ओमिक्रॉन का बढ़ता खतरा

अभी कुछ समय पहले ही जब दक्षिण अफ्रीका में कोरोना के नए बहुरूप ओमिक्रॉन का मामला सामने आया था, तभी कई विशेषज्ञों ने चेतावनी दे दी थी कि अगर समय रहते इससे निपटने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए तो यह खतरनाक रूप ले सकता है। हालांकि कोरोना की पहली और दूसरी लहर के त्रासद अनुभवों से सबक लेते हुए दुनिया भर में इस चेतावनी की अनदेखी तो नहीं की गई, लेकिन ऐसा लगता है कि इसे सीमित करने के प्रयास ज्यादा शिद्दत से किए जाने चाहिए थे। खबर आने के बावजूद ज्यादातर जगहों पर लोगों ने अपने स्तर पर सावधानी बरतना जरूरी नहीं समझा। अब भारत में भी ओमिक्रॉन ने अपने पांव पसारने शुरू कर दिए हैं। शुरुआती दौर में कर्नाटक सहित कुछ राज्यों में इसकी मौजूदगी के संकेत पाए गए, लेकिन अब गुजरते दिन के साथ अन्य इलाकों में भी इसका खतरा बढ़ता जा रहा है। देश भर में अब ओमिक्रॉन से संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। यों भारत जैसे इतने बड़े देश में कुल संख्या के लिहाज से देखें तो संक्रमण का दायरा फिलहाल बहुत बड़ा नहीं दिखता है। लेकिन शुरुआती दौर से कोरोना के विषाणु के फैलाव का जो स्वरूप रहा है, उसके मद्देनजर कहा जा सकता है कि अगर वक्त रहते इसकी रोकथाम के इंतजाम नहीं किए गए, लोगों ने अपने स्तर पर एहतियात बरतना जरूरी नहीं समझा तो आने वाले दिनों में यह संकट बड़ा हो सकता है। यह किसी से छिपा नहीं है कि पिछले साल अप्रैल-मई में गंभीर स्थिति में पहुंचने से पहले कोरोना के मामले इक्के-दुक्के ही बताए गए थे और इसके बाद दूसरी लहर के पूर्व भी हालात नियंत्रण में लग रहे थे। लेकिन दोनों बार इसके कहर को दुनिया ने देखा। अभी ओमिक्रॉन अपने असर में भले गंभीर नहीं दिख रहा है, लेकिन यह ध्यान रखने की जरूरत है कि यह भी कोरोना विषाणु का एक नया बहुरूप है। पिछले करीब दो सालों के दौरान इसके असर के जैसे त्रासद अनुभव रहे हैं, उसके मद्देनजर इसे हल्के में लेना खतरनाक साबित हो सकता है। वैज्ञानिक भी बार-बार चेता रहे हैं कि ओमिक्रॉन भयानक रूप ले सकता है। अब तो विदेश में ओमिक्रॉन से मरने का सिलसिला भी शुरू हो चुका है। अब यह आशंका गहरा रही है कि आने वाले दिनों में एक बार फिर दुनिया के सामने कोरोना के इस नए बहुरूप से निपटना बड़ी चुनौती साबित होगी। विडंबना है कि भारी तादाद में लोगों के कोरोना विषाणु से संक्रमित होने और मारे जाने के बावजूद अब तक इसे लेकर पर्याप्त गंभीरता नहीं दिखाई देती है। हालांकि भारत में टीकाकरण की रफ्तार अपनी गति से चल रही है और अब तक बड़ी आबादी को टीके की खुराक दी जा चुकी है। मगर यह ध्यान रखने की जरूरत है कि टीका लेने के बावजूद किसी को संक्रमण से पूरी तरह सुरक्षित नहीं माना जा सकता। अब तक इस विषाणु की जैसी प्रकृति देखी गई है, उसमें टीकाकरण के बाद भी संक्रमण से बचाव के सभी उपायों को निरंतरता में बरतने की सावधानी बनी रहनी चाहिए। इसी में लापरवाही संक्रमण के फैलाव को नया मौका मुहैया करा सकती है। इसलिए जरूरत इस बात की है कि ओमिक्रॉन बहुरूप को हर स्तर पर गंभीरता से लिया और समय रहते इसके असर को नियंत्रित किया जाए।


-सिद्वार्थ शंकर-