता में रहे।

आचार्य वीरेंद्र विक्रम ने बताया कि दादरी में गुर्जर विद्या सभा द्वारा सम्राट मिहिर भोज की प्रतीमा स्थापित की जा रही है। यह सभी के लिए गौरव की बात है। सम्राट मिहिर भोज रघुवंशी सम्राट और गुर्जर प्रतिहार वंश के सबसे प्रतापी सम्राट थे। उन्होंने 53 वर्षों तक अखंड भारत पर शासन किया। उनकी पहचान समाज में गुर्जर सम्राट के नाम से ही है। 851 ईसवीं में भारत भ्रमण पर आए अरब यात्री सुलेमान ने उन्हें गुर्जर राजा और उनके देश को गुर्जर देश कहा है। सम्राट मिहिर भोज के पौत्र सम्राट महिपाल को कन्नड़ कवि पंप ने गुर्जर राजा लिखा है। उन्होंने बताया कि प्रतिहारों को कदवाहा, राजोर , देवली, राधनपुर, करहाड़, सज्जन, नीलगुंड, बड़ौदा के शिलालेखों में गुर्जर जाति लिखा है। भारत के इतिहास में 1300 ईसवीं से पहले राजपूत नाम की किसी भी जाति का कोई उल्लेख नहीं है। क्षत्रिय कोई जाति नहीं है, क्षत्रिय एक वर्ण है, जिसमें जाट, गुर्जर, राजपूत, अहीर (यादव ), मराठा आदि जातियां आती हैं। उन्होंने बताया कि हमारे सारे प्रमाण मूल लेखों, समकालीन साहित्य और शिलालेखों पर आधारित हैं। गुर्जर समन्वय समिति के राष्ट्रिय कार्यकारी अध्यक्ष डॉक्टर रूप सिंह गुर्जर ने बताया कि देश में सर्वप्रथम स्वामीनारायण संप्रदाय के अक्षरधाम मंदिर दिल्ली के भारत उपवन में सम्राट मिहिर भोज की मूर्ति स्थापित करवाई गई थी, वहां उनके नाम के समक्ष पट्टिका पर महाराज गुर्जर सम्राट मिहिर भोज लिखा है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने लक्सर हरिद्वार और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कोटला मुबारकपुर दक्षिण दिल्ली में सम्राट मिहिर भोज की प्रतिमा गुर्जर लिखकर स्थापित करवाई है। अखिल भारतीय वीर गुर्जर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुराग गुर्जर ने बताया कि ग्वालियर और चंबल संभाग में आज भी गुर्जर समाज के गांवों मे गुर्जर प्रतिहार कालीन मंदिरों के अवशेष मौजूद हैं। इनमें बटेश्वर, नरेश्वर, बरहावली, डांग सरकार प्रमुख हैं। इस मौके पर गौरव तंवर, सतीश बैंसला, अनिल कसाना, मनीष भाटी आदि उपस्थित थे।