भारत आ रहे जहाज पर हमला ईरानी ड्रोन से हुआ

हिंद महासागर में शनिवार (23 दिसंबर) को भारत आ रहे मालवाहक जहाज पर हमला ईरानी ड्रोन से किया गया था। अमेरिका के रक्षा विभाग ने यह दावा किया है। अमेरिकी रिपोर्ट के मुताबिक केम प्लूटो नाम के जहाज पर शनिवार सुबह 10 बजे हमला हुआ था। उस समय जहाज अमेरिका के संपर्क में था।

सऊदी अरब से तेल लेकर भारत आ रहा यह जहाज जापान का था और लाइबेरिया के फ्लैग से ऑपरेट हो रहा था। हमले के वक्त जहाज पोरबंदर तट से 217 नॉटिकल मील (करीब 400 किमी) दूर था। यह इलाका भारत के एक्सक्लूसिव इकोनॉमिक जोन (EEZ) से बाहर पड़ता है।

 लाल सागर में शनिवार को एक गेबन फ्लैग वाले ऑयल टैंकर M/V साईंबाबा पर ड्रोन से हमला हुआ। इसमें भी 25 भारतीय क्रू मेंबर सवार थे। इंडियन नेवी ने बताया है कि सभी लोग सुरक्षित हैं।

दरअसल, अमेरिकी मिलिट्री ने कहा था कि शनिवार को रात करीब 10:30 बजे हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में भारत के झंडे वाले गेबन के एक ऑयल टैंकर M/V साईंबाबा पर भी ड्रोन से हमला किया। हालांकि, भारतीय नेवी ने इस बात को खारिज कर दिया है कि जहाज भारत के झंडे वाला था। अटैक यमन के सलीफ बंदरगाह से करीब 45 समुद्री मील दक्षिण-पश्चिम में बाब अल-मंडब स्ट्रेट के पास हुआ।

भारतीय क्रू वाले टैंकर को बचाने पहुंचा युद्धपोत USS लबून

यूनाइटेड किंगडम मैरीटाइम ट्रेड ऑपरेशंस (UKMTO) के मुताबिक लाल सागर में आगे बढ़ रहे इस जहाज के नजदीक अनमैन्ड एरियल व्हीकल (UAV) से जोरदार धमाका हुआ। अमेरिकी मिलिट्री ने बताया कि हमले की सूचना मिलते ही उन्होंने अपने वॉरशिप USS लबून को घटनास्थल पर भेजा।

हूतियों ने इस दौरान नॉर्वे के एक ऑयल टैंकर पर भी हमला किया था। हालांकि, उनका निशाना चूक गया। अमेरिकी मिलिट्री के मुताबिक, पिछले 70 दिनों में हूती विद्रोही 15 जहाजों पर हमला कर चुके हैं।

ईरान ने जहाज पर हमले को लेकर अमेरिकी आरोप खारिज किए

इधर, ईरान ने अमेरिका के आरोपों का खंडन किया है। ईरान के डिप्टी फॉरेन मिनिस्टर अली बघेरी ने कहा- हूती विद्रोहियों के पास अपने खुद के हथियार हैं, वो खुद अपने फैसले लेते हैं। इसमें हमारा कोई रोल नहीं है। हूती विद्रोही लाल सागर और आसपास के इलाकों में अक्सर जहाजों पर हमले करते हैं। ऐसे में शक जताया जा रहा है कि जहाज पर हमला उन्होंने ही किया।

दरअसल, इजराइल-हमास जंग शुरू होने के बाद लगातार हूती विद्रोही लाल सागर और उसके आसपास के इलाकों में जहाजों पर हमले कर रहे हैं। हूती विद्रोहियों का कहना है कि जब तक इजराइल गाजा में अपने हमले रोक नहीं देता, वो इजराइल या उससे जुड़े जहाजों पर हमले करते रहेंगे। शनिवार को भारत आ रहा जहाज भी पहले इजराइल से संबंधित बताया गया था।

भारतीय कोस्ट गार्ड केम प्लूटो जहाज को मुंबई लेकर आ रहा

केम प्लूटो जहाज पर जब हमला हुआ, तब यह भारत के समुद्र तट से 370 किलोमीटर की दूरी पर था। हमले की जानकारी मिलने के बाद नेवी ने शिप को ट्रैक किया। साथ ही उसे एस्कॉर्ट करने के लिए वॉरशिप भेजा। शनिवार देर रात को मिली जानकारी के मुताबिक ऑयल शिप 11 समुद्री मील प्रति घंटे की रफ्तार से आगे बढ़ रहा है, जिसके 25 दिसंबर को मुंबई पहुंचने की उम्मीद है।

नेवी के सर्विलांस एयरक्राफ्ट ने जहाज से कॉन्टैक्ट किया था

 भारतीय नौसेना के P-8I सर्विलांस एयरक्राफ्ट ने एमवी केम प्लूटो के साथ कम्युनिकेशन स्थापित किया था। ड्रोन हमले की खबर सामने आने के फौरन बाद P-8I सर्विलांस एयरक्राफ्ट ने गोवा स्थित आईएनएस हंसा नौसैनिक हवाई अड्डे से उड़ान भरी थी।

यह वैसल हिंद महासागर में सऊदी से भारत के मेंगलुरु जा रहा था। भारतीय नौसेना के मुताबिक इस जहाज पर 20 भारतीय क्रू मेंबर्स सवार थे। न्यूज एजेंसी के मुताबिक हमxले में किसी को नुकसान नहीं पहुंचा, लेकिन जहाज पर आग लग गई। इस आग पर काबू पा लिया गया था। फिलहाल किसी ने भी हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है।

हूती विद्रोहियों ने महीनेभर पहले कार्गो शिप हाईजैक किया था

पिछले चार हफ्तों में हूतियों ने लाल सागर और उसके आसपास 100 से ज्यादा हमले किए हैं। करीब एक महीने पहले हूती विद्रोहियों ने लाल सागर में एक कार्गो शिप गैलेक्सी लीडर को हाईजैक कर लिया था। यह जहाज तुर्किये से भारत आ रहा था। हूती विद्रोहियों ने इसे इजराइली जहाज समझ कर हाईजैक किया था।

वारदात से पहले हूती समूह ने इजराइली जहाजों पर हमले की चेतावनी दी थी। हूती विद्रोहियों के एक स्पोक्सपर्सन ने कहा कि इजराइल की तरफ से चलने वाले सभी जहाजों को निशाना बनाया जाएगा।

भारत आ रहे जहाज पर हमला करने वाले हूती विद्रोही कौन हैं?

साल 2014 में यमन में गृह युद्ध शुरू हुआ। इसकी जड़ शिया-सुन्नी विवाद है। कार्नेजी मिडल ईस्ट सेंटर की रिपोर्ट के मुताबिक दोनों समुदायों में हमेशा से विवाद था जो 2011 में अरब क्रांति की शुरूआत से गृह युद्ध में बदल गया। 2014 में शिया विद्रोहियों ने सुन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।

इस सरकार का नेतृत्व राष्ट्रपति अब्दरब्बू मंसूर हादी कर रहे थे। हादी ने अरब क्रांति के बाद लंबे समय से सत्ता पर काबिज पूर्व राष्ट्रपति अली अब्दुल्ला सालेह से फरवरी 2012 में सत्ता छीनी थी। हादी देश में बदलाव के बीच स्थिरता लाने के लिए जूझ रहे थे। उसी समय सेना दो फाड़ हो गई और अलगाववादी हूती दक्षिण में लामबंद हो गए।

अरब देशों में दबदबा बनाने की होड़ में ईरान और सउदी भी इस गृह युद्ध में कूद पड़े। एक तरफ हूती विद्रोहियों को शिया बहुल देश ईरान का समर्थन मिला। तो सरकार को सुन्नी बहुल देश सउदी अरब का।

देखते ही देखते हूती के नाम से मशहूर विद्रोहियों ने देश के एक बड़े हिस्से पर कब्जा कर लिया। 2015 में हालात ये हो गए थे कि विद्रोहियों ने पूरी सरकार को निर्वासन में जाने पर मजबूर कर दिया था।