बाबा विश्वनाथ की रसोई से संस्कृत विद्यालयों व अस्पतालों में जाएगा भोग प्रसाद

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 20 अक्टूबर को अपने संसदीय क्षेत्र काशी में सिगरा स्टेडियम से 6611.18 करोड़ लागत की 23 परियोजनाओं का लोकार्पण-शिलान्यास करेंगे। साथ ही श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद की ओर से संस्कृत विद्यालयों के बच्चों व अस्पतालों में तीमारदारों के लिए दोपहर के निश्शुल्क भोजन उपलब्ध कराने की व्यवस्था का भी शुभारंभ करेंगे।

पहले चरण में 5000 लोगों तक भोजन पहुंचाया जाएगा। मांग अनुसार इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद ने 16 अक्टूबर को न्यासियों की उपस्थिति में बाबा विश्वनाथ व मां अन्नपूर्णा की आराधना के साथ चूल्हा पूजन किया तो शुक्रवार को निश्शुल्क भोजन वितरण व्यवस्था का ट्रायल कर लिया गया। इसमें विभिन्न स्कूलों-अस्पतालों में भोजन पहुंचा कर व्यवस्था परखी गई जो सफल रही।

प्रधानमंत्री ने पिछली बार 22 फरवरी को काशी आगमन पर बीएचयू के स्वतंत्रता भवन सभागार से संस्कृत विद्यालयों के बच्चों और अस्पतालों में तीमारदारों को विश्वनाथ मंदिर की ओर से निश्शुल्क भोजन उपलब्ध कराने की घोषणा की थी।

इसके लिए श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के गोदौलिया स्थित अन्नक्षेत्र में सात्विक रसोई का निर्माण कराया गया है। इसका संचालन नाटिकोट्टम संस्था द्वारा अनुबंध के तहत किया जा रहा है। उच्चस्तरीय विशिष्ट क्षमता वाले उपकरण नाटिकोट्टम क्षेत्र की मातृसंस्थान कोविलुर मठ द्वारा देश-विदेश के निर्माताओं से मंगवाए गए हैं ताकि रसोई की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जा सके। इसमें पांच हजार से छह हजार व्यक्तियों का भोजन एक साथ बनाने की योजना है।

मंदिर न्यास के पास भोजन वितरण के लिए सात वाहन 

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र के अनुसार दैनिक भोजन सामग्री और परिवहन की व्यवस्था श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास परिषद द्वारा की जा रही है। इसके लिए मंदिर न्यास के पास पहले से ही दो महिन्द्रा डीआई वाहन भोजन पहुंचाने के लिए उपलब्ध हैं।

इसके अतिरिक्त, आइडीबीआइ बैंक की ओर से सीएसआर मद के अंतर्गत 22 जुलाई 2024 को पांच वाहन भी दिए गए हैं, जो इस योजना के क्रियान्वयन में सहायक होंगे।

सीपी और डीएम ने परखी पीएम के कार्यक्रम स्थल की सुरक्षा

पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल और डीएम एस राजलिंगम ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री के कार्यक्रम स्थल का सुरक्षा के दृष्टिगत निरीक्षण किया। उन मार्गों को भी जांचा-परखा जिससे प्रधानमंत्री की आवाजाही संभव है। दोनों अधिकारियों ने मातहतों को आवश्यक निर्देश दिए।

पुलिस आयुक्त ने देर शाम अफसरों संग मीटिंग की और सुरक्षा उपायों के बारे में जानकारी दी। मीटिंग में अपर पुलिस आयुक्त कानून-व्यवस्था के अलावा सभी डीसीपी, एडीसीपी मौजूद रहे।


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महाकुंभ में प्लास्टिक बैन, मिट्टी के बर्तनों का होगा उपयोग

 महाकुंभ में प्रयागराज जनपद और महाकुंभ मेला क्षेत्र को प्लास्टिक फ्री बनाने के लिए बड़ी रणनीति बनाई गई। गांधी सभागार में मंडलायुक्त विजय विश्वास पंत ने सिंगल यूज प्लास्टिक के प्रयोग को निषिद्ध करने के लिए महत्वपूर्ण बैठक की।

नगर निगम के अधिकारियों द्वारा प्लास्टिक के प्रयोग को रोकने के लिए चलाए जा रहे विभिन्न अभियानों के बारे में जानकारी दी गई। बताया गया कि हर दुकान दस्तक अभियान के अंतर्गत लगभग 2000 दुकानों का चिन्हांकन करते हुए 204 किलो से अधिक प्लास्टिक अब तक सीज की जा चुकी है।

इसके अतिरिक्त स्वच्छता ही सेवा है के अंतर्गत चलाए जा रहे जागरूकता अभियान के माध्यम से लोगों को अपने आसपास सफाई रखने तथा प्लास्टिक का यूज न करने का आह्वान किया जा रहा है।

प्लास्टिक की सप्लाई चेन रोकने के निर्देश

मंडलायुक्त ने प्लास्टिक की सप्लाई-चेन को रोकने, प्लास्टिक कहां से आ रही है एवं उसका सोर्स क्या है, उस पर अंकुश लगाने के निर्देश दिए। व्यापारियों को केवल परमिसिबल एवं बायो डिग्रेडेबल प्लास्टिक यूज करने के लिए प्रोत्साहित करने को कहा। फिर निषिद्ध प्लास्टिक का प्रयोग होता है तो संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए चालान करने के निर्देश दिए।

उन्होंने नगर आयुक्त को टीम बनाकर जागरूकता अभियान चलाने, शार्ट फिल्म बनवाकर उसे वीएमडी स्क्रीन पर चलाने को कहा। नगर निगम द्वारा विभिन्न स्थानों पर रखी क्वाइन मशीन, जिससे 10 डालकर एक बैग लिया जा सकता है, उस पर यूपीआइ पेमेंट की सुविधा उपलब्ध कराने, माइक्रो लेवल पर ब्रांड एंबेस्डर तैयार करते हुए उनकी मदद जागरूकता अभियान में लेने को कहा।

मोहल्ले स्तर पर प्लास्टिक प्लेज अभियान चलाने तथा स्कूलों में प्रतियोगिताएं कराने के निर्देश दिए। महाकुंभ में संस्थाओं एवं साधु-संतों से समन्वय स्थापित कर भंडारों में प्लास्टिक का प्रयोग न करने तथा विकल्प के रूप में मिट्टी के बर्तन एवं जूट बैग्स प्रयोग करने को कहा।

शहर एवं मेला क्षेत्र के विभिन्न वेडिंग जोन में मिट्टी के बर्तन, पत्तल एवं जूट बैग्स विकल्प के रूप में उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए। डीएम प्रयागराज को कार्ययोजना तैयार करते हुए उसे शीघ्र प्रस्तुत करने को कहा।

होर्डिंग्स पर लगाएं क्यूआर कोड

मंडलायुक्त ने अनाधिकृत होर्डिंग हटाने के दृष्टिगत अधिकारियों को सभी मार्गों का असेसमेंट करते हुए जहां भी अनाधिकृत होर्डिंग हैं उन्हें तुरंत हटाने के निर्देश दिए। अधिकृत होर्डिंग पर क्यूआर कोड लगाने को कहा, जिससे सिंगल स्कैन से वह होर्डिंग अधिकृत है या नहीं यह सुनिश्चित किया जा सके। गड्ढा मुक्त के दृष्टिगत अधिकारियों को निर्देश दिए कि जो मुख्य मार्ग किसी भी परियोजना के अंतर्गत कवर नहीं हुए हैं उन्हे भी गड्ढा मुक्त किया जाए।


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सीएम योगी ने कन्‍याओं का पांव पखार कर मातृ शक्ति की आराधना की, बोले-महिला सशक्त तो समाज खूबसूरत

गोरक्षपीठाधीश्वर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नवरात्र की नवमी तिथि पर शुक्रवार की सुबह गोरखनाथ मंदिर में मां भगवती के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की आराधना के बाद नौ कन्याओं और बटुक भैरव के पांव पखारकर कर व्रत का पारायण किया।

इसे दौरान उन्‍होंने उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित भी किया। उन्‍होंने कहा कि शारदीय नवरात्र आधी आबादी के सम्मान, सुरक्षा और उनके स्वावलंबन की प्रेरणा प्रदान करता है। महिलाओं का सम्मान और सशक्तीकरण होगा तो समाज स्वयं ही सशक्त और समर्थवान होगा। भारतीय मनीषियों ने इसकी व्याख्या कुछ इस प्रकार की है कि दैवीय शक्तियां वहीं वास करती हैं जहां उनका सम्मान होता है। ऐसे में हम सभी की जिम्मेदारी है कि समाज में ऐसा माहौल बनाएं जिससे कि आधी आबादी और उसके साथ समाज सुरक्षित हो जाए।

सीएम योगी ने किया बटुक पूजन

बता दें कि शुक्रवार को शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर में आयोजित कन्या पूजन अनुष्ठान में सीएम योगी ने नौ दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं के पांव पखारे, उनका विधि विधान से पूजन किया, चुनरी ओढाई, आरती उतारी, श्रद्धापूर्वक भोजन कराया, दक्षिणा और उपहार देकर उनका आशीर्वाद लिया। मुख्यमंत्री ने परंपरा का निर्वहन करते हुए बटुक पूजन भी किया।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्यार-दुलार पाकर नन्हीं बालिकाओं व बटुकों की प्रसन्नता देखते ही बन रही थी। सत्कार और स्नेह के भाव से मुख्यमंत्री ने एक-एक कर नौ कन्याओं व बटुक भैरव के पांव पखारे और पूजन किया। इस दौरान सीएम योगी के हाथों दक्षिणा मिलने से सभी बालिकाएं काफी खुश दिखीं।

पूजन के बाद भोजन परोसते समय सीएम निरंतर संवाद भी करते रहे। यह भी ख्याल रखते रहे कि किसी भी बालक-बालिका की थाली में प्रसाद की कोई कमी न रहे। इसे लेकर वह मंदिर की व्यवस्था से जुड़े लोगों को निर्देशित करते रहे।

पूजन के दौरान गोरखनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ, काशी से आए महामंडलेश्वर संतोष दास उर्फ सतुआ बाबा, द्वारिका तिवारी, वीरेंद्र सिंह, दुर्गेश बजाज, अमित सिंह मोनू, विनय गौतम आदि मौजूद रहे। सीएम योगी ने इसके पूर्व प्रातःकाल के पूजन सत्र में मंदिर के शक्तिपीठ में मां सिद्धिदात्री की विधि-विधान से आराधना की।

बता दें कि सीएम योगी आदित्यनाथ खास कर महिलाओं के लिए मिशन शक्ति के जरिये आगे ले जाने के लिए बढ़ावा दे रहे हैं। उन्‍होंने एंटी रोमियो स्क्वाड, पिंक टॉयलेट, पिंक बूथ, पिंक बसें, पीएसी में महिला बटालियन, थाने में तैनात महिला पुलिसकर्मियों को पहली बार बीट पर तैनाती, लखपति दीदी, बैंक सखी, कृषि सखी, सुकन्या योजना, स्वयं सहायता समूहों का सशक्तिकरण, निराश्रित महिला पेंशन की पात्रता के लिए उम्र की सीमा खत्म करने सहित कई योजनाएं चला रहे हैं।.


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पहली बार भारत से कैलाश पर्वत के दर्शन हुए

कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान 3 अक्टूबर को पहली बार भारतीय इलाके से पवित्र कैलाश पर्वत के दर्शन हुए। दर्शन पुराने लिपुलेख दर्रे से हुए। यह उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले की व्यास घाटी में स्थित है। कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास माना जाता है। इससे पहले तीर्थयात्रियों को पर्वत के दर्शन के लिए तिब्बत जाना पड़ता था।

पिथौरागढ़ के जिला पर्यटन अधिकारी कृति चंद्र आर्य ने बताया, पहले जत्थे में पांच तीर्थयात्री थे। वे 2 अक्तूबर को गुंजी कैंप पहुंचे। दर्शन के लिए उन्हें 2.5 किलोमीटर की चढ़ाई करनी पड़ी। यह अभिभूत करने वाला अनुभव था। पवित्र कैलाश पर्वत को देखा तो उनकी आंखों में आंसू आ गए।

कुछ महीने पहले ही उत्तराखंड पर्यटन विभाग, सीमा सड़क संगठन (BRO) और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के अधिकारियों की एक टीम ने कैलाश पर्वत के स्पष्ट रूप से दिखाई देने वाले स्थान की खोज की थी।

यात्रा के 5 पड़ाव...

हर यात्री को धारचूला (पिथौरागढ़ से 11 किमी) में स्वास्थ्य जांच करानी होगी। यहीं परमिट मिलेगा।

पहले दिन हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ से गुंजी गांव पहुंचेंगे। यहां रात बिताएंगे।

अगले दिन कार से आदि कैलाश के दर्शन के लिए जॉलिंगकॉन्ग जाएंगे। शाम को गुंजी लौटकर रात बिताएंगे।

तीसरे दिन कैलाश व्यू पॉइंट जाकर लौटेंगे। गुंजी में तीसरी रात बिताएंगे।

चौथे दिन हेलीकॉप्टर से पिथौरागढ़ लौटेंगे।

उत्तराखंड पर्यटन विभाग के पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर आयोजित हुई यात्रा

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भारतीय सीमा के अंदर से कैलाश दर्शन संभव बनाने वाले सभी विभागों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह राज्य सरकार की प्रतिबद्धता को दर्शाता है। अब शिव भक्तों को कैलाश-मानसरोवर यात्रा का इंतजार नहीं करना पड़ेगा। वे भारतीय सीमा के अंदर से ही भगवान के दर्शन कर सकेंगे।

वहीं, पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने पहली यात्रा के सफल आयोजन को शिव भक्तों के लिए ऐतिहासिक घटना बताया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार तीर्थयात्रियों को एक अनूठा और यादगार अनुभव प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।

यह यात्रा उत्तराखंड पर्यटन विभाग के एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में आयोजित की गई थी। बता दें, कोविड बाद से तिब्बत के रास्ते पारंपरिक कैलाश मानसरोवर यात्रा कई वर्षों से निलंबित थी।

तीन साल तक बंद रही थी यात्रा

कोविड के दौरान कैलाश-मानसरोवर यात्रा तीन साल बंद रही थी। पिछले साल चीन ने यात्रा के लिए वीसा देने शुरू कर दिया था। हालांकि, इसके नियम बेहद कड़े कर दिए थे। साथ ही यात्रा पर लगने वाले कई तरह की फीस भी लगभग दोगुनी कर दी थी।

अगर तीर्थयात्री अपनी मदद के लिए नेपाल से किसी वर्कर या हेल्पर को साथ रखता है तो 300 डॉलर, यानी 25 हजार रुपए अतिरिक्त चुकाने होते हैं। इस शुल्क को ‘ग्रास डैमेजिंग फी’ कहा गया है। चीन का तर्क है कि यात्रा के दौरान कैलाश पर्वत के आसपास की घास को नुकसान पहुंचता है, जिसकी भरपाई यात्री से ही की जाएगी।

नए नियम, जिनसे यात्रा कठिन हुई…

यात्री को सबसे पहले खुद चीनी दूतावास जाकर वीसा लेना पड़ता है। ऑनलाइन आवेदन स्वीकार नहीं होता।

उसके बाद काठमांडू या दूसरे बेस कैंप पर बायोमीट्रिक पहचान प्रक्रिया से भी गुजरना होता है।

वीसा पाने के लिए अब कम से कम पांच लोगों का समूह होना जरूरी है। इसमें से चार लोगों को अनिवार्य तौर पर वीसा के लिए खुद पहुंचना होगा।

तिब्बत में प्रवेश करने वाले नेपाली श्रमिकों को ग्रास डैमेजिंग फी के रूप में 300 डॉलर देने होते हैं। यह खर्च तीर्थयात्री को ही वहन करना होता है।

किसी वर्कर को साथ रखने के लिए 15 दिनों की 13,000 रुपए प्रवास फीस भी ली जाती है। पहले यह सिर्फ 4,200 रुपए थी।

यात्रा में लगते हैं 2 से 3 हफ्ते

कैलाश यात्रा के लिए तीन अलग-अलग रास्ते हैं। पहला- लिपुलेख दर्रा (उत्तराखंड), दूसरा- नाथू दर्रा (सिक्किम) और तीसरा- काठमांडू। इन तीनों रास्तों पर कम से कम 14 और अधिकतम 21 दिन का समय लगता है। 2019 में 31 हजार भारतीय यात्रा पर गए थे, उसके बाद से यात्रा बंद थी।


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अयोध्या में नवरात्र पर मांस की बिक्री पर बैन, योगी सरकार ने लगाई पाबंदी

 नवरात्र पर अयोध्या जिले में तीन अक्टूबर से मांस, मुर्गा, मछली आदि की दुकानें बंद रहेंगी। प्रतिबंध 11 अक्टूबर तक प्रभावी रहेगा। यह जानकारी सहायक आयुक्त खाद्य-दो मानिकचंद्र सिंह ने दी। उनके अनुसार यदि रोक के बावजूद मांस का बिक्री व भंडारण किया जा रहा है तो विभाग के टेलीफोन नंबर 05278-366607 पर सूचना दें, जिससे खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 के अंतर्गत विधिक कार्रवाई की जा सके।

बदला मंदिर में दर्शन का समय

शारदीय नवरात्र को लेकर आश्विन शुक्ल, प्रतिपदा तिथि यानी तीन अक्टूबर से राम मंदिर में दर्शन की समय सारिणी में बदलाव किया गया है। श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य डा. अनिल कुमार मिश्र ने विज्ञप्ति जारी कर इसकी जानकारी दी है।

इसी के साथ मंदिर की दिनचर्या में भी बदलाव कर दिया गया है। ट्रस्ट ने भक्तों के दर्शन की अवधि आधे घंटे कम कर दी है। अब सुबह सात बजे से रात नौ बजे तक ही दर्शन हो सकेगा। पहले सुबह साढ़े छह बजे से ही दर्शन प्रारंभ हो जाता था। इसके साथ रामलला की मंगला व श्रृंगार आरती का समय भी परिवर्तित किया गया है। सुबह चार बजे से होने वाली मंगला आरती अब सुबह साढ़े चार बजे से और श्रृंगार आरती सुबह छह बजे के बजाय 6:30 बजे प्रारंभ होगी।

ये है नया समय

राम मंदिर के व्यवस्थापक व ट्रस्ट के आमंत्रित सदस्य गोपाल राव ने राम मंदिर की प्रस्तावित दिनचर्या की जानकारी देते हुए बताया कि प्रात: 4:30 से 4:40 बजे तक मंगला आरती, 4:40 से 6:30 बजे पट बंद, अभिषेक व श्रृंगार आदि, 6:30 बजे श्रृंगार आरती, 7:00 बजे से डी-1 (चेक प्वाइंट) से प्रवेश आरंभ, 7:00 बजे से 9:00 बजे तक दर्शन, 9:00 से 9:05 बजे तक पट बंद, बालभोग, सुबह 9:05 से 11:45 बजे तक दर्शन, 11:45 से 12:00 बजे तक पट बंद, राजभोग लगेगा।

इसके बाद अपराह्न 12:00 बजे भोग आरती, 12:15 बजे डी-1 से प्रवेश बंद, 12:30 बजे तक दर्शन, 12:30 से 1:30 बजे तक पट बंद, शयन, 1:30 बजे से डी-1 से प्रवेश प्रारंभ, 1:30 बजे देव उत्थान, भोग, आरती, 1:35 से सायं 4:00 बजे तक दर्शन, 4:00 से 4:05 बजे तक पट बंद, नैवेद्य अर्पित होगा।

फिर 4:05 से 6:45 बजे तक दर्शन, 6:45 से 7:00 बजे तक पट बंद, भोग, रात्रि 7:00 बजे संध्या आरती, 7:00 बजे से 8:30 बजे तक दर्शन, 9:00 बजे डी-वन से प्रवेश बंद होगा। फिर 9:15 से 9:30 बजे तक पट बंद, भोग, 9:30 से 9:45 बजे तक शयन आरती, रात्रि 9:45 बजे से सुबह 4:30 बजे तक मंदिर के पट बंद रहेंगे और भगवान का शयन होगा।






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'दुर्गा पूजा करना है तो 5 लाख दो', बांग्लादेश के हिंदू मंदिरों को वसूली की मिलीं धमकियां

 बांग्लादेश में हिंदुओं पर अत्याचार थमने का नाम नहीं ले रहा। दुर्गा पूजा (Durga Puja 2024) से पहले बांग्लादेश में इस्लामिक समूहों के जरिए कुछ मंदिरों को धमकियां मिली है।

मंदिर समितियों को धमकी दी गई कि अगर उन्होंने दुर्गा पूजा मनाना है तो उन्हें 5 लाख बांग्लादेशी टका देने होंगे। अगर पैसे नहीं दिए गए तो पूजा नहीं करने दी जाएगी।

वहीं, 22 सितंबर को मदरसा के कुछ लोगों ने लक्ष्मीगंज जिले के रायपुर इलाके में दुर्गा प्रतिमाओं को तोड़ा गया था। बरगुना जिले में भी प्रतिमाएं तोड़ी गई थी। इस मामले पर हिंदू समुदाय के कुछ लोगों ने चटगांव और खुलना में जिले के अधिकारियों के सामने शिकायत भी दर्ज करवाई थी।

'25 से अधिक मंदिरों को दी गई धमकियां'

 हिंदू बौद्ध ईसाई एकता परिषद के महासचिव महेंद्र नाथ ने कहा कि खुलना शहर के डाकोप कस्बे में 25 से अधिक मंदिरों को पांच दिवसीय उत्सव मनाने के लिए 5 लाख रुपये की मांग करते हुए धमकियां मिली हैं।

मोहम्मद यूनुस सरकार ने जारी किया तुगलकी फरमान

बता दें कि कुछ दिनों पहले मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने फरमान जारी करते हुए कहा था कि दुर्गा पूजा के दौरान अजान से पहले और नमाज के दौरान कोई भी संगीत न बजाएं।


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तिरुपति मंदिर में 4 घंटे चला शुद्धिकरण अनुष्ठान

तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल पर पूरे देश के भक्तों और संत समाज गुस्सा जता रहा है. देश के कई मंदिरों ने अब बाहर से आने वाले प्रसाद को भगवान पर अर्पित करने पर रोक लगा दी है. तिरुपति लड्डू विवाद पर छिड़े बवाल के बीच तिरुमला मंदिर में सोमवार (23 सितंबर) को शुद्धिकरण अनुष्ठान किया गया. इस पूजा में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी से मंत्रोच्चार के बीच माफी मांगी गई.

मंदिर सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 4 घंटों तक चली इस शुद्धिकरण पूजा यानी शांति होमम पंचगव्य प्रोक्षण से भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को प्रसन्न किया गया. तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने प्रसाद वाले लड्डू में जानवरों की चर्बी की मिलावट वाले विवाद के बाद इस महा शांति होमम का आयोजन किया. इस आयोजन में मंदिर के पुजारियों के साथ ही टीटीडी के अधिकारी भी शामिल हुए.

तिरुपति मंदिर में 4 घंटे चला शुद्धिकरण अनुष्ठान 

तिरुमला मंदिर के शुद्धिकरण के लिए सुबह 6 बजे से 10 बजे तक शांति होमम पंचगव्य प्रोक्षण नाम की ये पूजा चली. टीटीडी के मुताबिक इस अनुष्ठान का उद्देश्य भगवान वेंकटेश्वर स्वामी को तिरुपति के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाने जैसे कथित अपवित्र व्यवहार से प्रसन्न करना था.

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने रविवार (22 सितंबर) को पहले की वाईएसआरसीपी सरकार पर मंदिर की पवित्रता भंग करने को लेकर निशाना साधा. टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने आरोप लगाया कि टीटीडी की ओर से घी खरीदने की कई प्रक्रियाओं में पूर्व की जगन मोहन रेड्डी की सरकार के दौरान बदलाव किया गया था.

सुप्रीम कोर्ट में भी दायर की गई याचिका 

इस मामले में जांच के लिए सीएम नायडू ने एसआईटी के गठन का भी ऐलान कर दिया है. सीएम चंद्रबाबू नायडू ने कहा कि प्रसाद के लड्डू में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल के खुलासे से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. वहीं, सुप्रीम कोर्ट में भी तिरुपति लड्डू विवाद को लेकर याचिका दाखिल की गई है. 

विश्व हिंदू परिषद (VHP) के नेतृत्व में सोमवार को संत समाज की एक बैठक का भी आयोजन होना है. इस बैठक में वीएचपी तिरुपति लड्डू विवाद पर आगे की रणनीति पर संत समाज से रायशुमारी करेगी. प्रसाद को लेकर छिड़े विवाद के बाद 20 सितंबर को टीटीडी ने कहा था कि इस पवित्र प्रसाद की शुचिता बहाल कर दी गयी है.


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तिरुपति मंदिर प्रबंधन बोला- प्रसाद अब पूरी तरह से पवित्र

आंध्र प्रदेश के श्री वेंकटेश्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति मंदिर) का मैनेजमेंट करने वाली कमेटी तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने कहा है कि प्रसाद अब पूरी तरह से पवित्र है। हम भक्तों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए प्रसाद की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

TTD के कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने शुक्रवार, 20 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी। उन्होंने दावा किया कि लड्डू जिस घी से बनाए जा रहे थे, उसके सैंपल्स के 4 लैब रिपोर्ट्स में इसकी पुष्टि हुई है। राव ने कहा कि मंदिर प्रबंधन के पास अपना लैब नहीं था। घी सप्लायर्स ने इसका फायदा उठाया। TTD ने मिलावटी घी देने वाले सप्लायर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की बात कही है।

दूसरी तरफ, पूर्व सीएम जगन मोहन रेड्डी ने भी शुक्रवार को आरोपों पर पहली प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सीएम चंद्रबाबू नायडू ने जुलाई की लैब रिपोर्ट दिखाई है। वे राजनीतिक फायदे के लिए भगवान का इस्तेमाल कर रहे हैं।

जगन रेड्डी ने कहा कि नायडू ने तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया। वे प्रधानमंत्री मोदी और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ को लेटर लिखकर नायडू के खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।

प्रसादम विवाद कहां पहुंचा...

सुप्रीम कोर्ट: वकील सत्यम सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई। कहा, यह हिंदू धार्मिक रीति-रिवाजों के मूल सिद्वांतों का उल्लंघन है। इस पर कोर्ट को तुरंत संज्ञान लेना चाहिए।

हाईकोर्ट: YSR ने लड्डू में चर्बी विवाद पर हाईकोर्ट का रुख किया। जगन रेड्डी की पार्टी ने इस मामले में मौजूदा जज की निगरानी में जांच का अनुरोध किया है। मामले में अगली सुनवाई 25 सितंबर का होगी।

स्वास्थ्य मंत्रालय: स्वास्थ्य मंत्रालय ने आंध्र प्रदेश सरकार से रिपोर्ट मांगी है। स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा, मैंने CM चंद्रबाबू नायडू से बात की है। मंदिर के प्रसाद (लड्डू) की जांच कराई जाएगी।

CBI: टीडीपी, कांग्रेस और भाजपा ने इस मामले में CBI जांच की मांग की है। हालांकि केंद्र सरकार ने अभी यह केस जांच एजेंसी को नहीं सौंपा है।

CM नायडू ने घी में जानवरों की चर्बी मिलाने का आरोप लगाया था

मुख्यमंत्री नायडू ने भी घी के मुद्दे पर फिर बयान दिया। प्रकासम जिले में एक सभा में नायडू ने कहा, जब बाजार में 500 रुपए किलो घी मिल रहा था तब जगन सरकार ने 320 रु. किलो घी खरीदा। ऐसे में घी में सप्लायर की ओर से मिलावट होनी ही थी। जगन सरकार द्वारा कम दाम वाले घी को खरीदने की जांच हाेगी। पशु चर्बी वाले घी से बने लड्डुओं से तिरुपति मंदिर की पवित्रता पर दाग लगाया है।

CM नायडू ने 18 सितंबर को आरोप लगाया था कि पूर्व जगन सरकार में तिरुपति मंदिर के लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी में जानवरों की चर्बी और फिश ऑयल मिलाया गया था। TDP ने एक लैब रिपोर्ट दिखाकर अपने आरोपों की पुष्टि का दावा भी किया।

आंध्र के डिप्टी सीएम पवन कल्याण ने कहा-

अब समय आ गया है कि मंदिरों से जुड़े सभी मुद्दों पर विचार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन किया जाए।

नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी बोले-

वेंकटेश्वर मंदिर में प्रसाद अपवित्र होने की खबरें परेशान करने वाली हैं। यह घटनाक्रम हर भक्त को आहत करेगा। इस पर गहराई से विचार की जरूरत है। देशभर के मंदिर प्रबंधन को धार्मिक स्थानों की पवित्रता की रक्षा करनी चाहिए।

घी सप्लाई करने वाली पांचों कंपनियां बैन, एक का 4 ट्रक घी मिलावट वाला

मामला सामने आने के बाद तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) ने घी सप्लाई करने वाली कंपनियों से अनुबंध खत्म कर दिया है। घी सप्लाई करने वाली कंपनियां प्रीमियर एग्री फूड्स, कृपाराम डेयरी, वैष्णवी, श्री पराग मिल्क और एआर फूड कंपनी थीं।

पांचों कंपनियों की आपूर्ति में से सिर्फ एआर डेयरी के घी में बीफ की चर्बी की पुष्टि हुई है। कंपनी के चार ट्रक में अशुद्ध घी पुष्टि हुई है। हालांकि पांचों कंपनियों से अनुबंध खत्म कर दिया गया है और पिछले कई सालों से घी सप्लाई कर रही कंपनी KMF से दोबारा अनुबंध किया गया है।

इस कंपनी से अनुबंध इसलिए खत्म किया गया था क्योंकि इसके दाम 450 रुपए से ज्यादा थे, जबकि एआर फूड कंपनी से अनुबंध 320 से 411 रुपए की दर पर था।

YSRCP-TDP सरकार के अलग-अलग सप्लायर

YSRCP ने पिछले साल घी सप्लायर बदला था, गड़बड़ी मिली थी

दरअसल, KMF पिछले 50 साल से कर्नाटक रियायती दरों पर ट्रस्ट को घी दे रहा था। हर छह महीने में 1400 टन घी मंदिर में लगता है। जुलाई 2023 में कंपनी ने कम रेट में सप्लाई देने से मना कर दिया, जिसके बाद जगन सरकार (YSRCP) ने 5 फर्म को सप्लाई का काम दिया था। इनमें से एक तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स भी है। जिसके प्रोडक्ट में इसी साल जुलाई में गड़बड़ी मिली थी।

TDP सरकार ने इसी साल जुलाई में घी बेचने वालों को ब्लैक लिस्ट किया

TDP सरकार ने इस साल जून में सीनियर IAS अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) का नया एक्जीक्यूटिव ऑफिसर अपॉइंट किया था।

उन्होंने प्रसादम (लड्डू) की क्वॉलिटी जांच का आदेश दिया। इसके लिए एक कमेटी बनाई। प्रसाद के टेस्ट और क्वॉलिटी को बेहतर बनाने के लिए कमेटी ने कई सुझाव दिए। साथ ही घी की जांच के लिए नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB), गुजरात में सैंपल भेजे। जुलाई में सामने आई रिपोर्ट में फैट का जिक्र था।

इसके बाद TTD ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स की तरफ से भेजे गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट में डाल दिया। इसके बाद TTD ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन से घी खरीदना शुरू कर दिया।

पुराने सप्लॉयर से घी 320 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से खरीदा जाता था। जबकि तिरुपति ट्रस्ट अब कर्नाटक कोआपरेटिव मिल्क फेडरेशन (KMF) से 475 रुपए प्रति किलोग्राम के रेट से घी खरीद रहा है।

घी की शुद्धता का परीक्षण करने वाली प्रयोगशाला एनडीडीबी कोलफ ने तिरुपति को घी की शुद्धता की जांच करने के लिए एक मशीन दान करने पर सहमति दी है। इसकी लागत 75 लाख रुपए है।

300 साल पुराना किचन, ब्राह्मण ही बनाते हैं 3.5 लाख लड्‌डू

तिरुपति मंदिर दुनिया के सबसे लोकप्रिय और अमीर धर्मस्थलों में से है। यहां हर दिन करीब 70 हजार श्रद्धालु भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन करते हैं। इसका प्रशासन तिरुपति तिरुमाला देवस्थानम (TTD) संभालता है।

मंदिर परिसर में बनी 300 साल पुरानी किचन ‘पोटू’ में शुद्ध देसी घी के रोज 3.50 लाख लड्‌डू बनते हैं। यह मंदिर का मुख्य प्रसाद है, जिसे करीब 200 ब्राह्मण बनाते हैं।

लड्‌डू में शुद्ध बेसन, बूंदी, चीनी, काजू और शुद्ध घी होता है। ट्रस्ट ने करीब एक लाख लड्‌डू राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा के वक्त अयोध्या भेजे थे।


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तिरुपति लड्डू में एनिमल फैट,फिश ऑयल था

विश्व प्रसिद्ध तिरुपति लड्डू बनाने में घटिया सामग्री और पशु चर्बी के कथित उपयोग को लेकर एक बड़ा विवाद शुरू हो गया है। सत्तारूढ़ तेलुगु देशम पार्टी ने गुरुवार को दावा किया कि गुजरात स्थित पशुधन प्रयोगशाला ने मिलावट की पुष्टि की है। टीडीपी प्रवक्ता अनम वेंकट रमना रेड्डी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कथित लैब रिपोर्ट दिखाई, जिसमें दिए गए घी के नमूने में "बीफ टैलो" की मौजूदगी की पुष्टि की गई है।

इस खुलासे के बाद आंध्र प्रदेश की सियासत में तूफान खड़ा हो गया है। आंध्र प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष वाईएस शर्मिला ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, 'चंद्रबाबू नायडू की यह टिप्पणी कि उन्होंने सीएम के रूप में लड्डू प्रसादम में घी के बजाय पशु तेल का इस्तेमाल किया, तिरुमाला की पवित्रता और प्रतिष्ठा के लिए हानिकारक है। करोड़ों हिंदुओं के आराध्य देव वेंकटेश को कलंकित किया है। हम सीएम चंद्रबाबू नायडू से मांग करते हैं। यदि आपके आरोपों में कोई राजनीतिक आयाम नहीं है, यदि भावनाओं का राजनीतिकरण करने का आपका कोई इरादा नहीं है, तुरंत एक उच्च स्तरीय समिति का गठन करें। या फिर सीबीआई से जांच कराएं।'

जुलाई में आई हैरान कर देने वाली रिपोर्ट

स्वाद और गुणवत्ता को बहाल करने के लिए टीटीडी को कई उपाय सुझाने के अलावा, समिति ने एनडीडीबी, गुजरात को घी के नमूने भी भेजे। जुलाई में जारी प्रयोगशाला रिपोर्ट ने लड्डुओं में चर्बी की पुष्टि की। टीटीडी ने तमिलनाडु के डिंडीगुल स्थित एआर डेयरी फूड्स के आपूर्ति किए गए घी के स्टॉक को वापस कर दिया और ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया। इसके बाद, टीटीडी ने घी की आपूर्ति के लिए कर्नाटक मिल्क फेडरेशन का चयन किया।

बनाई गई समिति

टीटीडी ने प्रसादम की गुणवत्ता की जांच के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया। सदस्यों में डॉ बी सुरेंद्रनाथ, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान, विजयवाड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भास्कर रेड्डी (डेयरी विशेषज्ञ), प्रोफेसर बी महादेवन (आईआईएम-बैंगलोर) और तेलंगाना पशु चिकित्सा विश्वविद्यालय से डॉ जी स्वर्णलता को टीम में शामिल किया गया।

टीडीपी सरकार की जांच

टीडीपी सरकार ने जून में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी जे श्यामला राव को तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) का नया कार्यकारी अधिकारी नियुक्त किया था। टीडीपी ही मंदिर परिसर का प्रबंधन करता है। तिरुपति में सुधार के लिए कई फैसले लिए गए। इसमें लड्डू की कथित खराब गुणवत्ता, स्वाद और बनावट की जांच को लेकर भी आदेश दिया गया था।

लैब रिपोर्ट में क्या कहा गया?

कथित प्रयोगशाला रिपोर्ट में नमूनों में "लार्ड" (सूअर की चर्बी से संबंधित) और मछली के तेल की मौजूदगी का भी दावा किया गया है। लड्डुओं की सैंपलिंग 9 जुलाई 2024 को की गई थी और प्रयोगशाला रिपोर्ट 16 जुलाई को सामने आई।

बीफ टैलो क्या है?

मुख्य विवाद बीफ टैलो के कथित उपयोग को लेकर है। यह घटक रंप रोस्ट, पसलियों और स्टेक जैसे बीफ के टुकड़ों से निकली चर्बी होती है। इसे मांस से निकाले गए शुद्ध वसा को पिघलाकर भी बनाया जा सकता है, जो ठंडा होने पर एक लचीले पदार्थ में बदल जाता है। यह कमरे के तापमान पर देखने में नरम मक्खन जैसा ही लगता है।

रोज बनते हैं 3 लाख लड्डू

तिरुपति मंदिर में लडडूओं का प्रसाद तैयार किया जाता है। रोज 3 लाख लड्डू बनाए जाते हैं और बांटे जाते हैं। लड्डुओं में बीफ की चर्बी, जानवरों की चर्बी और मछली का तेल मिला है। ये सब कुछ उस घी में मिला है, जिससे लड्डू तैयार किया जाता है। हैरान करने वाली बात यह है कि प्रसाद के तौर इन लड्डुओं को ना सिर्फ श्रद्धालुओं को बांटा गया, बल्कि भगवान को भी प्रसाद के तौर पर यही लड्डू चढ़ाया जाता रहा।


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हेलीकॉप्टर से आदि कैलास व ऊं पर्वत पर कर सकेंगे यात्रा

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद व कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) की ओर से आदि कैलास व ऊं पर्वत यात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत हेलीकाप्टर से हो रही यात्रा के लिए हेली कंपनियों का चयन शुक्रवार को होना है।

चार दिनी इस यात्रा पर प्रति यात्री करीब 70-75 हजार खर्च होंगे। भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) तथा सेना श्रद्धालुओं को चीन सीमा पर आदि कैलास व ऊं पर्वत के दर्शन कराएगी। भारत सरकार की ओर से पहली बार इस यात्रा में जाने के लिए 60 श्रद्धालुओं को अनुमति प्रदान की है।

उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद व कुमाऊं मंडल विकास निगम (केएमवीएन) की ओर से आदि कैलास व ऊं पर्वत यात्रा की तैयारियां अंतिम चरण में पहुंच गई हैं। पायलट प्रोजेक्ट के अंतर्गत हेलीकाप्टर से हो रही यात्रा के लिए हेली कंपनियों का चयन शुक्रवार को होना है।

चार दिनी इस यात्रा पर प्रति यात्री करीब 70-75 हजार खर्च होंगे। भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आइटीबीपी) तथा सेना श्रद्धालुओं को चीन सीमा पर आदि कैलास व ऊं पर्वत के दर्शन कराएगी। भारत सरकार की ओर से पहली बार इस यात्रा में जाने के लिए 60 श्रद्धालुओं को अनुमति प्रदान की है।

इस साल अब तक 20 हजार से अधिक यात्रा परमिट जारी हो चुके हैं। उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद ने हेलीकाप्टर से यात्रा की योजना बनाई। सरकार से अनुमति मिलने के बाद यात्रा कार्यक्रम को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

केएमवीएन के जीएम विजय नाथ शुक्ल ने बताया कि यात्रा के लिए निगम की वेबसाइट तथा निगम के देशभर में संचालित जनसंपर्क कार्यालयों में मैनुअल बुकिंग भी की जा रही है। यात्रियों के ठहरने की व्यवस्था निगम की ओर से होगी। यात्रियों को एक दिन पहले पिथौरागढ़ पहुंचना होगा। चार दिवसीय यात्रा के हर दल में 15 श्रद्धालु शामिल होंगे।


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