गाजियाबाद में भारतीय वायुसेना के हिंडन एयरबेस पर चल रहे 'भारत ड्रोन शक्ति-2023' कार्यक्रम का आज दूसरा और आखिरी दिन है। इसमें देशभर के 75 से ज्यादा स्टार्टअप अपने-अपने ड्रोन का प्रदर्शन कर रहे हैं। कुछ सालों पहले तक जो ड्रोन सिर्फ शूटिंग के काम आता था, आज वही खेतों में पेस्टीसाइड छिड़कने से लेकर देश की सीमाओं की रक्षा करने में बखूबी जिम्मेदारी निभा रहा है।
यही वजह है कि सरकार साल-2030 तक भारत को ग्लोबल ड्रोन हब बनाने की योजना पर काम कर रही है। वर्तमान में भारत का ड्रोन निर्माण उद्योग कारोबार 100 करोड़ रुपए के आसपास है, जो अगले साल तक 900 करोड़ पहुंचने की उम्मीद है।
- हिंडन एयरबेस पर प्रदर्शनी में रखे गए पांच महत्वपूर्ण ड्रोन के बारे में जानते हैं...
राप्टर : 75 किलो लेकर जा सकता है वजन, ऊंचाई पांच किलोमीटर
EnerComp कंपनी द्वारा बनाए गए मेड इन इंडिया राप्टर का कुल वजन 150 किलो है। इसमें कुल 16 मोटर और 32 पंख हैं। इसकी पूरी बॉडी कार्बन फाइबर की है और ये अपने साथ 50 से 75 किलो तक वजन ले जा सकता है। ये अधिकतम पांच किलोमीटर की ऊंचाई पर जाकर उड़ सकता है।
एक बार उड़ान भरने के बाद इसको 30 मिनट तक हवा में रखा जा सकता है। इसे खासकर एग्रीकल्चर क्षेत्र में सामान को इधर से उधर पहुंचाने के लिए बनाया गया है। इससे खेतों में उर्वरक का छिड़काव भी किया जा सकता है। आसानी ये रहेगी कि ये मिनटों में पूरे खेत में छिड़काव कर देगा, जिसे करने में किसानों को पूरा दिन लगता है।
शत्रु : कार से भी तेज रफ्तार, उड़ सकता है 25 KG एम्युनिशन लेकर
INVICTUS कंपनी द्वारा तैयार तीन मीटर लंबा और ढाई मीटर चौड़ा ये ड्रोन एक छोटे लड़ाकू विमान की शेप में है। ये 45 मिनट में 162 किलोमीटर की दूरी तय कर सकता है। हालांकि एक पॉइंट पर खड़े होकर इसे 8 किलोमीटर के एरिया में संचालित किया जा सकता है। ये ड्रोन खासतौर पर सिक्योरिटी के लिए बनाया गया है। जिस तरह एयरफोर्स के विमानों को प्रेक्टिस के लिए जमीन पर एक दुश्मन टारगेट चाहिए होता है, उसी प्रकार ये 'शत्रु' काम करेगा। ये शत्रु 25 किलो एम्युनिशन भी साथ लेकर जा सकता है।
HA-5020 : दुर्गम इलाकों में सामान पहुंचाने में मुफीद साबित
भारतीय सेना अभी दुर्गम पहाड़ी इलाकों में सामान पहुंचाने के लिए खच्चरों का सहयोग लेती है। जहां वाहनों की पहुंच नहीं है, वहां पर सामान पहुंचाने के लिए ही AERO ARC कंपनी ने इस ड्रोन को तैयार किया गया है। ये एक हेलीकॉप्टर की शेप में है, जिसका वजन 40 किलो है। ये ड्रोन 92 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से उड़ सकता है। मकसद है कि जिस सामान को पहुंचाने में कई दिन लगते हों, उसी काम को ये ड्रोन चंद घंटों में पूरा कर सके।
वर्टिप्लेन एक्स-3 : मेडिकल सामान 1 घंटे में पहुंचाएगा 120 KM दूर
ये मेड इन इंडिया हाईब्रिड ई-वीटीओएल ड्रोन है, जो हवाई जहाज की शेप में बनाया गया है। इसके नीचे की तरफ एक बॉक्स है, जिसमें अधिकतम तीन किलोग्राम सामान रखा जा सकता है। खासकर मेडिकल फर्स्ट एड, ब्लड पैकेट्स आदि हेल्थ सामान के लिए इसे डिजाइन किया गया है।
इस ड्रोन का कवरेज एरिया 100 किलोमीटर है और इसकी स्पीड 120 किलोमीटर प्रतिघंटा है। शहरों में ब्लड, किडनी अन्य चीजों को समय से ट्रांसप्लांट करने के लिए रोड पर ग्रीन जोन बनाकर वाहन से पहुंचाना पड़ता है। वही काम ये ड्रोन कुछ मिनटों में कर देगा। स्वास्थ्य, रक्षा, समुद्री, हाईपर लोकल और ईकॉमर्स के कार्गों की डिलीवरी भी इससे की जा सकेगी।
MR20 : हैवी लिफ्ट लॉजिस्टिक, बैटरी बैकअप 50 मिनट
Raphe mPhibr प्राइवेट लिमिटेड कंपनी ने इस ड्रोन को हैवी लिफ्ट लॉजिस्टिक के तौर पर बनाया है। इसका बैट्री बैकअप 50 मिनट लगातार उड़ने का है। ये करीब 10 किलोमीटर का एरिया कवर कर सकता है और इसके साथ 35 किलो तक का सामान भेजा जा सकता है। इस ड्रोन में एरिया फेंसिंग कैपेबिल्टी है। मतलब, एक बार लोकेशन सेट करने के बाद ये खुद वहां तक पहुंच जाएगा, जहां आपको सामान पहुंचाना है।
75 से ज्यादा कंपनियां आई हैं प्रोग्राम में
भारत ड्रोन शक्ति-2023 के पहले दिन सोमवार को देश के रक्षामंत्री राजनाथ सिंह गाजियाबाद के हिंडन एयरबेस पहुंचे थे। उन्होंने हाइब्रिड ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम, गलती निदान के लिए एआई इंजन, फ्लाई-बाय-वायर टेस्टर, स्थिर विद्युत आपूर्ति ट्रॉली, क्यूआर कोड आधारित टूल क्रिब प्रबंधन प्रणाली और आधुनिक शिक्षण सहायक सामग्री जैसी परियोजनाओं की जानकारी ली। वे स्टॉल पर गए और ड्रोन के बारे में तकनीकि जानकारी जुटाई।
ड्रोन शक्ति कार्यक्रम में देशभर की 75 कंपनियां प्रतिभाग कर रही हैं। इन्होंने एयरबेस पर एक बड़े एरिया में एग्जीबिशन लगाई है, जिसमें वे नए-नए तरह के ड्रोन को प्रदर्शित कर रही हैं। इन्हें देखने के लिए तमाम कॉलेजों के स्टूडेंट्स और ड्रोन में रूचि रखने वाले लोग पहुंच रहे हैं।
आमतौर पर चार तरह के होते हैं ड्रोन
- मल्टी-रोटर ड्रोन: ये आसान और सस्ते उपलब्ध विकल्पों में से एक है। इन ड्रोनों में एक से अधिक मोटर होते हैं। आमतौर पर ट्राइकॉप्टर (3 रोटर), क्वाडकॉप्टर (4 रोटर), हेक्साकॉप्टर (6 रोटर) और ऑक्टाकॉप्टर (8 रोटर। इन ड्रोनों का उपयोग हवाई निरीक्षण और फोटोग्राफी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- फिक्स्ड-विंग ड्रोन: इन ऊर्जा कुशल ड्रोनों में एक कठोर पंख होता है जिसे हवाई जहाज की तरह दिखने और काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इस ड्रोन को केवल आगे बढ़ने के लिए ऊर्जा की जरूरत है, न कि खुद को हवा में बनाए रखने के लिए। इन ड्रोनों का उपयोग हवाई मानचित्रण, सर्वेक्षण, कृषि और निर्माण उद्देश्यों में किया जाता है।
- सिंगल-रोटर ड्रोन: ये मजबूत और टिकाऊ ड्रोन हैं और संरचना और डिजाइन में वास्तविक हेलीकॉप्टर जैसे दिखते हैं। इस प्रकार के ड्रोन में केवल एक रोटर होता है जो एक बड़े घूमते हुए पंख जैसा दिखता है, साथ ही दिशा और स्थिरता को नियंत्रित करने के लिए एक टेल रोटर भी होता है। इनका उपयोग भारी पेलोड ले जाने और सर्वेक्षण उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
- फिक्स्ड-विंग हाइब्रिड वीटीओएल: ये भविष्य के ड्रोन फिक्स्ड विंग और रोटर आधारित डिज़ाइन के हाइब्रिड हैं। इसमें स्थिर पंखों से जुड़े रोटर हैं, जो इसे उड़ने, उड़ान भरने और लंबवत रूप से उतरने की अनुमति देते हैं। इन ड्रोनों का उपयोग आमतौर पर डिलीवरी उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
रक्षामंत्री ने स्वास्तिक बनाकर C-295 IAF को सौंपा:हिंडन पर ड्रोन ने बम गिराकर दिखाई शक्ति, 'आतंकियों के ठिकाने' किए नेस्तनाबूद
गाजियाबाद में एयरफोर्स के हिंडन एयरबेस पर सोमवार को भारत की ड्रोन शक्ति का प्रदर्शन हुआ। देशभर की कंपनियां अपने हाईटेक ड्रोन लेकर पहुंचीं। इस दौरान किसी ड्रोन ने आसमान से ही संदिग्ध चीज को कैप्चर किया तो किसी ड्रोन ने आतंकियों के डमी ठिकानों पर बम गिराकर उसे नेस्तनाबूद किया।
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