लांच किया मोबाइल ऐप 'राइज अगेंस्ट कैंसर', खतरनाक बीमारी से जंग लड़ने का बना दमदार हथियार

इंडियन कैंसर सोसाइटी (ICS) भारत में कैंसर से लड़ने वाले सबसे बड़े एनजीओ ने एक अभूतपूर्व मोबाइल एप 'राइज अगेंस्ट कैंसर' पेश कर विश्व कैंसर दिवस मनाया। मेड इन इंडिया ऐप का मकसद कैंसर मुक्त भारत बनाने के लिए जानकारी की कमी दूर करना, जागरूकता बढ़ाना और संबद्ध समुदायों को एक करना है। इस अभियान में राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट एंड रिसर्च सेंटर (आरजीसीआईआरसी) और रोश प्रोडक्ट्स (इंडिया) प्राइवेट लिमिटेड का समर्थन मिला।

ICS ने लांच किया मोबाइल ऐप 'राइज अगेंस्ट कैंसर'

ग्लोबोकैन के आंकडे कहते हैं कि हर साल लगभग 1.3 मिलियन लोगों में कैंसर का पता चलता है और सिर्फ वर्ष 2020 में लगभग 800 हजार लोगों ने इस बीमारी से दम तोड़ दिए। आंकड़ों की गंभीरता समझते हुए आईसीएस ने अगले एक दशक में कुल वयस्क आबादी के 50 प्रतिशत लोगों तक पहुंचने का मिशन बनाया है। यह बीमारी का जल्द पता लगाने और तुरंत इलाज शुरू करने के लिए जरूरी कैंसर के बारे में सटीक जानकाकी और सलाह देगा।

इंडियन कैंसर सोसायटी की नेशनल मैनेजिंग ट्रस्टी उषा थोराट ने कहा कि "कैंसर पूरी दुनिया के सामने एक गंभीर समस्या बनी हुई है। भारत सहित पूरी दुनिया के लाखों लोगों का जीवन इससे बुरी तरह प्रभावित है इसलिए आईसीएस की दिल्ली शाखा ने पहल करते हुए इसकी रोकथाम में मोबाइल टेक्नोलॉजी का लाभ उठाने की ठान ली है।

इससे कैंसर पीड़ितों और उनके परिवारजनों को पूरी जानकारी और सटीक मार्गदर्शन आसानी से मिलेगा। आईसीएस की राष्ट्रीय प्रबंधन समिति के प्रतिनिधि होने के नाते हम आज यह अभूतपूर्व एप लांच करने की बहुत खुशी है। एप पांच भाषाओं हिंदी, अंग्रेजी, कन्नड़, मराठी और बांग्ला में उपलब्ध होगा। हमें विश्वास है कि आने वाले चरणों में कई फीचर और भाषाएं जुड़ेंगी।"

इस अवसर पर आईसीएस दिल्ली शाखा की अध्यक्ष ज्योत्सना गोविल ने कहा कि "आईसीएस समुदाय की जरूरतें और समय की मांग बखूबी समझता है इसलिए आईसीएस बहुत बारीकी से यह मोबाइल एप्लिकेशन तैयार करने में सफल रहा है। 'राह अगेंस्ट कैंसर' एप की दूरदृष्टि कैंसर पीड़ितों को सक्षम बनाना है ताकि वे स्वास्थ्य के अपनी जिम्मेदारी समझें और पूरी करें। एप में एक सूचना केंद्र, संसाधन पुस्तकालय, कार्यक्रम, समुदाय और सहायता समूह जैसे अलग-अलग सेक्शन हैं।

समाचार और अपडेट के भी सेक्शन हैं। एप वर्तमान में 5 भाषाओं में उपलब्ध है और फिलहाल 4 तरह के कैंसर के बारे में जानकारी देता है।"आईसीएस पिछले सात दशकों से अधिक समय कैंसर की रोकथाम, उपचार, इसके लिए वित्तीय सहायता और इलाज के बाद के जीवनयापन में सहयोग दे रहा है। यह कैंसर रजिस्ट्री सेवाओं के माध्यम से बहुत उपयोगी डेटा देता है और इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर का प्रकाशन करता है। आईसीएस ने विश्व कैंसर दिवस 2024 की थीम 'क्लोज द केयर गैप' पर काम करते हुए यह एप लांच किया है, जो कैंसर से जंग में पीड़ितों और समुदायों को सशक्त बनाने का टूल है और कई भाषाओं में उपलब्ध है।

इस ऐतिहासिक अवसर पर आईसीएस की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. अनीता बोर्गेस ने कहा कि " आज हमारे मोबाइल एप 'राइज अगेंस्ट कैंसर का लांच हमारे लिए बहुत खुशी की बात है। आईसीएस पिछले सात दशकों से कैंसर के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे रहा है। वंचित वर्ग के हजारों कैंसर मरीजों के लिए आईसीएस आशा की किरण है।

दरअसल, अधिकतर मरीजों का इलाज कारगर हो सकता है। बशर्ते कैंसर का जल्द पता लगे लेकिन जागरूकता कम और इस भयानक बीमारी के बारे में भ्रामक जानकारी अधिक है। ऊपर से इलाज बहुत महंगा है इसलिए अक्सर लोगों की नियमित जांच और इलाज मुमकिन नहीं हो पाता है। लेकिन हमें पूरा विश्वास है कि हम मिल कर इसी तरह अथक प्रयास करते रहें तो लोगों को 'कैंसर से दो कदम आगे रहने का हौसला मिलेगा। कैंसर का जल्द पता चलेगा और इलाज भी जल्द शुरू होगा।"

लांच के अवसर पर आरजीसीआईआरसी के सीईओ डीएस नेगी ने कहा कि "हम ने कैंसर से लड़ने की ठान रखी है और इसकी रोकथाम के लिए उपचार का महत्व समझते हैं। आईसीएस टीम के मोबाइल एप 'राइज अगेंस्ट कैंसर' लांच पर पूरी टीम को बधाई। यह एप कैंसर की रोकथाम के लिए जागरूकता और जानकारी बढ़ाने में कारगर होगा। हम ने आईसीएस से साझेदारी कर जन-जन के लिए इस एप की उपयोगिता में हमारा विश्वास व्यक्त किया है। यह आरजीसीआईआरसी के मिशन के अनुरूप है, जो इनोवेशन के साथ स्वास्थ्य सेवा देना है। हम मिलकर जन-जन को जानकार बनाएंगे और कैंसर की रोकथाम और इलाज का नया दौर शुरू करेंगे।"

इंडियन कैंसर सोसायटी का परिचय

इंडियन कैंसर सोसाइटी का गठन डॉ. डी. जे. जुसावाला और नवल टाटा ने 1951 में किया। यह कैंसर से लड़ने वाला भारत का पहला गैर-आर्थिक लाभ संगठन है। आईसीएस कैंसर से जुड़े सभी पहलुओं पर काम करता है, जैसे कि जागरूकता बढ़ाना, प्रारंभिक जांच, वित्तीय सहायता, सहायता समूह, कैंसर से उबरने के बाद जीवनयापन में सहयोग, अनुसंधान, रजिस्ट्री और जानकारी देना आदि। इसके अलावा, आईसीएस इंडियन जर्नल ऑफ कैंसर प्रकाशित करता है, जो भारत का पहला इंडेक्स्ड ऑन्कोलॉजी जर्नल है।

आईसीएस अब तक 480,000 से अधिक लोगों की स्क्रीनिंग कर चुका है और 44,000 लोगों को कैंसर के निदान, उपचार, उबरने के बाद जीवनयापन और पुनर्वास में सहयोग दे चुका है। विवरण www.indiancancersociety.ong पर देखें।