आपदाओं पर आस्था भारी, इस बार चारधाम पहुंचे 1.87 लाख अधिक श्रद्धालु

अप्रैल में पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव का असर हेमकुंड साहिब सहित चारधाम यात्रा पर भी देखा गया। इसके बाद वर्षा ऋतु में कई क्षेत्रों में आपदा जैसे हालात पैदा हुए, लेकिन इन चुनौतियों के बावजूद श्रद्धालुओं की आस्था डगमगाई नहीं। वर्ष 2024 की तुलना में इस बार चारधाम में 1.87 लाख अधिक यात्री पहुंचे, जबकि हेमकुंड साहिब में लगभग 91 हजार श्रद्धालुओं की वृद्धि दर्ज की गई। हालांकि उत्तरकाशी के धराली क्षेत्र में आई आपदा के कारण गंगोत्री और यमुनोत्री में श्रद्धालुओं की संख्या कुछ कम रही।

इस वर्ष गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट 30 अप्रैल को, केदारनाथ के 2 मई को, बदरीनाथ के 4 मई को और हेमकुंड साहिब के 25 मई को खोले गए। कपाट खुलने से पहले ही पहलगाम में हुए आतंकी हमले से दोनों देशों के बीच तनाव का माहौल बन चुका था, जिससे यात्रा की सुरक्षा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती बन गई। 15 जून से बारिश का दौर शुरू होने के बाद केदारनाथ और गंगोत्री-यमुनोत्री मार्गों पर कई भूस्खलन जोन सक्रिय हो गए, जिससे यात्रियों के लिए खतरा लगातार बना रहा।

पांच अगस्त को धराली में आई आपदा ने हालात और गंभीर कर दिए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देश पर पूरा प्रशासनिक तंत्र राहत और बचाव कार्य में जुट गया, लेकिन इसके बावजूद बदरीनाथ, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब की यात्रा सुचारू रूप से संचालित की गई। इसी कारण आपदाओं के बीच भी इन धामों में रिकॉर्ड संख्या में श्रद्धालु पहुंचे।

पहली बार कंट्रोल रूम के जरिए पूरी यात्रा की मॉनिटरिंग

हेमकुंड साहिब और चारधाम में इस वर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने की संभावना को देखते हुए पुलिस विभाग ने शुरुआत में ही रेंज कार्यालय में यात्रा कंट्रोल रूम स्थापित किया। इसके नोडल अधिकारी पुलिस महानिरीक्षक गढ़वाल राजीव स्वरूप को बनाया गया। सभी धामों के सीसीटीवी कैमरों की लाइव फीड कंट्रोल रूम में मॉनिटर की जाती रही, और किसी भी समस्या की स्थिति में तुरंत टीमें मौके पर भेजी गईं। यात्रा मार्गों पर पुलिस बल, एसडीआरएफ, जल पुलिस, फायर सर्विस, आतंकवादी रोधी दस्ता, बम निरोधक दस्ता और पैरा मिलिट्री फोर्स को तैनात किया गया।

यात्रियों का तुलनात्मक विवरण

यमुनोत्री – 2024: 7,14,755 | 2025: 6,44,637 | कमी: 70,118

गंगोत्री – 2024: 8,15,273 | 2025: 7,58,249 | कमी: 57,024

केदारनाथ – 2024: 16,52,076 | 2025: 17,68,795 | बढ़ोतरी: 1,16,719

बदरीनाथ – 2024: 14,35,341 | 2025: 16,32,981 | बढ़ोतरी: 1,97,640

हेमकुंड साहिब – 2024: 1,83,722 | 2025: 2,74,441 | बढ़ोतरी: 90,719

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बर्फ से ढंका बद्रीनाथ धाम, उत्तराखंड में जमने लगी झील

उत्तर भारत के पहाड़ी राज्यों में लगातार बर्फबारी हो रही है। उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित बद्रीनाथ धाम में गुरुवार को नवंबर की पहली बर्फबारी दर्ज की गई, जिसके बाद पूरा मंदिर परिसर बर्फ की सफेद चादर से ढँक गया। यहां तापमान गिरकर माइनस 6 डिग्री सेल्सियस तक पहुँच चुका है।

इसके साथ ही चमोली जिले की प्रसिद्ध शेषनेत्र झील भी जम गई है। पिथौरागढ़ जिले के 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित आदि कैलाश क्षेत्र में भी भारी बर्फबारी हुई है, जिससे स्थानीय झीलें पूरी तरह जम चुकी हैं। इन दृश्यों को देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक पहुंच रहे हैं।

वहीं राजस्थान में सप्ताहभर बाद सर्दी से राहत मिली है। शुक्रवार को न्यूनतम तापमान में 1 डिग्री की बढ़ोतरी देखी गई, जिससे कई शहरों में तापमान सिंगल डिजिट से डबल डिजिट में आ गया। अगले दो सप्ताह तक तापमान में गिरावट की संभावना नहीं है। हालांकि, उत्तर-पश्चिमी हवाओं के कारण धुंध (स्मॉग) बढ़ने लगी है और दिन में धूप कमजोर पड़ गई है।

मध्य प्रदेश में सर्दी के असर से पिछले दो दिनों में दो लोगों की मौत हो गई है। शुक्रवार को भोपाल, इंदौर सहित सात जिलों में शीतलहर चली। पचमढ़ी में पहली बार पारा 5.8 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया, जबकि नर्मदापुरम में विजिबिलिटी घटकर 500 मीटर रह गई।

भारत का तापमान 0.9 डिग्री बढ़ा—अध्ययन

एक अध्ययन के अनुसार पिछले दशक (2015–2024) में भारत का औसत तापमान लगभग 0.9 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है। इस बढ़ोतरी के चलते देश में हीट वेव की अवधि लंबी हो रही है और हर दशक में गर्म दिनों की संख्या में 5 से 10 दिनों तक की वृद्धि हो रही है।

स्टडी में बताया गया है कि 1950 के दशक के बाद से भारत के पश्चिमी और उत्तर-पूर्वी हिस्सों में वर्ष के सबसे गर्म दिन के तापमान में 1.5 से 2 डिग्री सेल्सियस तक इजाफा दर्ज किया गया है। यह रिपोर्ट भारत, नॉर्वे और नेपाल के क्लाइमेट विशेषज्ञों की संयुक्त टीम द्वारा तैयार की गई है।


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संजौली में तनाव: अवैध ढांचे में नमाज़ को लेकर विवाद, इलाके में सुरक्षा बढ़ी

शिमला के संजौली स्थित अवैध मस्जिद से जुड़े मामले को लेकर देवभूमि संघर्ष समिति और अन्य हिंदू संगठनों ने 21 नवंबर को संजौली में प्रदर्शन करने की घोषणा की है। समिति का दावा है कि शुक्रवार को संजौली बाजार बंद रहेगा और लोगों से बच्चों को स्कूल न भेजने की अपील भी की गई है।

प्रदर्शन की घोषणा के बाद जिला और पुलिस प्रशासन ने सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी है। संजौली में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया जाएगा और वीरवार शाम को ही पुलिस ने इलाके में बैरिकेड्स लगा दिए। भीड़ बढ़ने की स्थिति में ट्रैफिक को ढली से मैहली बाईपास रोड की ओर डायवर्ट किया जाएगा। एसडीएम शहरी ओशीन शर्मा पुलिस दल के साथ सुबह नौ बजे से मौके पर मौजूद रहेंगी। प्रशासन का कहना है कि सुरक्षा के मद्देनजर भीड़ जमा नहीं होने दी जाएगी और सोशल मीडिया पर उत्तेजक पोस्ट या अफवाहों पर नज़र रखने के लिए क्यूआरटी अलर्ट रहेगी। बाजार और संकरी सड़कों पर ट्रैफिक पुलिस व्यवस्था संभालेगी। किसी को भी बिना कारण रुकने, भीड़ लगाने या भड़काऊ चर्चा की अनुमति नहीं होगी।

तीन दिनों से अनशन पर मदन ठाकुर

हिंदू संघर्ष समिति के नेता मदन ठाकुर तीन दिनों से अनशन पर बैठे हैं और उनकी हालत बिगड़ती बताई जा रही है। उनका कहना है कि वे कोर्ट के आदेशों का पालन करवाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं। समिति नेता विजय शर्मा का कहना है कि उन्होंने सत्याग्रह के जरिए प्रशासन को मनाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली।

प्रदर्शन के पीछे कारण

गत शुक्रवार को देवभूमि संघर्ष समिति ने कोर्ट द्वारा अवैध घोषित की गई संजौली मस्जिद में अन्य राज्यों से आए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से रोका था, जिसके बाद दोनों पक्षों के बीच बहस हुई थी। संजौली पुलिस ने इस मामले में चार महिलाओं समेत छह लोगों पर एफआईआर दर्ज की है, जिन पर धार्मिक भावनाओं को आहत करने का आरोप है। समिति ने मस्जिद का बिजली और पानी का कनेक्शन काटने तथा दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की है।


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हरिद्वार में कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर थमे वाहन, डायवर्जन के बावजूद हाईवे से शहर तक जाम

कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर्व पर हरिद्वार में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। लाखों लोग गंगा स्नान के लिए शहर पहुंचे, जिससे दिल्ली-हरिद्वार हाईवे और शहर के मुख्य मार्गों पर लंबा जाम लग गया। वाहनों की लंबी कतारों के बीच हाईवे पर ट्रैफिक रेंगता हुआ चलता रहा। शहर के भीतर भी कई प्रमुख मार्गों पर जाम की स्थिति बनी रही।

बहादराबाद से लेकर शांतिकुंज तक वाहन चालक घंटों जाम में फंसे रहे। शंकराचार्य चौक, रोडीवाला, लालतारो पुल, शिव मूर्ति चौक, बस अड्डा और रेलवे स्टेशन के आसपास सबसे अधिक जाम देखा गया। कई यात्रियों को अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबी दूरी पैदल तय करनी पड़ी।

सुबह से ही गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हरकी पैड़ी, कुशावर्त घाट, भीमगोड़ा, हरिपुरकलां और कनखल स्थित घाटों पर स्नान और पूजा-अर्चना का दौर पूरे दिन चलता रहा। श्रद्धालुओं ने परिवार की सुख-समृद्धि और कल्याण की कामना करते हुए गंगा में आस्था की डुबकी लगाई।

जाम की स्थिति से आमजन को खासी परेशानी झेलनी पड़ी। कई जगह वाहन चालक घंटों फंसे रहे, जबकि पैदल यात्रियों को भी भीड़ के बीच मुश्किल से रास्ता बनाना पड़ा।

इस बीच, पुलिस प्रशासन ने यातायात व्यवस्था बनाए रखने के लिए कई मार्गों पर डायवर्जन लागू किया। एसएसपी प्रमेंद्र सिंह डोबाल ने स्वयं हरकी पैड़ी क्षेत्र का निरीक्षण कर सुरक्षा एवं ट्रैफिक व्यवस्था का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि श्रद्धालुओं की सुविधा सर्वोच्च प्राथमिकता हो और किसी भी तरह की अव्यवस्था न होने दी जाए।


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ओडिशा में कार्तिक पूर्णिमा की धूम, श्रद्धालुओं ने कागज़ की नाव बहाकर की पूजा-अर्चना

ओडिशा में आज कार्तिक पूर्णिमा का पर्व पूरे श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। तड़के सुबह से ही राज्यभर के जलाशयों, नदियों और समुद्र तटों पर ‘बोइता बंदाण’ अनुष्ठान आयोजित किया गया, जिसमें श्रद्धालुओं ने पान, सुपारी, फूल और दीयों से सजी हाथों से बनी छोटी कागज़ और केले के तनों की नावें जल में प्रवाहित कीं। इस दौरान नदियों और तालाबों के किनारे आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने सभी घाटों और जलाशयों के आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। मंदिरों में भी श्रद्धालुओं की भारी भीड़ को देखते हुए विशेष व्यवस्थाएँ की गईं।

श्रद्धालुओं ने पारंपरिक ‘अका मा बोई’ गीत गाते हुए नावों को जल में प्रवाहित किया। यह गीत प्राचीन ओडिया नाविकों की समुद्री यात्राओं के दौरान उनकी सुरक्षा के लिए प्रार्थना के रूप में गाया जाता है। इसी बोइता बंदाण उत्सव के साथ कार्तिक माह का समापन होता है। राजधानी भुवनेश्वर में बिंदुसागर सरोवर, कुआखाई और दया नदी सहित कई तालाबों पर हजारों लोग एकत्र हुए। रातभर चलने वाले आतिशबाजी और सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने पूरे माहौल को उत्सवमय बना दिया।

इस बीच, पुरी में भी लाखों श्रद्धालु कार्तिक पूर्णिमा मनाने पहुंचे और भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के ‘सोनावेश’ (राजाधिराज वेश) के दर्शन किए। आधी रात से ही समुद्र तट (महोदधि) और पंचतीर्थ तालाबों पर भीड़ उमड़ पड़ी, जहाँ श्रद्धालुओं ने छोटी-छोटी नावें जल में प्रवाहित कीं।

पुरी के ऐतिहासिक नरेंद्र पोखरी में पारंपरिक बोइता बंदाण (नौका उत्सव) मनाने के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटी। लोगों ने सदियों पुरानी इस परंपरा के तहत नावें जल में प्रवाहित कीं — जो ओडिशा की समृद्ध समुद्री विरासत का प्रतीक है। यह उत्सव न केवल पुरी, कटक या भुवनेश्वर, बल्कि पूरे राज्य में बड़े हर्षोल्लास से मनाया गया। श्रद्धालुओं ने केले के तनों, कागज़ और थर्माकोल से बनी छोटी नावें जल में प्रवाहित कर प्राचीन समुद्री परंपरा को याद किया।

यह आयोजन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि ओडिशा के गौरवशाली समुद्री इतिहास और प्राचीन ओडिया व्यापारियों को श्रद्धांजलि भी है। कार्तिक पूर्णिमा को हिंदू पंचांग के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है। इस दिन भगवान कार्तिकेय — भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र — का जन्म भी हुआ था। पूरे देश में यह दिन दीप जलाने, मंदिर सजाने और धार्मिक मेलों के आयोजन के साथ मनाया जाता है।

ओडिशा में यह पर्व बोइता बंदाण उत्सव के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान रखता है, जो राज्य की समृद्ध समुद्री विरासत, आस्था और सांस्कृतिक परंपराओं को आज भी जीवंत बनाए हुए है।


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आंध्र प्रदेश के वेंकटेश्वर मंदिर में मची भगदड़, 9 श्रद्धालुओं की मौत

आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम जिले में स्थित काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर में शनिवार को एकादशी के मौके पर मची भगदड़ में 9 श्रद्धालुओं की मौत हो गई। मृतकों में 8 महिलाएं और एक बच्चा शामिल हैं। हादसे में 25 से अधिक लोग घायल हुए हैं, जिनका इलाज नजदीकी अस्पताल में जारी है।

स्थानीय प्रशासन के मुताबिक, दर्शन के दौरान भारी भीड़ में अचानक धक्का-मुक्की शुरू हो गई, जिससे मंदिर की रेलिंग टूट गई और भगदड़ मच गई। अधिकारियों ने आशंका जताई है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। राज्य सरकार ने हादसे की उच्चस्तरीय जांच के आदेश दे दिए हैं।

महिलाएं और बच्चे फंसे, रेलिंग टूटते ही मचा हड़कंप

सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में दिख रहा है कि मंदिर की सीढ़ियों पर भारी भीड़ उमड़ी हुई थी। रेलिंग टूटने के बाद लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े। कई महिलाएं और बच्चे भीड़ में दब गए। लोग बाहर निकलने के लिए चीखते-चिल्लाते रहे, जबकि कई श्रद्धालु दूसरों के ऊपर चढ़कर बचने की कोशिश करते दिखे।

हादसे के बाद लोगों ने मिलकर घायल महिलाओं और बच्चों को बाहर निकाला। कई श्रद्धालु बेहोश अवस्था में जमीन पर पड़े दिखाई दिए।

गृह मंत्री ने दी जानकारी

आंध्र प्रदेश की गृह मंत्री अनीता ने बताया कि मंदिर में हर सप्ताह करीब 1,500 से 2,000 श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन एकादशी होने के कारण इस बार भीड़ बहुत अधिक थी। उन्होंने कहा कि मंदिर पहली मंजिल पर स्थित है, जहां जाने के लिए करीब 20 सीढ़ियां हैं। भीड़ बढ़ने से धक्का-मुक्की हुई और रेलिंग टूट गई, जिससे यह हादसा हुआ।

उत्तर का तिरुपति कहा जाता है वेंकटेश्वर मंदिर

श्रीकाकुलम का काशीबुग्गा वेंकटेश्वर मंदिर आंध्र प्रदेश के प्रमुख और प्राचीन मंदिरों में से एक है। इसे “उत्तर का तिरुपति” भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी पूजा-पद्धति तिरुपति बालाजी मंदिर से मिलती-जुलती है। यह मंदिर 11वीं–12वीं सदी के दौरान चोल और चालुक्य शासकों के काल में निर्मित माना जाता है।

हर साल एकादशी, कार्तिक मास और अन्य पर्वों पर यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। मान्यता है कि भगवान वेंकटेश्वर के दर्शन करने से जीवन में सुख-समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।


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उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर संपन्न हुआ छठ महापर्व, घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़

उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के साथ ही आज छठ महापर्व का समापन हो गया। इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटे का निर्जला उपवास भी समाप्त हुआ। मंगलवार सुबह घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी, जहां व्रती महिलाओं ने जल में खड़े होकर सूर्य देव को अर्घ्य अर्पित किया और संतान की दीर्घायु, परिवार की सुख-समृद्धि तथा मंगलमय जीवन की कामना की। सुबह के समय घाटों का नजारा अत्यंत भव्य और आस्था से परिपूर्ण दिखाई दिया।

छठ महापर्व के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशवासियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) हैंडल पर लिखा, “भगवान सूर्यदेव को प्रातःकालीन अर्घ्य के साथ आज महापर्व छठ का शुभ समापन हुआ। चार दिवसीय इस अनुष्ठान के दौरान छठ पूजा की हमारी भव्य परंपरा के दिव्य दर्शन हुए। समस्त व्रतियों और श्रद्धालुओं सहित पावन पर्व का हिस्सा बने अपने सभी परिवारजनों का हृदय से अभिनंदन! छठी मइया की असीम कृपा से आप सभी का जीवन सदैव आलोकित रहे।”


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इंटरनेट मीडिया पर छाई छठ पूजा, गोरखपुर के घाटों पर जमकर बना रहे रील

गोरखपुर: लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा इस बार न सिर्फ घाटों पर बल्कि इंटरनेट मीडिया पर भी छाया हुआ है। शहर के राप्ती नदी, रामगढ़ताल, और अन्य घाटों पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ने के साथ ही लोग सोशल मीडिया पर अपने अनुभव और भक्ति के पलों को साझा कर रहे हैं।

सुबह और शाम के अर्घ्य के दौरान घाटों पर रील्स और फोटोशूट का अलग ही माहौल देखने को मिला। युवक-युवतियाँ पारंपरिक वेशभूषा में सजे-धजे मोबाइल कैमरों से वीडियो बना रहे हैं। कोई सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी के रील बना रहा था तो कोई घाट की सुंदर सजावट को दिखा रहा था।

इंस्टाग्राम, फेसबुक और यूट्यूब पर “#ChhathPuja”, “#GorakhpurChhath” और “#ChhathVibes” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। स्थानीय इन्फ्लुएंसर भी इस मौके को भुनाने में पीछे नहीं हैं — कईयों ने लाइव स्ट्रीमिंग कर हजारों व्यूज बटोर लिए।

वहीं, बुजुर्गों का कहना है कि भले ही अब आस्था डिजिटल हो रही है, पर इसकी मूल भावना — सूर्य उपासना और पवित्रता — आज भी उतनी ही गहरी है। प्रशासन ने घाटों पर सुरक्षा और साफ-सफाई की विशेष व्यवस्था की थी, जिससे श्रद्धालु बिना किसी परेशानी के पूजा कर सकें।





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ओंकारेश्वर मंदिर में शुरू होगी शीतकालीन पूजा, श्रद्धालुओं के लिए खास अवसर

विश्व प्रसिद्ध धाम केदारनाथ के कपाट भाई दूज पर्व यानी 23 अक्‍टूबर को शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। बुधवार को विशेष पूजा अर्चना के बाद केदारबाबा की पंचमुखी डोली को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। आगामी छह माह की पूजा अर्चना एवं भोले बाबा के दर्शन ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में होंगे। वहीं बद्री-केदार मंदिर समिति मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर तैयारियों में जुट गई है। वहीं कपाट बंद होने से पूर्व मंदिर को 12 कुन्तल फूलों से सजाया गया है।

गत शनिवार को केदारनाथ की पहाडी पर स्थित भैरवनाथ के कपाट बंद होने के बाद अब धाम के कपाट बंद करने की तैयारियां शुरू हो गई हैं। बुधवार को बाबा केदार की पंचमुखी भोग मूर्ति की उत्सव डोली में विराजमान किया जाएगा। इसके बाद 23 अक्टूबर यानी भैयादूज के अवसर पर परंपरा के अनुसार सुबह साढे चार बजे बाबा केदारनाथ को पूजा अर्चना, अभिषेक एवं अारती के साथ भोग लगाया जाएगा। जिसके बाद समाधि पूजा के उपरान्त भगवान छह महीने के लिए समाधि दी जाएगी।

ठीक साढे 8 बजे गर्भगृह के कपाट बंद किए जाएंगे। सभामंडप में स्थापित बाबा केदार की पंचमुखी डोली के सुबह 8:30 बजे मंदिर से बहार आने के बाद पौराणिक विधिविधान के साथ मंदिर के मुख्य कपाट के साथ ही पीछे के कपाट को बंद कर सील किया जाएगा। इसी दिन बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली रात्रि प्रवास के लिए अपने पहले पड़ाव रामपुर पहुंचेगी।

24 अक्टूबर को श्री केदारनाथ भगवान की चल-विग्रह डोली रामपुर से प्रातः प्रस्थान कर फाटा, नारायकोटी होते हुए रात्रि विश्राम के लिए विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी पहुंचेगी। 25 अक्टूबर को चल-विग्रह डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी से प्रस्थान कर अपने शीतकालीन गद्दीस्थल श्री ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचेगी। जहां पर शीतकाल में केदार बाबा की छह माह की नित्य पूजाएं संपन्न होंगी। मंदिर के कपाट बंद करने को लेकर बद्री-केदार मंदिर समिति तैयारियों में जुट गई है।

मंदिर समिति के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी वाईएस पुष्पवाण ने बताया कि केदारनाथ के कपाट बंद करने को लेकर मंदिर समिति ने तैयारियां शुरू कर दी है। आगामी 23 अक्टूबर को ठीक 8.30 बजे के मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे। जिसके बाद शीतकाल के छह माह तक आेंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में भगवान की नित्य पूजाएं संपन्न होंगी। बताया कि मंदिर को 12 कुन्तल फूलों से सजाया गया है।


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नोटों की गड्डियों से सजा रतलाम का महालक्ष्मी मंदिर, भक्तों को प्रसाद में मिलेगा चढ़ावे का पैसा

दीपोत्सव के अवसर पर इस बार रतलाम शहर के माणकचौक स्थित श्री महालक्ष्मी मंदिर और कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित श्री महालक्ष्मीनारायण मंदिर को नोटों की गड्डियों से आकर्षक रूप से सजाया गया है। दोनों मंदिरों में भक्तों द्वारा दी गई ₹1, ₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और ₹5,000 के नोटों की गड्डियों का उपयोग किया गया है।

इस बार दोनों मंदिरों की पूरी सजावट केवल नोटों से की गई है, जिसे दीपोत्सव तक भक्त देख सकेंगे। माणकचौक मंदिर में शनिवार से भक्तों को कुबेर पोटली का वितरण भी शुरू किया गया है।

देशभर में प्रसिद्ध है माणकचौक महालक्ष्मी मंदिर

रतलाम का माणकचौक महालक्ष्मी मंदिर नोटों और आभूषणों से होने वाली सजावट के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। हालांकि इस वर्ष यहां केवल नोटों से ही सजावट की गई है। नकदी चढ़ाने वाले श्रद्धालुओं की ऑनलाइन एंट्री की गई है। भक्तों को ईमेल पर टोकन नंबर दिया गया और राशि जमा करते समय ओटीपी व आधार नंबर भी दर्ज किए गए। पूजा के बाद यह राशि प्रसाद के रूप में भक्तों को लौटाई जाएगी।

आभूषणों की बजाय सिर्फ नोटों से सजा मंदिर

मंदिर के पुजारी अश्विन ने बताया कि इस बार किसी भी प्रकार के आभूषण स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं। भक्त केवल नकद ही चढ़ा रहे हैं। सैकड़ों श्रद्धालुओं ने एक से लेकर 500 रुपये तक के नोटों की गड्डियां जमा करवाई हैं। सुरक्षा के लिए मंदिर परिसर में 22 सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं और माणकचौक थाने से पुलिस जवान भी तैनात किए गए हैं।

पहली बार सजा महालक्ष्मीनारायण मंदिर

माणकचौक मंदिर की तर्ज पर इस बार पहली बार कालिका माता मंदिर क्षेत्र स्थित महालक्ष्मीनारायण मंदिर को भी दीपोत्सव के लिए नोटों से सजाया गया है। यहां भी सैकड़ों श्रद्धालुओं ने अपनी श्रद्धा के रूप में नोटों की गड्डियां अर्पित कीं।

सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम

पुजारी असीम और दीपक व्यास ने बताया कि हर भक्त से आधार कार्ड की प्रति लेकर रसीद दी जा रही है, जिसमें जमा की गई राशि का उल्लेख है। मंदिर परिसर में चार स्थायी और छह अस्थायी सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं ताकि हर गतिविधि की निगरानी की जा सके। सुरक्षा के लिए पुलिस बल भी चौकसी में तैनात है।

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