दिल्ली में इंटरनेशनल ऑर्गन ट्रांसप्लांट रैकेट का खुलासा

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने मंगलवार (9 जुलाई) को इंटरनेशनल ऑर्गन ट्रांस्प्लांट रैकेट का खुलासा किया है। मामले में एक महिला डॉक्टर समेत 7 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। क्राइम ब्रांच के DCP अमित गोयल ने बताया कि इस रैकेट का मास्टरमाइंड एक बांग्लादेशी है।

DCP अमित गोयल ने बताया कि हमने एक डॉनर्स और रिसीवर को भी गिरफ्तार किया है। रैकेट में शामिल रसेल नाम का एक व्यक्ति मरीजों और डॉनर्स की व्यवस्था करता था। वे प्रत्येक ट्रांसप्लांट के लिए 25-30 लाख रुपए लेते थे। यह रैकेट 2019 से चल रहा था।

3 महीने पहले बच्चों की खरीद-बिक्री करने वाला गैंग पकड़ाया था

दिल्ली में तीन महीने पहले अप्रैल में बच्चों की खरीद-बिक्री करने वाले एक गैंग पकड़ाया था। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने 5 अप्रैल को दिल्ली और हरियाणा में 7 जगहों पर रेड की थी। इस दौरान दिल्ली के केशवपुरम स्थित एक घर से तीन नवजात को बरामद किया गया था।

इनमें दो लड़के थे, जिनमें एक डेढ़ दिन और दूसरा 15 दिन का है। एक बच्ची करीब महीने भर की थी। CBI ने एक अस्पताल के वार्ड बॉय समेत 7 लोगों को भी गिरफ्तार किया था। इनमें 5 महिलाएं शामिल थीं।

आरोपियों का गिरोह बच्चों के रियल माता-पिता या सरोगेट मां से उन्हें खरीदते थे। फिर सोशल मीडिया ऐड के जरिए निःसंतान दंपत्तियों को बेच देते थे। एक बच्चे की कीमत 4 से 6 लाख रुपए लगाई जाती थी।

फेसबुक-वॉट्सऐप पर दंपतियों से संपर्क करते थे आरोपी

गिरफ्तार किए गए लोगों की पहचान दिल्ली के पश्चिम विहार की इंदु पवार, पटेल नगर के असलम, कन्हैया नगर की पूजा कश्यप, मालवीय नगर की अंजलि, कविता और रितु और हरियाणा के सोनीपत के नीरज के रूप में की गई।

CBI के अधिकारियों ने बताया कि आरोपियों का गिरोह फेसबुक पेज और वॉट्सऐप ग्रुप जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए बच्चे गोद लेने वाले निःसंतान दंपतियों से संपर्क करते थे। ये लोग एडॉप्शन का फर्जी डॉक्यूमेंट्स बनाकर कई दंपतियों से लाखों रुपए की ठगी भी कर चुके हैं।

CBI के मुताबिक, आरोपी ब्लैक मार्केट में सामान की तरह बच्चों का सौदा करते थे। अकेले मार्च में लगभग 10 बच्चे बेचे गए। सर्च ऑपरेशन के दौरान 5.5 लाख कैश, कई दस्तावेज समेत आपत्तिजनक सामान बरामद किए हैं।

जांच एजेंसी के रडार पर देश के कई बड़े अस्पताल

CBI ने सात गिरफ्तार किए गए आरोपियों के अलावा 10 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया था। आरोप है कि शिशु तस्करों का एक नेटवर्क गोद लेने के साथ-साथ अन्य अवैध कामों के लिए भारत भर में बच्चों की खरीद-बिक्री में शामिल है। इस घटना के बाद देश के कई बड़े अस्पताल जांच के दायरे में आ गए थे।