G20 समिट में 60 वेन्यू, 175 मीटिंग

‘मैसूर में G20 की मीटिंग थी। ब्राजील के डेलीगेट मेरे पास आए। अगली समिट ब्राजील में ही होनी है। वे कहने लगे कि भारत ने जिस तरह मेजबानी की है, हमारे तो हाथ-पैर फूल रहे हैं। समझ नहीं आ रहा कि कैसे इसका मुकाबला कर पाएंगे। यही हमारी कोशिश भी रही कि विदेश से आए मेहमान भारत के असली फ्लेवर को महसूस करें। दिल्ली के वेन्यू भारत मंडपम की डिजाइन में हमने मिनी भारत दिखाने की कोशिश की है।’

ये दिक्षु कुकरेजा हैं। इनकी फर्म सीपी कुकरेजा आर्किटेक्ट्स दिल्ली के प्रगति मैदान के रीडेवलपमेंट में शामिल रही है। जहां 9 और 10 सितंबर को G-20 समिट होने वाली है।

 दिक्षु कुकरेजा G20 समिट से भी जुड़े हैं और इसके प्रोग्राम थिंक-20 की कई मीटिंग में शामिल रहे। हमने उनसे G20 की मीटिंग, उनकी प्लानिंग, मैनेजमेंट और दूसरे देशों से आए डेलिगेट्स के एक्सपीरियंस पर बात की। 

सवालइंटरनेशनल एग्जीबिशन कन्वेंशन सेंटर (IECC) के रिडेवलपमेंट में क्या खास है?
 
जवाब: ये वेन्यू वर्ल्ड क्लास तो है ही, लेकिन उनमें भी सबसे बेहतर हैं। टेक्नोलॉजी में तो ये हाई लेवल पर हैं, लेकिन यहां हमने हैंडीक्राफ्ट, पेंटिंग, गांवों में बनने वाली रंगोली तक सब कुछ डाला है। दिल्ली मेट्रोपोलिटन सिटी है। यहां देश के हर कोने से लोग रहने आते हैं। भारत की राजधानी है, तो कुछ-कुछ मिनी भारत जैसा फ्लेवर वेन्यू की डिजाइन में दिखाया है।

 एग्जीबिशन और कन्वेंशन सेंटर 123 एकड़ में फैला है। इसकी गिनती चीन के शंघाई और जर्मनी के फ्रैंकफर्ट की तरह दुनिया के टॉप 10 कन्वेंशन सेंटर में होगी। इसमें 54 हजार स्क्वायर मीटर का एयर कंडीशंड कन्वेंशन सेंटर, तीन ओपन एम्फीथिएटर और 7 नए एग्जीबिशन हॉल हैं। 

सवालआपने कई वेन्यू के डिजाइन एग्जीक्यूट किए हैंक्या डिजाइन में भी वन अर्थवन फैमिलीवन फ्यूचर थीम को रिफ्लेक्ट किया है?
 
जवाब: सिर्फ डिजाइन, इंटीरियर या फिर फैसिलिटी में नहीं, बल्कि हर उस चीज में लोकल कल्चर को महसूस कराने की कोशिश की है, जो उस शहर की आत्मा है। उसकी यूनीक आइडेंटिटी है। साउथ के वेन्यू में सदर्न फ्लेवर दिया गया। ये फ्लेवर डेलीगेट्स के रुकने की जगह या फिर वेन्यू की डिजाइन से लेकर खाने की टेबल पर भी है।

हम कितनी बारीकी तक गए, इसका उदाहण मैसूर है। यहां 31 जुलाई से 2 अगस्त तक मीटिंग थी। वेन्यू में चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल किया गया। इसकी खुशबू डेलीगेट्स ने महसूस की, तो पूछा कि ये खुशबू कैसी है? हमने उन्हें मैसूर के खास चंदन की कीमती लकड़ियों और उनके गुणों के बारे में बताया। हमने उन्हें मैसूर पैलेस दिखाया, जहां टीक का बहुत काम है। बताया कि शहर की पहचान और आत्मा क्या है? डेलीगेट्स ने चंदन की लकड़ियों को छूकर देखा। कहने का मतलब है कि हमारे सेंस में सिर्फ आंख नहीं है, जो इन्फ्रास्ट्रक्चर ही देखे, बल्कि नाक, जीभ, कान और स्किन यानी छूने का एहसास भी है। G20 की व्यवस्था के वक्त हमने वेन्यू का डिजाइन एग्जीक्यूट किया, तो इन्फ्रास्ट्रक्चर से लेकर इन 5 सेंस तक पहुंचने वाली हर चीज का ख्याल रखा। दिल्ली के प्रगति मैदान का रीडेवलपमेंट प्रोजेक्ट हमने एग्जीक्यूट किया है, इसलिए दावे से कह सकता हूं कि डेलीगेट्स को यहां की हर चीज में दिल्ली की आत्मा नजर आएगी। दिल्ली के ही इंडिया इंटरनेशनल कन्वेंशन एंड एक्सपो सेंटर यानी IICC को मैंने डिजाइन किया है। यहां भी डेलीगेट्स दिल्ली की यूनीक आइडेंटिटी को फील करेंगे।

 सवाल: G20 की थीम ‘वन अर्थवन फैमिलीवन फ्यूचर’ को इवेंट की प्लानिंग में कैसे दिखाया है?
 
जवाब: मैं आर्किटेक्ट हूं, तो उस लिहाज से बात करूंगा। भारत की सबसे खास बात उसका कल्चर और डायवर्सिटी है। G20 हमारी इस सॉफ्ट पावर को दुनिया को दिखाने का मौका है। भारत को एक साल पहले इस ग्लोबल समिट की प्रेसिडेंसी मिली। उसके बाद सबसे पहला काम वेन्यू डिसाइड करने का हुआ। हमने एक, दो या फिर 25-30 नहीं, 60 वेन्यू डिसाइड किए। इन 60 वेन्यू पर 175 मीटिंग होनी हैं। पिछली समिट इंडोनेशिया में थी। वहां 25 वेन्यू पर मीटिंग हुई थीं।

 मैनेजमेंट टीम की सोच थी कि दुनिया के सबसे ताकतवर देशों के प्रतिनिधि देखें कि असली भारत क्या है। हमने कैसे अपनी डायवर्सिटी को संभालकर रखा है। भारत ही दुनिया का लीडर बन सकता है, क्योंकि हमें कई संस्कृतियों को साथ लेकर चलने का अनुभव है। ये डेलीगेट्स अपने साथ दिल्ली, मुंबई, चेन्नई नहीं, बल्कि पूरे भारत की छवि लेकर जाएंगे।

सवालआप कई बैठकों का हिस्सा रहे हैंभारत के बारे में डेलीगेट्स की कोई बात है जो आपको याद हो?
जवाब: हां, बिल्कुल। मुझे ब्राजील के एक डेलीगेट की बात याद है। भारत के बाद ब्राजील में ही G20 समिट होनी हैं। उन्होंने कहा- भारत की इतनी बेहतरीन व्यवस्था है। इतनी वैराइटी, वेन्यू और इतने बेमिसाल इंतजाम। पता नहीं, हम अपने देश में ऐसी व्यवस्था कर पाएंगे या इसके करीब भी पहुंच पाएंगे।' एक और बात इंडोनेशिया के डेलीगेट ने कही। उन्होंने कहा, '2022 में हमने समिट की थी, तो 25 वेन्यू तय किए थे। हमें लगा था कि हमने तो बहुत बड़ा काम कर दिया। इतने वेन्यू पर अब तक किसी G20 समिट की मीटिंग नहीं हुई थी और फिलहाल इस रिकॉर्ड को कोई नहीं तोड़ पाएगा, लेकिन क्या पता था कि चंद महीनों में ही भारत 25 नहीं, उससे डबल वेन्यू पर मीटिंग करेगा।’

सवालये 60 वेन्यू कहां-कहां थे। क्या कुछ ऐसे शहर भी हैंजो पहले लाइमलाइट में नहीं थे?
जवाब: शिलॉन्ग, गुवाहाटी, श्रीनगर, भुवनेश्वर जैसे शहरों में G20 की मीटिंग्स हुई हैं। शायद ही कोई सोच पाता कि यहां भी मीटिंग होनी चाहिए। यही तो थीम भी है, वन अर्थ यानी यूनिटी इन डायवर्सिटी, वन फैमिली, वन फ्यूचर। वेन्यू की लिस्ट देखेंगे तो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ, साउथ, नॉर्थ ईस्ट और कश्मीर, हर हिस्से को इसमें शामिल किया गया है।

 सवाल: G20 के आइडिया बैंक कहे जाने वाले थिंक-20 की मीटिंग में आप शामिल हुए थे, इसमें क्या खास रहा?
 जवाब:
थिंक-20, G20 का बहुत अहम हिस्सा है। इसके लिए 7 टास्क फोर्स बनाए गए। इसमें 

स्कॉलर्स और रिसर्च में जुटे थिंकर्स को बुलाया। मीटिंग में मैंने ‘फॉर लिवेबल सिटी’ का प्रोजेक्ट पेश किया। दुनियाभर के एक्सपर्ट के साथ हमने करीब एक साल ब्रेनस्टॉर्मिंग के बाद इस प्रोजेक्ट पर काम किया। हमने ऐसे शहर का कॉन्सेप्ट बनाया है, जहां बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर तो हो, लेकिन उसकी आत्मा, शहर की यूनीक आइडेंटिटी भी बची रहे। सुकून देने वाला माहौल हो। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में ये प्रॉब्लम है, शहर ऐसे बन रहे हैं, जहां रहने लायक स्थितियां नहीं हैं। यकीन मानिए, इस प्रोजेक्ट पर काम होगा, तो आने वाले समय में यह बेंचमार्क बनेगा। फ्यूचर जेनरेशन के लिए हम कैसे रहने लायक शहर बना सकें, इसका काफी प्रैक्टिकल अप्रोच के साथ प्लान दिया है। भारत में स्मार्ट सिटी का कॉन्सेप्ट   इन्फ्रास्ट्रक्चर पर बेस्ड था। इन्फ्रास्ट्रक्चर जरूरी है, लेकिन शहर सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर से ही नहीं बनते, उसके साथ जरूरी है कि शहर का कल्चर और हिस्ट्री भी बची रहे। हमारा प्रोजेक्ट सिर्फ शहर नहीं बनाएगा, बल्कि शहर को ऐसा बनाएगा, जहां सुकून हो।

सवालआपने अयोध्या की टाउनशिप भी प्लान की है। इसमें क्या खास हैजिससे ये राम की नगरी लगे?
 
जवाब: यहां हमने मॉडर्न सिटी और प्राचीन नगरी के मॉडल का फ्यूजन तैयार किया है। हमारे सामने चुनौती थी कि हम अयोध्या की पहचान न भूलें, लेकिन आज की मॉडर्न सोसाइटी की डिमांड भी याद रखें।

मैं कुछ उदाहरण देता हूं, हर मंदिर में बैठने के लिए बेंच होती है। आपको अयोध्या में भी बेंच मिलेगी, लेकिन स्टीलनेस स्टील की नहीं, पत्थर की बनी, जिसमें प्राचीनता का एहसास होगा। इनमें रामायण काल की झलक होगी। पानी के लिए वाटर कूलर होंगे, लेकिन झरनों से बहता साफ पानी भी होगा, जिसे आप पी सकेंगे। 

हमने अयोध्या की संकरी गलियों को चौड़ा करने और गलियों के तंग मोड़ बदलने की कोशिश नहीं की। हमने बस खुली नालियों को कवर किया, लटकते तारों को सही किया। ओल्ड कैरेक्टर के साथ मॉडर्न फैसिलिटी का फ्यूजन ऐसे किया है कि राम की नगरी की पहचान भी बची रहे और हाईप्रोफाइल सुविधाएं भी हों, जिससे अयोध्या दुनियाभर के लोगों का टूरिस्ट डेस्टिनेशन बन सके।

दिसंबर, 2022 से G20 मीटिंग की शुरुआत, 100वीं मीटिंग वाराणसी में
 6 नवंबर, 2022 को इंडोनेशिया के बाली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G20 की अध्यक्षता सौंपी गई थी। 8 नवंबर, 2022 को प्रधानमंत्री मोदी ने G20 समिट का लोगो और थीम 'वसुधैव कुटुंबकम' यानी वन अर्थ, वन फैमिली, वन फ्यूचर लॉन्च की थी। भारत 1 दिसंबर, 2022 से 30 नवंबर, 2023 तक G20 का अध्यक्ष है। भारत में इसकी पहली मीटिंग 4 से 7 दिसंबर, 2022 तक राजस्थान के उदयपुर में और 100वीं मीटिंग UP के वाराणसी में 17 अप्रैल, 2023 को हुई थी।

G20 ग्रुप में 19 देश अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मेक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्किये, यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन शामिल हैं।