दिल्ली पुलिस की अस्थाना से उम्मीद

Arvind Goswami

नई दिल्ली: अरविन्द गोस्वामी: टास्कमास्टर कहे जाने वाले राकेश अस्थाना एक बार फिर से सुर्ख़ियों में हैं। अस्थाना का पूरा सर्विस रिकॉर्ड शानदार रहा है। तमाम विवादों और उनकी उपलब्धियों का जिक्र करना यहाँ हमारा मकसद नहीं है।  उनके बारे में मीडिया और सोशल मीडिया पर मौजूद है। अजय राज शर्मा का आपको याद होगा 1990 का समय, दिल्ली पुलिस के इतिहास में पहली बार किसी बाहर के आई पी एस अफसर को कानून में बदलाव कर पुलिस कमिश्नर बनाया गया. राजधानी में अपराध चरम पर था। जरूरत थी एक दबंग अफसर की। उत्तर प्रदेश काडर के अजय राज शर्मा चम्बल के डकैतों पर नकेल कस कर अपना लोहा मनवा चुके थे।

अस्थाना की नियुक्ति के दौर में भी दिल्ली पुलिस की चुनौतियां किसी से छुपी नहीं हैं।  माजूदा समय में अस्थाना का कद पूर्व में किसी भी कमिश्नर से कहीं ज्यादा बड़ा है उनकी राजनैतिक पहुँच और काम करने का स्टाइल हम सब जानते हैं। शायद इसी के चलते वह टास्कमास्टर कहलाये। दिल्ली की कानून व्यवस्था के परे खुद दिल्ली पुलिस की भी अस्थाना से उम्मीदें बेहद बड़ी हुई है। वजह है लम्बे समय से लटकी पड़ी वेतन सम्बन्धी मांग। दिल्ली पुलिस के अंदरूनी हलकों की मानें तो अस्थाना की हैसियत माजूदा समय में ऐसी है कि वह इस मामले को आसानी से सुलझा सकते हैं। दिल्ली में सब इंस्पेक्टर जो कि अफसर के तौर पर एंट्री पोस्ट मानी जाती है का शुरुआती ग्रेड पे 4200 रूपए है।  जो कि पी जी टी   टीचर और नर्सों को मिलने वाले वेतन से भी कम है। इनका शुरुआती ग्रेड पे 4600 रुपए है।  मजे की बात तो यह है कि किसी समय दिल्ली पुलिस का हिस्सा रही सी बी आई में भी शुरुआती ग्रेड पे 4600 रुपए है। हालाँकि किसी समय दिल्ली पुलिस के सब इंस्पेक्टर को भी 4600 का ग्रेड पे मिलता था जिसे बाद में डाउनग्रेड कर 4200  रुपए कर दिया गया जो कि समझ से परे था वेतन  और भत्तों की यह असमानताएं दूसरी जगहों पर भी देखने को मिल जाती है। ऐसा नहीं है कि इस मामले को सुलझाने के  ईमानदार प्रयास पहले नहीं हुए  लेकिन पुलिस की इमेज और समय समय पर उठते विवादों के बीच यह कोशिशें फाइलों के बीच धूल खाती दम तोड़ती रहीं।  

राजधानी की कानून व्यवस्था में जुटी दिल्ली पुलिस के लिए यह संक्रमण काल है। दिल्ली दंगे ,किसान आंदोलन और लगातार आतंकी हमलों के अलर्ट केसाये  बीच दिल्ली पुलिस को मॉरल बूस्टर की जरूरत है। हालाँकि अस्थाना की नियुक्ति अपने आप में एक बड़ा सन्देश है। ऐसे में दिल्ली पुलिस की बढ़ी हुई उम्मीदों पर अगर अस्थाना कुछ कर गए तो पुलिस बल के लिए निस्चय यह एक बूस्टर डोज़ का काम करेगी। और टास्कमास्टर के लिए यह कोई बड़ा टास्क है भी नहीं। 

Edit By Janu choudhary