उपभोक्ता जनघोष:- नोएडा: सेक्टर104 महर्षि महेश योगी आश्रम की भूमि को अवैध निर्माण कर आवासीय एवं कॉमर्सियल में बेचने की कोशिश की जा रही है लेकिन अब नोएडा अथॉरिटी ने भूमि के बाहर उक्त भूमि अर्जित बताते हुए बोर्ड लगाए है जिससे अवैध निर्माण को रोका जा सके। बता दें कि यह भूमि महर्षि आश्रम का है जिसको 1987 में जिलाधिकारी महोदय द्वारा जाँच के आधार पर राज्य सरकार के नाम निहित करने का आदेश दिया था। मामला अपर आयुक्त की अदालत में पहुंचा और 2008 में उक्त आदेश को रद्द करते हुए दोबारा मामले की जाँच कर दोबारा सुनने का आदेश पारित कर दिया था सुनवाई के बाद एडीएम कोर्ट ने फैंसला सुनते हुए भूमि को राज्य सरकार को घोषित किया था जिसके बाद मामला आयुक्त महोदय की कोर्ट में चल रहा है और ट्रष्ट द्वारा भूमि को बेचा जा रहा है।
अथॉरिटी की भूमि पर अवैध निर्माण व अतिक्रमण अब नही होगा
सम्बंधित स्थानीय अवर अभियंता लोकेश कुमार शर्मा ने बताया कि उक्त भूमि जो प्राधिकरण द्वारा अर्जित की गई है, भूमि पर अवैध निर्माण या कब्ज़ा नही होने दिया जायेगा जल्द ही बड़ी कार्रवाही देखने को मिलेगी, हमने उक्त भूमि पर बड़े लगाकर एक बड़ी कार्रवाही का सन्देश दिया है। सवाल यह उठता है कि ट्रष्ट ने भूमि को बेचकर जो धन अर्जित किया है क्या उसपर कोई कार्रवाही हुई है या की जाएगी, गैर क़ानूनी तरीके से भूमि को बेचा गया है जिसमें उस वक़्त के सम्बंधित अधिकारी मोन रहे क्या उनके खिलाफ भी विभागीय जाँच की जाएगी, मामला भ्रष्टाचार एवं पब्लिक हित से भी जुड़ा हुआ है यदि ऐसे में माननीय उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दाखिल की जाती है तो बड़ा एक्शन देखने को मिल सकता है।
यथास्तिथि आदेश की आड़ में भूमि बेचने का बड़ा खेल.....
ट्रष्ट ने स्टे ऑडर की आड़ लेकर भूमि को बेचना शुरू कर दिया और बिना मानचित्र स्वीकृति के आवासीय कामर्शियल मॉल जैसी ऊँची बिल्डिंग बनना शुरू हो गई और अथॉरिटी के सम्बंधित अधिकारी उक्त अवैध निर्माण को रोकते रहे लेकिन बिल्डिंग बनती रहीं। आपको बता दें कि अथॉरिटी स्टे ऑडर को मानते हुए खुद तो रुक गई लेकिन भूमि को ट्रष्ट द्वारा बेचे जाने पर एक सॉफ्ट कार्नर अपनाया जिससे करोड़ों की भूमि का लेनदेन किया गया है उस समय के अधिकारी कागजी कार्रवाही तो करते रहे लेकिन स्टे ऑडर के पालन में खरीद-फरोक्त नही रोकी गई, यदि अथॉरिटी चाहती तो एक ईंट भी उक्त भूमि पर नही लग सकती थी। यथास्तिथि आदेश का मतलब जो जहाँ जैसा है वैसा रहे, उक्त स्टे ऑडर के उल्लंघन करने के आधार पर जिलाधिकारी महोदय द्वारा गुंडा एक्ट व भूमाफिया अनेकों कार्रवाही करते हुए बैनामे रोके जा सकते थे, सथानीय पुलिस को अवैध निर्माण नही होने दिया जाने का आदेश दिया जा सकता था, लेकिन उस समय के सभी सम्बंधित अधिकारीयों द्वारा भमि बेचने वालों के प्रति सॉफ्ट कार्नर रुख अपनाया गया। कार्रवाही नही करना भी भ्रष्टाचार की श्रेणी में आता है, आर्थिक मानसिक नुक्सान जनता का हुआ जिसने भूमि खरीदी और जिन लोगों ने फ्लेट या शॉप खरीदीं हैं।
Edit By Priya Singh
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