उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर संपन्न हुआ छठ महापर्व, घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही आज छठ महापर्व का समापन हो गया। इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास भी समाप्त हुआ। मंगलवार सुबह घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जहां व्रती महिलाओं ने जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया और संतान की दीर्घायु, परिवार की सुख-समृद्धि तथा मंगलमय जीवन की कामना की। सुबह के समय घाटों का नजारा अत्यंत भव्य और आस्था से परिपूर्ण दिखाई दिया।

छठ महापर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “भगवान सूर्यदेव को प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ आज महापर्व छठ का शुभ समापन हुआ। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दौरान छठ पूजा की हमारी भव्य परंपरा के दिव्य दर्शन हुए। समस्त व्रतियों और श्रद्धालुओं सहित पावन पर्व का हिस्सा बने अपने सभी परिवारजनों का हृदय से अभिनंदन! छठी मइया की असीम कृपा से आप सभी का जीवन सदैव आलोकित रहे।”


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इंटरनेट मीडिया पर छाई छठ पूजा, गोरखपुर के घाटों पर जमकर बना रहे रील

गोरखपुर: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा इस बार न सिर्फ घाटों पर बल्कि इंटरनेट मीडिया पर भी छाया हुआ है। शहर के राप्ती नदी, रामगढ़ताल, और अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने के साथ ही लोग सोशल मीडिया पर अपने अनुभव और भक्ति के पलों को साझा कर रहे हैं।

सुबह और शाम के अर्घ्य के दौरान घाटों पर रील्स और फोटोशूट का अलग ही माहौल देखने को मिला। युवक-युवतियाँ पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे मोबाइल कैमरों से वीडियो बना रहे हैं। कोई सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी के रील बना रहा था तो कोई घाट की सुंदर सजावट को दिखा रहा था।

इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर “#ChhathPuja”, “#GorakhpurChhath” और “#ChhathVibes” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। स्थानीय इन्फ्लुएंसर भी इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं हैं — कईयों ने लाइव स्ट्रीमिंग कर हजारों व्यूज बटोर लिए।

वहीं, बुजुर्गों का कहना है कि भले ही अब आस्था डिजिटल हो रही है, पर इसकी मूल भावना — सूर्य उपासना और पवित्रता — आज भी उतनी ही गहरी है। प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की थी, जिससे श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के पूजा कर सकें।





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ओंकारेश्वर मंदिर में शुरू होगी शीतकालीन पूजा, श्रद्धालुओं के लिए खास अवसर

विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट भाई दूज पर्व यानी 23 अक्‍टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बुधवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद केदारबाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। आगामी छह माह की पूजा अर्चना एवं भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होंगे। वहीं बद्री-केदार मंदिर समिति मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर तैयारियों में जुट गई है। वहीं कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को 12 कुन्तल फूलों से सजाया गया है।

गत शनिवार को केदारनाथ की पहाडी पर स्थित भैरवनाथ के कपाट बंद होने के बाद अब धाम के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बुधवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति की उत्सव डोली में विराजमान किया जाएगा। इसके बाद 23 अक्टूबर यानी भैयादूज के अवसर पर परंपरा के अनुसार सुबह साढे चार बजे बाबा केदारनाथ को पूजा अर्चना, अभिषेक एवं अारती के साथ भोग लगाया जाएगा। जिसके बाद समाधि पूजा के उपरान्त भगवान छह महीने के लिए समाधि दी जाएगी।

ठीक साढे 8 बजे गर्भगृह के कपाट बंद किए जाएंगे। सभामंडप में स्थापित बाबा केदार की पंचमुखी डोली के सुबह 8:30 बजे मंदिर से बहार आने के बाद पौराणिक विधिविधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछे के कपाट को बंद कर सील किया जाएगा। इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी।

24 अक्टूबर को श्री केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान कर फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 25 अक्टूबर को चल-विग्रह डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। जहां पर शीतकाल में केदार बाबा की छह माह की नित्य पूजाएं संपन्न होंगी। मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति तैयारियों में जुट गई है।

मंदिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी वाईएस पुष्पवाण ने बताया कि केदारनाथ के कपाट बंद करने को लेकर मंदिर समिति ने तैयारियां शुरू कर दी है। आगामी 23 अक्टूबर को ठीक 8.30 बजे के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। जिसके बाद शीतकाल के छह माह तक आेंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान की नित्य पूजाएं संपन्न होंगी। बताया कि मंदिर को 12 कुन्तल फूलों से सजाया गया है।


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नोटों की गड्डियों से सजा रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर, भक्तों को प्रसाद में मिलेगा चढ़ावे का पैसा

दीपोत्सव के अवसर पर इस बार रतलाम शहर के माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर और कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित श्री महालक्ष्मीनारायण मंदिर को नोटों की गड्डियों से आकर्षक रूप से सजाया गया है। दोनों मंदिरों में भक्तों द्वारा दी गई ₹1, ₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹5,000 के नोटों की गड्डियों का उपयोग किया गया है।

इस बार दोनों मंदिरों की पूरी सजावट केवल नोटों से की गई है, जिसे दीपोत्सव तक भक्त देख सकेंगे। माणकचौक मंदिर में शनिवार से भक्तों को कुबेर पोटली का वितरण भी शुरू किया गया है।

देशभर में प्रसिद्ध है माणकचौक महालक्ष्मी मंदिर

रतलाम का माणकचौक महालक्ष्मी मंदिर नोटों और आभूषणों से होने वाली सजावट के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। हालांकि इस वर्ष यहां केवल नोटों से ही सजावट की गई है। नकदी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की ऑनलाइन एंट्री की गई है। भक्तों को ईमेल पर टोकन नंबर दिया गया और राशि जमा करते समय ओटीपी व आधार नंबर भी दर्ज किए गए। पूजा के बाद यह राशि प्रसाद के रूप में भक्तों को लौटाई जाएगी।

आभूषणों की बजाय सिर्फ नोटों से सजा मंदिर

मंदिर के पुजारी अश्विन ने बताया कि इस बार किसी भी प्रकार के आभूषण स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। भक्त केवल नकद ही चढ़ा रहे हैं। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक से लेकर 500 रुपये तक के नोटों की गड्डियां जमा करवाई हैं। सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में 22 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और माणकचौक थाने से पुलिस जवान भी तैनात किए गए हैं।

पहली बार सजा महालक्ष्मीनारायण मंदिर

माणकचौक मंदिर की तर्ज पर इस बार पहली बार कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित महालक्ष्मीनारायण मंदिर को भी दीपोत्सव के लिए नोटों से सजाया गया है। यहां भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा के रूप में नोटों की गड्डियां अर्पित कीं।

सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

पुजारी असीम और दीपक व्यास ने बताया कि हर भक्त से आधार कार्ड की प्रति लेकर रसीद दी जा रही है, जिसमें जमा की गई राशि का उल्लेख है। मंदिर परिसर में चार स्थायी और छह अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि हर गतिविधि की निगरानी की जा सके। सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी चौकसी में तैनात है।

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7 दिन में संपूर्ण रामायण की सीख: भाग-4 — किष्किंधाकांड, मित्रता और सहयोग का प्रतीक

किष्किंधाकांड रामायण का वह अध्याय है जो मित्रता, निष्ठा और सहयोग की अमूल्य सीख देता है। इसी कांड में भगवान श्रीराम की भेंट वानरराज सुग्रीव से होती है। दोनों के बीच एक सच्ची मित्रता स्थापित होती है — जहाँ श्रीराम सुग्रीव की सहायता से उसके भाई बाली का वध करते हैं, वहीं सुग्रीव श्रीराम की पत्नी सीता की खोज में अपनी पूरी वानर सेना समर्पित कर देते हैं। इस प्रसंग से हमें यह शिक्षा मिलती है कि सच्चा मित्र वही होता है जो संकट की घड़ी में साथ खड़ा रहे और धर्म के मार्ग पर अडिग रहे। किष्किंधाकांड यह भी सिखाता है कि एकता, सहयोग और सही संकल्प के बल पर किसी भी असंभव कार्य को संभव बनाया जा सकता है।


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केदारनाथ में उमड़ा आस्था का सैलाब, अब तक 16.56 लाख श्रद्धालु पहुंचे

उत्तराखंड में चारधाम यात्रा इस बार नई ऊंचाइयों को छू रही है। बारिश और बर्फबारी के बावजूद श्रद्धालुओं का उत्साह कम नहीं हुआ है। आस्था और विश्वास की मिसाल बन चुकी केदारनाथ यात्रा ने इस वर्ष पिछले साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। बुधवार तक 16.56 लाख श्रद्धालु बाबा केदार के दर्शन कर चुके हैं।

धाम के कपाट बंद होने में अभी करीब 15 दिन का समय शेष है, ऐसे में यात्रियों की संख्या में और वृद्धि तय मानी जा रही है। पिछले वर्ष पूरे यात्रा काल में 16,52,076 श्रद्धालु केदारनाथ पहुंचे थे। बुधवार को ही 5614 श्रद्धालुओं ने धाम में पहुंचकर दर्शन किए। जानकारी के अनुसार, केदारनाथ धाम के कपाट 23 अक्टूबर को भैया दूज के अवसर पर बंद किए जाएंगे।

वहीं, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम में भी यात्रियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार ने चारधाम यात्रा को सुरक्षित और सुचारू बनाए रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किए हैं। संवेदनशील मार्गों पर जवानों की तैनाती, भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में जेसीबी मशीनों की व्यवस्था और यातायात नियंत्रण के लिए रियल-टाइम निगरानी जैसे कदम उठाए गए हैं।

इस वर्ष 30 अप्रैल को गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट खुलने के साथ यात्रा की शुरुआत हुई थी, जबकि दो मई को केदारनाथ और चार मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे। मानसून सीजन में अतिवृष्टि, भूस्खलन और बादल फटने की घटनाओं से यात्रा कुछ समय के लिए प्रभावित रही, विशेषकर धराली (गंगोत्री मार्ग) को भारी नुकसान पहुंचा था।

हालांकि, बरसात थमने के बाद प्रशासन और राहत दलों ने युद्धस्तर पर कार्य कर मार्गों को दुरुस्त किया और यात्रा को पुनः सुचारू रूप से शुरू किया गया। फिलहाल सभी धामों में यात्रा सुचारू है और प्रशासन श्रद्धालुओं को मौसम की स्थिति को देखते हुए यात्रा करने की सलाह दे रहा है।


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वैष्णो देवी: रोपवे और बैटरी कार सेवाएँ सुचारु, मौसम पर निर्भर हेलिकॉप्टर सेवा

बदलते मौसम के बीच मां वैष्णो देवी की यात्रा सुचारु

पल-पल बदलते मौसम के बावजूद मां वैष्णो देवी की यात्रा पूरी तरह से सुचारु रूप से जारी है। श्रद्धालु पंजीकरण करवाकर आरएफआईडी यात्रा कार्ड प्राप्त करने के बाद परिजनों संग भवन की ओर रवाना हो रहे हैं।

यात्रियों को घोड़ा, पिट्ठू, पालकी, बैटरी कार और रोपवे जैसी सुविधाएँ लगातार उपलब्ध हैं। वहीं, इच्छुक श्रद्धालु हेलिकॉप्टर सेवा का भी लाभ उठा रहे हैं।

हालांकि दोपहर तक मौसम साफ रहा, लेकिन उसके बाद अचानक आसमान में काले बादल छा गए और त्रिकूट पर्वत पर ठंडी हवाएँ चलने लगीं। मौजूदा हालात को देखते हुए संभावना है कि यात्रियों को बारिश का सामना करना पड़ सकता है।

श्राइन बोर्ड ने सभी मार्गों पर सहायता मित्र तैनात किए हैं, ताकि श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की परेशानी न हो।

फिलहाल यात्रा में श्रद्धालुओं की संख्या में कमी दर्ज की जा रही है। इस वजह से भवन परिसर और मार्ग अपेक्षाकृत शांत हैं और श्रद्धालु बिना कठिनाई के दर्शन कर पा रहे हैं।

बीते 18 सितंबर को 2,798 श्रद्धालुओं ने मां वैष्णो देवी के चरणों में हाजिरी लगाई, जबकि 19 सितंबर की दोपहर 2 बजे तक लगभग 1,800 श्रद्धालु भवन की ओर रवाना हो चुके थे और कुछ श्रद्धालुओं का आना जारी है।


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देहरादून के प्रमुख स्थलों पर बाढ़ का संकट, सहस्त्रधारा से टपकेश्वर तक पानी ही पानी

उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के मशहूर सहस्त्रधारा में भारी बारिश के बाद देर रात में बादल फटने की घटना हुई है। हादसे के बाद कई दुकानें बह गई हैं।

हालांकि जिला प्रशासन ने स्थानीय लोगों को सुरक्षित इलाके में पहुंचा दिया है। इसके अलावा अब भी रेस्क्यू का काम चल रहा है। इस हादसे में कम से कम दो लोग लापता हैं।

सभी स्कूल बंद, सीएम धामी की हालात पर नजर

जिला मजिस्ट्रेट द्वारा जारी एक आदेश के अनुसार, भारी बारिश और बादल फटने की घटना को देखते हुए देहरादून में कक्षा 1 से 12 तक के सभी स्कूल फिलहाल बंद हैं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि वह स्थानीय प्रशासन के लगातार संपर्क में हैं और स्थिति पर नजर रख रहे हैं।

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने ट्वीट किया, "देहरादून के सहस्त्रधारा में कल देर रात भारी बारिश के कारण कुछ दुकानें क्षतिग्रस्त हो गई हैं। जिला प्रशासन, एसडीआरएफ और पुलिस मौके पर पहुँच गए हैं और राहत एवं बचाव कार्यों में लगे हुए हैं। मैं इस संबंध में स्थानीय प्रशासन के लगातार संपर्क में हूं और व्यक्तिगत रूप से स्थिति पर नज़र रख रहा हूं।"

पीएम और गृह मंत्री ने हालात का लिया जायजा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से फ़ोन पर बात करके उत्तराखंड में भारी बारिश से उत्पन्न स्थिति की विस्तृत जानकारी ली।

उन्होंने हर संभव सहायता का आश्वासन दिया और इस बात पर जोर दिया कि केंद्र सरकार संकट की इस घड़ी में उत्तराखंड के साथ पूरी तरह खड़ी है। मुख्यमंत्री धामी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री का आभार व्यक्त करते हुए उन्हें बताया कि प्रभावित क्षेत्रों में प्रशासनिक तंत्र पूरी तरह सक्रिय है और युद्धस्तर पर बचाव एवं राहत अभियान चलाया जा रहा है।

टपकेश्वर महादेव मंदिर भी जलमग्न

भारी बारिश के कारण तमसा नदी उफान पर है और टपकेश्वर महादेव मंदिर जलमग्न हो गया है। मंदिर के पुजारी आचार्य बिपिन जोशी कहते हैं, "सुबह 5 बजे से ही नदी में तेज़ बहाव शुरू हो गया था, पूरा मंदिर परिसर जलमग्न हो गया था। ऐसी स्थिति बहुत लंबे समय से नहीं आई थी। कई जगहों पर नुकसान हुआ है। लोगों को इस समय नदियों के पास जाने से बचना चाहिए। मंदिर का गर्भगृह सुरक्षित है। अभी तक किसी भी तरह के जान-माल के नुकसान की सूचना नहीं है।"


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कल से शुरू होगी वैष्णो देवी यात्रा, 18 दिन में एक हज़ार करोड़ का नुकसान

मां वैष्णो देवी की यात्रा रविवार, 14 सितंबर से दोबारा शुरू होने जा रही है। 18 दिन के लंबे इंतजार के बाद अब कटड़ा, भवन और यात्रा मार्ग पर एक बार फिर भक्तों की भीड़ और भजन-कीर्तन से माहौल गूंजेगा। यात्रा की बहाली की खबर मिलते ही श्रद्धालु उत्साहित हैं। वहीं, घोड़ा, पिट्ठू और पालकी वालों के साथ-साथ कटड़ा और जम्मू के व्यापारी भी राहत महसूस कर रहे हैं।

श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने यात्रा मार्ग की साफ-सफाई तेज कर दी है और श्रद्धालुओं से जानकारी के लिए आधिकारिक वेबसाइट www.maavaishnodevi.org

 का उपयोग करने की अपील की है। गौरतलब है कि 26 अगस्त को आद्कुंवारी क्षेत्र में भूस्खलन के कारण 34 श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी। इसके बाद लगातार बारिश और मार्ग की खराब स्थिति के चलते यात्रा स्थगित कर दी गई थी। यह पहली बार है जब भूस्खलन के कारण यात्रा इतने लंबे समय तक बंद रही।

इस दौरान कटड़ा का व्यापार पूरी तरह ठप हो गया। स्थानीय व्यापारियों का कहना है कि 18 दिनों में होटल, परिवहन और कारोबार को 800 से 1000 करोड़ रुपये तक का नुकसान उठाना पड़ा। अकेले होटल इंडस्ट्री को ही लगभग 500 करोड़ रुपये का घाटा हुआ, जबकि ड्राई फ्रूट कारोबारियों को करीब 200 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कई व्यापारियों का कहना है कि बंद दुकानों में रखा माल भी खराब हो गया।

अब जब यात्रा शुरू होने जा रही है, तो कटड़ा में दुकानों के शटर फिर उठने लगे हैं। श्रद्धालु भी लंबे इंतजार के बाद मां के दर्शन के लिए उत्सुक हैं। भंडारा, महाराष्ट्र से आए श्रद्धालु रामचंद्र ने कहा कि वे अपने साथियों संग 5 सितंबर से कटड़ा में रुके हुए थे और अब मां के दर्शन की खबर से बेहद प्रसन्न हैं।

इस बीच, 22 सितंबर से शुरू होने वाले नवरात्र में इस बार कार्यक्रम सादगी से मनाने का निर्णय लिया गया है। अर्धकुंवारी हादसे को ध्यान में रखते हुए अखिल भारतीय भेंट प्रतियोगिता, शोभा यात्रा और दंगल जैसे कार्यक्रम नहीं होंगे। अंतिम फैसला श्राइन बोर्ड और प्रशासन की बैठक में लिया जाएगा।






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भक्तों की भीड़ में बांकेबिहारीजी के दर्शन हेतु पहुँचे प्रेमानंद महाराज

राधा नाम का प्रचार प्रसार कर देश दुनिया में सनातनियों को अपने प्रवचनों से प्रभावित करने वाले संत प्रेमानंद शुक्रवार को पहली बार आराध्य बांकेबिहारीजी के दर्शन को पहुंचे। अपने अनुयायियों संग मंदिर में जैसे ही संत प्रेमानंद पहुंचे, प्रांगण में मौजूद भक्तों में संत प्रेमानंद के पास पहुंचने की होड़ लग गई। 

ठाकुर बांकेबिहारी मंदिर में शुक्रवार की सुबह करीब सवा दस बजे भक्तों की भीड़ से मंदिर प्रांगण भरा था। इसी बीच मंदिर के गेट संख्या दो से जैसे ही अनुयायियों संग संत प्रेमानंद ने मंदिर में एंट्री की, भक्त उल्लासित हो गए।

कोई राधे राधे का जाप करने लगा तो कोई मेरे गुरुजी मेरे गुरुजी कहकर संत का सामीप्य पाने की होड़ में लग गया। गेट नंबर दो से आगे बढ़ते हुए वीआईपी कटहरा तक पहुंचे तो भीड़ को दूर करने में अनुयायियों और सुरक्षा गार्डों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। 

संत प्रेमानंद ने वीआईपी कटहरा में पहुंचकर आराध्य बांकेबिहारीजी के दर्शन किए। मंदिर सेवायत सोनू गोस्वामी ने संत प्रेमानंद को वैदिक मंत्रोचारण के मध्य पूजा अर्चना करवाई। इससे पहले करीब साढ़े नौ बजे संत प्रेमानंद ने राधावल्लभ पहुंचकर दर्शन एवं पूजा अर्चना की।


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