2 सीटों पर चुनाव लड़ने से रोकने वाली याचिका खारिज

नई दिल्ली: लोकसभा या विधानसभा में कोई उम्मीदवार एक साथ 2 सीटों पर चुनाव न लड़ सके, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। याचिका में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 33 (7) की संवैधानिकता को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि इस मसले पर कानून बनाना संसद का काम है।

यह मामला CJI डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा, जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच में लिस्टेड हुआ था। जनहित याचिका अश्विनी उपाध्याय ने दायर की थी।

कोर्ट ने कहा- विकल्प देना संसद पर निर्भर
याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय ने कहा था कि आयोग का यह प्रावधान मनमाना है। क्योंकि उम्मीदवारों को दोनों सीटों से चुनाव जीतने की स्थिति में एक सीट छोड़नी पड़ती है। इससे सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ाता है।

हालांकि सुनवाई के दौरान CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जब आप दो सीटों से चुनाव लड़ते हैं तो आपको पता नहीं होता कि आप दोनों सीटों से चुने जाएंगे... इसमें गलत क्या है? यह राजनीतिक लोकतंत्र है।

इस पर एडवोकेट एस गोपाल ने कहा कि हमने 2 महीने पहले बड़ी बेंच में यह तर्क दिया था लेकिन तब सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुरक्षित रख लिया था।

बेंच ने कहा कि किसी उम्मीदवार को एक से ज्यादा सीट पर चुनाव लड़ने की परमिशन देना लीगल पॉलिसी है। आखिर में यह संसद पर निर्भर होता है कि वो राजनीतिक लोकतंत्र को इस तरह का विकल्प देना चाहता है या नहीं।

कब-कब बदला चुनावी उम्मीदवारों के लिए नियम
1996 से पहले तक नेता तीन सीटों से चुनाव लड़ सकता था। रिप्रजेन्टेशन ऑफ द पीपुल एक्ट (1951) में संशोधन के बाद यह तय हुआ कि कोई भी उम्मीदवार दो से अधिक सीटों पर चुनाव नहीं लड़ सकता।

1975 में 32 साल के अटल बिहारी वाजपेयी ने यूपी की तीन सीटों बलरामपुर, मथुरा, लखनऊ से चुनाव लड़ा। सिर्फ बलरामपुर से जीते। मथुरा में तो उनकी ही जमानत जब्त हो गई थी।

1977 में इंदिरा गांधी अपनी सीट रायबरेली से हार गई थीं। 1980 में इंदिरा दो सीटों रायबरेली (यूपी) और मेडक (अब तेलंगाना में) से उतरीं। दोनों सीटों से जीतीं।

एक नेता, एक सीट : चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से सेक्शन 33 (7) में संशोधन की सिफारिश की थी ताकि एक नेता, एक सीट पर ही लड़े।

एक सीट पर चुनाव का खर्च यूं समझिए: 2014 के लोकसभा चुनाव में 543 सीटों पर आयोग ने 3,426 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यानी एक सीट पर 6.30 करोड़। अगर कोई नेता दोनों सीटों पर चुनाव जीतता है, तो उसे एक सीट छोड़नी होगी। यानी उस सीट पर उपचुनाव में दोबारा इतना ही पैसा खर्च होगा।